Islam me Dahej Pratha
आखिर में हम सभी को चाहिए कि मिलकर इस Dahej Pratha को कम से कम करने की कोशिश करें क्योंकि खत्म तो बिल्कुल भी नहीं हो सकती।
आखिर में हम सभी को चाहिए कि मिलकर इस Dahej Pratha को कम से कम करने की कोशिश करें क्योंकि खत्म तो बिल्कुल भी नहीं हो सकती।
आज कल लोग रस्मो रिवाज के नाम पर तरह तरह के अंधविश्वास को बढ़ावा दे रहे है जिसको वो जरूरी समझते है जिसकी कोई भी हकीकत नहीं होती है हम बता रहे है islam-me-rasmo-rivaj की हकीकत।
इस्लाम में हर रिश्ते के कुछ न कुछ हक़ और हुक़ूक़ होते है जिनको पूरा करने का हमे हुक्म दिया गया है और उनका अहतराम भू बताया गया है उनमे एक ये भी है Islam Me Damad Ke Hukuk Sasural Per.
Bidat Kya Hai? जो काम आप हजरत सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और सहाबा रजि अल्लाह ताला अनहो ने नहीं उसे इबादत समझकर करना बिदत कहलाता है।
शादी एक बहुत ही इज्जतदार समारोह होता है, जिससे खानदान के इज्जतदार मर्द और औरत के ससुराल का रिश्ता वजूद में आता है। आज हम आपको Islam Mein Damaad Par Sasural Ke Huqooq क्या है बताने जा रहे है
कुछ लोगों की जहालत की कोई हद नहीं रहती है मसलन लड़का बीमार हो तो उसकी नजर मान ली जाती है कि ऐ वली अल्लाह अगर मेरे लड़के को आराम हो जाएगा तो तेरे नाम की इतनी नजर यानी मन्नत करेंगे आज हम आपको बताएँगे islam Me Mannat Kya Hai
हर इंसान किसी न किसी तरह अन्धविश्वास पर यकीन रखता है अन्धविश्वास जिसकी कोई हकीकत होती ही नहीं है ,आज हम आपको अंधविश्वास की हकीकत को andhvishwas in hindi में बातएंगे
शिर्क किसे कहते हैं | Shirk Kise Kahte Hai में हम जानेंगे की ये कितने प्रकार का होता है जैसे इल्म में शरीक ठहराना, इबादत में शरीक ठहराना इत्यादि, शिर्क बहुत बड़ा गुनाह है इसलिए इससे बचना जरूरी है
मां बाप का औलाद पर बहुत बड़ा हक होता है मां जो कि हमें पैदा करने के लिए इतनी तकलीफ है उठाती है हमें बड़ा करने के लिए रात रात भर सोती नहीं है नीम को कुर्बान कर देती है और बाप कि हमारे परवरिश के लिए कोई कमी नहीं छोड़ता है वह खुद मेहनत करता है लेकिन हमें कोई परेशानी नहीं होने देता है मां बाप अपनी औलाद के लिए हर तरह की परेशानी से लड़ते हैं अगर कोई मां-बाप अपने बच्चे से नाराज हैं और उस बच्चे की मौत हो जाती है तो उस बच्चे की बक्शीश भी नहीं होती है
जैसा कि हमारा समाज बहुत तरक्की कर चुका है लेकिन कुछ मायनों में वह अभी भी बहुत पीछे हैं जैसे हमारे समाज की एक बहुत बड़ी बुराई है कि उसमें बेटा बेटी में फर्क किया जाता है बेटे को हर मायने में अच्छा समझा जाता है और बेटी को हर मायने में कमतर समझा जाता है बेटे की शिक्षा में कभी पैसों का हिसाब नहीं रखा जाता है