क़ुरआन-ए-करीम की हिफाज़त
क़ुरआन क़ुरआन-ए-करीम अल्लाह सुब्हानहु व ताअला का वो अज़ीमुश्शान कलाम है जो इन्सानों की हिदायत के लिए ख़ालिक़ कायनात ने अपने आख़िरी रसूल सल्लाहु अलैहि वसल्लम पर नाज़िल फ़रमाया और Quran Kareem Ki Hifazat का ज़िम्मा खुद लिया।
क़ुरआन क़ुरआन-ए-करीम अल्लाह सुब्हानहु व ताअला का वो अज़ीमुश्शान कलाम है जो इन्सानों की हिदायत के लिए ख़ालिक़ कायनात ने अपने आख़िरी रसूल सल्लाहु अलैहि वसल्लम पर नाज़िल फ़रमाया और Quran Kareem Ki Hifazat का ज़िम्मा खुद लिया।
फ़हाशी जिसको हम अपनी आम बोलचाल में बेशर्मी भी कहते है। Fahasi Aur Behayai का मअनी व मफ़हूम जिन्हें खुले अल्फ़ाज़ों में बयान करना बुरा समझा जाता हो उन्हें ऐलानीया तौर पर ज़िक्र करना मसलन जिमा की बातें करना, मर्द और औरत के आज़ा मख़सूसा का ज़िक्र करना, पेशाब पाख़ाना वग़ैरा की बातें करना।
नजासत यानी की गन्दगी से पाकी हासिल किए बिना हम वज़ू या ग़ुस्ल मुकम्मल नहीं कर सकते और इसके लिए हमें Istinja ke Masail जानने की जरुरत पड़ती है। बाहर से जिस्म या कपड़े पर लगने वाली निजासत को पाक व साफ़ करने का इस्लामी तरीक़ा इस्तन्जा कहलाता है।
वज़ू कब टूट जायेगा कब बाकि रहेगा इसके बारे में जानने को Vazu ke Masaile कहते है। वज़ू के मसाइल जानना इस लिए भी जरुरी है की अगर किसी वजह से वज़ू नहीं होगा तो उसके बाद, की गई इबादत भी नहीं होगी।
हदीस में Wazu ki Fazilat के मुतालिक कसरत से लिखा गया है। किसी भी इबादत की फ़ज़ीलत जब तक हमें पता नहीं होगी तो उसकी अहमियत हमारे दिलो में नहीं होगी। इसी तरह वज़ू भी इससे अलग नहीं है।
एक मुस्लमान के लिए Wazu ka Tarika सुन्नत के मुताबिक जानना और उस पर अमल करना बहोत ही जरुरी है। जब तक आप का वज़ू दुरुस्त नहीं होगा तो कोई भी इबादत सही नहीं हो सकती। लिहाज़ा मुसलमान होने के नाते वुज़ू के बारे में पूरी जानकारी होना हम पर फ़र्ज़ है।
Eid ul Fitr और ईद उल अज़्हा (Eid Ul Adha) की नमाज़ साल में एक बार पढ़ी जाती है तो इस वजह से हम ये भूल जाते है की कब क्या करना है। कई बार तो हम बगल वाले को देखने लगते है कि अब क्या करे। इस लिए हमने आप के लिए Eid Ki Namaz Ka Tarika तफ्सील से पेश किया है।
कामयाबी के लिए इसके लिए हमें Rasool Allah Ki Nasihat अपनी जिंदगी की रहनुमाई के लिए बहुत ही जरुरी है। ये ऐसी नसीहत है जो दुनिया और आख़िरत दोनों की कामयाबी का बाइस है।
नबी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की जिंदगी हमारे और आप के लिए एक मिशाल है। जिसमे की जिंदगी की हर जरुरत का पहलू मिलता है। वो सभी पहलू को जानने के लिए हमें Seerat Un Nabi को पढ़ना होगा।
Quran ki Tilawat के दुनिया और आख़िरत दोनों के ऐतेबार से बेसुमार फ़ायदे है। अल्लाह पाक ने सबसे आख़िर में जिस आसमानी किताब को नाज़िल फ़रमाया वो "क़ुरआन-ए-करीम है।