Bachon Ki Tarbiyat Kaise Kare | बच्चों की तरबियत कैसे करें

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Bachon Ki Tarbiyat Kaise Kare
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बच्चों की तरबियत | Bachon ki tarbiyat का उसूल ये है की माँ बाप के तौर तरीको का अक्स ( नकल) बच्चो के अन्दर आता है, माँ बाप के अखलाक ( बर्ताव) अच्छे हो , मां बाप मिलनसार हो तो बच्चों के अन्दर ये सिफत ( खासियत ) खुद बा खुद बच्चों के अन्दर आ जाती हैं . क्योंकि बच्चे छोटी छोटी चीज़े भी जल्दी सीख जाते हैं जो माँ बाप में होती है ।

जब एक शौहर और बीवी मां-बाप बनते हैं तो सबसे बड़ा सवाल उनके सामने होता है कि अपने बच्चों की तरबियत | Bachon ki tarbiyat कैसे करें साधारण शब्दों में तरबियत का मतलब होता है अपने बच्चों को सही मायने में शिक्षित करना उन्हें अच्छी तालीम देना आदि इसलिए तरबियत के लिए सबसे पहले मां बाप को अच्छा, नेक और ख़ुश अखलाक़ बनना होगा तभी बच्चे भी सीखेंगे

बच्चों की तरबियत के लिए कुछ बातों का ध्यान रखें

बच्चे के दिल में मुहब्बत पैदा करना

जिस भी इंसान में मुहब्बत होगी उसका दिल रहम करने वाला होगा , कभी किसी को तकलीफ ना देगा , इसलिए हमें चाहिए बच्चों के दिलों में मुहब्बत पैदा करें , उन्हें ख़ुश अखलाक़ बनाये . इसलिए उन्हें अक्सर गले लगायें , माथे पे बोसा ले ( चूमना ) , इस तरह धीरे धीरे उनके दिलों में भी आपके लिए मुहब्बत हो जाएगी . और जब बच्चों की तरबियत | Bachon ki tarbiyat में मां बाप के लिए मुहब्बत होगी तो बुढ़ापा भी अच्छा गुज़रेगा

मां बाप का गुस्सा

बच्चों से ख़ूब मोहब्बत करें प्यार से पेश आएं लेकिन फिर भी उनसे इतनी दूरी बना कर रखें कि आपकी मोहब्बत का गलत फायदा ना उठा सके, हर चीज़ की एक सीमा होती है इसलिए इतना भी लाड़-प्यार ना करने लग जाए कि वह हर बात को नजरअंदाज़ करने लगे , उसका गलत फायदा उठाने लगे । मगर इतना सख्ती और गुस्सा भी नहीं करनी चाहिए की बच्चे दहशत में जीने लगे,

ज़्यादा सख्ती भी गलत बात है इससे या तो बच्चों में डर पैदा हो जाएगा या फिर आप को नजरअंदाज़ करना शुरू कर देंगे , इसलिए बच्चों की तरबियत | Bachon ki tarbiyat में सख्ती भी इस हद तक दिखाएं कि कोई गलती करने पर आपकी डांट और मार का डर भी बच्चों में रहना चाहिए ।

बच्चों के दोस्त बनें

बच्चों की तरबियत | Bachon ki tarbiyat करने के लिए उनसे दोस्ती का हाथ बढाए , उनको इस बात का यकीन दिलाए की आप उनकी हर परेशानी को चुटकियों में हल कर देंगे , जब भी वो कुछ कहें उन्हें गौर से सुनें , किसी परेशानी या गलती में बच्चों की गलती हो तो उन्हें कभी भी ना डांटे क्युकी फिर दुबारा वो कभी नहीं बताएँगे आपकी डांट के डर से .

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बच्चों पे छोटी हदीस

  • प्यारे नबी ( محمد ﷺ ) , बच्चों की रोने की आवाज़ सुनकर अपनी नमाज़ को छोटी कर देते थे
  • प्यारे नबी ( محمد ﷺ ) ने फ़रमाया जो बंदा रहम नहीं करता तो अल्लाह उसपे रहम नहीं करता
  • एक मर्तबा प्यारे नबी ( محمد ﷺ ) ने बहुत लंबा देर तक सजदा किया जब काफी देर हो गई तो सहाबाओं ने इसकी वजह पूछा तो प्यारे नबी ( محمد ﷺ ) ने फरमाया जब मैं सजदे में गया था हुसैन (र.अ ) मेरी पीठ पर आकर बैठ गया तो मैं तब तक सजदे में रहा जब तक वह पीठ से उतर ना गया .
  • हम ज़रा गौर करें बच्चों के मामले में कितने खुशमिज़ाज मोहब्बती थे हमारे नबी , की एक बच्चे के रोने की वजह से सजदा छोटा कर दिया तो दूसरा बच्चा जो पीठ पर सवार हो गया तो सजदा लम्बा कर दिया जब तक वो पीठ से उतर ना गया . जब हम इन बातों का ध्यान रखेंगे तो हमारे बच्चों की तरबियत | Bachon ki tarbiyat की तरबियत भी अच्छी होगी

गलतियों पर सज़ा देना

गलती होने पर कोशिश करें हाथ ना उठाए उनपे, बच्चों की तरबियत | Bachon ki tarbiyat में बहुत ज़रूरी बात है , बहुत हद तक कोशिश करें कि उनको गलती सुधारने का मौका दिया जाए उनको उनकी गलती बताई जाए जिससे कि उन्हें भी सही गलत का मालूम हो सके, जब हम पहली कोई छोटी मोटी गलती होने पर उनको मार देंगे तो दोबारा वह कभी नहीं चाहेंगे की उन्हें मार पड़े इसलिए नया काम के बारे में कभी नहीं सोचेंगे यह भी बहुत बड़ा नुकसान होगा, क्युकी फिर वो नई चीज़ नहीं सीख पाएंगे ,

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मगर हां कोई बड़ी गलती हो उस पर ज़रूर सख्ती से एक्शन लिया जाना चाहिए जिससे कि अगली बार ऐसी गलती करने से पहले ही आप के गुस्से और मार को याद कर ले और गलती करने से रुक जाए .जब कभी भी किसी बड़ी गलती पर बच्चों को मारना हो तो दिल में इस बात को हमेशा याद रखें बच्चों को सिखाना है ना कि अपने गुस्से की भड़ास निकालनी है .

बच्चों को नरम मिज़ाज बनाए

बच्चों के सामने हमेशा दिल की नरमी से ऐसा काम करें की उनका दिल भी वैसा हो जाए जैसे की गरीबों को पैसा देना निदामत ( Respect ) के साथ और उनको इस तरह दान किए हुए पैसों का फायदा बताएं जैसे कि दिल को सुकून मिलता है , मरने के बाद जन्नत में फायदा पहुंचना , कोशिश करें गरीबों को दान करते हुए बच्चों के हाथ से ही दिलवाए इससे उनका दिल कभी सख्त नहीं होगा क्योंकि बड़े होने के बाद जवानी गर्मजोशी में घमंड आ जाता है.

अच्छी इस्लाह करना

बच्चों की तरबियत | Bachon ki tarbiyat के लिए उनके कभी भी भूत वगैरह से ना डराए , उन्हें हमेशा इस बात का एहसास दिलाये की अल्लाह हमें देख रहा है इसलिए जब कभी कोई डराने वाला नहीं रहेगा तब भी उनके अन्दर ये डर रहेगा की अल्लाह हमें देख रहा है , वह गुनाहों की तरफ नहीं जाएंगे , क्योंकि भूत का डर सिर्फ रात में होगा और अल्लाह का डर हमेशा रहेगा .

बच्चों की तरबियत में मां की भूमिका

जैसा कि कहा जाता है कि बच्चों की तरबियत में मां की अहम भूमिका होती है मां का प्रभाव बच्चों पर बहुत अधिक पड़ता है बच्चे वही चीजें अक्सर करते हैं जो मां को करते हुए देखते हैं मां से ही बच्चे दुनिया की अच्छी और बुरी चीजों के बारे में ज्ञान प्राप्त करते हैं वह जान पाते हैं कि क्या चीज सही है और क्या चीज गलत है

बच्चे एक मिट्टी के घड़े की तरह होते हैं जिन्हें जैसे चाहे वैसे डाल सकते हैं यदि बच्चा अपनी मां को अच्छी चीजें करते हुए देखता है तो वाह उसे सीख लेता है और यदि वह अपनी मां को कुछ बुरा करते हुए देखता है तो वह भी बहुत जल्दी सीखता है बच्चे बहुत ही नाजुक होते हैं मां का कर्तव्य है कि वह अपने बच्चों को बहुत ही प्यार से हर चीज के बारे में बताएं बच्चों पर सख्ती करने से वह बहुत जिद्दी हो जाते हैं

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बच्चों के पालन पोषण में एवं बच्चों की तरबियत | Bachon ki tarbiyat में मां का रूप पहले शिक्षक एवं उस्ताद की तरह होता है बच्चे जो मां को देखते हैं करते हुए देखते हैं वही सीखते हैं मां को चाहिए कि अगर किसी बात पर पिता अपने बच्चों को डांटता है तो वह अपने बच्चों को सपोर्ट ना करें अगर वह ऐसा करती है तो बच्चों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है

बच्चों की तरबियत में पिता का महत्व

जैसा कि कहा जाता है कि बच्चों की तरबियत में मां का महत्व बहुत महत्वपूर्ण होता है उसी प्रकार बच्चों की तरबियत | Bachon ki tarbiyat में एक पिता का भी बहुत महत्व होता है. अक्सर देखा जाता है कि पिता पिता का रवैया बच्चों के साथ बहुत सख्त होता है वह बात बात पर बच्चों को डांट दिया करते हैं ऐसा नहीं करना चाहिए

बच्चे बहुत ही कोमल होते हैं बिल्कुल एक फूल के जैसे जरा सी शक्ति पर ही टूट कर बिखर सकते हैं अगर मां अपने बच्चों को कुछ सिखाती है या बताती है तो पिता को चाहिए कि वह अपने बच्चे को या शिक्षा दे कि बेटा जो तुम्हारी मां कह रही है उसे मानो

बहुत से पिता को देखा जाता है कि वह अपने बच्चों को गलत बात पर भी नहीं रोकते जिससे बच्चे बिगड़ जाते हैं और उनके मन में किसी बात का डर नहीं रहता जिससे उनका भविष्य खराब हो सकता है

मोबाइल से दूरी बनाये

आम तौर पर देखा गया की बच्चे रोने लगते हैं तो घर वाले मोबाइल में विडियो दिखा कर चुप करा देते हैं , उस वक़्त के लिए तो अच्छा है की बच्चे रोना बंद कर देते हैं हैं , मगर यही चीज़ उनके चिड़चिड़ा होने की वजह भी बन जाती है , क्युकी फिर थोड़ी देर अगर मोबाइल ना मिला तो फिर से रोना शुरू कर देंगे .

जैसे हम जब भी ऑनलाइन विडियो देखते हैं तो चलते चलते वीडियो अगर रुक जाता है तो खुद को गुस्सा आता है , इसी तरह बच्चे धीरे धीरे गुस्सा करके चिड़चिड़े हो जाते हैं जो की बच्चों की तरबियत | Bachon ki tarbiyat में बहुत बड़ा नुक्सान होगा . इसलिए सब बातों का ध्यान रखना होगा .

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नेक और सालेह बच्चे के लिए की दुआ करना

बच्चों की तरबियत | Bachon ki tarbiyat के उन्हें इंशा अल्लाह , माशा अल्लाह , सुबहान अल्लाह , जैसे अलफ़ाज़ सिखाएं , ये चीज़े उनको दीन और दुनिया दोनों जगह फायदा देगी , नीचे कुछ कुरान से ली हुई दुआए हैं , जो भी माँ बाप चाहते हैं की उनके बच्चों की तरबियत | Bachon ki tarbiyat अच्छी हो वो ज़रूर इन दुआओं को पढ़ा करे . इंशा अल्लाह आपके बच्चे नेक सीरत होंगे .

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बच्चों की इख्लासी तरबियत का बयान

https://www.youtube.com/watch?v=cyAJQd6lPgw&t=723s

This Post Has One Comment

  1. Dr J H Tomar

    Assalamualaikum Warehmatullahi Wabarakatuhu Masha Allah Bahut hi achhi post.. Jazak Allah khaira Aamin

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