इस सूरह का नाम इखलास इसलिए है, कि इसमें खालिस तौहीद का बयान किया गया है। जो शख्स भी इसको समझ कर इसकी तालीम पर ईमान ले आएगा वह शिर्क से खलासी पा जाएगा। आज हम बताएँगे Surah Ikhlas in Hindi.
हजरत अब्दुल्लाह बिन मसूद की रवायत है कि कुरैस के लोगों ने रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से कहा कि अपने रब का नसब हमें बताएं इस पर यह सुराह नाजिल हुई
सूरह इखलास मक्की है, इस में 4 आयतें हैं इख्लास का मतलब है अल्लाह की इबादत करना| इसी का दूसरा नाम तौहीद है, इस सूरह में तौहीद की तफ्सील बताई गयी है, इसी लिये इस का नाम सूरह इख्लास है
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Surah Ikhlas in Hindi
जिन लोगो को अरबी पढ़ने और समझने में मुश्किल होती है उनके लिए हमने Surah Ikhlas in Hindi में बताया है जिसे वो लोग आसानी से पढ़कर समझ सके।
बिस्मिल्ला–हिर्रहमा–निर्रहीम
कुल हुवल लाहू अहद
अल्लाहुस समद
लम यलिद वलम यूलद
वलम यकूल लहू कुफुवन अहद
Surah Ikhlas in Hindi Tarjuma
आप कह दीजिये कि अल्लाह एक है
अल्लाह बेनियाज़ है
वो न किसी का बाप है न किसी का बेटा
और न कोई उस के बराबर है
Surah Ikhlas in English
Bismilla Hirrahma Nir Raheem
Qul Huwal Laahu Ahad
Allahus Samad
Lam Yalid Walam Yoolad
Walam Yakul Lahu Kufuwan Ahad
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Surah Ikhlas in English Translation
1 Say, “He is Allah, the One.
2 Allah, the Absolute.
3 He begets not, nor was He begotten.
4 And there is none comparable to Him.”
Surah Ikhlas in Arabic
Surah Ikhlas in Urdu
सूरह इखलास दुनिया की खुराफात से हिफाजत का जरिया
हज़रत आइशा रजिअल्लाहु अन्हा फ़रमाती हैं कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हर रात जब बिस्तर पर आराम के लिये लेटते तो अपनी दोनो हथेलियों को एक साथ करके “क़ुल हु अल्लाहु अहद”, “क़ुल अऊज़ु बिरब्बिल फ़लक़”और “क़ुल अऊज़ु बिरबिलन्नास” पढ़ कर उनपर फूंकते थे और फ़िर दोनो हथेलियों को जहां तक मुमकिन होता अपने जिस्म पर फेरते थे। सर, चेहरा और जिस्म के आगे के हिस्से से शुरू करते। यह अमल आप तीन मर्तबा करते थे।
(सोर्स बुख़ारी)
हज़रत अब्दुल्लाह बिन ख़ुबैब रजि॰ से रिवायत है कि एक रात में बारिश और सख़्त अंधेरा था, हम रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को तलाश करने के लिए निकले, जब आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को पा लिया तो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि कहो, मैंने अर्ज़ किया कि क्या कहूं, आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, क़ुल हु अल्लाहु अहदऔर मुअव्वज़तैन तीन बार पढ़ो, जब सुबह और शाम हो, तीन मर्तबा यह पढ़ना तुम्हारे लिए हर तकलीफ़ से अमान होगा।
(सोर्स तिर्मिज़ी)
नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने सहाबा से फ़रमाया कि, तुम लोगो में से किसी के लिए ये मुमकिन है कि कुरान का एक तिहाई हिस्सा एक रात में पढ़ सके,
सहाबा को ये अमल मुश्किल लगा तो उन्होंने फ़रमाया रसूल अल्लाह हम में से कौन इतनी ताक़त रखता है, तो नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम. ने फ़रमाया सूरह इखलास कुरान का एक तिहाई हिस्सा है।
(यानी मतलब इसके पढने पर एक तिहाई कुरान के पढ़ने का सवाब मिलेगा)
नबी-ए-करीम सलाल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया
तुम्हारी सूरह इखलास के साथ मोहब्बत (यानि इसकी हर एक आयात पर पूरा इमान लाना) तुमको जन्नत में दाखिल कर देगा।
सूरह इखलास मक्की सूरतों में से है। लेकिन इस के नाज़िलहोने से मुतालिक रिवायत से लगता है कि यह सूरह मदीने में उस समय नाज़िल हुई जब मदीने के यहूदियों ने आप सलाल्लाहो अलैहि वसल्लम से सवाल किया कि बताइये कि वह पालने वाला कैसा है ?
जिस ने आप को भेजा है या यह कि नजरान के ईसाईयों ने इसी तरह का सवाल किया कि वह कैसा है, और किस चीज़ का बना हुआ है।
तो उस वक़्त ये सूरह नाज़िल हुई । लेकिन सब से पहले ये सवाल खुद मक्का के बाशिन्दो ने ही किया था। इसलिये इसे मक्का में नाज़िल होने वाली इब्तेदायी सूरतों में माना जाता है। इसलिए इस का नाम “सूरह इख्लास” है।
इख्लास का मतलब है: अल्लाह पर ऐसे ईमान लाना कि उसकी मौजूदगी और अच्छाईयो में किसी की साझेदारी की कोई झलक न पाई जाये। और इसी को तौहीदे खालिस कहते हैं।
इबराहीम (अलैहिस्सलाम) ने तौहीद के लिये रवानगी की और अपने घरवालों को एक बंजर वादी में बसाया कि वह वो सिर्फ एक अल्लाह की इबादत करेंगे। लेकिन उन्हीं की नस्ल ने उन के बनाये तौहीद के मरकज़ अल्लाह के घर काबा को एक बुतों की इबादत गाह में बदल दिया।
तथा अपने बनाये हुये देवताओं का हक़ माने बिना अल्लाह के हक़ को क़बूल करने के लिये तैयार न थे। यह सूरतें हाल सिर्फ मक्का वालो की न थी, ईसाई और यहूदी भी अगरचे तौहीद के दावेदार थे
फिर भी उन के यहाँ तीन अहतराम करने वालो से – बाप, बेटा और रूह उल कुद्दुस के मजमुआ से तौहीद बनी थी। यहदियों के यहाँ भी अल्लाह का बेटा ; उजैर जरुरी था। कहीं इबादत करने वाला तो एक था लेकिन बहुत से देवी देवता भी उस के साथ पूजे जाते थे।
( उम्मुल किताब)
सूरह इखलास की तफसीर व तशरीह
सूरह इखलास में तौहीद के अकीदे को ऐसी वजाहत के साथ बताया गया है कि शिर्क करने वालो की तमाम जड़ें कट जाएँ
इस दुनिया की बहुत सी कौमे है जो खुदा को तो एक मानती है लेकिन वो किसी न किसी तरह से शिर्क में मुब्तिला हो जाती हैं
अल्लाह ने इस सूरह में शिर्क की तमाम शक्लों को बताया है हज़रत शाह अब्दुल अज़ीज़ रहमतुल लाहि अलैहि ने इस को बहुत ही अच्छे तरीके से बयान किया है जिस का खुलासा ये है कि
“अहद” का मतलब
कभी बड़ी तादाद में शिर्क किया जाता है यानी एक के बजाये दो, तीन या बहुत से खुदा माने जाते है जैसे हमारे हिन्दू भाइयों के यहाँ हजारों खुदा है “अहद” के लफ्ज़ ने इस कि मनाही कर दी कि खुदा एक ही हो सकता है एक से ज्यादा नहीं
“समद” का मतलब
कभी मंसब व मर्तबे में शिर्क होता है जैसे अल्लाह के साथ किसी और को रिज्क का देवता किसी को इल्म की देवी किसी को ज़िन्दगी और मौत का मालिक समझ लिया जाये यानी अल्लाह की जो खुसूसी सिफ़ते ( जिन्दा करना , मारना, रिज्क देना,वगैरह) है
उन में दूसरों को शरीक कर लिया जाये “समद” के लफ्ज़ से इस को खारिज कर दिया गया है कि अल्लाह को किसी काम को अंजाम देने के लिए किसी शरीक व मदद गार की ज़रुरत नहीं वो बेनियाज़ और अपने आप में काफी है
” लम यालिद वलम यूलद ” का मतलब
कभी शिर्क इस सूरत में होता है कि खुदा के लिए एक कुम्बा या खानदान मान लिया जाये जैसे खुदा का बेटा, खुदा का बाप, खुदा की बीवी और ये सोचा जाता है कि ये खुदा का रिश्ते दार है
तो खुदाई इस में भी है तो “लम यालिद वलम यूलद” कह कर इसकी बात की भी जड़ काट दी गयी है कि न खुदा की कोई औलाद है और न खुदा खुद किसी की औलाद है
” लम यकूल लहू कुफुवन अहद” का मतलब
और शिर्क की चौथी सुरते हाल ये है कि कुछ कौमे शख्सियतों के बारे में ये फ़र्ज़ कर लेती है कि वो उनके काम कर सकती है या फिर ये मान लेती है की वो लोग खुदा पर ग़ालिब व असरदार हो सकते है
तो “लम यकूल लहू कुफुवन अहद” कह कर इस बात को भी ख़त्म कर दिया कि कोई अल्लाह के बराबर और हमसर है ही नहीं जो उस पर असर दार हो सके.
इस आर्टिकल में हमने surah ikhlas in hindi तर्जुमा और उसकी तफ़्सीर और तशरी की है अगर आपको ये आर्टिकल पढ़कर अच्छा लगे या फिर इस आर्टिकल को लिखने में हमसे कही कोई गलती हो गयी हो तो आप हमे कमेंट करके बता सकते है और साथ ही इस आर्टिकल को अपने दोस्तों और रिस्तेदारो के साथ शेयर भी कर सकते है।
व अखिरू दावाना अलाह्म्दुलिल्लाही रब्बिल आलमीन
very informative and detailed.