Namaz Ke Baad Ki Dua

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नमाज़ के बाद की दुआ
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आज के आर्टिकल में कुछ ख़ास दुआओं के बारे में बताएँगे | क्या आप को मालूम हैं ? नमाज़ पढ़ने के बाद कौन सी दुआ पढ़ना चाहिए, या जब इंसान कामयाब होता हैं ,तब कौन सी दुआ पढ़ना चाहिए|क्या आप जानना चाहते हैं ? इस्लाम में दुआ कितना Important हैं

तो इस आर्टिकल में  आज  आप को Namaz Ke Baad Ki Dua और  kamyabi ki dua  साथ ही नया और Mitti dene ki dua के बारे में बताएँगे।

Namaz Ke Baad Ki Dua

इस्लाम में रोज़ाना 5 वक़्त नमाज़ पढ़ना फ़र्ज़ हैं हर मुस्लमान मर्द औरत पर जिसे किसी भी हालात में पूरा करना है क्यूकि नमाज़ ही वो कुंजी है जो हमें जन्नत तक ले जायेगी| तो हम इसी नमाज़ के बाद पढ़ने की दुआ को बयान कर रहे है जिसे हर मोमिन को जानना और इस पर अमल करना बहुत जरुरी है।

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आप सब से गुजारिश हैं कि आज के आर्टिकल को पूरा ध्यान से पढ़े और दुआ के बारे में अच्छे से जाने और अपनी ज़िन्दगी में अमल करे |जिन लोगो को अरबी पढ़ना नहीं आता उन भाईओ के लिए हिंदी में लिखा हैं साथ ही हिंदी में तर्जुमा किया गया है |

नमाज़ के बाद दुआ व जिक्र कर सकता हैं नमाज़ के बाद बहुत से अज़कार व दुआओं के पढ़ने का हदीसों में ज़िक्र आया है उनमें से जितना चाहे पढ़े |

जो बंदा जितना ज़्यादा अल्लाह का ज़िक्र करता है उतना ही वो अल्लाह के करीब होता जाता है,उसके दिल का ज़ंग दूर हो जाता है, गुनाहों को छोड़ कर नेकियों की तरफ़ दिल माइल हो जाता है,

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और ज़िक्र करने वाला जन्नत की तरफ अपनी राहें आसान करता जाता है, और जहन्नम के दरवाज़े उस पर बंद हो जाते हैं, और सब से बड़ी बात शैतान के जाल से अल्लाह तआला उसकी हिफ़ाज़त फरमाते हैं |

इसी लिए अल्लाह का ज़िक्र अपनी ज़िन्दगी का बेहतरीन अमल बनायें, अपनी जुबां को अल्लाह के ज़िक्र से तर रखें हर वक़्त , अल्लाह की तमाम नेअमतों का शुक्र करते हुए बिलकुल न थकें, यहाँ पर हमने उन दुआओं और अज़कार को जमा किया है |

जो फ़र्ज़ नमाज़ के बाद पढ़े जाते हैं, Namaz Ke Baad Ki Dua आप हर नमाज़ के बाद दो से तीन मिनट लगा कर ये दुआए पढ़ सकते हैं जो हदीसों से साबित हैं , आज का किया गया अमल

चन्द मिनट आप को उस वक़्त काम आएंगे जब नफ्सी नफ्सी का आलम होगा और आपका साथ देने वाला कोई न होगा इसलिए इनको ज़रूर पढ़ते रहिये|

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नमाज़ के बाद कुछ खास दुआएँ पढ़े

  • तीन बार अस्तागफीरुल्लाह أَسْتَغْفِرُ اللَّه पढ़ना

रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम जब अपनी नमाज़ से फारिग होते तो 3 बार अस्तगफार पढ़ते और उसके बाद ये दुआ पढ़ते| (सही मुस्लिम, जिल्द 2, 1334)

 ये दुआ पढ़े (अस्तगफीरुल्लाह, अस्तगफीरुल्लाह, अस्तगफीरुल्लाह) 

अल्लाहुम्मा अन्तस सलाम वा मिनकस-सलाम. तबारकता या ज़ल-जलाली वल-इकराम.

तर्जुमा – या अल्लाह तू ही अस-सलाम है और सलामती तेरी ही तरफ से है, तू बरकत वाला है, एह जलाल वाले और ईज्ज़त  बख्शने वाले 

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  • रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम  जब हर नमाज़ के बाद सलाम फेरते तो ये कहते

ये दुआ पढ़े  ला इलाहा इलअल्लाहु वाहदाहू ला शारिका लहू लहुल मुल्क , वा लहुल हम्द वा हुवा अल कुल्ली शयईन क़दीर अल्लाहुम्मा ला मानीअ लिमा आतयता, वा ला मुअतीया लीमा मनाअता वा ला यानफऊ  ज़ाअल जद्दा मिनकल जद्द.

तर्जुमा  – अल्लाह के सिवा कोई माबूद नही है ,वो तन्हा है उसका कोई शरीक नही ,  मुल्क उसी के लिए है, और उसी के लिए तमाम तारीफें हैं और वो हर चीज़ पर क़ुदरत  रखने वाला है,एह अल्लाह

जो कुछ तू देना चाहे उसे कोई रोकने वाला नही, और जो कुछ तू रोकना चाहे उसे कोई देने वाला नही और तेरे सामने दौलत वालों की दौलत कुछ काम नही आ सकती
(सही बुखारी, जिल्द 8, 6615)

Namaz Ke Baad Ki Dua
नमाज़ के बाद कुछ खास दुआएँ पढ़े
  • मैं तुम्हे वसीयत करता हूँ की हर नमाज़ के बाद इस दुआ को पढ़ना ना छोड़ना

मुआज़ बिन जबल रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम  ने मेरा हाथ पकड़ कर फरमाया अल्लाह की कसम मैं तुमसे मुहब्बत करता हूँ

 और फ़रमाया एह मुआज़ मैं तुम्हे वसीयत करता हूँ  की हर नमाज़ के बाद इस दुआ को पढ़ना ना छोड़ना (सुनन अबू दाऊद, जिल्द 1, 1509-सही)

ये दुआ पढ़े अल्लाहुम्मा आइन्नी अला ज़िकरीका वा शुकरिका वा हुसनि ईबादतीका 

तर्जुमा  – या अल्लाह , मेरी मदद कर तेरा ज़िक्र करने में , और तेरा शुक्र अदा करने में और तेरी अच्छी इबादत करने में ) 

  • रसूल-अल्लाह सलअल्लाहू अलैहि वसल्लम हर नमाज़ के बाद ये कलीमात पढ़ा करते थे (सुनन अबू दाऊद, जिल्द 1, 1493-सही)
Namaz Ke Baad Ki Dua
नमाज़ के बाद कुछ खास दुआएँ पढ़े

ये दुआ पढ़े ला इलाहा ईलअल्लाहु वाहदाहू ला शरीका लहू, लहुल-मूल्कू, वा लाहुल-हम्दु  वा हुवा आला कुल्ली शय इन क़दीरला हौला वा ला क़ुव्वता इल्ला बिल्लाह, ला ‘इलाहा ईलअल्लाहु,

वा ला नाअबुदू  इल्ला इय्याह, लहू-अन्नैमतु  वा लाहुल-फ़जल, वा लाहूस्सना उल-हसन, ला ‘इलाहा ईलअल्लाहु मुख़लिसिना लहुद-दीना वा लव कारिहल-काफिरून.

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तर्जुमा  – अल्लाह के सिवा कोई माबूद नही  वो तन्हा है उसका कोई शरीक नही , मुल्क उसी के लिए है, और उसी के लिए तमाम तारीफें हैं और वो हर चीज़ पर कुदरत रखने वाला है, अल्लाह की

मदद के बगैर गुनाह से बचने की ताक़त और नेकी करने की क़ुव्वत नही अल्लाह के सिवा कोई माबूद नही और हम सिर्फ़ उसी की इबादत करते हैं ,उसी की तरफ़ से इनाम है और उसी के लिए

फ़ज़ल है और उसी के लिए बेहतरीन हम्द  है अल्लाह के सिवा कोई माबूद नही , हम उसी के लिए बंदगी को खालिस करने वाले हैं, चाहे काफ़िर उसको बुरा माने

  • जो हर नमाज़ के बाद ये आजकर पढ़े तो उसके गुनाह बख़्श दिए जाते हैं चाहे समुंदर के झाग के बराबर क्यूँ  ना हो 

रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम  ने फरमाया जो हर नमाज़ के बाद 33 बार सुबहानअल्लाह, 33 बार अलहम्दुलिल्लाह, 33 बार अल्लाहु अकबर कहे तो ये 99 कलमे होंगे और उसको ये कहकर 100 कर ले (1 बार) 

ये दुआ पढ़े  ला ईलाहा ईलअल्लाह वाह्दहू ला शरीका लहू, लहू-ल-मुल्क वा लहू-ल-हम्द  वा हुवा आला कुल्ली शै’इन क़दीर

 तो उसके गुनाह बख़्श दिए जाते हैं चाहे समुंदर के झाग के बराबर क्यूँ  ना हो (सही मुस्लिम, जिल्द 2, 1352)

  • हर फ़र्ज़ नमाज़ के बाद आयात अल कुर्सी पढने की फ़ज़ीलत  (अल-सिलसिला-अस-सहिहा हदीस – 749-सही , सुनन अल कुबरा , 9848-सही)

अबू उमामा रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया जिस शख्स ने हर फ़र्ज़ नमाज़ के बाद आयत अल कुर्सी पढ़ी तो जन्नत और उसके दरमियाँ मौत के सिवा कोई और चीज़ रुकावट नही (यानी मौत के बाद उसको जन्नत नसीब होगी)

  • ये तीन सुरह तुम्हें हर चीज़ के लिए काफ़ी हो जाएगी

अब्दुल्लाह बिन खुबेब रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया सुबह और शाम 3 बार सुरह अल-इख्लास और सुरह अल-फलक़ और सुरह

अन-नास पढ़ लिया करो , ये तुम्हें हर चीज़ के लिए काफ़ी हो जाएगी ( यानि हर तरह की परेशानियो से बचने के लिए ये काफी हैं) (सुनन अबू दाऊद, जिल्द 3, 1643-हसन)

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ये दुआ पढ़े – क़ुल हूवल्लाहू अहद, अल्लाहुस-समद , लाम यालिद वालाम युलद, वालाम याकुल-लहू कुफ़ुवन अहद

तर्जुमा  – अल क़ुरान : कह दो वो अल्लाह एक है, अल्लाह बेनीयाज़ है, ना उसकी कोई औलाद है और ना वो किसी की औलाद है, और उसके बराबर का कोई नही है

ये दुआ पढ़े – क़ुल आऊजू बिरब्बिल फलक, मीन शर्री मा खलक़ वा मीन शर्री गासीकीन ईज़ा वाक़ब वा मीन शर्रिन नफ्फासाती  फील उक़दवा  मीन शर्री हासीदीन ईज़ा हसद

तर्जुमा  –  अल क़ुरान : कह दो मैं सुबह के रब्ब की पनाह माँगता हूँ, उसकी मखलक़ात की बुराई से, और अंधेरी रात की बुराए से जब वो और गिरहों (गांठों) में फूँकने वालियों की बुराई से, और हसद करने वालों की बुराई से जब वो हसद करे

ये दुआ पढ़े  क़ुल आऊजू बिराब्बिन-नास मालिकिन- ईलाहीन-नास मीन शर्रिल वसवासिल खन्नास अल-लज़ी  युवासविसू  फ़ी सूदुरिन-नास मिनल जिन्नती वान-नास

तर्जुमा  – अल क़ुरान : कह दो मैं लोगो के रब की पनाह में आया, लोगो के बादशाह की, लोगों के माबूद की, उस शैतान की बुराई से जो वसवसे डाल कर छुप जाता है, जो लोगों के सीनो में वसवसे डालता है, जिन्नों और इंसानो में से

  • हदीस : जो फज्र की नमाज़ के बाद  इस अज़कार  को पढ़ेगा उस दिन हर बुराई से मेहफूज़ रहेगा, और उसको शैतान की पहुँच से दूर कर दिया जाएगा

ये दुआ पढ़े ला ईलाहा इल अल्लाह वाहदहू ला शरीका लहू, लहुल-मुल्क वा लहुल-हम्द, यूही वा युमीत वा हुवा अला कुल्ली शयइन क़दीर

तर्जुमा  –अल्लाह के सिवा कोई सच्चा माबूद नही है वो अकेला है और उसका कोई शरीक नही , उसी के लिए लिए बादशाहत है और उसी के लिए तारीफ है वो ही ज़िंदा करता है और वो ही मारता है और वो हर चीज़ पर क़ादिर है

  • फज्र की नमाज़ के बाद पढ़ने की दुआ

उम्म सलमा रदी अल्लाहु अन्हा से रिवायत है की रसूल अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम  जब सुबह की नमाज़ में सलाम फेरते तो उसके बाद ये दुआ पढ़ते (सुनन इब्न माजा , जिल्द 1, 925-सही)

ये दुआ पढ़े – अल्लाहुम्मा इन्नी असअलुका इल्मन नाफिया , वा रिज़क़न तय्यबा वा अमलन मुतक़ब्बला

तर्जुमा  – एह अल्लाह मैं तुझसे ऩफा देने वाले इल्म और पाकीज़ा रिज़क़ और क़ुबूल होने वाले अमल का सवाल करता हूँ|

Kamyabi Ki Dua

ज़िन्दगी में हर इंसान का शौक होता हैं की उसे हर काम में कामयाबी मिले, हर मक़सद में कामयाबी मिले कौन नहीं चाहता बस इसी कामयाबी को लगातार हासिल करने के लिए

ज़िन्दगी में हर काम में कामयाब होने के लिए Kamyabi Ki Dua पढ़ना चाहिए हमने आपके के लिए हिंदी में तर्जुमा भी किया इस दुआ को ज़रूर पढ़ें इंशा अल्लाह उस काम में आपको कामयाबी मिलेगा|

Kamyabi Ki Dua हिंदी में पढ़े

ये दुआ पढ़े  रब्बी अद खिल्नी मुद खला सिदकिव व अखरिज्नी मुखरजा सिदकिव वज अल ली मिल लदुनका सुल्तानन नसीरा

तर्जुमा  –  ए मेरे रब ! मुझे (जहाँ ले जाइए) सच्चाई के साथ ले जाइए और (जहाँ से भी निकालिए) सच्चाई के साथ निकालिए,और मुझे ऐसा गलबा अता फरमाइए जिस के साथ (आप की) मदद शामिल हो |

Chand Dekhne Ki Dua

इस्लाम में चाँद से संबंधित दुआ हैं – नया चाँद देखे तो इस प्यारी और छोटी सी दुआ को जरूर पढ़े |हदीस शरीफ से साबित हैं नया चाँद देखने के बाद दुआ पढ़ने से बरकत होती हैं

Chand Dekhne Ki Dua हिंदी में और साथ में तर्जुमा भी पढ़े हर साल के 12 महीने में जो भी आपको नया चाँद दिखे तो यह दुआ ज़रूर पढ़ें । दुआओं को पढ़ने से बहुत सवाब मिलता है। और हमारे लिए खुशियाँ लेकर आता हैं चाँद को देखने का सवाब हासिल होता हैं

ये भी देखे – Tasbeeh and Janamaz

जब नया चाँद देखे तो यह दुआ पढ़े

पूरी तफ्सील के लिए यहाँ पढ़े Chand Dekhne Ki Dua

Mitti Dene Ki Dua

जनाज़े को दफ़नाने के बाद क़ब्र पर मिटटी देने की दुआ के बारे में बता रहे हैं इस्लाम में ज़िंदगी गुज़रने के सभी पहलुओं के मुताल्लिक़ हमारी मुकम्मल रहनुमाई करता है|

दुनिया मे आने से लेकर मरने के बाद तक क़ुरआन और सुन्नत मे बेशुमार दुआओं का ज़िक्र है| उन में Mitti Dene Ki Dua की दुआ है आप लोगो के आसानी के लिए हिंदी में लिखा हैं साथ ही तर्जुमा भी किया है इस दुआ को जरूर पढ़े |

जब कोई इंसान इस दुनिया से रुख़सत हो जाता है, तो हर मुसलमान को चाहिए के उसके फौत होने के बाद/मरने के बाद उसकी बख़्शिश के लिए दुआएँ पढ़नी चाहिए|

आम तौर पर इसे मिट्टी देने की दुआ कहते है| मय्यत को लहाद/क़बर मे उतारने के बाद मिट्टी डालते वक़्त इस क़ुरआनी आयत की तिलावत करने को बहुत अफ़ज़ल माना जाता है|

जब भी जनाज़े में शरीक हो और दफन में वहीँ मौजूद रहे तो कब्र पर दोनो हाथ से ये दुआ पढ़ते-पढ़ते मिट्टी ज़रूर दीजिए आपको अज़ीम सवाब हासिल होगा |

क़ब्र पर मिट्टी देने की दुआ हिंदी में

ये दुआ पढ़े  मिन्हा खलक्नाकुम वफ़ीहा नुइदुकुम व मिन्हा नुख़ रिजुकुम तारतन उखरा

तर्जुमा –  ज़मीन ही से हम ने तुम को पैदा किया है, उसी में तुम को वापस ले जायेंगे और उसी से फिर दोबारा तुमको निकालेंगे

Mitti Dene Ki Dua अरबी में पढ़े

mitti dene ki dua | Kamyabi Ki Dua
मिटटी देने की दुआ

हमें अपने कीमती समय दिया, इसके लिए बहुत-बहुत शुक्रिया. इस आर्टिकल को लिखने में हमने कोशीश किया है की कोई गलती न हो फिर भी आप को ऐसे पढ़ कर कही भी कुछ भी गलती मिले तो हमें कमेंट कर के जरूर बताये जिससे हम उस गलती को जल्दी से जल्दी ठीक कर सके।

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Namaz Ke Baad Ki Dua

कब्र में मिट्टी डालने की दुआ

This Post Has 8 Comments

  1. Aaftab

    Please Surah Nas check kijiye

    1. Iffat Zia

      Sukriya, kaha pr galti hai aap bata de to theek krne me aasani hogi

    2. Sonu

      Mashallah

  2. sohel

    माशाल्लाह आपने दुआ पर बहुत बढ़िया जानकारी दी हैं जज़कल्लाह खैर अल्लाह आप सलाम रखे माशाअल्लाह

  3. mo.asif

    अल्लाहुम्मा अंतससलामो के पूरी दुआ क्या है। कहीं पर आधा है। स्पष्ट क्या है।

    1. Asif shaikh

      Ham apne deen ke bare me jankari pana pasand karte hai ..aur hame bahot accha lagta hai masha allah ..aise hi sheyear karna chahiye ki taki auro tak pahoch sake

  4. Arshad Ali

    हम हुजूर के दीवाने है दरूदो कलाम की बरकत से ही महफूज़ है ,, अल्लाह hm sab ko namaj aur दरूद पड़ने की तौफीक दे ,आमीन,,

  5. Sahar syd

    Jazakallah khair brother

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