Roza Rakhne ki Niyat
नियत करना दिल के इरादे को कहा जाता हैं , अगर किसी इंसान ने दिल से पक्का इरादा कर लिया कि मैं रोजा रख रहा हूं तो इतना ही काफी होता है roza rakhne ki niyat के लिए , लेकिन इन अलफाज़ को जबान से दोहरा लेना भी बेहतर है की मैंने यह इरादा किया कि रोजा रखू अल्लाह तआला के लिए इस रमजानुल मुबारक का ।