इस्लाम में हलाल और हराम की कमाई को समझें

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क्या आप जानते हैं इस्लाम में हलाल और हराम की कमाई किसे कहते हैं इस्लाम में कहा गया है हलाल और हराम में फर्क समझकर ज़िन्दगी गुज़ारना हर मुस्लमान के ऊपर फ़र्ज़ हैं हलाल कमाई में जहाँ बेशुमार फायदे हैं वही हराम की कमाई में ज़िन्दगी गुज़ार ने में बेशुमार तबाही और बर्बादी होती हैं। लोग कमाते वक़्त यह नहीं सोचते कि यह हराम है या हलाल। झूठ ,फरेब,मक्कारी, धोकेबाजी, बेईमानी, रिश्वटखोरी सूद व व्याज से कमाई कर लेते हैं।

आज के इस आर्टिकल में हम आपको जानकारी देने वाले हैं इस्लाम में हलाल और हराम की कमाई में क्या फर्क होता है और कैसे जिंदगी इस्लाम के तरीके से गुजारना चाहिए।

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हलाल की कमाई क्या है

अल्लाह के रसूल हज़रत मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम का फरमान हैं की जो शख्स हलाल रोज़ी कमाता हैं यानी जिसे ईमानदारी से कमाया गया हो और हराम की कमाई से दूर रहता हैं अल्लाह उसके दिल को अपने नूर से रोशन कर देता हैं।

इस्लाम कहता है कि हलाल रोज़ी कमाने और खाने-खिलाने की बरकत की बदौलत इंसान की तबीयत नेकी और नेक कामों की तरफ़ लगती है। उसे इबादत की तौफ़ीक़ मिलती है, आंखों में शर्म और हया और चाल में शराफ़त पैदा होती है।

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हराम की कमाई क्या है

अल्लाह के रसूल हज़रत मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम का फरमान हैं की जो शख्स हराम की कमाई यानी झूठ ,फरेब,मक्कारी, धोकेबाजी, बेईमानी, रिश्वटखोरी सूद व व्याज, बिना किसी काम किए बैठकर घर पर ही खाना मतलब कोई काम ही ना करना, चोरी करना, डकैती डालना, लूट-पाट करना, और माल जमा कर लेते हैं । और उस कमाई को सदका और खैरात में देता हैं उसका वह सदका अल्लाह की तरफ से कबूल नहीं किया जाता अगर वह उस कमाई को अल्लाह की रहा में खर्च करता हैं।

और उस कमाई में बरकत नहीं होती और अगर वो उस कमाई को छोड़ कर मर जाये तो वह कमाई जहन्नम का सामान बन जाती हैं हराम की कमाई करने वाले की कोई दुआ कबूल नहीं की जाती बल्कि उस पर अल्लाह की तरफ से हमेशा लानत बरसती रहती हैं।

हराम रोज़ी कमाने-खाने वाले बड़े घाटे में रहेंगे। पहली बात तो यह कि उन्हें इबादत की तौफ़ीक़ नहीं मिलेगी और अगर कोई हराम कमाई करने वाला इबादत करेगा तो उसकी इबादत क़ुबुल नहीं होगी।

एक हदीस का मफ़हूम है कि, अल्लाह के रसूल ने फ़रमाया, ‘हराम रोज़ी से पलने वाला बदन जन्नत में नहीं जाएगा।’अल्लाह के रसूल ने फ़रमाया, ‘अगर किसी ने कोई कपड़ा ख़रीदा और उसमें एक अंश भी हराम कमाई का होगा और जब तक वह कपड़ा बदन पर रहेगा, उसे पहनकर नमाज़ पढ़ेगा, तो नमाज़ क़ुबूल नहीं होगी।

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हदीस का मफ़हूम

एक हदीस का मफ़हूम है कि, अल्लाह के रसूल ने फ़रमाया, ‘हराम रोज़ी से पलने वाला बदन जन्नत में नहीं जाएगा।’ इसका अर्थ यही हुआ कि हराम रोज़ी से पलने वाला जहन्नम का ही हक़दार हुआ। जो लोग लूट-ख़सोट, बेईमानी, चोरी, रिश्वत वगैरह जैसे नाजायज़ और हराम तरीक़ों से कमाई करते हैं और अपने बच्चों को पालते हैं, वह दुनिया और आख़िरत में गुनाहगार और रब के दरबार में सज़ा के हक़दार होंगे।

यही वजह है कि कुछ लोग शिकायत करते नज़र आते हैं कि बरसों से दुआ मांग रहा हूं, क़ुबूल नहीं हो रही है। इसकी वजह यही है कि पेट में हलाल रोज़ी नहीं पहुंच रही है या कोई एक लुक़मा ही किसी अपने-पराए के पेट में चला गया जिसकी नहूसत से दुआ क़ुबूल नहीं हो रही है। इसलिए ज़रूरी है कि हलाल रोज़ी कमाएं और खाएं।

हज़रत सय्यदना सुफियान सौरी रहमतुल्लाह अलैहि फरमाते हैं जो हराम माल से सदका खैरात करता हैं वो ऐसे शख्स के बराबर हैं जो नापाक कपड़ो को पेशाब से धोता हैं।

हज़रत सहल बिन अब्दुल्लाह तुसतरी रहमतुल्लाह अलैहि फरमाते हैं की हलाल रिज़्क़ से बदन के सारे हिस्से इबादत में लगे रहते हैं दूसरी और हराम रिज़्क़ से गुनाहो में इज़ाफ़ा होता रहता हैं।

किसी बुज़ुर्ग ने फ़रमाया हैं की जब कोई शख्स हलाल रोटी का पहला निवाला खाता हैं तो उसके पहले के गुनाह माफ़ कर दिए जाते हैं जो इंसान हलाल रोज़ी की कमाई की तलाश में रहता हैं उसके गुनाह ऐसे झड़ते हैं जैसे पेड़ के पत्ते झड़ते हैं। 

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हराम कमाई से सदका और खैरात कबूल नहीं होती

अल्लाह के रसूल हज़रत मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम का फरमान हैं की जो शख्स हराम की कमाई को सदका और खैरात में देता हैं उसका वह सदका अल्लाह की तरफ से कबूल नहीं किया जाता अगर वह उस कमाई को अल्लाह की रहा में खर्च करता हैं।

खूब याद रखो अस्ल नेकी और पहली दीनदारी नेक कामों में खर्च करना नहीं है बल्कि ईमानदारी के साथ कमाना है। जो हलाल तरीके और दयानतदारी से कमाता है और ज़्यादा राहे खुदा में खर्च नहीं कर पाता है वह उससे लाखों दर्जा बेहतर है जो बेरहमी के साथ हराम कमा कर इधर उधर बॉटता फिरता है।

और फिर राहे खुदा में खर्च करने वाले सखी बनते हैं, खूब मजे से खाते हैं और यारों दोस्तों को खिलाते हैं, मस्जिद मदरसों और खानकाहों को भी देते हैं, माँगने वालों को भी दे देते हैं। यह हराम कमा कर राहे खुदा में खर्च करने वाले न हरगिज़ सखी है, न दीनदार। बल्कि बड़े बेवकूफ और निरे अहमक हैं। 

अल्लाह के रसूल ने फरमाया अगर किसी ने 10 रूपए का कोई कपड़ा खरीदा और उसमें एक रुपया भी हराम कमाई का होगा तो जब तक वह कपड़ा बदन पर रहेगा उसे पहनकर नमाज पढ़ेगा तो नमाज़ कबूल नहीं होगी।

हजरत अबू बक्र सिद्दीक रदियल्लाहो अन्हो का बयान है- अल्लाह के रसूल ने फरमाया हराम रोजी से पलने वाला बदन जन्नत में नहीं जाएगा। हराम रोजी से पलने वाला गोश्त तो जहन्नम का ही हकदार है। जो लोग लूट-खसोट, बेईमानी, चोरी, रिश्वत वगैरा जैसे नाजायज वह हराम तरीकों से कमाई करते हैं और उनके बच्चों को पालते हैं, वह दुनिया व आखिरत में गुनाहगार वह सजा के हकदार है।

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हलाल कमाई की बरकत

मेहनत से कमाई करके अपने बाल बच्चों की परवरिश करना, घरवालों को मुहताजी से बचाना और खुद भी बचना बहुत बड़ी इबादत ही नहीं बल्कि इस्लाम के पांच रुक्नों के बाद सबसे बड़ी फ़र्ज़ इबादत है।

कुरान व हदीस में इसके बारे में सख्त ताकीद आई है अल्लाह पाक फरमाता है, हमने तुम्हें जमीन पर रहने के लिए जगह दी और उसी में तुम्हारे लिए रोज़ी  बनाई।

सूरह आराफ़ और सूरह हजर में फरमाया और हमने तुम्हारे लिए वहां रोज़ी के ज़रिये बनाएं और उन्हें भी रोजी दी जिन को तुम खिला पिला नहीं सकते थे। 

सूरह बकर में फरमाया- हज के मौके पर भी तुम्हें अपनी रोजी तलाश करने में कोई गुनाह नहीं।

रोजी को अल्लाह पाक ने अपना फ़ज़्ल भी करार दिया और हुक्म दिया- अल्लाह से उसका फ़ज़्ल मांगो (सूरह निसा) इन आयतों का मतलब यही है कि इंसान दुनिया में फैल कर रोज़ी तलाश करें और अपनी मेहनत और कोशिश से अल्लाह की बिखेरी हुई रोटी को जमा करें, खुद भी खाए, घरवालों की परवरिश करें और दूसरों को भी खिलाएं।

क़ुरआनी आयतो के अलावा हदीसो में भी इसकी सख्त ताकीद आयी है। अल्लाह के रसूल फरमाते हैं- हलाल रोजी कमाना फ़र्ज़  इबादतों के बाद सबसे अहम फ़र्ज़ है।

कयामत के दिन जिस तरह आदमी से फ़र्ज़ इबादतों  के बारे में पूछा जाएगा उसी तरह रोजी के बारे में भी हिसाब लिया जाएगा।  हलाल रोजी कमाने और खाने खिलाने की बरकत यह है कि उसकी बदौलत इंसान की तबीयत नेकी और नेक कामों की तरफ लगती है। 

उसे इबादत की तौफीक मिलती है, आंखों में शर्म व हया और चाल में शराफत पैदा हो जाती है, और सबसे बड़ा फायदा तो यह है कि कयामत के दिन उसका चेहरा रोशन होगा।

हलाल रोजी कमाने वाले और इस सिलसिले में पेश आने वाली तकलीफों को बर्दाश्त करने वाले अल्लाह से इनाम पाएंगे और उन्हें जन्नत का घर रहने को मिलेगा।

अल्लाह हिदायत दे आमीन हम सभी को अल्लाह से यही दुआ करनी चाहिए की अल्लाह हमें ऐसे हराम कामो से दूर रहने की तौफीक अता फरमाए जो सीधे जहन्नम की और ले जाते हैं और अपने दीन पर अमल करने की तौफ़ीक़ अता फरमाए आमीन ।

लिखने में कोई गलती हो तो बराए मेहरबानी हमारी इस्लाह करे

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