उधार लेन देन कैसे करें (Udhar Len Den Kaise Kre) में हम लोग जानेगे की कैसे इसको सही तरीके से कर के किसी की मदद भी कर सकते है और अपने पैसो की हिफाज़त भी कर सकते है, जैसा कि हम सब लोग जानते हैं कि किसी से थोड़े समय के लिए कोई चीज लेना और फिर उसको वापस कर देना इसको उधार लेन देन (Udhar Len Den) कहते हैं
एक दूसरे की जरूरत
उधार लेना देना एक दूसरे की जरूरत है कोई भी ऐसा नहीं है जिसको इसकी जरूरत न पड़ती हो चाहे अमीर हो या गरीब हर किसी को कभी ना कभी उधार लेने की जरूरत पड़ती है लेकिन आजकल उधार लेना देना बहुत ही मुश्किल हो गया है और
उधार लेने वाला लेकर ऐसा बोलता है कि जैसे कभी लिया ही नहीं, वह वापस करने की सोचता भी नहीं लेकिन कुछ लोग ऐसे भी है जो टाइम पर वापस कर देते हैं लेकिन ऐसे लोग बहुत ही कम है और लाखो में एक होते है, ऐसा इसलिए होता है चुकि उधार लेन देन (Udhar Len Den) का सही तरीका किसी को पता ही नहीं होता
ज्यादातर ऐसे लोग हैं जो कि लेने के बाद यह सोचते हैं कि जिसका लेना कभी न देना या टाइम पर नहीं देना इससे एक दूसरे के रिश्ते काफी खराब हो जाते हैं और झगड़े फसाद तक की नौबत आ जाती है हमेशा के लिए बोलचाल बंद हो जाती है आना जाना खत्म हो जाता है अधिकतर यह देखा गया है कि लेने वाले की ही गलती होती है
इस्लाम में उधार लेन देन
इस्लाम में भीख मांगना जायज नहीं है लेकिन इस्लाम में उधार लेन देन (Islam Me Udhar Len Den) करना जायज है और किसी की दिक्कत और परेशानी के वक्त उसको उधार के जरिए से मदद करना बहुत ही सवाब का काम है लेकिन आजकल लोग मदद करना चाहते भी हैं लेकिन नहीं करते क्योंकि जो उधार ले लेता है वह वापस नहीं करना चाहता और अगर वापस मांगा जाए तो रिश्ता खराब हो जाता है
उधार लेन देन में आने वाली परेशानियां
जो उधार लेता है वह देने वाले को इतना परेशान करता है कि आगे से वह किसी को भी उधार देने से पहले हजार बार सोचता है, इसमें कुछ लोगों की मजबूरी होती है लेकिन ज्यादातर लोगों की जानबूझकर की गई शरारत होती है
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- जो उधार लेता है वह लेने वाले को कब वापस करेगा उसका टाइम नहीं बताता अगर बताते भी हैं तो कभी भी वादा पूरा नहीं करते सिर्फ विभिन प्रकार का बहाना बनाते रहते हैं
- उधार लेते वक्त वापस देने की बात करते हैं लेकिन उसके बाद कभी नाम ही नहीं लेते
- उधार देते वक्त कोई भी लिखा पढ़ी नहीं करते, इसको लेना वाला अपनी तौहीन समझता है
- उधार वापस मांगने वाले को बुरा समझते हैं और ज्यादा कहने सुनने पर तो वापस मांगने वाले से रिश्ता तोड़ देते हैं
उधार लेन देन (Udhar Len Den) में उधार लेने वाला यह नहीं सोचता कि देने वाले ने उस पर देकर एहसान किया है बल्कि करने का टाइम करीब आ जाता है तो फिर ऐसा महसूस होता है कि मैं अपना पैसा उसको क्यों दूं और पैसे की मोहब्बत जाग जाती है जिससे दिल में वास्वसा आ जाता है और वापस करने का दिल नहीं चाहता वह यह सोचता है कि उसके पास तो बहोत ज्यादा है थोड़ा सा दे दिया तो क्या हो गया , उसने दे दिया अब वह वापस क्यों मांग रहा है और तरह-तरह का बहाना उससे करना चालू कर देते हैं
उधार लेन देन ना होने से परेशानियां
उधार लेन देन (Udhar Len Den) में टाइम पर उधार वापस ना करने से अब कोई भी उधार नहीं देना चाहता जिससे कि जो वाकई में जरूरतमंद है उनका नुकसान होता है और लोगों को यह पता है कि उनको उधार नहीं मिलेगा इसलिए वह बैंकों से कर्ज लेते हैं और ब्याज के चक्कर में फंस जाते हैं क्रेडिट कार्ड बनवाते हैं और उसमें तबाह हो जाते हैं
इस्लाम में ब्याज लेना और देना दोनों हराम है जबकि उधार देना इस्लाम में बहुत सवाब का काम है हदीस में है कि उधार देना सदके से भी ज्यादा सवाब का काम है क्योंकि कोई भी जब उधार लेता है और उसको वापस भी कर देता है तो इस तरह उसको भीख नहीं मांगना पड़ता,
मगर लोगो ने उधार लेन देन (Udhar Len Den) को लोगों ने बदनाम कर दिया है इस वजह से जरूरतमंद लोग भी उधार नहीं ले पाते कोई मदद करना चाहता भी है यह सोचकर नहीं देता कि रिश्ता खराब हो जाएगा
इस्लाम में उधार लेन देन का तरीका
इस्लाम में दैनिक जीवन में उपयोग होने वाली छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी बातों का तरीका बताया गया इसमें से इस्लाम में उधार लेन देन का तरीका इस प्रकार है
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- इस्लाम में उधार लेन देन में उधार लेने वाले के ऊपर यह बात जरूरी है कि वह उधार लेते वक्त लिखें या लिखवाए
- इस पुरे उधार लेन देन (Udhar Len Den) को दो गवाह के सामने करे
- लिखने में जितना उधार ले रहा है और कब वापस देगा यह बातें लिखी जाएगी और जो उधार दे रहा है वह उस बात पर रजामंद हो
- जब उधार वापस करने की तारीख आ जाए और किसी वजह से उधार वापस करने की स्थिति में ना हो तो वह जिसने उधार दिया है उसको राजी करें कि वह उसको कुछ मोहलत दे दे अगर वह मोहलत दे दे तो ठीक है वरना उसको उसी टाइम पर वापस करना होगा
- जब उधार लेने वाला उधार देने वाले, से कुछ मोहलत मांगे तो उधार देने वाले को चाहिए कि उसको मोहलत दे दे इससे उसको दोगुना सवाब मिलेगा लेकिन ये देने वाले की मर्ज़ी के मुताबिक होगा
- उसकी मर्जी है वह चाहे तो मोहलत दे चाहे तो ना दे अगर वह उसको मोहलत ना दें तो उस पर कोई गुनाह नहीं है वह अपना उधार वापस पाने का उसी वक्त हकदार है जो लिखते वक्त तय किया गया था
- जब उधार लेने वाला उधार वापस करेगा तो वह गवाहों के सामने फिर से लिखा जाएगा जिससे कि बाद इस्लाम में उधार लेन देन (Islam Me Udhar Len Den) में किसी प्रकार का कोई झगड़ा ना हो
- अगर उधार लेने वाला ना लिखवा रहा हो तो देने वाले को चाहिए कि वह दो गवाहों के सामने लिखवाए
- उधार देने वाला अगर यह जान रहा हो लेने वाला बहुत ही गरीब है और वापस नहीं दे पाएगा तो वह माफ कर दे, इससे बहुत सवाब मिलेगा
- लेकिन अगर वह यह देखें कि लेने वाला आसानी से उधार वापस कर सकता है लेकिन नहीं दे रहा है तो फिर उधार देने वाले को चाहिए कि उधर वापस लेने के लिए हर मुमकिन कोसिस करे जिससे कि दूसरों को भी नसीहत मिले कि अगर उधार लेन देन (Udhar Len Den) में उधार लिया है तो उधार वापस करना पड़ेगा
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लिखा पढ़ी क्यों करना
उधार लेन देन में उधार लेने वाला यह सोचता है कि लिखा पढ़ी क्यों करना मैं कोई लेकर भाग थोड़ी जाऊंगा या मेरे ऊपर इनका भरोसा नहीं है, और अपनी तौहीन समझता है खास कर जब मामला किसी करीबी से हो तो और भी मसला हो जाता है, जबकि लिखा पढ़ी करने के लिए यह बात नहीं है बल्कि शरीयत का हुकुम है कि लिखा पढ़ी दो गवाह के सामने किया जाए जिससे कि आगे किसी भी तरह का कोई झगड़ा ना होने पाए
लिखा पढ़ी ना करने से कभी ऐसा भी हो सकता है उधार देने वाले को उसका पूरा उधार वापस मिल भी जाए लेकिन फिर भी वह यह कहे कि मुझे तो वापस नहीं मिला तो इसमें उधार लेने वाले का ही नुकसान है क्योंकि उसके पास कोई सबूत नहीं होगा और
दूसरी बात यह कि जब शरीयत के हिसाब से सारा काम करेंगे तो उसमें अल्लाह की मदद भी शामिल हो जाती है जिससे उधार लेने वाले को अल्लाह ताला अपनी खास मदद से उसको इस काबिल बनाते हैं कि वह उसको वापस कर सकें और अगर ऐसा नहीं हो पाता तो उधार जिसने दिया है उसको अल्लाह ताला अपनी गायब मदद से पूरा कर देते हैं और आजरो सवाब अलग से देते हैं
इसीलिए शरीयत के बताए हुए तरीके से करना चाहिए अगर ऐसा ना करेंगे तो फिर अल्लाह ताला की मदद शामिले हाल होना मुश्किल है हम सभी को चाहिए की शरीयत की बताई हुई बातों पर अमल करें और अपना और दूसरों का भी खयाल करे
उधर वापस करना
उधार लेने वाले को चाहिए कि जब वह वापस दे तो कुछ बढ़ा कर दे यहां पर यह बढ़ा कर देना ब्याज नहीं होगा अगर लिखते वक्त ही बढ़ा कर देना लिखा गया होता तो वह ब्याज कहलाता है लेकिन अब यह बाद में दे रहा है और यह तय नहीं था अपनी खुशी से दे रहा है तो यह ब्याज नहीं कहलाएगा और यह देना जरूरी भी नहीं है ये पूरी तरह से वापस करने वाले की अपनी मर्जी है चाहे तो दे चाहे ना दे, लेकिन जितना लिए है उतना देना जरुरी है
यहां पर जो ज्यादा देने की बात कही गई है उस में भाग लेने वाले को चाहिए कि वह खुद ही मना कर दे लेकिन अगर उधार लेने वाला अपनी दिल की खुशी से दे रहा है तो वह ले सकता है यहां पर दिल की खुशी ज्यादा जरूरी है
उधार वापस ना करने का नुकसान
उधार लेन देन (Udhar Len Den) में उधार वापस ना करने का बहुत ज्यादा नुकसान है दुनिया का भी और आखिरत का भी दुनिया में उसको आगे से फिर कोई उधार नहीं देना चाहेगा और उसका नाम पुरे मासरे में ख़राब होगा लोग ऐसे इंसान की बिलकुल भी इज्जत नहीं करते
आखिरत में उधार नहीं चुकाने वाले को अपनी नेकियां उधार देने वाले को देनी पड़ेगी जो कि बहुत ही भारी पड़ेगी उस वक्त एक एक नेकी पर जन्नत और जहन्नम का फैसला होगा, इसीलिए किसी के मरने के बाद सबसे पहले अगर उसने किसी से कर्ज लिया है तो उसके वारिस द्वारा उसको वापस करना होता है
शरीर शरीयत द्वारा बताए गए तरीके से उधार लेन-देन करने पर भी अगर उधार लेने वाला उधार नहीं चुका रहा है तो उधार देने वाले को कहीं ना कहीं से इसका बदला मिल जाएगा और वह उधार दिए गए से कहीं ज्यादा पा जाएगा, उधार नहीं चुकाने वाला भी इसका बदला पाएगा उसका कहीं ना कहीं से इससे ज्यादा ही नुकसान हो जाएगा
Mai ek IT project management hun. I have completed b.com, GNiit and MBA from Allahabad University. Mujhe deeni bate Janna aur jsunna acha lagta hai…mujhe traval ka shauk hai aur Allah kudrat ko real mae dekhne ka shauk hai.