इस आर्टिकल में हम आपको बताने जा रहे है Surah Al Hashr In Hindi .यह सूरह मदीना में नाज़िल हुई थी और इसमें कुल 24 आयते है। हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास (रजि.) कहते हैं कि सूरा हश्र बनी नज़ीर की जंग के लिए नाज़िल हुई थी, जिस तरह सूरह 8 ( अनफ़ाल ) बद्र की जंग के लिए नाज़िल हुई थी।
सूरह अल हश्र पैग़म्बर मुहम्मद सल्लाहअलैहि वस्सलम के मदीना में रहने के समय हिजरत के बाद नाज़िल हुई।
यह भी पढ़े : आदमी और जानवर का जूठा
Surah Al Hashr In Hindi
सब्ब – ह लिल्लाहि मा फिस्समावाति व मा फिल्अर्जि व हुवल् अ़ज़ीजुल – हकीम (1)
हुवल्लज़ी अख़ – रजल्लज़ी – न क – फ़रू मिन् अह़्लिल् किताबि मिन् दियारिहिम् लि – अव्वलिल् हशरि , मा ज़नन्तुम् अंय्यख़्रुजू व ज़न्नू अन्नहुम् मानि अ़तुहुम् हुसूनुहुम् मिनल्लाहि फ़ – अताहुमुल्लाहु मिन् हैसु लम् यहतसिबू व क – ज़ – फ़ फ़ी कुलूबिहिमुर्रुअ् ब युखरिबू – न बुयू -तहुम् बि – ऐ दीहिम् व ऐदिल् मुअ्मिनी – न फ़अ्तबिरू या उलिल् – अब्सार (2)
व लौ ला अन् क – तबल्लाहु अ़लैहिमुल् – जला – अ लअ़ज़्ज़ – बहुम् फिद्दुन्या , व लहुम् फ़िल् – आख़िरति अ़ज़ाबुन्नार (3)
ज़ालि – क बि – अन्नहुम् शाक़्कुल्ला – ह व रसूलहू व मंय्युशाक़्क़िल्ला – ह फ़ – इन्नल्ला – ह शदीदुल अिकाब (4)
मा क़ – तअ्तुम् मिल्ली – नतिन् औ तरक्तुमूहा का़इ मतन् अ़ला उसूलिहा फ़बि – इज् निल्लाहि व लियुख़्जि यल् फ़ासिक़ीन (5)
व मा अफ़ा – अल्लाहु अ़ला रसूलिही मिन्हुम् फ़मा औजफ़्तुम् अ़लैहि मिन् खैलिंव् – व ला रिकाबिंव् – व लाकिन्नल्ला – ह युसल्लितु रुसु – लहू अ़ला मंय्यशा – उ , वल्लाहु अ़ला कुल्लि शैइन् क़दीर (6)
मा अफा – अल्लाहु अ़ला रसूलिही मिन् अहलिल् – कुरा फ़ – लिल्लाहि व लिर्रसूलि व लिज़िल् – कुरबा वल्यतामा वल् मसाकीनि वब्निस्सबीलि कै ला यकू – न दू – लतम् – बैनल् – अग्निया – इ मिन्कुम् , व मा आताकुमुर्रसूलु फ़खुजूहु व मा नहाकुम् अ़न्हु फ़न्तहू वत्तकुल्ला – ह , इन्नल्ला – ह शदीदुल् – अ़िकाब • (7)
लिल्फु – क़राइल् – मुहाजिरीनल्लज़ी – न उख़्रिजू मिन् दियारिहिम् व अम्वालिहिम् यब्तगू – न फ़ज़्लम् मिनल्लाहि व रिजवानंव् – व यन्सुरूनल्ला – ह व रसूलहू , उलाइ – क हुमुस्सादिकून (8)
वल्लज़ी – न त – बब्वउद्दा – र वलईमा – न मिन् क़ब्लिहिम् युहिब्बू – न मन् हाज – र इलैहिम् व ला यजिदू – न फ़ी सुदूरिहिम् हा – जतम् – मिम्मा ऊतू व युअसिरू – न अ़ला अन्फुसिहिम् व लौ का – न बिहिम् ख़सा – सतुन् , व मंय्यू क शुह् – ह नफ़्सिही फ़ – उलाइ – क हुमुल् – मुफ्लिहून (9)
वल्लज़ी – न जाऊ मिम्बअ्दिहिम् यकूलू – न रब्बनग़्फिर लना व लि – इख़्वानिनल्लज़ी – न स – बकूना बिल् – ईमानि व ला तज्अल् फ़ी कुलूबिना गिल्लल् – लिल्लज़ी – न आमनू रब्बना इन्न – क रऊफुर्रहीम • (10)
अलम् त – र इलल्लज़ी – न नाफ़कू यकूलू – न लि – इख़्वानिहिमुल्लज़ी – न क – फ़रू मिन् अह़्लिल् – किताबि ल – इन् उख़्रिज्तुम् ल – नख़्रुजन – न म – अ़कुम् व ला नुतीअु फ़ीकुम् अ – हदन् अ – बदंव् – व इन् कूतिल्तुम् ल – नन्सुरन्नकुम् , वल्लाहु यश्हदु इन्नहुम् लकाज़िबून (11)
ल – इन् उख़्रिजू ला यख़्रुजू – न म – अ़हुम् व ल – इन् कूतिलू ला यन्सुरूनहुम् व ल – इन् – न – सरूहुम् लयु – वल्लुन्नल् – अदबा – र , सुम् – म ला युन्सरून (12)
ल – अन्तुम् अशद्दु रह् – बतन् फी सुदूरिहिम् मिनल्लाहि , ज़ालि – क बि – अन्नहुम् कौ़मुल – ला यफ़्क़हून (13)
ला युक़ातिलूनकुम् जमीअ़न् इल्ला फ़ी कुरम् मुहस्स – नतिन् औ मिंव्वरा – इ जुदुरिन , बअ्सुहुम् बैनहुम् शदीदुन् , तहसबुहुम् जमीअ़ंव् – व कुलूबुहुम् शत्ता , ज़ालि – क बि – अन्नहुम् कौ़मुल् – ला यअकिलून (14)
क – म – सलिल्लज़ी – न मिन् क़ब्लिहिम् क़रीबन् ज़ाकू व बा – ल अम्रिहिम् व लहुम् अ़ज़ाबुन् अलीम (15)
क – म – सलिश्शैतानि इज् का – ल लिल् – इन्सानिक्फुर फ़ – लम्मा क – फ़ – र का – ल इन्नी बरीउम् – मिन् – क इन्नी अख़ाफुल्ला – ह रब्बल् – आ़लमीन (16)
फ़का – न आ़कि – ब – तहुमा अन्नहुमा फ़िन्नारि ख़ालिदैनि फ़ीहा , व ज़ालि – क जज़ाउज़्ज़ालिमीन (17)
या अय्युहल्लज़ी – न आमनुत्तकुल्ला – ह वल्तन्जुर् नफ़्सुम् – मा क़द्द – मत् लि – ग़दिन् वत्तकुल्ला – ह , इन्नल्ला – ह ख़बीरुम् – बिमा तअ्मलून (18)
व ला तकूनू कल्लज़ी – न नसुल्ला – ह फ़ – अन्साहुम् अन्फु – सहुम् , उलाइ – क हुमुल् – फ़ासिकून (19)
ला यस्तवी अस्हाबुन्नारि व अस्हाबुल् – जन्नति , अस्हाबुल् – जन्नति हुमुल् – फ़ाइजून (20)
लौ अन्ज़ल्ना हाज़ल – कुरआ – न अ़ला ज – बलिल् – ल – रऐ – तहू ख़ाशिअ़म् मु – तसद्दिअ़म् मिन् ख़श् – यतिल्लाहि , व तिल्कल् – अम्सालु नज्रिबुहा लिन्नासि लअ़ल्लहुम् य – तफ़क्करून (21)
हुवल्लाहुल्लज़ी ला इला – ह इल्ला हु – व आ़लिमुल् – गै़बि वश्शहा – दति हुवर् – रह़्मानुर्रहीम (22)
हुवल्लाहुल्लज़ी ला इला – ह इल्ला हु – व अल्मलिकुल् – कुद्दूसुस् – सलामुल् मुअ्मिनुल् – मुहैमिनुल – अज़ीजुल् जब्बारुल – मु – तकब्बिरु , सुब्हानल्लाहि अ़म्मा युश्रिकून (23)
हुवल्लाहुल् ख़ालिकुल् बारिउल् मुसव्विरु लहुल् अस्मा – उल् – हुस्ना , युसब्बिहु लहू मा फ़िस्समावाति वल्अर्जि व हुवल् अ़ज़ीजुल – हकीम (24)
Surah Al Hashr In Hindi with Hindi Translation
इस आर्टिकल में हमने Surah Al Hashr In Hindi में translation के साथ बताया है जिससे आप आसानी से पढ़ कर समझ सकते है। आइए तफ्सील से जानते है।
सब्ब – ह लिल्लाहि मा फिस्समावाति व मा फिल्अर्जि व हुवल् अ़ज़ीजुल – हकीम (1)
जो चीज़ आसमानों में है और जो चीज़ ज़मीन में है (सब) ख़ुदा की तस्बीह करती हैं और वही ग़ालिब हिकमत वाला है (1)
हुवल्लज़ी अख़ – रजल्लज़ी – न क – फ़रू मिन् अह़्लिल् किताबि मिन् दियारिहिम् लि – अव्वलिल् हशरि , मा ज़नन्तुम् अंय्यख़्रुजू व ज़न्नू अन्नहुम् मानि अ़तुहुम् हुसूनुहुम् मिनल्लाहि फ़ – अताहुमुल्लाहु मिन् हैसु लम् यहतसिबू व क – ज़ – फ़ फ़ी कुलूबिहिमुर्रुअ् ब युखरिबू – न बुयू -तहुम् बि – ऐ दीहिम् व ऐदिल् मुअ्मिनी – न फ़अ्तबिरू या उलिल् – अब्सार (2)
वही तो है जिसने कुफ्फ़ार अहले किताब (बनी नुजैर) को पहले हश्र (ज़िलाए वतन) में उनके घरों से निकाल बाहर किया (मुसलमानों) तुमको तो ये वहम भी न था कि वह निकल जाएँगे और वह लोग ये समझे हुये थे कि उनके क़िले उनको ख़ुदा (के अज़ाब) से बचा लेंगे मगर जहाँ से उनको ख्याल भी न था ख़ुदा ने उनको आ लिया और उनके दिलों में (मुसलमानों) को रौब डाल दिया कि वह लोग ख़ुद अपने हाथों से और मोमिनीन के हाथों से अपने घरों को उजाड़ने लगे तो ऐ ऑंख वालों इबरत हासिल करो (2)
व लौ ला अन् क – तबल्लाहु अ़लैहिमुल् – जला – अ लअ़ज़्ज़ – बहुम् फिद्दुन्या , व लहुम् फ़िल् – आख़िरति अ़ज़ाबुन्नार (3)
और ख़ुदा ने उनकी किसमत में ज़िला वतनी न लिखा होता तो उन पर दुनिया में भी (दूसरी तरह) अज़ाब करता और आख़ेरत में तो उन पर जहन्नुम का अज़ाब है ही (3)
ज़ालि – क बि – अन्नहुम् शाक़्कुल्ला – ह व रसूलहू व मंय्युशाक़्क़िल्ला – ह फ़ – इन्नल्ला – ह शदीदुल अिकाब (4)
ये इसलिए कि उन लोगों ने ख़ुदा और उसके रसूल की मुख़ालेफ़त की और जिसने ख़ुदा की मुख़ालेफ़त की तो (याद रहे कि) ख़ुदा बड़ा सख्त अज़ाब देने वाला है (4)
मा क़ – तअ्तुम् मिल्ली – नतिन् औ तरक्तुमूहा का़इ मतन् अ़ला उसूलिहा फ़बि – इज् निल्लाहि व लियुख़्जि यल् फ़ासिक़ीन (5)
(मोमिनों) खजूर का दरख्त जो तुमने काट डाला या जूँ का तँ से उनकी जड़ों पर खड़ा रहने दिया तो ख़ुदा ही के हुक्म से और मतलब ये था कि वह नाफरमानों को रूसवा करे (5)
व मा अफ़ा – अल्लाहु अ़ला रसूलिही मिन्हुम् फ़मा औजफ़्तुम् अ़लैहि मिन् खैलिंव् – व ला रिकाबिंव् – व लाकिन्नल्ला – ह युसल्लितु रुसु – लहू अ़ला मंय्यशा – उ , वल्लाहु अ़ला कुल्लि शैइन् क़दीर (6)
(तो) जो माल ख़ुदा ने अपने रसूल को उन लोगों से बे लड़े दिलवा दिया उसमें तुम्हार हक़ नहीं क्योंकि तुमने उसके लिए कुछ दौड़ धूप तो की ही नहीं, न घोड़ों से न ऊँटों से, मगर ख़ुदा अपने पैग़म्बरों को जिस पर चाहता है ग़लबा अता फरमाता है और ख़ुदा हर चीज़ पर क़ादिर है (6)
मा अफा – अल्लाहु अ़ला रसूलिही मिन् अहलिल् – कुरा फ़ – लिल्लाहि व लिर्रसूलि व लिज़िल् – कुरबा वल्यतामा वल् मसाकीनि वब्निस्सबीलि कै ला यकू – न दू – लतम् – बैनल् – अग्निया – इ मिन्कुम् , व मा आताकुमुर्रसूलु फ़खुजूहु व मा नहाकुम् अ़न्हु फ़न्तहू वत्तकुल्ला – ह , इन्नल्ला – ह शदीदुल् – अ़िकाब • (7)
तो जो माल ख़ुदा ने अपने रसूल को देहात वालों से बे लड़े दिलवाया है वह ख़ास ख़ुदा और उसके रसूल और (रसूल के) क़राबतदारों और यतीमों और मोहताजों और परदेसियों का है ताकि जो लोग तुममें से दौलतमन्द हैं हिर फिर कर दौलत उन्हीं में न रहे, हाँ जो तुमको रसूल दें दें वह ले लिया करो और जिससे मना करें उससे बाज़ रहो और ख़ुदा से डरते रहो बेशक ख़ुदा सख्त अज़ाब देने वाला है (7)
लिल्फु – क़राइल् – मुहाजिरीनल्लज़ी – न उख़्रिजू मिन् दियारिहिम् व अम्वालिहिम् यब्तगू – न फ़ज़्लम् मिनल्लाहि व रिजवानंव् – व यन्सुरूनल्ला – ह व रसूलहू , उलाइ – क हुमुस्सादिकून (8)
(इस माल में) उन मुफलिस मुहाजिरों का हिस्सा भी है जो अपने घरों से और मालों से निकाले (और अलग किए) गए (और) ख़ुदा के फ़ज़ल व ख़ुशनूदी के तलबगार हैं और ख़ुदा की और उसके रसूल की मदद करते हैं यही लोग सच्चे ईमानदार हैं और (उनका भी हिस्सा है) (8)
वल्लज़ी – न त – बब्वउद्दा – र वलईमा – न मिन् क़ब्लिहिम् युहिब्बू – न मन् हाज – र इलैहिम् व ला यजिदू – न फ़ी सुदूरिहिम् हा – जतम् – मिम्मा ऊतू व युअसिरू – न अ़ला अन्फुसिहिम् व लौ का – न बिहिम् ख़सा – सतुन् , व मंय्यू क शुह् – ह नफ़्सिही फ़ – उलाइ – क हुमुल् – मुफ्लिहून (9)
जो लोग मोहाजेरीन से पहले (हिजरत के) घर (मदीना) में मुक़ीम हैं और ईमान में (मुसतक़िल) रहे और जो लोग हिजरत करके उनके पास आए उनसे मोहब्बत करते हैं और जो कुछ उनको मिला उसके लिए अपने दिलों में कुछ ग़रज़ नहीं पाते और अगरचे अपने ऊपर तंगी ही क्यों न हो दूसरों को अपने नफ्स पर तरजीह देते हैं और जो शख़्श अपने नफ्स की हिर्स से बचा लिया गया तो ऐसे ही लोग अपनी दिली मुरादें पाएँगे (9)
वल्लज़ी – न जाऊ मिम्बअ्दिहिम् यकूलू – न रब्बनग़्फिर लना व लि – इख़्वानिनल्लज़ी – न स – बकूना बिल् – ईमानि व ला तज्अल् फ़ी कुलूबिना गिल्लल् – लिल्लज़ी – न आमनू रब्बना इन्न – क रऊफुर्रहीम • (10)*
और उनका भी हिस्सा है और जो लोग उन (मोहाजेरीन) के बाद आए (और) दुआ करते हैं कि परवरदिगारा हमारी और उन लोगों की जो हमसे पहले ईमान ला चुके मग़फेरत कर और मोमिनों की तरफ से हमारे दिलों में किसी तरह का कीना न आने दे परवरदिगार बेशक तू बड़ा शफीक़ निहायत रहम वाला है (10)
अलम् त – र इलल्लज़ी – न नाफ़कू यकूलू – न लि – इख़्वानिहिमुल्लज़ी – न क – फ़रू मिन् अह़्लिल् – किताबि ल – इन् उख़्रिज्तुम् ल – नख़्रुजन – न म – अ़कुम् व ला नुतीअु फ़ीकुम् अ – हदन् अ – बदंव् – व इन् कूतिल्तुम् ल – नन्सुरन्नकुम् , वल्लाहु यश्हदु इन्नहुम् लकाज़िबून (11)
क्या तुमने उन मुनाफ़िकों की हालत पर नज़र नहीं की जो अपने काफ़िर भाइयों अहले किताब से कहा करते हैं कि अगर कहीं तुम (घरों से) निकाले गए तो यक़ीन जानों कि हम भी तुम्हारे साथ (ज़रूर) निकल खड़े होंगे और तुम्हारे बारे में कभी किसी की इताअत न करेंगे और अगर तुमसे लड़ाई होगी तो ज़रूर तुम्हारी मदद करेंगे, मगर ख़ुदा बयान किए देता है कि ये लोग यक़ीनन झूठे हैं (11)
ल – इन् उख़्रिजू ला यख़्रुजू – न म – अ़हुम् व ल – इन् कूतिलू ला यन्सुरूनहुम् व ल – इन् – न – सरूहुम् लयु – वल्लुन्नल् – अदबा – र , सुम् – म ला युन्सरून (12)
अगर कुफ्फ़ार निकाले भी जाएँ तो ये मुनाफेक़ीन उनके साथ न निकलेंगे और अगर उनसे लड़ाई हुई तो उनकी मदद भी न करेंगे और यक़ीनन करेंगे भी तो पीठ फेर कर भाग जाएँगे (12)
ल – अन्तुम् अशद्दु रह् – बतन् फी सुदूरिहिम् मिनल्लाहि , ज़ालि – क बि – अन्नहुम् कौ़मुल – ला यफ़्क़हून (13)
फिर उनको कहीं से कुमक भी न मिलेगी (मोमिनों) तुम्हारी हैबत उनके दिलों में ख़ुदा से भी बढ़कर है, ये इस वजह से कि ये लोग समझ नहीं रखते (13)
ला युक़ातिलूनकुम् जमीअ़न् इल्ला फ़ी कुरम् मुहस्स – नतिन् औ मिंव्वरा – इ जुदुरिन , बअ्सुहुम् बैनहुम् शदीदुन् , तहसबुहुम् जमीअ़ंव् – व कुलूबुहुम् शत्ता , ज़ालि – क बि – अन्नहुम् कौ़मुल् – ला यअकिलून (14)
ये सब के सब मिलकर भी तुमसे नहीं लड़ सकते, मगर हर तरफ से महफूज़ बस्तियों में या (शहर पनाह की) दीवारों की आड़ में इनकी आपस में तो बड़ी धाक है कि तुम ख्याल करोगे कि सब के सब (एक जान) हैं मगर उनके दिल एक दूसरे से फटे हुए हैं ये इस वजह से कि ये लोग बेअक्ल हैं (14)
क – म – सलिल्लज़ी – न मिन् क़ब्लिहिम् क़रीबन् ज़ाकू व बा – ल अम्रिहिम् व लहुम् अ़ज़ाबुन् अलीम (15)
उनका हाल उन लोगों का सा है जो उनसे कुछ ही पेशतर अपने कामों की सज़ा का मज़ा चख चुके हैं और उनके लिए दर्दनाक अज़ाब है (15)
क – म – सलिश्शैतानि इज् का – ल लिल् – इन्सानिक्फुर फ़ – लम्मा क – फ़ – र का – ल इन्नी बरीउम् – मिन् – क इन्नी अख़ाफुल्ला – ह रब्बल् – आ़लमीन (16)
(मुनाफ़िकों) की मिसाल शैतान की सी है कि इन्सान से कहता रहा कि काफ़िर हो जाओ, फिर जब वह काफ़िर हो गया तो कहने लगा मैं तुमसे बेज़ार हूँ मैं सारे जहाँ के परवरदिगार से डरता हूँ (16)
फ़का – न आ़कि – ब – तहुमा अन्नहुमा फ़िन्नारि ख़ालिदैनि फ़ीहा , व ज़ालि – क जज़ाउज़्ज़ालिमीन (17)*
तो दोनों का नतीजा ये हुआ कि दोनों दोज़ख़ में (डाले) जाएँगे और उसमें हमेशा रहेंगे और यही तमाम ज़ालिमों की सज़ा है (17)
या अय्युहल्लज़ी – न आमनुत्तकुल्ला – ह वल्तन्जुर् नफ़्सुम् – मा क़द्द – मत् लि – ग़दिन् वत्तकुल्ला – ह , इन्नल्ला – ह ख़बीरुम् – बिमा तअ्मलून (18)
ऐ ईमानदारों ख़ुदा से डरो, और हर शख़्श को ग़ौर करना चाहिए कि कल क़यामत के वास्ते उसने पहले से क्या भेजा है और ख़ुदा ही से डरते रहो बेशक जो कुछ तुम करते हो ख़ुदा उससे बाख़बर है (18)
व ला तकूनू कल्लज़ी – न नसुल्ला – ह फ़ – अन्साहुम् अन्फु – सहुम् , उलाइ – क हुमुल् – फ़ासिकून (19)
और उन लोगों के जैसे न हो जाओ जो ख़ुदा को भुला बैठे तो ख़ुदा ने उन्हें ऐसा कर दिया कि वह अपने आपको भूल गए यही लोग तो बद किरदार हैं (19)
ला यस्तवी अस्हाबुन्नारि व अस्हाबुल् – जन्नति , अस्हाबुल् – जन्नति हुमुल् – फ़ाइजून (20)
जहन्नुमी और जन्नती किसी तरह बराबर नहीं हो सकते जन्नती लोग ही तो कामयाबी हासिल करने वाले हैं (20)
लौ अन्ज़ल्ना हाज़ल – कुरआ – न अ़ला ज – बलिल् – ल – रऐ – तहू ख़ाशिअ़म् मु – तसद्दिअ़म् मिन् ख़श् – यतिल्लाहि , व तिल्कल् – अम्सालु नज्रिबुहा लिन्नासि लअ़ल्लहुम् य – तफ़क्करून (21)
अगर हम इस क़ुरान को किसी पहाड़ पर (भी) नाज़िल करते तो तुम उसको देखते कि ख़ुदा के डर से झुका और फटा जाता है ये मिसालें हम लोगों (के समझाने) के लिए बयान करते हैं ताकि वह ग़ौर करें (21)
हुवल्लाहुल्लज़ी ला इला – ह इल्ला हु – व आ़लिमुल् – गै़बि वश्शहा – दति हुवर् – रह़्मानुर्रहीम (22)
वही ख़ुदा है जिसके सिवा कोई माबूद नहीं, पोशीदा और ज़ाहिर का जानने वाला वही बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है (22)
हुवल्लाहुल्लज़ी ला इला – ह इल्ला हु – व अल्मलिकुल् – कुद्दूसुस् – सलामुल् मुअ्मिनुल् – मुहैमिनुल – अज़ीजुल् जब्बारुल – मु – तकब्बिरु , सुब्हानल्लाहि अ़म्मा युश्रिकून (23)
वही वह ख़ुदा है जिसके सिवा कोई क़ाबिले इबादत नहीं (हक़ीक़ी) बादशाह, पाक ज़ात (हर ऐब से) बरी अमन देने वाला निगेहबान, ग़ालिब ज़बरदस्त बड़ाई वाला ये लोग जिसको (उसका) शरीक ठहराते हैं उससे पाक है (23)
हुवल्लाहुल् ख़ालिकुल् बारिउल् मुसव्विरु लहुल् अस्मा – उल् – हुस्ना , युसब्बिहु लहू मा फ़िस्समावाति वल्अर्जि व हुवल् अ़ज़ीजुल – हकीम (24)*
वही ख़ुदा (तमाम चीज़ों का ख़ालिक) मुजिद सूरतों का बनाने वाला उसी के अच्छे अच्छे नाम हैं जो चीज़े सारे आसमान व ज़मीन में हैं सब उसी की तसबीह करती हैं, और वही ग़ालिब हिकमत वाला है (24)
Surah Al Hashr In Urdu
यहाँ पर हमने Surah Al Hashr In Hindi में बताने के साथ साथ Surah Al Hashr In Urdu में बताया है।
سَبَّحَ لِلَّهِ مَا فِى ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَمَا فِى ٱلْأَرْضِ ۖ وَهُوَ ٱلْعَزِيزُ ٱلْحَكِيمُ 1
هُوَ ٱلَّذِىٓ أَخْرَجَ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ مِنْ أَهْلِ ٱلْكِتَـٰبِ مِن دِيَـٰرِهِمْ لِأَوَّلِ ٱلْحَشْرِ ۚ مَا ظَنَنتُمْ أَن يَخْرُجُوا۟ ۖ وَظَنُّوٓا۟ أَنَّهُم مَّانِعَتُهُمْ حُصُونُهُم مِّنَ ٱللَّهِ فَأَتَىٰهُمُ ٱللَّهُ مِنْ حَيْثُ لَمْ يَحْتَسِبُوا۟ ۖ وَقَذَفَ فِى قُلُوبِهِمُ ٱلرُّعْبَ ۚ يُخْرِبُونَ بُيُوتَهُم بِأَيْدِيهِمْ وَأَيْدِى ٱلْمُؤْمِنِينَ فَٱعْتَبِرُوا۟ يَـٰٓأُو۟لِى ٱلْأَبْصَـٰرِ 2
وَلَوْلَآ أَن كَتَبَ ٱللَّهُ عَلَيْهِمُ ٱلْجَلَآءَ لَعَذَّبَهُمْ فِى ٱلدُّنْيَا ۖ وَلَهُمْ فِى ٱلْـَٔاخِرَةِ عَذَابُ ٱلنَّارِ 3
ذَٰلِكَ بِأَنَّهُمْ شَآقُّوا۟ ٱللَّهَ وَرَسُولَهُۥ ۖ وَمَن يُشَآقِّ ٱللَّهَ فَإِنَّ ٱللَّهَ شَدِيدُ ٱلْعِقَابِ 4
مَا قَطَعْتُم مِّن لِّينَةٍ أَوْ تَرَكْتُمُوهَا قَآئِمَةً عَلَىٰٓ أُصُولِهَا فَبِإِذْنِ ٱللَّهِ وَلِيُخْزِىَ ٱلْفَـٰسِقِينَ 5
6 وَمَآ أَفَآءَ ٱللَّهُ عَلَىٰ رَسُولِهِۦ مِنْهُمْ فَمَآ أَوْجَفْتُمْ عَلَيْهِ مِنْ خَيْلٍۢ وَلَا رِكَابٍۢ وَلَـٰكِنَّ ٱللَّهَ يُسَلِّطُ رُسُلَهُۥ عَلَىٰ مَن يَشَآءُ ۚ وَٱللَّهُ عَلَىٰ كُلِّ شَىْءٍۢ قَدِيرٌۭ
7 مَّآ أَفَآءَ ٱللَّهُ عَلَىٰ رَسُولِهِۦ مِنْ أَهْلِ ٱلْقُرَىٰ فَلِلَّهِ وَلِلرَّسُولِ وَلِذِى ٱلْقُرْبَىٰ وَٱلْيَتَـٰمَىٰ وَٱلْمَسَـٰكِينِ وَٱبْنِ ٱلسَّبِيلِ كَىْ لَا يَكُونَ دُولَةًۢ بَيْنَ ٱلْأَغْنِيَآءِ مِنكُمْ ۚ وَمَآ ءَاتَىٰكُمُ ٱلرَّسُولُ فَخُذُوهُ وَمَا نَهَىٰكُمْ عَنْهُ فَٱنتَهُوا۟ ۚ وَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ ۖ إِنَّ ٱللَّهَ شَدِيدُ ٱلْعِقَابِ
8 لِلْفُقَرَآءِ ٱلْمُهَـٰجِرِينَ ٱلَّذِينَ أُخْرِجُوا۟ مِن دِيَـٰرِهِمْ وَأَمْوَٰلِهِمْ يَبْتَغُونَ فَضْلًۭا مِّنَ ٱللَّهِ وَرِضْوَٰنًۭا وَيَنصُرُونَ ٱللَّهَ وَرَسُولَهُۥٓ ۚ أُو۟لَـٰٓئِكَ هُمُ ٱلصَّـٰدِقُونَ
9 وَٱلَّذِينَ تَبَوَّءُو ٱلدَّارَ وَٱلْإِيمَـٰنَ مِن قَبْلِهِمْ يُحِبُّونَ مَنْ هَاجَرَ إِلَيْهِمْ وَلَا يَجِدُونَ فِى صُدُورِهِمْ حَاجَةًۭ مِّمَّآ أُوتُوا۟ وَيُؤْثِرُونَ عَلَىٰٓ أَنفُسِهِمْ وَلَوْ كَانَ بِهِمْ خَصَاصَةٌۭ ۚ وَمَن يُوقَ شُحَّ نَفْسِهِۦ فَأُو۟لَـٰٓئِكَ هُمُ ٱلْمُفْلِحُونَ
10 وَٱلَّذِينَ جَآءُو مِنۢ بَعْدِهِمْ يَقُولُونَ رَبَّنَا ٱغْفِرْ لَنَا وَلِإِخْوَٰنِنَا ٱلَّذِينَ سَبَقُونَا بِٱلْإِيمَـٰنِ وَلَا تَجْعَلْ فِى قُلُوبِنَا غِلًّۭا لِّلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ رَبَّنَآ إِنَّكَ رَءُوفٌۭ رَّحِيمٌ
11 أَلَمْ تَرَ إِلَى ٱلَّذِينَ نَافَقُوا۟ يَقُولُونَ لِإِخْوَٰنِهِمُ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ مِنْ أَهْلِ ٱلْكِتَـٰبِ لَئِنْ أُخْرِجْتُمْ لَنَخْرُجَنَّ مَعَكُمْ وَلَا نُطِيعُ فِيكُمْ أَحَدًا أَبَدًۭا وَإِن قُوتِلْتُمْ لَنَنصُرَنَّكُمْ وَٱللَّهُ يَشْهَدُ إِنَّهُمْ لَكَـٰذِبُونَ
12 لَئِنْ أُخْرِجُوا۟ لَا يَخْرُجُونَ مَعَهُمْ وَلَئِن قُوتِلُوا۟ لَا يَنصُرُونَهُمْ وَلَئِن نَّصَرُوهُمْ لَيُوَلُّنَّ ٱلْأَدْبَـٰرَ ثُمَّ لَا يُنصَرُونَ
13 لَأَنتُمْ أَشَدُّ رَهْبَةًۭ فِى صُدُورِهِم مِّنَ ٱللَّهِ ۚ ذَٰلِكَ بِأَنَّهُمْ قَوْمٌۭ لَّا يَفْقَهُونَ
14 لَا يُقَـٰتِلُونَكُمْ جَمِيعًا إِلَّا فِى قُرًۭى مُّحَصَّنَةٍ أَوْ مِن وَرَآءِ جُدُرٍۭ ۚ بَأْسُهُم بَيْنَهُمْ شَدِيدٌۭ ۚ تَحْسَبُهُمْ جَمِيعًۭا وَقُلُوبُهُمْ شَتَّىٰ ۚ ذَٰلِكَ بِأَنَّهُمْ قَوْمٌۭ لَّا يَعْقِلُونَ
15 كَمَثَلِ ٱلَّذِينَ مِن قَبْلِهِمْ قَرِيبًۭا ۖ ذَاقُوا۟ وَبَالَ أَمْرِهِمْ وَلَهُمْ عَذَابٌ أَلِيمٌۭ
16 كَمَثَلِ ٱلشَّيْطَـٰنِ إِذْ قَالَ لِلْإِنسَـٰنِ ٱكْفُرْ فَلَمَّا كَفَرَ قَالَ إِنِّى بَرِىٓءٌۭ مِّنكَ إِنِّىٓ أَخَافُ ٱللَّهَ رَبَّ ٱلْعَـٰلَمِينَ
17 فَكَانَ عَـٰقِبَتَهُمَآ أَنَّهُمَا فِى ٱلنَّارِ خَـٰلِدَيْنِ فِيهَا ۚ وَذَٰلِكَ جَزَٰٓؤُا۟ ٱلظَّـٰلِمِينَ
18 يَـٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ ٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ وَلْتَنظُرْ نَفْسٌۭ مَّا قَدَّمَتْ لِغَدٍۢ ۖ وَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ ۚ إِنَّ ٱللَّهَ خَبِيرٌۢ بِمَا تَعْمَلُونَ
19 وَلَا تَكُونُوا۟ كَٱلَّذِينَ نَسُوا۟ ٱللَّهَ فَأَنسَىٰهُمْ أَنفُسَهُمْ ۚ أُو۟لَـٰٓئِكَ هُمُ ٱلْفَـٰسِقُونَ
20 لَا يَسْتَوِىٓ أَصْحَـٰبُ ٱلنَّارِ وَأَصْحَـٰبُ ٱلْجَنَّةِ ۚ أَصْحَـٰبُ ٱلْجَنَّةِ هُمُ ٱلْفَآئِزُونَ
21 لَوْ أَنزَلْنَا هَـٰذَا ٱلْقُرْءَانَ عَلَىٰ جَبَلٍۢ لَّرَأَيْتَهُۥ خَـٰشِعًۭا مُّتَصَدِّعًۭا مِّنْ خَشْيَةِ ٱللَّهِ ۚ وَتِلْكَ ٱلْأَمْثَـٰلُ نَضْرِبُهَا لِلنَّاسِ لَعَلَّهُمْ يَتَفَكَّرُونَ
22 هُوَ ٱللَّهُ ٱلَّذِى لَآ إِلَـٰهَ إِلَّا هُوَ ۖ عَـٰلِمُ ٱلْغَيْبِ وَٱلشَّهَـٰدَةِ ۖ هُوَ ٱلرَّحْمَـٰنُ ٱلرَّحِيمُ
23 هُوَ ٱللَّهُ ٱلَّذِى لَآ إِلَـٰهَ إِلَّا هُوَ ٱلْمَلِكُ ٱلْقُدُّوسُ ٱلسَّلَـٰمُ ٱلْمُؤْمِنُ ٱلْمُهَيْمِنُ ٱلْعَزِيزُ ٱلْجَبَّارُ ٱلْمُتَكَبِّرُ ۚ سُبْحَـٰنَ ٱللَّهِ عَمَّا يُشْرِكُونَ
24 هُوَ ٱللَّهُ ٱلْخَـٰلِقُ ٱلْبَارِئُ ٱلْمُصَوِّرُ ۖ لَهُ ٱلْأَسْمَآءُ ٱلْحُسْنَىٰ ۚ يُسَبِّحُ لَهُۥ مَا فِى ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ ۖ وَهُوَ ٱلْعَزِيزُ ٱلْحَكِيمُ