इस्लाम में हज | Hajj In Islam

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अस्सलाम अलेकुम दोस्तों हर मुस्लमान ये बात जानता है कि इस्लाम में हज फजाईल है। इस्लाम की पांच बुनियादे है जिसमें से एक हज करना है। और चार है रोजा , नमाज़, जकात, कलमा।

दुनिया में हर हैसियत मंद मुसलमानों को कम से कम एक बार हज करना जरूरी है ऐसा हमारे रसूल अल्लाह का फरमान है। इस्लाम में हज लोगों के दिलो में एहतराम पैदा करता है।

बेशक अल्लाह पाक ने हज करने वालों के गुनाहों को माफ फरमाने का हुक्म दिया है लेकिन कत्ल, मां-बाप की बेइज्जती, औरतों को बेपर्दा करने वाले लोगों को हज भी माफ नहीं करवा सकता।

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हज पर जाने का सही वक्त

हज पर जाने का एक तय वक्त होता है यह बात कई सारे लोगों को नहीं पता है लोग सोचते हैं कि हज पर किसी भी वक्त और किसी भी महीने में जा सकते हैं लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है।

इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब हज से 12वे महीने की 8वीं से 12वीं तारीख के बीच होता है यानी जब भी बकरा ईद (ईद उल अदहा) आती है उसके पहले जो कुछ दिन होते हैं उस वक्त हज होता है।

बकरीद के दिन हज पूरा हो जाता है और बकरीद के बाद लोगों की वापसी शुरू हो जाती है और लोग आराम से अपने घर पहुंच जाते हैं।

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हज पर जाने की शर्तें

हज पर जाने के लिए बहुत सारी शर्तें नहीं है लेकिन जो लोग कर्ज में है और जो लोग हराम की कमाई करते हैं या गरीबों का लूट कर पैसा कमाते हैं दूसरों से झूठ बोलकर पैसा कमाते हैं ऐसे लोगों को उस पैसे से हज करने की इजाजत नहीं दी गई है।

अल्लाह पाक उनके हज को कभी कुबूल नहीं करते हैं जो दूसरों को तकलीफ देकर हज करने जाते हैं। हज पर जाने से पहले अपने रिश्तेदारों दोस्तों से माफी मांगनी चाहिए क्योंकि अगर किसी के भी दिल में आपके लिए नाराजगी होगी तो ऐसे में आपके हज को कबूल नहीं किया जाएगा।

इसलिए हज पर जाने से पहले अगर आपने किसी से कर्ज लिया है तो उस कर्ज को चुकाना है अपनी मेहनत की कमाई से हज करना है और फिर उन लोगों से माफी भी मांगनी है जिनका आपने दिल दुखाया हैं तभी जाकर आपका हज मुकम्मल तौर पर पूरा होगा।

हज करने की एहमियत

इस्लाम में पांच चीजें फर्ज मानी गई है जिसमें से एक हज है इसलिए हर हैसियत मंद मुसलमानों को एक बार हज करना फर्ज है। जिनके पास पैसे हैं अल्लाह पाक ने उन्हें मालदार बनाया है तो ऐसे लोगों को उन पैसों से हज का सफर करना चाहिए।

जिनके पास पैसे होते हैं ऐसे लोगों को सबसे पहले अपने मां-बाप को हज कराना चाहिए क्योंकि जो लोग अपने मां बाप को हज करवाते है ऐसे लोगों को अल्लाह पाक और नेमतें बख्श देता है।

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क्योंकि मां बाप के कदमों में अल्लाह पाक ने जन्नत रखी है जिन लोगों के मां-बाप उनसे राजी हो जाते हैं तो अल्लाह पाक भी उनसे राजी होते हैं।

जिन मुसलमान भाइयों के पास बहुत पैसे हैं और वह किसी ऐसे शख्स को जानते हैं जिनके पास पैसों की कमी होने की वजह से वह हज पर नहीं जा पा रहे तो उनका फर्ज बनता है कि वह उन्हें पैसे दें और उन्हें हज पर भेजें और खुद भी हज पर जाए।

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कैसे लोगों पर हज जायज है

अगर आप सोचते हैं कि आपके पास पैसे हैं आप आसानी से हज कर सकते हैं तो ऐसा बिल्कुल नहीं है आप एक मुसलमान है और आपके पास ईमान होना चाहिए आपको एक सच्चा और अच्छा इंसान होना चाहिए तभी जाकर आपका हज मुकम्मल होगा।

हज पर जाने से पहले अपने सभी छोटे-मोटे गुनाहों को याद करना है और अल्लाह पाक से और उस इंसान से माफी मांगनी है जिनका आपने दिल दुखाया हो या फिर आपने कुछ गलत किया हो।

जो औरतें बेपर्दा होकर घूमती है और वो सोचती है कि हज पर जाएंगी और वापस आकर फिर बेपर्दा होकर घूमेगी तो ऐसी औरतों को हज करने का हुकुम नहीं दिया गया है।

क्योंकि हज करना एक मुकम्मल मुसलमान की पहचान होती है जो कि अल्लाह के बताए हुए राह पर चलते हैं हमारे हुजूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की उम्मती होते हैं। जो लोग दीन को छोड़कर दुनिया में मशरूफ रहते हैं और हज का समय आने पर हज करने के लिए चले जाते हैं तो ऐसे में उन्हें हज करके कोई सवाब नहीं मिलेगा।

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हज पर जाने के लिए एक नेक मोमिन होना बहुत जरूरी होता है क्योंकि यह बात हम सभी मुसलमानों ने सुनी है कि हज में जो जाता है उनके गुनाहों को माफ कर दिया जाता है लेकिन उनके गुनाह तभी माफ होते हैं जब वह हज की रस्मों को दिल से निभाते हैं और ईमानदारी के साथ निभाते हैं और अपने गुनाहों से तौबा करते हैं।

हज पर जाने के लिए हमें पांच वक्त का नमाजी होना बहुत जरूरी है इसके साथ ही साथ झूठ, फरेब, धोखाधड़ी, बेपर्दा मां बाप की नाफरमानी करने वाले लोगों को हज करना सख्त मना है।

कुरान में अल्लाह पाक फरमाते है

अल्लाह पाक ने कुरान में फरमाया है कि हज का सफर उन्हें ही तय करना है जिनके पास पैसे है आपको किसी से भी उधारी लेकर हज पर नहीं जाना है। और किसी तकलीफ में है पैसों की कमी है तो ऐसे में भी हज पर नहीं जाना है जब आपके पास हज के सफर को तय करने के लिए पैसे हैं तभी जाकर आपको हज पर जाना है।

जो परिवार वाले हैं घर पर रह गए हैं उनका वह खर्च उठा सके जितने दिन वह हज के सफर पर रहे उतने दिन उसका परिवार बसर कर सके उसका वह इंतजाम कर सके तो ऐसे हर शख्स पर हज फर्ज होता है।

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कई लोग ऐसा सोचते हैं कि हम गरीब हैं हम हज नहीं कर सकते तो ऐसे में अल्लाह पाक नाराज हो जाएंगे तो ऐसा बिल्कुल नहीं है। अल्लाह पाक ने ऐसे लोगों पर हज फर्ज किया है जो हज कर सकते हैं जिनके पास इतने पैसे है कि वह हज पर भी अगर चले गए तो उनके पास पैसों की कमी नहीं होगी।

सिर्फ पैसे ही नहीं पैसों के साथ-साथ ईमान भी होना चाहिए और अल्लाह का डर और एक सच्चा मुसलमान भी होना चाहिए और हज करने के बाद भी एक अच्छा इंसान और मुसलमान होना बहुत जरूरी है।

हज अदा करने के फजाइल

कई सारे लोग हज की हिकमत से अनजान है और जिस इबादत से हिकमत निकल जाती है तो वह एक बेजान जिस्म की तरह हो जाती है जिसमें रूह नहीं रहती। लोग हज करके तो आ जाते हैं लेकिन ना उन्हें हज करने की फजीलत के बारे में पता है और ना हज करने का तरीका पता होता है।

अल्लाह ने कुरान ए पाक में फरमाया की जब आदम पैदा हुए थे उसी वक्त शैतान ने इंसानों से जंग करने का फैसला ले लिया था तो उस वक्त अल्लाह पाक ने शैतान से कहा था की-

” मैं तेरे उम्मती के लोगों को भटकाने के लिए राह पर बैठा रहूंगा और मैं उन्हें हर वह काम से दूर रखूंगा जो उन्हें तेरी तरफ ले जाएगा।”

शैतान इंसानों को गुमराह करता है और उनमें तकब्बूर, ख्वाहिशें लालच और बुराइयां भर देता है और मोमिनो को अल्लाह पाक से दूर करके अपनी तरफ ले आता है।

लेकिन हज में मुसलमानों को शैतान से दुश्मनी निभाने और शैतान की गुलामी से निकलकर सिर्फ अल्लाह की राह पर चलने की सीख दी जाती है और शैतानों से खबरदार कर दिया जाता है।

हज मुसलमानों के लिए एक ऐसा मौका होता है जहां अल्लाह अपने बंदों को खबरदार कर देता है और हुकुम देता है कि सब मिलकर अपने दुश्मन शैतान को इस जिहाद में शिकस्त दो।

लिहाजा अल्लाह के बंदे अल्लाह की पुकार पर यह कहते हुए हाजिर हो जाते हैं कि” अल्लाह मैं हाजिर हूं शुक्र तेरा है कि तूने मुझे नेमतें दी”।

हज पर जाने के लिए कैसे लिबास होने चाहिए

हज पर जाने के लिए आपको कोई खास लिबास की जरूरत नहीं बल्कि सफेद रंग के लिबास को पहनना होता है औरते हो या मर्द दोनों को ही सफेद रंग के लिबास पहनने हैं।

आदमियों को सफेद कलर का कपड़ा अपने जिस्म में लपेटना है और औरतों को पूरी तरह से अपने आप को ढकना है वह भी सफेद रंग के कपड़ों से।

औरतों को अपने हाथों पैरों पूरे जिस्म को ढकना है सिर्फ उनका चेहरा ही दिख सकता है ।ज्यादातर चेहरे को ढक कर रखने का हुक्म दिया गया है लेकिन जरूरत पड़ने पर वह अपने चेहरे से नकाब हटा सकती है।

हज पर जाने की लिए एहतराम करना

हज पर जाने वाले लोगों को अपने दिमाग में एक बात बैठा लेनी होती है कि हमने दुनिया से अपना ताल्लुक तोड़ लिया है दुनिया के मामलों को अब छोड़ दिया है।

दो बिना सिले कपड़ों से यही बात जाहिर होती है कि हम अब दुनिया के ऐशो आराम को छोड़कर अल्लाह की राह पर चल पड़े हैं।

जैसे कि एक मुर्दे को दफनाते वक्त उन्हें सफेद कपड़ा पहनाया जाता है उसी तरह हज करते वक्त सफेद कपड़ा पहनाया जाता है क्योंकि दोनों दुनिया को छोड़ चुके होते हैं हज करने वाले अल्लाह की राह पर निकल पड़ते हैं और उन्हें दुनिया छोड़नी पड़ती है दुनिया के ऐशो आराम को छोड़ना पड़ता है।

सिर्फ और सिर्फ अल्लाह की इबादत में अपना दिल और दिमाग लगाना है ना कि दुनिया के ऐशो आराम और दिखावे में।

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काबा में फेरे लगाने का मतलब

जब लोग हज करने जाते हैं तब वहां पर वह काबा के चारों तरफ चक्कर लगाते हैं ऐसा वह इसलिए करते हैं क्योंकि वो अल्लाह की राह पर चल सके और अपने आप को पूरा अल्लाह को सौंप दें।

काबा के चारों तरफ चक्कर लगाने के बाद अल्लाह से माफी मांगते हैं और अल्लाह से दुआ करते हैं और अपने पिछले सभी गुनाहों को दोबारा से ना करने का पक्का इरादा भी करते हैं।

सिर्फ इरादा नहीं करना है बल्कि हज से वापस आने के बाद भी हमें यह याद रखना है कि हमने हज किया है और हज करने के बाद हमें कितने एहतराम से अपनी जिंदगी गुजारनी है क्या करना है और क्या नहीं करना है।

क्योंकि हज करने वालों को पता होना चाहिए की उनपर क्या फर्ज है और क्या नहीं। हज के वक्त जिन गुनाहों की माफी अल्लाह से मांगते हैं वह गुनाह दोबारा नहीं करना है और अगर लोग वह गुनाह दोबारा करते हैं तो ऐसे में अल्लाह उन्हें कभी माफ नहीं करते हैं।

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