दुआ मे क्या माँगे ? सबसे ज्यादा ज़रूरी चीज़ जिसे हमे दुआ में ज़रूर माँगना चाहिए

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अल्लाह ताला से हमें क्या दुआ मांगना चाहिए। ऐसी कौन सी दुआ है जो सबसे बेहतरीन है। हम लोग तो अपने अपने हिसाब से अल्लाह ताला से दुआ मांग लेते हैं। पैसा चाहिए तो कहते है या अल्लाह पैसा दे, कारोबार चाहिए तो कहते है अल्लाह कारोबार चला दे। लेकीन हमें अपनी दुआ में ऐसी क्या चीज मांगनी चाहिए जो हमें दुनिया और आखिरत दोनों में कामयाब करें।

इस आर्टिकल में आप लोगों को बताने जा रहा हूं कि आप दुआ में क्या मांगे और कैसे मागे इस लिए पूरा आर्टिकल जरूर पढ़ें। ताकि हम आपको हुजूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की हदीसो के बारे में पूरी जानकारी दे सकें।

दुनिया और आखिरत के हवाले से एक सबसे अच्छी हदीस

हजरत-ए- अब्दुल्ला इब्ने उमर रजी अल्लाह हु ताला अन्हा कहते हैं की रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया की अल्लाह पाक ने जिसके लिए दुआ के दरवाजे खोले है। उसके लिए रहमत के दरवाजे भी खोल दिए है और अल्लाह ताला के नजदीक होकर उससे आफियत मांगना हर चीज मांगने से ज्यादा बेहतर है।

आर्टिकल को पूरा जरूर देखे नहीं तो आप बहोत ही अहम और जरुरी बात से महरूम रह जायेगे।

इसी तरह से एक और हदीस है। हज़रत अबू बकर सिद्दीक रजी अल्लाह हु ताला से मन्क़ूल है। वो कहते है। की रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया की तुम्हें कलमा इखलास यानी कलमे शहादत के बाद आफियत से बढ़कर कोई चीज नहीं दी गई लिहाजा तुम अल्लाह ताला से आफियत का सवाल किया करो।

लेकिन आफियत है क्या ये सवाल आप में से बहुत के मन में होगा ? इसका सीधा और सिंपल मतलब होता है की दुनिया की और आखिरत की भलाइयां।उसके बाद ये दुआ करे की अल्लाह ताला दुनिया और आखिरत में जो भी

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मेरे हक में बेहतर हो वो अता फर्मा

क्योंकि हम अपनी निगाहों से बहुत सारी चीजों को अपने हक में बेहतर समझ रहे होते हैं। लेकिन सिर्फ अल्लाह जानता है की यह चीज हमारे लिए बेहतर है भी की नहीं। तो हमें यह नहीं मांगना चाहिए की अल्लाह मुझे यह चीज पसंद है। मुझे ये दे दे बल्कि हमें यह मांगना चाहिए की या अल्लाह ताला हमें तू आफियत अता फर्मा।

और जो चीज मैं चाह रहा हुं अगर यह मेरे हक में बेहतर हो तो ही वो मुझे अता कर और अगर वह मेरे लिए बेहतर नहीं है तो तू उस चीज़ से मुझे दूर कर दे।

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तो दुनिया और आखिरत की भलाइयां है आफियत, वो मिल जाए तो ये सबसे बड़ी खुशनसीबि की बात है। इसीलिए हुजूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फरमाया की अपनी दुआ में आफियत तलब करो।

कहने का मतलब ये है के अल्लाह की रजा वाली जिंदगी। अल्लाह जिस काम से राजी और खुश होता हो वो काम करने की तौफीक हमें अता फर्मा दे।

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