Islam me Dahej Pratha

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इस्लाम में दहेज प्रथा

दहेज लेना एक बहुत ही गलत रसम है यह लेहाज़ से Islam me Dahej Pratha एक दर्जा और गलत है जो कि हमारे मुल्क में बहुत तेजी से बढ़ती और फैलती जा रही है।

इस आर्टिकल में हम लोग दहेज की बुराई के साथ-साथ इस बुराई से किस तरह से बच सकते हैं। और इसमें किसका किरदार है इसे बचाने के लिए उसके बारे में कुछ बात करेंगे।

आप सभी लोगों से यह गुजारिश है कि यह दहेज लेना देना अपनी तरफ से जितना हद तक मुमकिन हो ना करें और दूसरों को भी इस बात पर माइल करें कि वह भी दहेज ना ले क्योंकि दहेज़ ना देना तो हमारे बस में नहीं है।

लेकिन लेना हमारे बस में है हमें चाहिए कि जब भी हमें मौका मिले दहेज लेने का तो उसको मना कर दे और इस तरीके से अपने मासरे को दहेज की बुराई से पाक और साफ करने की कोशिश करें।

दहेज लेना देना हमारे मासरे में बुरा नहीं समझा जाता यही एक बड़ी वजह है कि जिससे दहेज की बुराई और फैलती जा रही है। जबकि होना यह चाहिए कि जो भी दहेज ले मासरे में उसको बुरा समझा जाना चाहिए लोग जाकर के दहेज देने वाले को चार बात सुनाकर के आए।

और उसकी जहां तक हो सके बेइज्जती करें कि तुमने दहेज क्यों लिया अगर ऐसा होने लगेगा तो लोग फिर दहेज लेना कम करेंगे लेकिन अभी तो मामला बिल्कुल उल्टा चल रहा है जिसको दहेज मिलता है वह उसकी नुमाइश करता है और लोग भी चटकारे लगा करके उसकी तारीफ करते हैं जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए।

दहेज प्रथा की बुराई सभी जानते हैं और सभी धर्म में यह बुराई फैल चुकी है लेकिन इस्लाम में दहेज प्रथा के खिलाफ हमें पूरी तरीके से बताया गया है।

फिर भी इस्लाम में Dahej की बीमारी बहुत ही तेजी से फैल चुकी है।

अल्लाह ताला ने कुरान में फरमाया है

मर्द औरतों पर कव्वाम है क्योंकि अल्लाह ताला ने उनमें से एक को दूसरे पर फजीलत दी है और इसलिए कि मर्द अपना माल खर्च करते हैं

(सोर्स :अल कुरान 4:34)

जैसा कि “अल्लाह ताला” ने कमाने की जिम्मेदारी मर्द के कंधों पर दी है लेकिन बहुत से मर्द अपनी इस जिम्मेदारी से भागते हुए अपने ससुराल वालों से दहेज मांगते हैं।

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ताज्जुब की बात है कि मां-बाप ऐसे लोगों को अपनी बेटी देते ही क्यों हैं? जो दहेज मांग करके पहले ही अपने भिकारी होने का सबूत दे देते हैं दहेज एक बहुत बड़ी लानत है इससे बहुत तरह के नुकसानात होते हैं।

दहेज से होने वाले नुकसानात

जैसा कि हम सब जानते हैं कि Dahej Pratha एक बहुत बुरी चीज है इससे बहुत सारे नुकसान होते हैं।

दहेज की वजह से कितने घर बर्बाद हो चुके हैं। दहेज प्रथा में लड़के वालों को लड़की वालों के यहां से बहुत सारा तोहफा दहेज के नाम पर दिया जाता है।

जिसे वह यह कह कर ले लेते हैं कि वह तो अपनी लड़की को दे रहे हैं लेकिन यही चीज जब उनकी अपनी खुद की लड़की की शादी करते हैं और दहेज देना पड़ता है तो उनको दहेज की बुराई समझ में आती है।

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लेकिन क्योंकि मासरे में अब बिना दहेज के शादी होना लगभग नामुमकिन है इसलिए लड़की वालों को ना चाहते हुए भी दहेज देना पड़ता है।

दहेज की बुराई चाहे जितनी भी बताई जाए लेकिन लड़के वाले अगर दहेज लेना नहीं छोड़ेंगे तो फिर इस बुराई के बताने का कोई फायदा नहीं है। और यही होता भी आ रहा है।

जब लड़की की शादी करेंगे तो बुराई है और जब लड़के की करेंगे तो खूब मजे से दहेज लेंगे अब तो मासरे में चलन यहां तक बढ़ गया है कि दहेज का सामान लड़के वालों के घर 3 से 4 दिन पहले ही पहुंचा दिया जाता है।

यह एसी बुराई है जिसमें कुछ मिल रहा होता है इसीलिए लोग इसे चाह कर भी नहीं छोड़ पा रहे हैं और ऐसा ही रहा तो यह दहेज प्रथा दिन दूनी रात चौगुनी रफ्तार से बढ़ता ही रहेगा।

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और इसको कोई रोकने वाला कोई टोकने वाला नहीं होगा क्योंकि इसमें तो सारे ही मुलोवीस है।

आइए हम जानते हैं दहेज से और क्या क्या नुकसान हो रहे है।

बाप का मजबूरन हराम कमाई का रास्ता अपनाना

एक बाप जो कि अपनी बेटी की खुशी के लिए कुछ भी कर सकता है जब वह अपनी बेटी का निकाह करने की सोचता है तो दहेज के लिए अक्सर बुरे रास्ते यानी रिश्वतखोरी और यहां तक सूद तक लेने को तैयार हो जाता है।

क्योंकि उसे अपने लालची दामाद को दहेज देकर खुश करना होता है।

दहेज के कारण बेटियों की बढ़ती उम्र

अक्सर देखा जाता है कि  बेटियों का निकाह इसलिए नहीं होता है कि उनके मां-बाप के पास दहेज देने की हैसियत नहीं होती है।

जिससे देर होने पर बेटियों की उम्र बढ़ती जाती है और जैसे-जैसे लड़की की उम्र बढ़ती है वैसे-वैसे उनका रिश्ता होना और भी मुश्किल होता जाता है।

और दहेज की डिमांड भी बढ़ती जाती है और यह एक सिलसिला चल निकलता है जिससे कि लड़कियों की उम्र बढ़ती ही जाती है

ससुराल में होने वाले जुल्म

शादी में अगर बेटी को दहेज नहीं मिलता है तो ससुराल वाले उसे तरह-तरह के ताने देते हैं उनके मां-बाप को बुरा भला कहा जाता है यहां तक कि उन पर तरह-तरह के जुल्म होते हैं।

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कभी-कभी तो उन बेटियों को मारने तक की भी कोशिश कि जाती है आए दिन यह खबरें सामने आती हैं की दहेज ना देने के कारण बेटियों की बारातें वापस चली जाती हैं।

यह बात अलग है की बारात तो खुद ही एक बहुत बड़ी बुराई है दहेज प्रथा की तरह यह भी रसम इस्लाम में फैल चुकी है इसके बारे में हम अपने किसी और आर्टिकल में बात करेंगे।

जिससे उस लड़की और उसके घरवालों की बहुत बेज्जती होती है यहां तक कि कुछ लड़कियां खुदकुशी का रास्ता भी अपना लेती हैं।

लड़कियों को पैदा होने से पहले ही कत्ल कर देना

यह बुराई हमारे समाज में ज्यादा ही फैल गई है कि लोग लड़कियों को पैदा होने से पहले ही ,यानी कोख मे ही मार देते हैं।

यह अमल अल्लाह, के नजदीक बहुत ही बड़ा गुनाह होता है मतलब की गुनाह- ए- कबीरा है।

कई बार ऐसा होता है की धोखे में लड़की समझकर लड़के का भी कत्ल हो जाता है और बाद में पछतावा होता है।

कोई जरा उन लोगों से पूछे की लड़कियों का गुनाह क्या है जो उनको कत्ल कर रहे हैं।

वही लड़की अगर पैदा हो गई और कोई उसको मार दे तो उसके खून के प्यासे हो जाएंगे लेकिन जब वह पैदा नहीं हुई है तो वह उसको खुद ही अपने हाथों से मार देते हैं और बहुत बड़े गुनाह को कर बैठते हैं।

ज़िना ( अनैतिक संबंध), बुराई और बदकारी का बढ़ना

दहेज की वजह से आज लोग अपनी बेटियों की सही समय पर शादी नहीं कर पाते हैं।

जिससे घर बैठी कुछ बेटियां बुराई का रास्ता अपना लेती हैं वह बाहर जाकर लड़कों से दोस्ती कर लेती हैं।

और बुराई और बदकारी को बढ़ावा देती हैं कभी-कभी बुराई ज़िना तक भी हो जाती है।

इस्लाम में निकाह आसान है

इस्लाम हमें हुक्म देता है कि निकाह को इतना आसान कर दो की ज़िना ना हो सके।

ज़िना को बढ़ाने में कहीं ना कहीं वह लोग भी जिम्मेदार हैं जो दहेज के लेनदेन को बढ़ावा देते हैं क्योंकि उनके दहेज लेने और देने की वजह से बेटियां कुंवारी घर पर रहती हैं।

और जिना के रास्ते पर चली जाती हैं या बहुत ही बुरा अमल होता है अल्लाह हमें दहेज लेने और देने से बचाए।

कई बार हमारे समाज में यह देखा गया है कि मां-बाप में से कोई एक दहेज के खिलाफ होता है लेकिन दूसरा दहेज के खिलाफ नहीं होता।

जो दहेज के खिलाफ होता है वह लड़की वाले से कहता है कि हमको दहेज नहीं चाहिए और लड़की वाले यह बात जानकर दहेज नहीं देते।

जब लड़की ससुराल आती है, तो उसको घर में और लोग ताना देते हैं “यह तो कुछ भी नहीं लेकर” आई खासतौर से जो मां-बाप में से दहेज के खिलाफ नहीं होता।

वह उसको तरह तरह से सताने की कोशिश करता है और इस तरीके से दहेज न लाने से लड़की का रोज तरह-तरह के ताने से उसका जीना मुश्किल कर दिया जाता है।

जो कि हमारे समाज में बहुत ही निंदनीय काम है। और कई बार इसी वजह से उसको सताने के लिए कई तरह के अलग-अलग बहाने ढूंढने जाते हैं।

जिसमें कि उसकी ननद का काफी हाथ रहता है उनको यह सोचना चाहिए कि उनके घर में भी लड़की है जो किसी दूसरे घर में जाएगी।

हो सकता है उसके साथ भी ऐसा हो अगर सच में हो जाये तो तुम्हे कैसा लगेगा।

जो मां-बाप और घरवाले बेटी के निकाह के मौके पर दहेज को बहुत बुरा समझते हैं और लेने वाले को तरह-तरह की बातें कहते हैं वह जब अपने बेटों की शादी करते हैं तो यह बात भूल जाते हैं।

और वही सारा काम करते हैं जो कि वह थोड़ी दिन पहले बुरा समझ रहे थे।

दोहरा रवैया नहीं करना चाहिए क्योंकि कभी कोई लड़के वाला होता है तो कभी कोई लड़की वाला।

उनको दूसरे के नजरिया से भी देखना चाहिए कि आज हम लड़के वाले हैं तो कल हम लड़की वाले भी हो सकते हैं और जो आज हम तरह-तरह के बहाने बनाकर दहेज ले रहे हैं।

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कल दूसरे लोग भी यही करेंगे हमारे साथ और उस वक्त हमें बहुत ही बुरा लगता है तो हमें चाहिए कि जो हम अपने खुद के साथ चाहते हैं।

वही सुलूक हम दूसरों के साथ भी करें और इस्लाम भी हमें इसी की सीख देता है।

कई बार ऐसा भी होता है कि लड़के वाले लड़की पक्ष से कहते हैं कि हमें दहेज नहीं चाहिए और कुछ भी नहीं लेना है लेकिन लड़की वाले अपनी शानो शौकत और दिखावा करने के लिए दहेज देते हैं जिससे की लड़के वाले मना करने के बावजूद मजबूरी में दहेज ले लेते हैं।

और यह दूसरों के लिए एक अच्छा उदाहरण नहीं बन पाता।

लड़की वाले अगर बहुत ज्यादा पैसे वाले हैं और उनके पास अपनी बेटी को देने के लिए काफी कुछ है तो वह बाद में भी दे सकते हैं।

दिखावा करने के लिए दहेज ना दें इससे एक यह नुकसान होता है कि दूसरे लोगों के ऊपर भी दबाव बढ़ जाता है कि वह भी अपनी बेटियों को दहेज दें।

आखिर में हम सभी को चाहिए कि मिलकर इस Dahej Pratha को कम से कम करने की कोशिश करें क्योंकि खत्म तो बिल्कुल भी नहीं हो सकती।

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अब हम बात करते है की लड़के वाले के फैमिली मिम्बर को मौका मिलने पर कैसे समझा सकते है कि वो दहेज़ न ले और मासरे को बेहतर बनाने के लिए अपना हक़ अदा कर सकते है।

लड़का जिसकी की शादी है

लड़के को समझाने का कुछ पॉइंट्स नीचे दे रहे हैं।

  • भाई आप आदमी हो और अब निकाह करने जा रहे हो जो कि आधा दीन मुकम्मल करने के लिए है तो क्या आप उसको लड़की वालों से दहेज लेकर मुकम्मल करोगे क्या इसीलिए आपको अल्लाह ने इस काबिल बनाया कि आप दहेज ले करके अपना आधा दीन मुकम्मल करो।
  • अगर आपने दहेज ले भी लिया तो उससे कितने दिन गुजारा हो सकेगा इसीलिए बेहतर है कि अपनी मेहनत की कमाई से अपनी आने वाली बीवी का इस्तकबाल करें।
  • दहेज लेना एक बेगैरती है यह आप क्यों करना चाह रहे हैं।
  • दहेज लेने पर आपको हमेशा लड़की वालों से दबकर रहना पड़ेगा तो क्या आप ऐसा करना चाहेंगे।

लड़के के वालिद

कई जगह यह देखा गया है कि लड़के के वालिद अपने लड़के को पढ़ा लिखा कर कुछ बनाने के बाद यह उम्मीद रखते हैं कि बदले में उनको लड़की वाले अच्छा खासा दहेज दें

जिससे कि उनका जो इन्वेस्टमेंट हुआ है वह एक तरीके का रिटर्न उन्हें मिले तो उनको हम किस तरीके से समझाएं उसके कुछ पॉइंट्स नीचे दे रहे हैं।

  • आपने अपने बेटे को पढ़ा लिखा कर किसी काबिल बनाया तो अब दहेज ले कर के उसको जाया ना करें बल्कि आपको आगे बढ़कर लड़की वालों से यह कहना चाहिए कि हमारा बेटा बहुत ही काबिल है उसको दहेज लेने की कोई जरूरत नहीं है।
  • अगर आप आज दहेज लेंगे अपने बेटे के लिए तो कल आपको अपनी बेटी को दहेज देना भी पड़ेगा उस वक्त आपकी क्या फीलिंग होगी।
  • कई बार लोगों का यह कहना होता है कि हमने बेटी की शादी की थी तो दहेज तो दिया था अब बेटे की कर रहे हैं तो लेंगे तो एक बात यह सोचने वाली है कि अगर कोई एक गलत करता है तो क्या दूसरे को भी वही गलती करनी चाहिए जब आपको अपनी बेटी को दहेज देते हुए बुरा लगा था तो क्या आज जो लड़की वाले दहेज दे रहे हैं उनको नहीं बुरा लगेगा।
  • लड़के के वालिद यह भी कह सकते हैं कि हमारा लड़का तो कुछ कमाता है नहीं इसीलिए दहेज ले रहे हैं जिससे वह अपना गुजारा कर ले तो उनसे यह पूछो कि यह कब तक चल पाएगा आप अपने लड़के को जब तक वह अच्छे से खर्चा उठाने लायक ना हो जाए तब तक आप उसकी मदद करें और उसको इस बात पर आमादा करें कि वह अपनी कमाई धमाई पर ध्यान दें।
  • आप लड़के के वालिद है दहेज ना ले कर के मासरे में यह ऐलान कर दें कि हम दहेज न लेते हैं ना देते हैं इससे मासरे में आप की जो इज्जत बनेगी वह दहेज लेने पर कभी भी नहीं बन सकती।

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लड़के की वालिदा

दहेज की बुराई के पीछे सबसे ज्यादा हाथ औरतों का होता है लड़के को और उसके वालिद को समझाना आसान है वह समझ भी जाते हैं लेकिन घर की जो औरतें होती हैं उनको समझाना ऊंट को रिक्शे में बिठाने के बराबर होता है।

इसके लिए हम नीचे कुछ पॉइंट दे रहे हैं यह भी पूरी तरह कारगर नहीं होगा लेकिन कुछ हद तक आपको इससे मदद मिल सकती है।

  • आप लड़के की वालिदा है आपने अपने बेटे को पाल पोस कर इतना बड़ा किया पढ़ाया लिखाया किसी काबिल बनाया तो दहेज ले करके उन सभी चीजों को जाया मत करें बल्कि अपने बेटे की मदद करें कि दहेज नहीं लेना है।
  • लड़के की वालिदा को अल्लाह रसूल की बात बता कर के इस बात की कोशिश करें और उन्हें समझाएं कि दहेज लेना इस्लाम के खिलाफ है जैसे और भी चीजें इस्लाम में जायज नहीं है और घर की औरतें मान भी जाती है और नहीं करती उसी तरीके से उनको यह बताएं कि दहेज लेना जायज नहीं है।
  • लड़के की वालिदा को यह बात समझाएं कि आज आप दहेज ले सकती हैं मगर कल को जब बेटी की शादी करेंगी और दहेज देना पड़ेगा आप चाहे जितना भी दहेज दे दे लड़की के ससुराल वाले उसको कम समझेंगे और आपकी बेटी को तरह-तरह की बातें सुनाएंगे तो क्या उस वक्त आपको अच्छा लगेगा। नहीं लगेगा बिल्कुल अच्छा नहीं लगेगा उसी तरह से यह देखें कि यह आने वाली भी तो किसी की बेटी होगी तो जैसे उनकी बेटी वैसे अपनी बेटी इसलिए आप दहेज ना ले और एक मिसाल कायम करें।
  • लड़के को दहेज ना लेने के लिए समझाने की जिम्मेदारी खुद लड़के को उठानी चाहिए क्योंकि लड़के की वालिदा किसी और से इतनी आसानी से नहीं मानेगी जितना कि लड़के से मान जाएंगी।
  • लड़के की वालिदा को कोई समझा सकता है तो वह है लड़के का मामू यानी की वालिदा का भाई उनको इस बात पर अमादा करें कि वह जाकर के अपनी बहन को समझाएं कि दहेज ना लो अगर वह मान सकती है तो मान जाएंगी। इसके अलावा कोई और समझाएगा तो बहुत कम उम्मीद है उनके मानने की इसलिए पहले लड़के के मामू को अच्छी तरह से समझाएं और फिर उनसे यह गुजारिश करें वह जाकर के अपनी बहन को समझाएं।

Image Source : flickr.com

                                                                  

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