Kalma इस्लाम का वो दरवाजा है जो की हमारे दीन और ईमान की जड़ व बुनियाद है।इन्ही कलमों को पढ़कर लोग उम्र भर के काफिर से मुस्लिम मोमिन और मुसलमान बन जाते हैं।
और इसी के साथ वो दुनिया की तमाम खुराफात से निजात के मुस्तहिक हो जाते हैं।लेकिन इन कलमों को पढ़ने के लिए एक शर्त भी है
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की इन कलमों को सिर्फ जबान से न पढ़ कर बल्कि इन कलमों का मतलब समझ कर दिल से भी मानना चाहिए और सच्चे दिल से भी उसे कुबूल किया जाना चाहिए
इसके साथ ही तौहीद वा रिसालत को बिल्कुल सही से समझा जाए ,यानी की बगैर मतलब यानी बिना तर्जुमे के सिर्फ ज़बान से Kalma पढ़ लिया जाए।
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तो वह kalma पढ़ने वाला अल्लाह के नजदीक मोमिन और मुसलमान नहीं होगा इसलिए ये बहुत जरुरी है कि सभी कलमों को तार्जुमे के साथ और मतलब को समझ कर इस पर अमल किया जाए । इसके साथ ही वह पकका मुसलमान और सच्चा मोमिन बन पायेगा।
जो चीज हमारे लिए जरूरी है उसकी अहमियत कितनी ज्यादा है इंसान के मुसलमान होने की शुरुवात कलमे से ही हुई है 6th Kalma के बारे में जानना हर मुसलमान को जरुरी है।
हमने Six Kalimas Videos को YouTube पर अपलोड किया है और आप की खिदमत में हाजिर है।
आपकी आसानी के लिए हमने यूट्यूब का चैनल यहां पर लिंक कर दिया है आप इसको जरूर सुने अल्लाह आपको और हमें भी अमल की तौफीक अता फरमाए।
पहला कलिमा तैय्यिब
पहला कलमा तय्यब तर्जुमा “अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं और हज़रत मुहम्मद सलल्लाहो अलैहि वसल्लम अल्लाह के रसूल है”।
दूसरा कलिमा शहादत
दूसरा कलमा शहादत तर्जुमा “मैं गवाही देता हुँ के अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं। वह अकेला है उसका कोई शरीक नहीं और मैं गवाही देता हुँ के हज़रत मुहम्मद सलल्लाहो अलैहि वसल्लम अल्लाह के नेक बन्दे और आखिरी रसूल है।“
तीसरा कलिमा तम्जीद
तीसरा कलमा तमजीद तर्जुमा “अल्लाह की ज़ात हर ऐब से पाक है और तमाम तारीफे अल्लाह ही के लिए है। अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं और अल्लाह सबसे बड़ा है और किसी में ना तो ताकत है न बल, ताकत और बल तो अल्लाह ही में है, जो बहुत मेहरबान निहायत रेहम वाला है|“
चौथा कलिमा तौहीद
चौथा कलमा तौहीद तर्जुमा
“अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं , वह एक है और उसका कोई साझीदार नहीं, सबकुछ उसी का है और सारी तारीफ़ें उसी अल्लाह के लिए है।
वही ज़िंदा करता है और वही मारता है और वोह मौत से पाक है । वोह बड़े जलाल और बुजुर्गी वाला है। अल्लाह के हाथ में हर तरह की भलाई है और वोह हर चीज़ पर क़ादिर है।“
पॉंचवा कलिमा इस्तिगफ़्रार
पांचवाँ कलमा इस्तिग़फ़ार तर्जुमा “मै अपने परवरदिगार (अल्लाह) से अपने तमाम गुनाहो की माफ़ी मांगता हुँ जो मैंने जान-बूझकर किये या भूल-चूक मे किये, छिप कर किये या खुल्लम-खुल्ला किये और तौबा करता हूँ मैं उस गुनाह से,
जो मैं जनता हूँ और उस गुनाह से भी जो मैं नहीं जानता. या अल्लाह बेशक़ तू गैब कि बाते जानने वाला है और ऐबों को छिपाने वाला है और गुनाहो को बख्शने वाला है।”
छठवां कलमा रद्दे कुफ्र
छठवां कलमा रद्दे कुफ्र तर्जुमा
“ऐ अल्लाह में तेरी पन्हा मांगता हूँ इस बात से के में किसी शेय को तेरा शरीक बनाऊ जान बूझ कर और बख्शीश मांगता हूँ तुझ से इस (शिर्क) की जिसको में नहीं जानता
और मेने इससे तौबा की और बेज़ार हुआ कुफ्र से और शिर्क से और झूट से और ग़ीबत से और बिदअत से और चुगली से और बेहयाओं से और बोहतान से और तमाम गुनाहो से
और में इस्लाम लाया और में कहता हूँ के अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक नहीं और हज़रत मुहम्मद सलल्लाहो अलैहि वसल्लम अल्लाह के रसूल है।“
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