एक बादशाह जिसने अपनी बेटी को जंगल में छोड़ दिया – जब वो मिली तो उसके होश उड़ गए

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एक बादशाह जिसने अपनी बेटी को जंगल में छोड़ दिया उसका गुनाह सिर्फ़ इतना था की वो कहती थी की अल्लाह का दिया खाती हूं और नसीब का पहनती हूं। उस लड़की का क्या हुआ वो अपने वालिद बादशाह से मिल पायी की नहीं जानने के लिए आर्टिकल को आख़िर तक पूरा जरूर पढ़ें। क्युकी ये बहोत ही इबरतनाक वाक्या है।

एक बादशाह की सात बेटियां थी, एक दिन वो अपनी सभी बेटियों से एक सवाल पुछता है की बताओ तुम किसका दिया खाती और पहनती हो एक एक करके सब शहज़ादियों ने कहा के अब्बा हुज़ुर आपका दिया खाती हूं और आपका दिया ही पहनती हूं। मगर सबसे छोटी शहज़ादी ने कहा के अब्बा हुज़ुर अल्लाह का दिया खाती हूं और नसीब का पहनती हूं।

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ये सुन कर बादशाह को ग़ुस्सा आ गया। और उसने शहज़ादी से तमाम ज़ेवरात वापिस ले कर जंगल में छोड दिया। जंगल में शहज़ादी की नज़र एक झोंपड़ी पर पड़ी जहां बाहर एक बकरी बंधी हुई थी, और अंदर से खांसने की आवाज़ आ रही थी।

जब शहज़ादी झोंपड़ी के अंदर दाख़िल हुई तो देखा एक बूढ़ा आदमी पानी मांग रहा है, शहज़ादी उस बुढे आदमी को पानी पिलाती है। आदमी शहज़ादी से पुछता है बेटी तुम कौन हो इस पर शहज़ादी उसे पूरा वाक़या सुना देती है।

आदमी उसे झोंपड़ी में ही रहने के लिये बोलता है और कहता बेटी मैं शहर में जा रहा हु एक हफ्ते बाद आऊंगा। अब शहज़ादी बकरी का दुध निकालती आधा अपने लिये और आधा झोंपड़ी के बाहर एक बरतन में रख देती है।

अगले दिन सुबह उठ कर बाहर आई तो देखा दूध का बरतन ख़ाली है और पास ही एक क़ीमती मोती पड़ा है जो देखने में नायाब लग रहा था। शहज़ादी ने मोती अपने पास रख लिया और फिर से वही काम करती। इसी तरह सात दिन गुज़र गये अब उसके पास सात कीमती मोती जमा हो गये ।

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सात दिन बाद वो बुढा आदमी शहर से वापस आता है तो शहज़ादी उसे सारा वाक़या सुनाती है। फिर शहज़ादी उसे तीन मोतियां देती है और महल बनवाने का हुक्म देती है। कुछ ही दिन में महल तैयार हो जाता है जिसमें दुनिया के सब ऐश-ओ-आराम का सामान मौजूद था। ये महल दूर दूर तक मशहूर हो गया, लोग इस महल और शहज़ादी की तारीफें करते नही थकते थे।

जब ये ख़बर बादशाह तक पहुंची, तो बादशाह सभी बेटियों को लेकर शहज़ादी के महल पहुंच जाता है। शहज़ादी चेहरे पर नक़ाब डाल कर उन सब से मिलती है। शहज़ादी की शान शौकत और महल की ख़ूबसूरती देख बादशाह भी हैरान हो गया। बादशाह ने शहज़ादी से कहा तुम मेरी बेटी की तरह हो फिर मुझसे परदा क्यूं कर रही हो इस पर शहज़ादी ने कहा मैं तैय्यार हो कर आती हूं। इतने में दूर से पुराने कपडों में कोई गरीब लड़की आती दिखी।

बादशाह हैरान रह गया। ये तो उसकी ही बेटी है जिसे जंगल में छोड़ आया था। बादशाह ने कहा तू अभी ज़िंदा है। चलो कोई बात नही तुम्हारी शहज़ादी से आज़ाद करवा कर ले जाऊंगा।। यह सुनते ही शहज़ादी बोली, नही अब्बा हुज़ुर मैं ही वो शहज़ादी हूं जिससे आप मिलने आयें हैं।

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मैं कहती थी न की अल्लाह का दिया खाती हूं और अपने नसीब का पहनती हूं आज मेरे पास आपसे भी कई गुना ज़्यादा दौलत है। फिर शहज़ादी ने यहां तक पहुंचने का सारा हाल सुनाया, इतना सुनते ही बाक़ी शहज़ादिया भी कहने लगती हैं की काश हमने भी यही कहा होता की अल्लाह का दिया खाती हूं और अपने नसीब का पहनती हूं। वाक्या पसंद आया तो इस आर्टिकल को शेयर जरूर करें।

दुनिया का एक ऐसा बादशाह जिस ने अपनी जन्नत बनाई लेकिन वह अपनी बनाई हुई जन्नत में दाखिल हो पाया या नहीं। जानने के लिए ये आर्टिकल अभी पढ़ें और शेयर करे।

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