सूरह अल क़द्र में अल्लाह तआला ने रमजान की एक ख़ास रात के बारे में ब्यान किया है रमजान के महीने की रातों में से पांच राते शब् ए कद्र की होती है ओर इन्ही रातो में से कोई एक रात है जिसे शब् ए कद्र कहते है। इसके बारे में और सही से जानने के लिए आप पढ़ सकते है Surah Al Qadr In Hindi.
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शब् ए कद्र की रात में ही क़ुरान शरीफ नाजिल हुआ था इसी लिए ये रात कोई आम रातों की तरह नहीं है इस रात को बरकत और नेमत बरसने की रात कहते है है शब ए क़द्र की रात को की गयी इबादत का सवाब आम दिनों के मुकाबले कई गुना ज्यादा होता है।
पहली ही आयत के लफ्ज़ को इस सूरह का नाम दिया गया है।
सूरह अल क़द्र हिंदी में वीडियो देखें
surah al qadr in hindi
बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम
1. इन्ना अनज़ल नाहु फ़ी लैयलतिल कद्र
2. वमा अदराका मा लैयलतुल कद्र
3. लय्लतुल कदरि खैरुम मिन अल्फि शह्र
4. तनज्जलुल मलाइकातु वररूहु फ़ीहा बिइज़्नि रब्बिहिम मिन कुल्लि अम्र
5. सलामुन हिय हत्ता मत लइल फज्र
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Surah al Qadr Translation तर्जुमा
- 1. बेशक हम ने कुरान को शबे क़द्र में नाजिल फ़रमाया है
- 2. और आप को मालूम है कि शबे क़द्र क्या है ?
- 3. शबे क़द्र हज़ार महीनों से बेहतर है
- 4. इस रात में फ़रिश्ते रूहुल अमीन (जिबरईल अलैहिस सलाम) अपने रब के हर काम का हुक्म लेकर उतरते हैं
- 5. ये रात (सारापा) पूरी तरह सलामती है, जो सुबह फज्र होने तक रहती है।
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surah al qadr in english
Bismillaahir Rahmaanir Raheem
- Innaa anzalnaahu fee lailatil qadr
- Wa maa adraaka ma lailatul qadr
- Lailatul qadri khairum min alfee shahr
- Tanaz zalul malaa-ikatu war roohu feeha bi izni-rab bihim min kulli amr
- Salaamun hiya hattaa mat la’il fajr
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surah al qadr in arabic
إِنَّا أَنزَلْنَاهُ فِي لَيْلَةِ الْقَدْرِ
وَمَا أَدْرَاكَ مَا لَيْلَةُ الْقَدْرِ
لَيْلَةُ الْقَدْرِ خَيْرٌ مِّنْ أَلْفِ شَهْرٍ
تَنَزَّلُ الْمَلَائِكَةُ وَالرُّوحُ فِيهَا بِإِذْنِ رَبِّهِم مِّن كُلِّ أَمْرٍ
سَلَامٌ هِيَ حَتَّى مَطْلَعِ الْفَجْرِ
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Surah-al -Qadr ki Tafseer
सूरह-अल-क़द्र में अल्लाह ताला ने रमजान के महीने की एक खास रात के बारे में जिक्र किया है रमजान की रातों में एक रात शबे कद्र कहा जाता है।
Shabe-Qadr kya hai?
शबे क़द्र रमज़ान के महीने के आख़िरी अशरे की रातों में से किसी एक रात में होती है यानी 21, 23, 25, 27, या 29 वीं रात में से किसी एक में
पूरा क़ुरान करीम इसी रात में उतारा गया, इसके बाद हज़रत जिब्राइल अलैहिस्सलाम उसे थोड़ा थोड़ा करके 23 साल तक हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर वही की शक्ल में नाजिल करते रहे और इसका दूसरा मतलब ये भी होता है कि क़ुराने करीम सब से पहले शबे क़द्र में नाज़िल होना शुरू हुआ।
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surah-al-qadr benefits
हज़रत आयेशा रज़ियल्लाहु तआला अन्हा से रिवायत है के है के रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से अर्ज किया के मुझे बताएं के अगर मुझे माअलूम हो जाये के कौन सी रात शबे क़द्र है तो मैं उस रात अल्लाह से क्या अर्ज करूँ और क्या दुआ मांगूं
आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया;
रमज़ानुल मुबारक में इस सूरह को कशरत से पढ़ना से बातिन की पाकीजगी का जरिया मिलता है औरइसका सवाब बे पनाह मिलेगा और बहुत ही ज्यादा मिलेगा।
शबे क़द्र की रात में फरिश्ते आसमान से दुनिया में उतरते हैं और इस रात में की गयी कोई भी नेकी करना ऐसा है जैसे हजार महीने तक नेकी का काम किया गया हो इन्ही बातों का इस सूरत अल क़द्र में जिक्र किया गया है।
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शबे कदर की पूरी की पूरी रात में खैरो,भलाई और सलामती ही सलामती है यानि इस रात के जिस वक़्त में भी कोई भी इबादत करेगा,तो इंशाअल्लाह इस की फ़ज़ीलत को हासिल कर लेगा यानी इस पूरी रात में अल्लाह की रेहमत बरसती है ,
यहां तक कि अगर कोई सिर्फ़ मगरिब और ईशा की नमाज़ भी जमात से पढ़ ले या वैसे भी पढ़ ले , तब भी शबे क़द्र की रात में अपना हिस्सा ज़रूर पायेगा और इस रात की सलामती सुबह के वक़्त यानी फज्र के वक़्त तक रहती है।
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