सूरह यासीन क़ुरआन-ए-पाक की अज़ीमुश्शान सूरह मुबारिका है। सूरह यासीन को क़ुरआन पाक का दिल भी कहते हैं। इस सूरह को पढ़ना और सुनना बहोत ही सवाब है। इस आर्टिकल में हम पेश कर रहे है Surah Yasin in Hindi
हजरत अनस रजि अल्लाह ताला अनहु से रिवायत है कि हुज़ूर सलाल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया – बेशक हर चीज़ का एक दिल है और क़ुरआन का दिल सूरह यासीन है। इसके पढ़ने से रज़ाए इलाही हासिल होती है और पढ़ने वाले की मगफिरत की जाती है (Source : सुनन-तिर्मिज़ी)
इसलिए पूरी सूरह आख़िर तक जरूर पढ़े और शेयर करें।
सूरह यासीन मक्का में उतरी, इसमें 83 आयतें और पांच रूकू हैं.सात सौ उनतीस कलिमे और तीन हज़ार अक्षर हैं.
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बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहिम
1.यासीन
2. वल कुर आनिल हकीम
3. इन्नका लमिनल मुरसलीन
4. अला सिरातिम मुस्तकीम
5. तनजीलल अजीज़िर रहीम
6. लितुन ज़िरा कौमम मा उनज़िरा आबाउहुम फहुम गाफिलून
7. लकद हक कल कौलु अला अकसरिहिम फहुम ला युअ’मिनून
8. इन्ना जअल्ना फी अअ’ना किहिम अगलालन फहिया इलल अजक़ानि फहुम मुक़महून
9. व जअल्ना मिम बैनि ऐदी हिम सद्दव वमिन खलफिहिम सद्दन फअग शैनाहुम फहुम ला युबसिरून
10. वसवाउन अलैहिम अअनजर तहुम अम लम तुनजिरहुम ला युअ’मिनून
11. इन्नमा तुन्ज़िरू मनित तब अज़ ज़िकरा व खशियर रहमान बिल्गैब फबश्शिर हु बिमग फिरतिव व अजरिन करीम
12. इन्ना नहनु नुहयिल मौता वनकतुबु मा क़द्दमु व आसारहुम वकुल्ला शयइन अहसैनाहु फी इमामिम मुबीन
13. वज़ रिब लहुम मसलन असहाबल करयह इज़ जा अहल मुरसळून
14. इज़ अरसलना इलयहिमुस नैनि फकज जबूहुमा फ अज़ ज़ज्ना बिसा लिसिन फकालू इन्ना इलैकुम मुरसळून
15. कालू मा अन्तुम इल्ला बशरुम मिसळूना वमा अनजलर रहमानु मिन शय इन इन अन्तुम इल्ला तकज़िबुन
16. क़ालू रब्बुना यअ’लमु इन्ना इलैकुम लमुरसळून
17. वमा अलैना इल्लल बलागुल मुबीन
18. कालू इन्ना ततैयरना बिकुम लइल लम तनतहू लनरजु मन्नकूम वला यमस सन्नकुम मिन्ना अज़ाबुन अलीम
19. कालू ताइरुकुम म अकुम अइन ज़ुक्किरतुम बल अन्तुम क़ौमूम मुस रिफून
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20. व जा अमिन अक्सल मदीनति रजुलुय यसआ काला या कौमित त्तबिउल मुरसलीन
21. इत तबिऊ मल ला यस अलुकुम अजरौ वहुम मुहतदून
22. वमालिया ला अअ’बुदुल लज़ी फतरनी व इलैहि तुरजऊन
23. अ अत्तखिज़ु मिन दुनिही आलिहतन इय युरिदनिर रहमानु बिजुर रिल ला तुगनि अन्नी शफ़ा अतुहुम शय अव वला यूनकिजून
24. इन्नी इज़ल लफी ज़लालिम मुबीन
25. इन्नी आमन्तु बिरब बिकुम फसमऊन
26. कीलद खुलिल जन्नह काल यालैत क़ौमिय यअ’लमून
27. बिमा गफरली रब्बी व जअलनी मिनल मुकरमीन
28. वमा अन्ज़लना अला क़ौमिही मिन बअ’दिही मिन जुन्दिम मिनस समाइ वमा कुन्ना मुनजलीन
29. इन कानत इल्ला सैहतौ वाहिदतन फइज़ा हुम् खामिदून
30. या हसरतन अलल इबाद मा यअ’तीहिम मिर रसूलिन इल्ला कानू बिही यस तहज़िउन
31. अलम यरौ कम अहलकना क़ब्लहुम मिनल कुरूनि अन्नहुम इलैहिम ला यर जिउन
32. वइन कुल्लुल लम्मा जमीउल लदैना मुह्ज़रून
33. व आयतुल लहुमूल अरज़ुल मैतह अह ययनाहा व अखरजना मिन्हा हब्बन फमिनहु यअ कुलून
34. व जअलना फीहा जन्नातिम मिन नखीलिव व अअ’नाबिव व फज्जरना फीहा मिनल उयून
35. लियअ’ कुलु मिन समरिही वमा अमिलत हु अयदीहिम अफला यशकुरून
36. सुब्हानल लज़ी ख़लक़ल अज़वाज कुल्लहा मिम मा तुमबितुल अरज़ू वमिन अनफुसिहिम वमिम मा ला यअलमून
37. व आयतुल लहुमूल लैल नसलखु मिन्हुन नहारा फइज़ा हुम् मुजलिमून
38. वश शमसु तजरि लिमुस्त कररिल लहा ज़ालिका तक़्दी रूल अज़ीज़िल अलीम
39. वल कमर कद्दरनाहु मनाज़िला हत्ता आद कल उरजुनिल क़दीम
40. लश शम्सु यमबगी लहा अन तुद रिकल कमरा वलल लैलु साबिकुन नहार वकुल्लुन फी फलकिय यसबहून
41. व आयतुल लहुम अन्ना हमलना ज़ुररिय यतहूम फिल फुल्किल मशहून
42. व खलकना लहुम मिम मिस्लिही मा यरकबून
43. व इन नशअ नुगरिक हुम फला सरीखा लहुम वाला हुम युन्क़जून
44. इल्ला रहमतम मिन्ना व मताअन इलाहीन
45. व इजा कीला लहुमुत तकू मा बैना ऐदीकुम वमा खल्फकुम लअल्लकुम तुरहमून
46. वमा तअ’तीहिम मिन आयतिम मिन आयाति रब्बिहिम इल्ला कानू अन्हा मुअ रिजीन
47. व इज़ा कीला लहुम अन्फिकू मिम्मा रजका कुमुल लाहु क़ालल लज़ीना कफरू लिल लज़ीना आमनू अनुत इमू मल लौ यशाऊल लाहू अत अमह इन अन्तुम इल्ला फ़ी ज़लालिम मुबीन
48. व यकूलूना मता हाज़ल व’अदू इन कुनतुम सादिक़ीन
49. मा यन ज़ुरूना इल्ला सैहतव व़ाहिदतन तअ खुज़ुहुम वहुम यखिस सिमून
50. फला यस्ता तीऊना तौ सियतव वला इला अहलिहिम यरजिऊन
51. व नुफ़िखा फिस सूरि फ़इज़ा हुम मिनल अज्दासि इला रब्बिहिम यन्सिलून
52. कालू या वय्लना मम ब असना मिम मरक़दिना हाज़ा मा व अदर रहमानु व सदकल मुरसलून
53. इन कानत इल्ला सयहतव वहिदतन फ़ इज़ा हुम जमीउल लदैना मुहज़रून
54. फल यौम ला तुज्लमु नफ्सून शय अव वला तुज्ज़व्ना इल्ला मा कुंतुम तअ मालून
55. इन्न अस हाबल जन्न्तिल यौमा फ़ी शुगुलिन फाकिहून
नोट :- आयत नंबर 54 इमेज में हिंदी में जो लिखी है उसमे थोड़ी गलती है उसके लिए अरबी को देखे।
नोट :- आयत नंबर 54 इमेज में हिंदी में जो लिखी है उसमे थोड़ी गलती है उसके लिए अरबी को देखे।
56. हुम व अज्वा जुहूम फ़ी ज़िलालिन अलल अराइकि मुत्तकिऊन
57. लहुम फ़ीहा फाकिहतुव वलहुम मा यद् दऊन
58. सलामुन कौलम मिर रब्बिर रहीम
59. वम ताज़ुल यौमा अय्युहल मुजरिमून
60. अलम अअ’हद इलैकुम या बनी आदम अल्ला तअ’बुदुश शैतान इन्नहू लकुम अदुववुम मुबीन
61. व अनिअ बुदूनी हज़ा सिरातुम मुस्तक़ीम
62. व लक़द अज़ल्ला मिन्कुम जिबिल्लन कसीरा अफलम तकूनू तअकिलून
63. हाज़िही जहन्नमुल लती कुन्तुम तूअदून
64. इस्लौहल यौमा बिमा कुन्तुम तक्फुरून
65. अल यौमा नाख्तिमु अल अफ्वा हिहिम व तुकल लिमुना अयदीहिम व तशहदू अरजु लुहुम बिमा कानू यक्सिबून
66. व लौ नशाउ लता मसना अला अअ’युनिहिम फ़स तबकुस सिराता फ अन्ना युबसिरून
67. व लौ नशाउ ल मसखना हुम अला मका नतिहिम फमस तताऊ मुजिय यौ वला यर जिऊन
68. वमन नुअम मिरहु नुनक किसहु फिल खल्क अफला यअ’ किलून
69. वमा अल्लम नाहुश शिअ’रा वमा यम्बगी लह इन हुवा इल्ला जिक रुव वकुर आनुम मुबीन
70. लियुन जिरा मन काना हय्यव व यहिक क़ल कौलु अलल काफ़िरीन
71. अव लम यरव अन्ना खलक्ना लहुम मिम्मा अमिलत अय्दीना अन आमन फहुम लहा मालिकून
72. व ज़ल लल नाहा लहुम फ मिन्हा रकू बुहुम व मिन्हा यअ’कुलून
73. व लहुम फ़ीहा मनाफ़िउ व मशारिबु अफला यश्कुरून
74. वत तखजू मिन दूनिल लाहि आलिहतल लअल्लहुम युन्सरून
75. ला यस्ता तीऊना नस रहुम वहुम लहुम जुन्दुम मुह्ज़रून
76. फला यह्ज़ुन्का क़व्लुहुम इन्ना नअ’लमु मा युसिर रूना वमा युअ’लिनून
77. अव लम यरल इंसानु अन्ना खलक्नाहू मिन नुत्फ़तिन फ़ इज़ा हुवा खासीमुम मुबीन
78. व ज़रबा लना मसलव व नसिया खल्कह काला मय युहयिल इजामा व हिय रमीम
79. कुल युहयीहल लज़ी अनश अहा अव्वला मर्रह वहुवा बिकुलली खल किन अलीम
80. अल्लज़ी जअला लकुम मिनश शजरिल अख्ज़रि नारन फ़ इज़ा अन्तुम मिन्हु तूकिदून
81. अवा लैसल लज़ी खलक़स समावाती वल अरज़ा बिक़ादिरिन अला य यख्लुक़ा मिस्लहुम बला वहुवल खल्लाकुल अलीम
82. इन्नमा अमरुहू इज़ा अरादा शय अन अय यकूला लहू कुन फयकून
83. फसुब हानल लज़ी बियदिही मलकूतु कुल्ली शय इव व इलैहि तुरज उन
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Yasin Sharif Hindi Tarjuma
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खु़दा के नाम से (शुरू करता) हूँ जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
यासीन (1)
इस पुरअज़ हिकमत कु़रान की क़सम (2)
(ऐ रसूल) तुम बिलाशक यक़ीनी पैग़म्बरों में से हो (3)
(और दीन के बिल्कुल) सीधे रास्ते पर (साबित क़दम) हो (4)
जो बड़े मेहरबान (और) ग़ालिब (खु़दा) का नाजि़ल किया हुआ (है) (5)
ताकि तुम उन लोगों को (अज़ाबे खु़दा से) डराओ जिनके बाप दादा (तुमसे पहले किसी पैग़म्बर से) डराए नहीं गए (6)
तो वह दीन से बिल्कुल बेख़बर हैं उन में अक्सर तो (अज़ाब की) बातें यक़ीनन बिल्कुल ठीक पूरी उतरे ये लोग तो ईमान लाएँगे नहीं (7)
हमने उनकी गर्दनों में (भारी-भारी लोहे के) तौक़ डाल दिए हैं और ठुड्डियों तक पहुँचे हुए हैं कि वह गर्दनें उठाए हुए हैं (सर झुका नहीं सकते) (8)
हमने एक दीवार उनके आगे बना दी है और एक दीवार उनके पीछे फिर ऊपर से उनको ढाँक दिया है तो वह कुछ देख नहीं सकते (9)
और (ऐ रसूल) उनके लिए बराबर है ख़्वाह तुम उन्हें डराओ या न डराओ ये (कभी) ईमान लाने वाले नहीं हैं (10)
तुम तो बस उसी शख़्स को डरा सकते हो जो नसीहत माने और बेदेखे भाले खु़दा का ख़ौफ़ रखे तो तुम उसको (गुनाहों की) माफी और एक बाइज़्ज़त (व आबरू) अज्र की खु़शख़बरी दे दो (11)
हम ही यक़ीन्न मुर्दों को जि़न्दा करते हैं और जो कुछ लोग पहले कर चुके हैं (उनको) और उनकी (अच्छी या बुरी बाक़ी माँदा) निशानियों को लिखते जाते हैं और हमने हर चीज़ का एक सरीह व रौशन पेशवा में घेर दिया है (12)
और (ऐ रसूल) तुम (इनसे) मिसाल के तौर पर एक गाँव (अता किया) वालों का कि़स्सा बयान करो जब वहाँ (हमारे) पैग़म्बर आए (13)
इस तरह कि जब हमने उनके पास दो (पैग़म्बर योहना और यूनुस) भेजे तो उन लोगों ने दोनों को झुठलाया जब हमने एक तीसरे (पैग़म्बर शमऊन) से (उन दोनों को) मद्द दी तो इन तीनों ने कहा कि हम तुम्हारे पास खु़दा के भेजे हुए (आए) हैं (14)
वह लोग कहने लगे कि तुम लोग भी तो बस हमारे ही जैसे आदमी हो और खु़दा ने कुछ नाजि़ल (वाजि़ल) नहीं किया है तुम सब के सब बस बिल्कुल झूठे हो (15)
तब उन पैग़म्बरों ने कहा हमारा परवरदिगार जानता है कि हम यक़ीन्न उसी के भेजे हुए (आए) हैं और (तुम मानो या न मानो) (16)
हम पर तो बस खुल्लम खुल्ला एहकामे खु़दा का पहुँचा देना फज्र है (17)
वह बोले हमने तुम लोगों को बहुत नहस क़दम पाया कि (तुम्हारे आते ही क़हत में मुबतेला हुए) तो अगर तुम (अपनी बातों से) बाज़ न आओगे तो हम लोग तुम्हें ज़रूर संगसार कर देगें और तुमको यक़ीनी हमारा दर्दनाक अज़ाब पहुँचेगा (18)
पैग़म्बरों ने कहा कि तुम्हारी बद शुगूनी (तुम्हारी करनी से) तुम्हारे साथ है क्या जब नसीहत की जाती है (तो तुम उसे बदफ़ाली कहते हो नहीं) बल्कि तुम खु़द (अपनी) हद से बढ़ गए हो (19)
और (इतने में) शहर के उस सिरे से एक शख़्स (हबीब नज्जार) दौड़ता हुआ आया और कहने लगा कि ऐ मेरी क़ौम (इन) पैग़म्बरों का कहना मानो (20)
ऐसे लोगों का (ज़रूर) कहना मानो जो तुमसे (तबलीख़े रिसालत की) कुछ मज़दूरी नहीं माँगते और वह लोग हिदायत याफ्ता भी हैं (21)
और मुझे क्या (ख़ब्त) हुआ है कि जिसने मुझे पैदा किया है उसकी इबादत न करूँ हालाँकि तुम सब के बस (आखि़र) उसी की तरफ लौटकर जाओगे (22)
क्या मैं उसे छोड़कर दूसरों को माबूद बना लूँ अगर खु़दा मुझे कोई तकलीफ पहुँचाना चाहे तो न उनकी सिफारिश ही मेरे कुछ काम आएगी और न ये लोग मुझे (इस मुसीबत से) छुड़ा ही सकेंगें (23)
(अगर ऐसा करूँ) तो उस वक़्त मैं यक़ीनी सरीही गुमराही में हूँ (24)
मैं तो तुम्हारे परवरदिगार पर ईमान ला चुका हूँ मेरी बात सुनो और मानो ;मगर उन लोगों ने उसे संगसार कर डाला (25)
तब उसे खु़दा का हुक्म हुआ कि बेहिश्त में जा (उस वक़्त भी उसको क़ौम का ख़्याल आया तो कहा) (26)
मेरे परवरदिगार ने जो मुझे बख़्श दिया और मुझे बुज़ुर्ग लोगों में शामिल कर दिया काश इसको मेरी क़ौम के लोग जान लेते और ईमान लाते (27)
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और हमने उसके मरने के बाद उसकी क़ौम पर उनकी तबाही के लिए न तो आसमान से कोई लशकर उतारा और न हम कभी इतनी सी बात के वास्ते लशकर उतारने वाले थे (28)
वह तो सिर्फ एक चिंघाड थी (जो कर दी गयी बस) फिर तो वह फौरन चिराग़े सहरी की तरह बुझ के रह गए (29)
हाए अफसोस बन्दों के हाल पर कि कभी उनके पास कोई रसूल नहीं आया मगर उन लोगों ने उसके साथ मसख़रापन ज़रूर किया (30)
क्या उन लोगों ने इतना भी ग़ौर नहीं किया कि हमने उनसे पहले कितनी उम्मतों को हलाक कर डाला और वह लोग उनके पास हरगिज़ पलट कर नहीं आ सकते (31)
(हाँ) अलबत्ता सब के सब इकट्ठा हो कर हमारी बारगाह में हाजि़र किए जाएँगे (32)
और उनके (समझने) के लिए मेरी कु़दरत की एक निशानी मुर्दा (परती) ज़मीन है कि हमने उसको (पानी से) जि़न्दा कर दिया और हम ही ने उससे दाना निकाला तो उसे ये लोग खाया करते हैं (33)
और हम ही ने ज़मीन में छुहारों और अँगूरों के बाग़ लगाए और हमही ने उसमें पानी के चशमें जारी किए (34)
ताकि लोग उनके फल खाएँ और कुछ उनके हाथों ने उसे नहीं बनाया (बल्कि खु़दा ने) तो क्या ये लोग (इस पर भी) शुक्र नहीं करते (35)
वह (हर ऐब से) पाक साफ है जिसने ज़मीन से उगने वाली चीज़ों और खु़द उन लोगों के और उन चीज़ों के जिनकी उन्हें ख़बर नहीं सबके जोड़े पैदा किए (36)
और मेरी क़ुदरत की एक निशानी रात है जिससे हम दिन को खींच कर निकाल लेते (जाएल कर देते) हैं तो उस वक़्त ये लोग अँधेरे में रह जाते हैं (37)
और (एक निशानी) आफताब है जो अपने एक ठिकाने पर चल रहा है ये (सबसे) ग़ालिब वाकि़फ (खु़दा) का (वाधा हुआ) अन्दाज़ा है (38)
और हमने चाँद के लिए मंजि़लें मुक़र्रर कर दीं हैं यहाँ तक कि हिर फिर के (आखि़र माह में) खजूर की पुरानी टहनी का सा (पतला टेढ़ा) हो जाता है (39)
न तो आफताब ही से ये बन पड़ता है कि वह माहताब को जा ले और न रात ही दिन से आगे बढ़ सकती है (चाँद, सूरज, सितारे) हर एक अपने-अपने आसमान (मदार) में चक्कर लगा रहें हैं (40)
और उनके लिए (मेरी कु़दरत) की एक निशानी ये है कि उनके बुज़ुर्गों को (नूह की) भरी हुयी कश्ती में सवार किया (41)
और उस कशती के मिसल उन लोगों के वास्ते भी वह चीज़े (कश्तियाँ) जहाज़ पैदा कर दी (42)
जिन पर ये लोग सवार हुआ करते हैं और अगर हम चाहें तो उन सब लोगों को डुबा मारें फिर न कोई उन का फरियाद रस होगा और न वह लोग छुटकारा ही पा सकते हैं (43)
मगर हमारी मेहरबानी से और चूँकि एक (ख़ास) वक़्त तक (उनको) चैन करने देना (मंज़ूर) है (44)
और जब उन कुफ़्फ़ार से कहा जाता है कि इस (अज़ाब से) बचो (हर वक़्त तुम्हारे साथ-साथ) तुम्हारे सामने और तुम्हारे पीछे (मौजूद) है ताकि तुम पर रहम किया जाए (45)
(तो परवाह नहीं करते) और उनकी हालत ये है कि जब उनके परवरदिगार की निशानियों में से कोई निशानी उनके पास आयी तो ये लोग मुँह मोड़े बग़ैर कभी नहीं रहे (46)
और जब उन (कुफ़्फ़ार) से कहा जाता है कि (माले दुनिया से) जो खु़दा ने तुम्हें दिया है उसमें से कुछ (खु़दा की राह में भी) ख़र्च करो तो (ये) कुफ़्फ़ार ईमानवालों से कहते हैं कि भला हम उस शख़्स को खिलाएँ जिसे (तुम्हारे ख़्याल के मुवाफि़क़) खु़दा चाहता तो उसको खु़द खिलाता कि तुम लोग बस सरीही गुमराही में (पड़े हुए) हो (47)
और कहते हैं कि (भला) अगर तुम लोग (अपने दावे में सच्चे हो) तो आखि़र ये (क़यामत का) वायदा कब पूरा होगा (48)
(ऐ रसूल) ये लोग एक सख़्त चिंघाड़ (सूर) के मुनतजि़र हैं जो उन्हें (उस वक़्त) ले डालेगी (49)
जब ये लोग बाहम झगड़ रहे होगें फिर न तो ये लोग वसीयत ही करने पायेंगे और न अपने लड़के बालों ही की तरफ लौट कर जा सकेगें (50)
और फिर (जब दोबारा) सूर फूँका जाएगा तो उसी दम ये सब लोग (अपनी-अपनी) क़ब्रों से (निकल-निकल के) अपने परवरदिगार की बारगाह की तरफ चल खड़े होगे (51)
और (हैरान होकर) कहेगें हाए अफसोस हम तो पहले सो रहे थे हमें ख़्वाबगाह से किसने उठाया (जवाब आएगा) कि ये वही (क़यामत का) दिन है जिसका खु़दा ने (भी) वायदा किया था (52)
और पैग़म्बरों ने भी सच कहा था (क़यामत तो) बस एक सख़्त चिंघाड़ होगी फिर एका एकी ये लोग सब के सब हमारे हुजू़र में हाजि़र किए जाएँगे (53)
फिर आज (क़यामत के दिन) किसी शख़्स पर कुछ भी ज़ुल्म न होगा और तुम लोगों को तो उसी का बदला दिया जाएगा जो तुम लोग (दुनिया में) किया करते थे (54)
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बेहश्त के रहने वाले आज (रोजे़ क़यामत) एक न एक मशग़ले में जी बहला रहे हैं (55)
वह अपनी बीवियों के साथ (ठन्डी) छाँव में तकिया लगाए तख़्तों पर (चैन से) बैठे हुए हैं (56)
बहिश्त में उनके लिए (ताज़ा) मेवे (तैयार) हैं और जो वह चाहें उनके लिए (हाजि़र) है (57)
मेहरबान परवरदिगार की तरफ से सलाम का पैग़ाम आएगा (58)
और (एक आवाज़ आएगी कि) ऐ गुनाहगारों तुम लोग (इनसे) अलग हो जाओ (59)
ऐ आदम की औलाद क्या मैंने तुम्हारे पास ये हुक्म नहीं भेजा था कि (ख़बरदार) शैतान की परसतिश न करना वह यक़ीनी तुम्हारा खुल्लम खुल्ला दुश्मन है (60)
और ये कि (देखो) सिर्फ मेरी इबादत करना यही (नजात की) सीधी राह है (61)
और (बावजूद इसके) उसने तुममें से बहुतेरों को गुमराह कर छोड़ा तो क्या तुम (इतना भी) नहीं समझते थे (62)
ये वही जहन्नुम है जिसका तुमसे वायदा किया गया था (63)
तो अब चूँकि तुम कुफ्र करते थे इस वजह से आज इसमें (चुपके से) चले जाओ (64)
आज हम उनके मुँह पर मुहर लगा देगें और (जो) कारसतानियाँ ये लोग दुनिया में कर रहे थे खु़द उनके हाथ हमको बता देगें और उनके पाँव गवाही देगें (65)
और अगर हम चाहें तो उनकी आँखों पर झाडू फेर दें तो ये लोग राह को पड़े चक्कर लगाते ढूँढते फिरें मगर कहाँ देख पाँएगे (66)
और अगर हम चाहे तो जहाँ ये हैं (वहीं) उनकी सूरतें बदल (करके) (पत्थर मिट्टी बना) दें फिर न तो उनमें आगे जाने का क़ाबू रहे और न (घर) लौट सकें (67)
और हम जिस शख़्स को (बहुत) ज़्यादा उम्र देते हैं तो उसे खि़लक़त में उलट (कर बच्चों की तरह मजबूर कर) देते हैं तो क्या वह लोग समझते नहीं (68)
और हमने न उस (पैग़म्बर) को शेर की तालीम दी है और न शायरी उसकी शान के लायक़ है ये (किताब) तो बस (निरी) नसीहत और साफ-साफ कु़रान है (69)
ताकि जो जि़न्दा (दिल आकि़ल) हों उसे (अज़ाब से) डराए और काफि़रों पर (अज़ाब का) क़ौल साबित हो जाए (और हुज्जत बाक़ी न रहे) (70)
क्या उन लोगों ने इस पर भी ग़ौर नहीं किया कि हमने उनके फायदे के लिए चारपाए उस चीज़ से पैदा किए जिसे हमारी ही क़ुदरत ने बनाया तो ये लोग (ख्वाहमाख्वाह) उनके मालिक बन गए (71)
और हम ही ने चार पायों को उनका मुतीय बना दिया तो बाज़ उनकी सवारियां हैं और बाज़ को खाते हैं (72)
और चार पायों में उनके (और) बहुत से फायदे हैं और पीने की चीज़ (दूध) तो क्या ये लोग (इस पर भी) शुक्र नहीं करते (73)
और लोगों ने ख़ुदा को छोड़कर (फ़र्ज़ी माबूद बनाए हैं ताकि उन्हें उनसे कुछ मद्द मिले हालाँकि वह लोग उनकी किसी तरह मद्द कर ही नहीं सकते (74)
और ये कुफ़्फ़ार उन माबूदों के लशकर हैं (और क़यामत में) उन सबकी हाजि़री ली जाएगी (75)
तो (ऐ रसूल) तुम इनकी बातों से आज़ुरदा ख़ातिर (पेरशान) न हो जो कुछ ये लोग छिपा कर करते हैं और जो कुछ खुल्लम खुल्ला करते हैं-हम सबको यक़ीनी जानते हैं (76)
क्या आदमी ने इस पर भी ग़ौर नहीं किया कि हम ही ने इसको एक ज़लील नुत्फे़ से पैदा किया फिर वह यकायक (हमारा ही) खुल्लम खुल्ला मुक़ाबिल (बना) है (77)
और हमारी निसबत बातें बनाने लगा और अपनी खि़लक़त (की हालत) भूल गया और कहने लगा कि भला जब ये हड्डियाँ (सड़गल कर) ख़ाक हो जाएँगी तो (फिर) कौन (दोबारा) जि़न्दा कर सकता है (78)
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि उसको वही जि़न्दा करेगा जिसने उनको (जब ये कुछ न थे) पहली बार जि़न्दा कर (रखा) (79)
और वह हर तरह की पैदाइश से वाकि़फ है जिसने तुम्हारे वास्ते (मिखऱ् और अफ़ार के) हरे दरख़्त से आग पैदा कर दी फिर तुम उससे (और) आग सुलगा लेते हो (80)
(भला) जिस (खु़दा) ने सारे आसमान और ज़मीन पैदा किए क्या वह इस पर क़ाबू नहीं रखता कि उनके मिस्ल (दोबारा) पैदा कर दे हाँ (ज़रूर क़ाबू रखता है) और वह तो पैदा करने वाला वाकि़फ़कार है (81)
उसकी शान तो ये है कि जब किसी चीज़ को (पैदा करना) चाहता है तो वह कह देता है कि “हो जा” तो (फौरन) हो जाती है (82)
तो वह ख़ुद (हर नफ़्स से) पाक साफ़ है जिसके क़ब्ज़े कु़दरत में हर चीज़ की हिकमत है और तुम लोग उसी की तरफ लौट कर जाओगे (83)
Surah Yaseen in English
Yasin sharif in English में लिख दिया गया है जिन लोगो को में परेशानी होती है वो लोग भी सुरह यासीन शरीफ को समझ सके और यासीन शरीफ की फ़ज़ीलत के बारे में ज्यादा जाने सके और अमल करने में आसानी हो |
ये भी देखे – Tasbeeh and Janamaz
Bismillahi Rahmanir Rahim
1. Yaseen
2. Wal Quraanil Hakeem
3. Innaka Laminal Mursaleen
4. Ala Siratim Mustaqeem
5. Tanzeelal Azizir Raheem
6. Litunzira Qaumam Ma Unzira Aabauhum Fahum Ghafiloon
7. Laqad Haqqal Qaulu Ala Aksarihim Fahum La Uaminoon
8. Inna Ja Alna Fi Aanaqihim Aglalan Fahiya IlalAzqani Fahum Muqmahoon
9. Wajalna Mim Bayni Aydihim Saddaw Wamin Khlfihim Saddan Fa Agshay Nahum Fahum La Yubsiroon
10. Wasa Waun Alayhim A Anzar Tahum Am Lam Tunzirhum La Yuaminoon
11. Innama Tunziru Manit Taba Azzikra Wa Khashiyar Rahmana Bilghaybi Fabash shirhu Bimagh Firatiw Waajrun Kareem
12. Inna Nuhyil Mauta Wanaktubu Ma Qaddamu Wa Aasa rahum Wakulla Shay in Ahsaynahu Fi Imamim Mubeen
13. Wazrib Lahum Masalan As habal Qaryah Iz Ja Ahal Mursaloon
14. Iz Arsalna Ilayhimus Naini Fakaz Zaboohuma Fa Az Zazna Bisalisin Faqalu Inna Ilikum Mursaloon
15. Qaloo Maa Antum Illa Basharum Misluna Wama Anzalar Rahmanu Min Shay in In Antum IllaTakziboon
16. Qaloo Rabbuna Yaalamu Inna Ilaykum Lamur saloon
17. Wama Alayna Illal Balaghul Mubeen
18. Qalu Inna Tatay yarna Bikum Lail Lam Tantahu Lanarju Man Nakum Wala Yamas San Nakum Minna Azabun Aleem
19. Qaloo Taairukum Ma Akum Ain Zukkirtum Bal Antum Qaumum Musrifoon
20. Waja Amin Aqsal Madeenati Rajuluy Yasaa Qala Ya Qaumit Tabi Ul Mursaleen
21. It Tabiu Mal La Yas alukum Ajraw Wahum Muhtadoon
22. Wamaliya La Aabudul Lazi Fatarani Wailaihi Turjaoon
23. A Atakhizu Min Doonihi Aalihatan Iy Yuridnir Rahmanu Bizurril La Tughni Ani Shafa Atuhum Shayaw Wala Yunqizoon
24. Inni Izal Lafi Zalalim Mubeen
25. Inni Amantu Birabbikum Fasmaoon
26. Qeelad Khulil Jannah Qala Yalayta Qawmiy ya Alamoon
27. Bima Ghafarali Rabbi Wa Ja Alani Minal Mukramin
28. Wama Anzalna Ala Qaumihi Mim Badihi Min Jundim Minas Samai Wama Kunna Munzilin
29. In Kanat Illa Say hataw Wahidatan Faiza Hum Khamidoon
30. Ya Hasratan Alal Ibaad Maa Ya Teehim Mir Rasoolin Illa Kanu Bihi Yastah Zioon
31. Alam Yarau Kam Ahlakna Qablahum Minal Qurooni Annahum Ilayhim La Yarjioon
32. Wa in Kullul Lamma Jameeul Ladayna Muhzaroon
33. Wayatul Lahumul Arzul Maytah Ahyaynaha Wa Akhrajna Minha Habban Faminhu Yakuloon
34. Wa ja Alna Feeha Jannatim Min Nakheeliw WaAnabiw Wafaj jarna Feeha Minal Uyoon
35. Liya Kuloo Min Samarihi Wama Amilathu Aydeehim Afala Yashkuroon
36. Subhanal Lazi Khalaqal Azwaja Kul Laha Mimma Tumbitul Arzu Wamin Anfusihim Wamimma La Yalamoon
37. Wa Ayatul Lahumul Layl Naslakhu Minhun Nahara Fa Iza Hum Muzlimoon
38. Wash Shamsu Tajree Limusta Qarril Laha Zalika Taqdeerul Azizil Aleem
39. Wal qamara Qaddar Nahu Manazila Hatta Aada Kal urjoonil Qadeem
40. Lash Shamsu Yambaghi Laha An Tudrikal Qamara Walal Laylu Sabiqun Nahaar Wakullun Fee Falakiy Yasbahoon
41. Waayatul Lahum Anna Hamalna Zurriyyatahum Fil Fulkil Mash Hooon
42. Wakhalaqna Lahum Mim Mislihi Ma Yarkaboon
43. Wain Nasha Nugrikhum Fala Sareekha Lahum Wala Hum Yunqazoon
44. Illa Rahmatam Minna Wamata An Ilahin
45. Wa iza Qeela Lahumut Taqu Ma Bayna Aydeekum Wama Khalfakum Laallakum Turhamoon
46. Wama Ta Teehim Min Aayatim Min Aayati Rabbihim Illa Kanu Anha Mu a Rezeen
47. Wa iza Qeela Lahum Anfiqu Mimma Razaqa Kumullah Qalal Lazina Kafaru Lillazina Aamanu Anutimu Mal Lau Yashau Lahu Atamah InAntum Illa Fi Zalalim Mubeen
48. Wa Yaqoo loona Mata Hazal Wa Adu In Kuntum Sadiqeen
49. Ma Yanzuruna Illa Sayhataw Wahidatan Ta Khuzuhum Wahum Yakhis Simoon
50. Fala Yasta Teeuna Tawsiyatw Wala Ila Ahlihim Yarjioon
51. Wa Nufikha Fis Soori Fa Iza Hum Minal Ajdasi Ila Rabbihim Yan siloon
52. Qaloo Yawailana Mam Ba Asana Mim Marqadina Haza Ma Wa Adar Rahmanu Wa sadaqal Mursaloon
53. In Kanat Illa Sayhataw Wahidatan Faiza hum Jameeul Ladayna Muhzaroon
54. Falyauma Tuzlamu Nafsun Shay Aw Wala Tujzauna Illa Ma Kuntum Ta’maloon
55. Inna As habal Jannatil Yauma Fi Shugulin Fakihun
56. Hum Wa Azwaju hum Fi Zilalin Alal Araiki Mutta kioon
57. Lahum Feeha Fakihataw Walahum Ma YadDaoon
58. Salamun Qaulam Mir Rabbir Raheem
59. Wamtazul Yauma Ayyuhal Mujrimoon
60. Alam Aahad IlaikumYa Bani Aadama Al La Tabudush Shaytaan Innahu Lakum Adwwum Mubeen
61. Wa Ania Budooni Haza Siratum Mustaqeem
62. Wa laqad Azalla Minkum JibilLan Kaseera Afalam Takoonu Taaqiloon
63. Hazihi Jahannamul Lati Kuntum Tooadoon
64. Islauhal Yauma Bima Kuntum Takfuroon
65. Alyauma Nakhtimu Ala Afwa hihim Watukal limuna Aydeehim Watash Hadu Arjuluhum Bima Kanu Yaksiboon
66. Walau Nashau Latamasna Ala Aayunihim Fastabaqus Sirata Fanna Yubsiroon
67. Walau Nashau Lamasakhna Ala Makanatihim Famastatau Muziyyaw Wala Yarjioon
68. Waman Nuammirhu Nunakkishu Fil Khalq Afala Yaqiloon
69. Wama Allamnahush Shira Wama Yambagi Lah In Hua Illa Zikruw Wa quraanim Mubeen
70. Liyunzira Man Kana Hayyaw Wayahiqqal Qaulu Alal Kafireen
71. Awalam Yarau Anna Khalaqna Lahum Mimma Amilat Aydina An aaman Fahum Laha Malikoon
72. Wazallal Naha Lahum Faminha Rakoobahum Waminha Yakuloon
73. Walahum Fiha Manafiu Wa Masharibu Afala Yashkuroon
74. Wat Takhazu Min Dunil Lahi Alihatal La Allahum Yunsaroon
75. La Yastatioona Nasrahum Wahum Lahum Jundum Muhzaroon
76. Fala Yahzunka Qauluhum Inna Na Lamu Wama Yusirroona Wama Yualinoon
77. Awalam YaralInsanu Inna Khalaqnahu Min Nutfatin Faiza Huwa Khaseemum Mubeen
78. Wazaraba Lana Masalaw Wanasiya Khalqah Qala May Yuhyil Izama Wahiya Rameem
79. Qul Yuhyihal Lazi Ansha Aha Awwala Marrah Wahua Bikulli Khalqin Aleem
80. Allazi Ja Ala Lakum Minash Shajaril Akhzari Naran Faiza Antum Minhu Tooqidoon
81. Awa laisal Lazi Khalaqas Samawati Wal Arza Biqadirin Ala Ayyakhluqa Mislahum Bala Wahua Khallaqul Aleem
82. Innama Amruhu Iza Arada Shayan Ay Yaqoola Lahu Kun Fayakoon
83. Fasubhanal Lazi Biyadihi Malakootu Kulli Shayiw WaIlyhi Turjaoon
Yasin Sharif Ki Fazilat
सूरह यासीन शरीफ की फ़ज़ीलत के बारे में जानने के लिए इस आर्टिकल को पुरा पढ़िए ताकि आपको सूरह यासीन शरीफ के फ़ज़ीलत के बारे में अच्छे से मालूम हो जाये ताकि आप को अमल करने में आसानी हो |
Yasin Sharif Ki Fazilat हदीस शरीफ में आया हैं रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फरमाया मरने वाले के पास यासीन शरीफ पढ़ो इसकी बरकत से मरने वाले की रूह आसानी से कब्ज़ की जाती हैI इंतकाल के बाद इसे पढ़कर इसाले सवाब करोगे तो उसके गुनाह बख्श दिए जाएंगे, कब्र पर पढ़ोगे तो बख्श दिया जाएगा
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एक जगह और अबू दरदा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि जिस मरने वाले के पास सूरह यासीन पढ़ी जाती है अल्लाह तआला उसपर (रूह क़ब्ज़ करने में) नरमी फरमाता है|
एक रिवायत में है की हुज़ूर सल्लल लहू अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया मेरा दिल चाहता है कि सूरह यासीन मेरे हर उम्मती के दिल में हो यानी हर उम्मती को ज़ुबानी याद हो|
हज़रत सैय्यदना हस्सान बिन अतिया रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूल उल्लाह सल्लल लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि सूरह यासीन पढ़ने वाले को दुनिया व आख़िरत की भलाई अता करती है दुनिया व आख़िरत की बलाये उस से दूर करती है|
surah yasin in hindi पढ़कर किसी पर दम करने से शैतानी साया या हवा दूर हो जाती है जो इंसान जुम्मे के दिन सूरह यासीन पढ़ेगा अल्लाहपाक उसकी जेएस मुराद पूरी फरमाएंगे |
जो पाबन्दी से रात को सोते वक्त यासीन शरीफ पढ़ता है अल्लाह ताला की तरफ से उसे बहुत ही अजरो सवाब दिया जाता है।
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जो आदमी हर रोज़ अपने मां-बाप को सवाब पहचाने की नियत से surah yasin पढ़ता है तो उनकी गिनती वालेदैन के फर्माबरदार में होती है
जो आदमी रोजी के बरकत तरक्की के लिए पढ़ता है तो उसकी रोजी में बरकत हो जाती है जो मुसीबत के वक्त पढ़ेगा तो उसकी परेशानियां दूर हो जाएगी |
सूरह यासीन शरीफ हिंदी में वीडियो देखने के लिए निचे इस वीडियो पर क्लिक करे, |surah yaseen in english में भी पढ़ सकते हैं और | yasin sharif tarjuma in hindi ,और साथ ही surah yasin in hindi में इमेज डाउनलोड करे |सूरह यासीन शरीफ की फ़ज़ीलत के बारे में बतया गया हैं |
yasin sharif Tarjuma ke sath | सूरह यासीन शरीफ का तर्जुमा को समझ कर अमल करने से अल्लाह तलाह के पास आप की दुआ काबुल होने की उम्मीद ज्यादा हो जायेगा|
सुरह यासीन शरीफ पढ़ने और अमल के साथ 5 वक़्त का नमाज पाबंदी से पढ़े और साथ ही नेक काम करे इंशाअल्लाह आप की दुआ अल्लाह तलाह के बारगाह पर जरूर काबुल हो सकती हैं |
अल्लाह तआला हम सबको कुरान करीम समझ कर पढ़ने वाला और उसपर अमल करने वाला बनाए। अल्लाह तआला हम सबको शिर्क की तमाम शकलों से महफूज़ फरमाए अमीन ।
व अखिरू दावाना अलाह्म्दुलिल्लाही रब्बिल आलमीन
Masha Allah, Allah Amal Karne ki Toofeeq Ata Farmaye.
Masha allah….. Bahut hi badiya translation. Padh k dil khush ho gaya,…… Allah paak aapko aur tarakki de. Amin
sukriya
Mashallah
Allah apko har bla s bchye our apko kamyabi d
ameen
Masha allah son kar mere dil ko bahut sokon Milla
Allhamdulillah dil taaza ho gya
JazakALLAH
Jazakallah khair ❣️
Masha allah aapne acha translation kiya hai hindi me magar aayat no. 54 me thodi galti hogai hai
Ma kuntum ki jagah bima kuntum hogaya aur
Ta malun ki jagah ta lamun hogaya hai
Plz aap ise jaldi thik kijiye nahi to aap ko galat likhne ka vabal hoga
humne galti ko sahi kar diya hai batane ke liye sukriya
Assalamu Alaikum Wa Rahmatullahi Wa Barakatuhu, Jumma Mubarak.
Surah Mulk Bhi Hindi Mein Likhiye.
Assalamu alaikum 💐💐🤲
Yaseen Hindi m acha hai
Walekum assalam ji
Surah Yaseen Hindi mein bhej dena please
Allaha apke Amal me ijafa kre or
Aapko ese hi nek raha pr chalye
Sabko nek hidayt de
Mashallah
Please correct the mistakes if person knows arabic why he will go for hindi and hindi text also has many spelling and pronounciation mistakes
Mashaallah
Mashallah
Mashallah
Ya allah ap rahamat wale ho meri duwa qubool kijiye ❤️❤️Ameen❤️❤️