दुआ मांगने का सही तरीका

क्या आप दुआ मांगने का सही तरीका जानना चाहते हैं ? तो इस आर्टिकल को पुरा आख़िर तक पढ़ें अल्लाह से दुआ मांगने का सही तरीका क्या हैं जानेंगे सही हादीस से और आप जानेंगे दुआ मांगने के क्या आदाब होते हैं।
अल्लाह से दुआ मांगने के लिए आप पहले वुजू कर लें क्योंकि वुजू की हालत में दुआ मांगना बेहतर होता है। उसके बाद क्ब़िले की तरफ़ मुंह करके बैठ जाएं। बैठने का तरीका यह है कि जैसे हम किसी नमाज़ में अत्तहीयात की हालत में बैठते हैं उसी तरह हमें दुआ के लिए भी बैठना है। पालथी मारकर हरगिज़ ना बैठे, इसे बेअदबी माना जाता है। लेकिन आप किसी मजबूरी में बैठ सकते हैं।
अब आपको बताते हैं कि दुआ कैसे मांगी जाती है
सबसे पहले बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम पढते हुए अपने दोनों हाथों को दुआ के लिए उठायें सबसे पहले दरूद शरीफ पढ़ें फिर दुआ मांगते वक्त आप इस चीज का खास खयाल रखें की दुआ मांगने से पहले और बाद दुआ मांगने के आखिर में दुरूद शरीफ़ पढ़ें दुआ मांगते वक्त आपका ध्यान अल्लाह ताला की अजमत और कुदरत पर होनी चाहिए।
सबसे पहले दुआ में दुरूद शरीफ़ के बाद आप अल्लाह ताला की तारीफ़ बयां करें और उसमें अच्छे-अच्छे कलिमात पढ़े। दुरूद शरीफ़ का पढ़ना अफजल माना गया है एक हदीस में आया है की जो दुआ बगैर दरूद शरीफ के मांगी जाती है वह दुआ जमीन और आसमान के बीच मैं लटकती रहती है। और कबूल नहीं होती है इस बारे में हदीस में आता है ।
बड़े रहम करने वाले अल्लाह के सामने अपनी जरूरतों को पेश करें जब आप दुआ कर रहे हो तो रो-रो कर गिड़गिड़ा कर अपनी दुआ को कबूल कराएं और सब कुछ मांगने के बाद दुआ के आखिर में दरूदे पाक पढ़ें।
दुआ मांगने का सबसे अफजल तरीका यह भी है की जो दुआ मांगे वह हुजूर सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम के वास्ते से कबूल कराएं हुजूर का वास्ता दुआ कबूल होने का सबसे बड़ा जरिया है जब दुआ पूरी हो जाए तो अपने दोनों हाथों को मुंह पर फेर लें, और दिल में ये यकीन करें कि दुआ जरूर कुबूल होगी। अगर दुआ की कुबूलियत का असर ना दिखे तो गमगीन ना हो।
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दुआ कबूल होने का वक्त
- रमजान के महीने में
- जुम्मे के दिन की एक घड़ी
- तहज्जुद के वक्त
- सुबह के समय (फज्र) की फर्ज नमाज के बाद
- सजदे में
- अजान और अकामत के दरमियान
- सेहरी के वक्त
- रोजे की हालत में
- कुरान मजीद की तिलावत के बाद
- लैलत-उल-क़द्र (laylat-ul-Qadr) की रात
- सफर में
- जब आप मरीज को देखने जाते हैं
- बारिश के दौरान
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किस हालात में, दुआ सब से ज्यादा कबूल होती है
- वह इंसान जिसके साथ अन्याय हुआ हो या प्रताड़ित हो।
- जो इंसान जो मुश्किल दूर से गुजर रहा हो।
- जो इंसान जो सफ़र कर रहा हो।
- जो इंसान जो रोजा रखा हो।
- औरत जब बच्चे को जन्म दे रही हो।
- एक इंसान जो कुरान शरीफ़ पढ़ रहा है या पढ़ रहा हो।
- जो इंसान जो हज या उमराह कर रहा हो।
- जो इंसान जब दूसरे के लिए में दुआ करता हो।
हदीस
एक हदीस में आया है
रसूल सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम ने फरमाया दुआ ही इबादत है यानी अल्लाह ताला से दुआ करना भी इबादत है
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नमाज के बाद की पहली दुआ
हिंदी में दुआ: अल्लाहु अकबर (सही बुखारी 842)
तर्जुमा: अल्लाह सबसे बड़ा है
नमाज के बाद की दूसरी दुआ
हिंदी में दुआ: अस्तगफिरुल्लाह अस्तगफिरुल्लाह अस्तगफिरुल्लाह 3 मर्तबा पढ़ना है (मुस्लिम591)
तर्जुमा: मैं अल्लाह से बख्शीश तलब करता हूं
हिंदी में दुआ: अस्तगफिरुल्लाह अस्तगफिरुल्लाह अस्तगफिरुल्लाह 3 मर्तबा पढ़ना है (मुस्लिम591) जिसका तर्जुमा: मैं अल्लाह से बख्शीश तलब करता हूं
नमाज के बाद की तीसरी दुआ
हिंदी में दुआ: अल्लाहुम्मा अन्तास्सलाम व मिनकस्सलाम तबारकता या जल जलाली वल इकराम (मुस्लिम 591)
तर्जुमा: ए अल्लाह तू सलामती वाला है, और तेरी तरफ ही सलामती है, तू बा-बरकत है, ए बुजुर्गी और इज्जत वाले
नमाज के बाद की चौथी दुआ
हिंदी में दुआ: सुभान अल्लाह (33) अल्हम्दुलिल्लाह (33)अल्लाह हू अकबर (34) मर्तबा
(मुस्लिम 591)
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नमाज के बाद की पांचवी दुआ
हिंदी में दुआ: ला इलाह इल्लल्लाहु वहदहु ला शरीक लहु, लहुल मुल्कु वलहुल हम्दु वहुव अला कुल्लि शैइन क़दीर।
तर्जुमा: अल्लाह के इलावा कोई सच्चा माबूद नहीं वह अकेला हे, उसका कोई साथी नहीं, उसी के लिए बादशाहत है, और उस के लिये तमाम तारीफ़ें हैं, और वह हर चीज़ पर क़ुदरत रखता है।
नमाज के बाद की छठी दुआ
हिंदी में दुआ: अल्लाहुम्मा आ इन्नी अला जिक्रिका ब सुक्रिका ब हुस्नी इबादितिका (अबू दाऊद)
तर्जुमा: हे अल्लाह अपना जिक्र करने शुक्र करने और अच्छे अंदाज में तेरी इबादत करने में मेरी मदद फरमा
नमाज के बाद की सातवीं दुआ
हिंदी में दुआ: ला इलाहा अल्लाह हू वाह दहू ला सारिका ला हू लाहुल मुल्क ब लहुलहम्द ब हुबा अला कुल्ली साइन कदीर ला होला बला कुब्बाता इल्ला बिल्लाही ला इलाहा इल्लाल्लाहु बा ला नआ बुदु इल्ला इय्याहू लहुन्न निअ _मतु ब लाहुल फजलू ब लहूस सनाउल हसनु ला इलाहा इल्लाल्लाहा मुखलिसीन लहुद्दीन बलो करिहल काफिरून
(मुस्लिम594)
तर्जुमा: अल्लाह के अलावा कोई सच्चा माबूद नहीं वह अकेला है उसका कोई शरीफ नहीं उसी के लिए बादशाह हद है और उसके लिए तमाम तारीफात और वह हर चीज पर कादिर है अल्लाह की तौफीक और मदद के बगैर गुना से बचने की ताकत और नगी करने की कूवत नहीं अल्लाह के अलावा कोई सच्चा माबूद नहीं हम उसी की इबादत करते हैं उसी के फज्ल है
नमाज के बाद की आठवीं दुआ
हिंदी में दुआ: कुल्हुबुल्लाहा हु अहद ( 1) अल्लाह हु समद ( 2) लम यालिद बलम ( 3) बलम याकुल्लाहु कुफुबुन हाहद (4)( मुस्नाद अहमद)
तर्जुमा: ए नबी सल्लल्लाहु अलेही वसल्लम कह दीजिए अल्लाह एक ही है अल्लाह वह नियाज है ने उसने किसी को जना ने उसे कोई जना गया और कोई उसका हमसफर नही
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नमाज के बाद की नौवीं दुआ
हिंदी में दुआ: अल्लाहू ला इलाहा इल्ला हुबल हय्यूल कय्युम ला ता अ खुजूहू सिंतुबा बला नोम लहू माफिस्समावती बल अर्ज मंजल्लाजी यस फुहु इंदाहू इल ले विंजनी य अ लामू मा बेना अदेयेहीम बामा खलफुहुम बला युहीतू न विशेईम मिन इल्मीही इल ल विमा शाम ब सिया कुर सियुयुहुस समावति बल अर्ज
ब ल यहुदु हिफ्जुहुमा ब हुबुल अलियुल अजीम। (अल बकरहा 285)
तर्जुमा: अल्लाह वह जात है जिसके इलावा कोई माबूद नहीं हमेशा जिंदा रहने वाला हे और सबको कायम रखने वाला है ने उसे ऊंघ आती है ने उसे नींद आती हे जो अस्मानो में हे जो जमीन मे है कोन है जो लोग उसके इल्म में से किसी चीज का अहाता नही हे मगर बह चाहे उसी की कुर्सी आसमानों और जमीन को घेरे हुए है और बही बड़ी सान वाला है
नमाज के बाद की दसवीं दुआ
हिंदी में दुआ : अल्लाह हुम्मा इन्नी आयुजूबिका मिनल जुबनी ब आयुजूबिक अन अर्दा इला अजिलिल युमिरी ब आयुजूबिका मिनफितनातीत दुनिया ब आयुजूबिका मिन अजाबिल कबरी। (बुखारी 2822)
तर्जुमा: ए अल्लाह मे बुजदिल और कंजूसी से तेरी पन्हा चाहता हुं और जिल्लत की जिंदगी की तरफ लौटाए जाने से तेरी पन्हा चाहता हुं और दुनिया के फिटने से तेरी पन्हा मांगता हुं और अजाबे कब्र से तेरी पन्हा मांगता हुं
नमाज के बाद की ग्यारवी दुआ
हिंदी में दुआ : अल्लाह हम्मा इन्नी अस अलुका नाफिया ब रिजकन तय्यबा ब अमलम मूता कब्बला। ( सहीह इबने माजहा,)
तर्जुमा: ए अल्लाह में तुजसे नफा मंद इल्म पाकीजा रिज्क और मकबूल अमल का सबाब करता हुं!
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नमाज के बाद की बारहवीं दुआ
हिंदी में दुआ : ला इलाहा इल्लाल्लाह बहदुहु ला सारिका लहू लहुलमुल्क ब लाहुल हम्द युहुई ब युमित बायदिहिल खेर ब हूबा अला कुल्ली शेयेन कदीर (100 मर्तबा पढ़ें )
तर्जुमा: अल्लाह के सिवा कोई सच्चा माबूद नही बह अकेला है उसका कोई शरीक नही उसी के लिए बादशाहत हे और उसी के लिए सभी तारिफात बह जिंदा करता है और मारता है और बह हर चीज पर कुदरत रखता है।
अल्लाह तआला पर यकीन रखते हुए हमेशा दुआ मांगते रहे, और यह याद रखें कि अब तक आपकी दुआ कुबूल ना होने में आपका कोई बेहतर मुकद्दर है। जिसका आख़िरत में बहुत बड़ा सवाब मिलेगा।
आखिर में याद रखिएगा कि अल्लाह ताला ही हमें सब कुछ देने वाला है इसके सिवा हमें कोई भी कुछ भी नहीं दे सकता है हां इंसान जरिया जरूर बन सकता है।
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माशा अल्लाह नज़ीर भाई आप ने बहुत उम्दा दीन की जानकारी हम तक पहोंचाई अल्लाह आप को इसका बेतरीन बदला अता फरमाए आमीन
Shukriya
Alhamdulillah