Eid ul Fitr और ईद उल अज़्हा (Eid Ul Adha) की नमाज़ साल में एक बार पढ़ी जाती है तो इस वजह से हम ये भूल जाते है की कब क्या करना है।
कई बार तो हम बगल वाले को देखने लगते है कि अब क्या करे। इस लिए हमने आप के लिए Eid Ki Namaz Ka Tarika तफ्सील से पेश किया है।
Eid ul Fitr Namaz
ईद उल फ़ित्र पांच वक्त की नमाज़ से कुछ अलग होती है। जिनमे से कुछ अहम बाते निचे दी गई है।
- सबसे पहले हम ये जान लें की ईद eid ul fitr की नमाज़ में न तो अज़ान होती है और ना ही इक़ामत पढ़ी जाती है।
- ईद की नमाज़ में 6 तकबीरें ज्यादा होती है 3 तकबीर पहली रकअत के दरमियान सना पढ़ने के बाद होता है और 3 तकबीर दूसरी रकअत में रुके में जाने से पहले अदा की जाती है।
- ईद के नमाज़ में खुत्बा नमाज़ के बाद पढ़ा जाता है।
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ईद उल फ़ित्र नमाज़ का तरीका
सबसे पहले नमाज़ की नियत करे जो इस तरह है।
नियत करता हूँ मैं दो रकात नमाज़ ईद उल फ़ित्र वाजिब मय 6 ज़ायेद तकबीरों के वास्ते अल्लाह तआला के रुख मेरा काबा शरीफ़ की तरफ़ पीछे इस इमाम के।
नोट : दिल का इरादा ही नियत है ज़बान से कहना जरुरी नहीं है।
पहली रकात
- इमाम साहब अल्लाहु अकबर कहेगे आप भी अल्लाहु अकबर कहते हुए अपने दोनों हांथो को बाँध लें।
- हाथ बांधने बाद आप सना पढ़ें।
- सना पढने के बाद तीन इमाम साहब तीन मर्तबा तक्बीर कहेगे अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर आप भी तकबीर कहेगे।
- दो मर्तबा अल्लाहु अकबर कह कर कानों तक अपने दोनों हांथो को उठायें और फिर छोड़ दें।
- तीसरी मर्तबा में अल्लाहु अकबर कह कर कानों तक अपने दोनों हांथो को उठायें और फिर हाथ बाँध लें।
- इसके बाद फिर इमाम साहब सूरह फ़ातिहा पढ़ेंगे और फिर कोई दूसरी सूरह पढ़ेंगे आप खामोसी से सुने आप को कुछ नहीं पढ़ना है। इसके बाद इमाम साहब रुकू में जायेगे और फिर सजदे में जायेगे आप भी साथ में रुकू और सजदा करेंगे।
- फिर इमाम साहब सजदे से उठ कर खड़े हो जायेगे और आप भी। इस तरह ये रकात आम नमाज़ों की तरह ही मुकम्मल करें।
- इस तरह पहली रकात मुकमल हो जाएगी।
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दूसरी रकात
- पहली रकात पूरी होने के बाद अब इमाम साहब दूसरी रकात के लिए खड़े हो जायेगे और आप भी खड़े हो जाएगे।
- इसके बाद पहली रकत की तरह इमाम साहब सूरह फ़ातिहा पढ़ेंगे और फिर कोई दूसरी सूरह पढ़ेंगे आप खामोसी से सुने आप को कुछ नहीं पढ़ना है। इसके बाद इमाम साहब रुकू में जायेगे और फिर सजदे में जायेगे आप भी साथ में रुकू और सजदा करेंगे।
- फिर इमाम साहब चार तक्बीरें (अल्लाहु अकबर) कहेगे।
- तीन तकबीरों में अपने हांथो को उठा कर छोड़ देना है और फिर चौथी तकबीर में बगैर हाथ उठाये रुकू में चले जाना है।
- इसके बाद फिर आप आम नमाज़ों की तरह इस नमाज़ को मुक़म्मल करे है।
- इस तरह ईद उल फ़ित्र की नमाज़ मुकमल हुई।
- उसके बाद आपको दुआ मांगनी है।
नोट : दुआ मांगने के लिए आप इमाम साहब का इंतिज़ार न करे नमाज़ मुकम्मल होने के फौरन बाद आप दुआ अपने तौर पर मग्न सुरु कर दे।
नमाज़ के बाद ख़ुत्बा
नमाज़ मुक़म्मल करके के बाद इमाम साहब खड़े होकर ख़ुत्बा पढ़ेंगे आप ख़ुत्बे को पूरी तरह ध्यान लगा कर सुने इस दौरान बातचीत न करे। अगर कोई बात कर रहा हो तो उसको इसारे से चुप कराये बोले नहीं।
इस तरह अब ईद उल फ़ित्र की नमाज़ मुकमल हुई।
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लॉक डाउन में ईद उल फ़ित्र की नमाज़
जैसा की हम सबको मालूम है की मुलक में अलग अलग इलाकों में अलग हालात है। कही नमाज़ पढ़ने की इजाज़त है तो कही नहीं है। बड़ी मस्जिद और ईदगाह में नमाज़ नहीं हो प् रही है।
अगर आप के इलाके में ईद उल फ़ित्र की नमाज़ मस्जिद में नहीं हो रही है तो ऐसी सूरत उलमा की तीन राय है आप जिस पर चाहे अमल कर सकते है।
- घर पर ईद उल फ़ित्र की जमात से नमाज़ पढ़ सकते है
- अकेले है तो चासत की नमाज़ पढ़ सकते है
- कोई भी नमाज़ न पढ़े
इनमे सबसे बेहतर ये है की कोई भी नमाज़ न पढ़े। क्युकी ईद उल फ़ित्र की नमाज़ एक बड़े मजमे में अदा की जाती है। इसी लिए ईद उल फ़ित्र की नमाज़ ईदगाह में होती है।
और दूसरी बात की ये नमाज़ फ़र्ज़ नहीं है। तीसरी और सबसे जरुरी बात की अल्लाह सुब्हानहु टाला को पुरे हालत पता है की हम मज़बूरी में ईद उल फ़ित्र की नमाज़ नहीं पढ़ रहे है। अपनी वजह से या कस्दन नहीं
जहा तक चास्त की नमाज़ की बात है तो ये नफिल नमाज़ है और ईद उल फ़ित्र के दिन नफिल नमाज़ नहीं पढ़नी होती है।
हा आप अल्लाह से दुआ जरूर करे चाहे नमाज़ पढ़े या ना पढ़े।
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अगर आप ईद की नमाज़ घर पर पढ़ना चाहे तो Eid Ki Namaz Ka Tarika वही होगा जो हमने ऊपर दिया है।
ईद के दिन की सुन्नतें
रमजान में पूरे महीने रोजे रखने के बाद ईद-उल फित्र मनाई जाती है। ईद अल्लाह से इनाम लेने का दिन है। ईद दुनिया भर के मुसलमानों के लिए खुशी का दिन है।
इस्लाम में दो ही खुशी के दिन हैं
- ईद उल फित्र (Eid Ul Fitr)
- ईद उल अज़्हा (Eid Ul Adha)
ईद के दिन की कुछ सुन्नतें जिसको आप ध्यान में रखे
- ईद के दिन सुबह जल्दी उठकर फ़जर की नमाज़ पढ़ना चाहिए।
- फजर की नमाज अदा करने के बाद खुद की सफाई और कपड़े वगैरह तैयार रखना।
- नाख़ून काटना सर के बाल बनवाना
- गुस्ल करना
- मिस्वाक (दांत साफ़ ) करना
- अपने पास मौजूद सबसे उम्दा और साफ कपड़े पहनना (नए कपडे जरुरी नहीं है)।
- कपडे नए हो या पुराने, लेकिन साफ पाक होना चाहिए।
- इत्र लगाना ( ख़ुश्बू सिर्फ मर्द लगाए )
- सूरमा लगाना
- ईदगाह जाने से पहले कुछ खाना
- कुछ मीठा खाना सेवई या ख़ज़ूर खा सकते है।
- नमाज से पहले फितरा, जकात अदा करना।
- ईदगाह में जल्दी पहुंचने की कोशिश करना
- ईद की नमाज़ नमाज़ के लिए पैदल जाना कोई मज़बूरी हो या ईदगाह दूर हो तो कोई बात नहीं
- एक रास्ते से ईदगाह जाना और दूसरे रास्ते से वापस आना लिहाज़ा ईदगाह आने-जाने के लिए अलग-अलग रास्तों का इस्तेमाल करना।
- ईद की नमाज़ खुले मैदान में अदा करना ( बारिश या बर्फ गिरने की हालत में नहीं )
- ईदगाह जाते वक्त यह तकबीर पढ़ना ‘अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर, लाइलाहा इल्ललाहु, अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर, वलिल्लाहिलहम्द ( अल्लाह बड़ा है, अल्लाह बड़ा है, अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक नहीं अल्लाह बड़ा है, अल्लाह बड़ा है सारी तारीफें अल्लाह के लिए हैं)
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नोट : फितरा घर के हर एक इंसान के हिसाब से पौने दो किलो अनाज या उसकी कीमत गरीबों को दी जाती है। इसका मकसद यह है कि गरीब भी ईद की खुशी मना सकें अगर घर में आठ इंसान है तो पौने दो किलो के हिसाब से 1.75 x 8 = 14 किलो अनाज या उसकी कीमत
ईद के दिन के मसाइल
ईद उल फ़ित्र का दिन बहोत ही खास और खुसी मानाने का दिन है। इसके मुतालिक चंद मसाइल जान लेना काबिले गौर है।
- ईद के दिन रोज़ा हराम है यानि की ईद उल फ़ित्र के दिन रोज़ा नहीं रख सकते।
- ईद की नमाज़ से पहले कोई भी नफ़्ल नमाज़ नहीं है।
- जब तक मर्दो की ईद की नमाज़ न हो जाए तब तक घर की औरते कोई भी नफ़्ल या चास्त की नमाज़ अदा नहीं कर सकती।
- ईद की नमाज़ मुसाफिर पर बीमार पर और अपाहिज पर बहुत ज्यादा बूढ़े आदमी पर औरतो पर वाजिब नहीं होती है।
ईद उल फ़ित्र की नमाज़ सवाल और जवाब
ईद उल फ़ित्र की नमाज़ फ़र्ज़ है या वाजिब
ईदु की नमाज़ फ़र्ज़ नहीं है बल्कि वाजिब है।
ईद उल फ़ित्र की नमाज़ का वक़्त कितना बजे से सुरु होता है
ईदुल फ़ित्र की नमाज़ का वक़्त सूरज निकलने के तक़रीबन 20 मिनट के बाद से शुरू होता है।
ईद उल फ़ित्र नमाज़ में कितनी रकात होती है
ईद उल फ़ित्र (Eid Ul Fitr) की नमाज़ सिर्फ दो रकात की होती है
ईद उल फ़ित्र की नमाज़ पढ़ने के लिए कितने लोगो का होना जरुरी है
ईद उल फ़ित्र की नमाज़ को पढ़ने लिए कम से कम चार बालिग़ मर्दों का होना ज़रूरी माना गया है।
चार बालिग़ मर्द होने के बाद ईदुल फ़ित्र की नमाज़ पढ़ी जा सकती है।
अगर बाद में औरतें इस नमाज़ में शामिल होना चाहे तो वो भी इस नमाज़ में शरीक हो सकती है पर मर्दो की अदद कम से कम चार होना जरुरी है।
चाशत की नमाज़ कितनी रकअत अदा करें
चाशत की नमाज़ की नमाज दो दो रकत करके चार रकत अदा करें
अगर घर में आप अकेले हो या फिर दो हो तो क्या करें
उलमा ए कराम ने इस मसले का भी एक हल ब्यान किया है कि लॉकडाउन की मज़बूरी चलते अगर नमाज़ पढने की कोई गुंजाइस ना बन पा रही हो तो आप सिर्फ चाश्त की नमाज़ पढ़ सकते है।
लेकिन ऐसी सूरत में कोई भी नमाज़ नहीं पढ़नी चाहिए इसकी पूरी तफ्सील हमने ऊपर दे दी है।
औरतें क्या ईद की नमाज़ पढ़ सकती है
औरतों पर ईद की नमाज़ वाजिब नहीं है, लेकिन अगर घर में जमात हो रही हो तो अगर वो चाहें तो जमात में शरीक हो कर नमाज़ पढ़ सकती है।
लेकिन उनको जमात में सबसे पीछे रहना होगा।
(हदीस Source : Sunnah.com)