Namaz Ki Wajibat यानि की नमाज़ के अनदर जो वाजिब होता है। मतलब की फर्ज से एक दर्जा कम लेकिन जरुरी ये भी है। वाजिब अगर छूट जाये तो सजदा सहू करने से नमाज़ हो जाएगी।
नमाज़ कैसे पढ़े इसके लिए हम ने पहले ही Namaz Ka Tarika लिख दिया है। आप क्लिक कर के पढ़ सकते है।
नमाज़ की वाजिबात
निचे हमने नमाज़ की वजिबात के बारे में लिखा है।
- फर्ज नमाज़ की पहली दो रकतो में करात करना
- अल्हम्दु शरीफ पढ़ना
- अल्हम्दु शरीफ के बाद कोई सूरह मिलाना
- तरतीब से नमाज पढ़ना
- कौमा करना यानी रुकू के बाद सीधा खड़ा होना
- जलसा करना यानी दोनों सजदों के दरमियान में बैठना
- सुकून और इत्मीनान से नमाज का बढ़ना
- पहला कयदा (कयदा यानी अत्तहियात में बैठना) करना अगर नमाज 2 रकात से ज्यादा हो तो दोनों कायदे में एक एक बार अत्तहियात पढ़ना जरुरी है।
- जहरी नमाजे (यानी कि जब इमाम साहब जोर से करात करते हैं) जैसे फजर मगरिब एसा और जुमा ईद बकराईद की दो रकत में और रमजान की तरावी में इमाम को बुलंद आवाज से करात करना है।
- और सिररि नमाज जैसे जोहर और असर में आहिस्ता से करात करना है
- करात की तरकीब में अल्हम्दु शरीफ और सूरह से पहले पढ़ना
- कम से कम लफ्ज़ सलाम जरिए नमाज खत्म करना और दूसरा सलाम भी वाजिब है
- नमाज़ वित्र में दुआ ए कुनूत पढ़ना
- ईदैन यानी की ईद और बकरीद की नमाज में 6 जायद तकबीर कहना
वाजीबात का मसला
वाजीबात का हुकुम यह है कि अगर इनमें से एक भी या एक से ज्यादा भूल कर छूट जाए तो सजदा शुरू करने से नमाज हो जाती है।
और वाजिब छूटने से नमाज में जो कोई कमी होगी हो गई थी उसकी तलाफि सजदा सहू करने से हो जाती है।
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और अगर कोई जान बूझकर कोई वाजिब छोड़ दे तो फिर सजदा सहू करने से नमाज नहीं होगी बल्कि नमाज दोबारा पढ़नी होगी।
इस तरह कोई वाजिब भूल कर छूट जाए और फिर नमाज के आखिर में नमाजी सजदा सहू करना भी भूल जाए और सलाम फेरने के बाद नमाज के मुनाफी कोई ऐसा काम करें जिसकी वजह से सजदा सहू न हो सके तो भी नमाज दोबारा पढ़ना वाजिब है।
Wajibate namaz