आज के इस आर्टिकल में बताएँगे की bakrid kyu manate hai इस्लाम में क़ुरबानी अल्लाह के दो मेहबूब बन्दों हज़रत इब्राहिम अलैहिस्लाम और हज़रत इस्माइल अलैहिस्लाम की सुन्नत और याद में दी जाती है। जिसको बरक़रार रखने के लिए अल्लाह ताला ने अपने प्यारे रसूल की उम्मत पर क़ुरबानी वाजिब की है। जिन लोगो पर भी फितरा वाजिब होता है उन पर क़ुरबानी भी वाजिब होती है।
जिसकी भी क़ुरबानी की हैसियत हो उस पर क़ुरबानी वाजिब है। जो भी शख्स क़ुरबानी की हैसियत रखता हो लेकिन फिर भी वो क़ुरबानी न कराये तो उसके लिए अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम नाराज़गी जाहिर करते हुए फ़रमाया है की ऐसा शख्स हमारी ईदगाह के करीब भी न आये।
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कुर्बानी किसे कहते हैं ?
मख़सूस जानवर को मख़सूस दिन में बा नियते तक़्क़रुब ज़बह करना कुर्बानी कहलाता है कुर्बानी हज़रत ए इब्राहीम अलैहिस्सलाम की सुन्नत है जो इस उम्मत के लिए बाक़ी रखी गई और नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को कुर्बानी करने का हुक्म दिया गया.
इरशाद फ़रमाया गया है
तर्जमा तुम अपने रब के लिए नमाज़ पढ़ो और कुर्बानी करो।
बकरीद में क़ुरबानी तीन दिन होती है जो की 10 ,11 और 12 तारिख को होती है लेकिन 10 तारिख को क़ुरबानी करना सबसे अफ़ज़ल माना जाता है। रात के वक़्त क़ुरबानी करना मकरूह होता है। नमाज़ से पहले क़ुरबानी करना सही नहीं होता है।
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हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम का क़िस्सा
हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम ने जुलहज की आठवीं रात को एक ख्वाब देखा जिस में उनसे कोई कह रहा है की अल्लाह की राह में अपनी सबसे प्यारी चीज कुर्बान करो। हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम ने अगली सुबह अपनी सारी दौलत को अल्लाह की राह में खर्च कर दिया। लेकिन फिर दूसरी यानी नवी रात फिर से वही ख्वाब देखा और फिर दसवीं रात फिर वही ख्वाब देखने के बाद आप अलैहिस सलातु वस्सलाम समझ गये कि सबसे प्यारा तो मुुझे मेरा बेटा इस्माइल है और इसके बाद आपने अपने बेटे की क़ुरबानी का पक्का इरादा कर लिया जिस की वजह से ज़ुल्हज को यौमुन्नहर यानि ज़बह का दिन कहा जाता हैं ।
बेटे की क़ुरबानी को रोकने की शैतान की नाकाम कोशिशें :-
अल्ल्लाह ताला के हुक्म को मानते हुए बेटे की क़ुरबानी करने के लिए हज़रते इब्राहीम अलैहिस्सलाम जब अपने प्यारे बेटे हज़रते इस्माइल अलैहिस्सलाम को जिन की उम्र उस वक्त लगभग सात साल या उससे थोड़ी ज़्यादा रही होगी को क़ुरबानी के लिए लेकर चले। वहां पर शैतान उनकी जान पहचान वाले एक शख्स की सूरत में आया और पूछने लगा ए इब्राहीम कहाँ का इरादा है?
आप ने जवाब दिया एक काम से जा रहा हूँ तब शैतान ने आप से पूछा क्या आप इस्माइल को ज़बह करने जा रहे है? हज़रते इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया: क्या तुमने कभी किसी बाप को देखा है के वो अपने बेटे को ज़बह करेगा। शैतान बोला: जी हाँ, आप को देख रहा हूँ के आप इस काम के लिए जा रहे हैं क्या आप समझते है की अल्लाह पाक ने आपको इस बात का हुक्म दिया है हज़रते इब्राहीम अलैहिसलाम ने इरशाद फ़रमाया: अगर अल्लाह पाक ने मुझे इस बात का हुक्म दिया है तो फिर मैं इस हुक्म की फरमाबरदारी करूंगा।
हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की इस बात से मायूस होकर शैतान हज़रत इस्माइल अलैहिस्सलाम की अम्मी जान यानी हज़रते हाजराह रदीयल्लाहु अन्हा के पास गया और सैतान ने उन से पूछा इब्राहीम आप के बेटे को लेकर कहाँ गएँ हैं ?हज़रत हजराह ने जवाब दिया वो अपने एक काम से गए हैं तो इस पर शैतान ने कहा के वो किसी काम से नहीं गए बल्कि वो आपके बेटे हज़रत इस्माइल अलैहिस्सलाम को ज़बह करने ले गये हैं इसपर हज़रत हाजराह रदियल्लाहु अन्हा ने फ़रमाया: क्या तुमने कभी किसी बाप को देखा है के वो अपने बेटे को ज़बह करे?
फिर शैतान ने कहा वो ये समझते है के अल्लाह ताला ने उन्हें इस बात का हुक्म दिया है इस बात को सुन कर हज़रत हाजराह रदियल्लाहु अन्हा ने इरशाद फ़रमाया: अगर ऐसा है तो उन्होंने अल्लाह पाक की इताअत (यानि फरमाबरदारी) कर के बहुत अच्छा काम किया है। इस के बाद शैतान फिर हज़रत इस्माइल अलैहिस्सलाम के पास आया और उन्हें भी इसी तरह से बहकाने की कोशिस की लेकिन उन्होंने भी शैतान को यही जवाब दिया के अगर मेरे अब्बू जान अल्लाह पाक के हुक्म पर मुझे ज़बह करने के लिए जा रहे है तो बहुत अच्छा काम कर रहे है |
शैतान को कंकरियां मारी :- जब शैतान बाप बेटे को बहकाने में नाकाम हो गया और जमरे के पास आया तो हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने उसे, सात, कंकरिया मारी कंकरियां मारने पर शैतान अपने रास्ते से हट गया। यहां से नाकाम होकर जब शैतान दूसरे जमरे पर गया,तो फरिश्ते ने दोबारा हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम से कहा इसे फिर मारिये तो आप ने इसे सात कंकरियां मारी तो शैतान ने रास्ता छोड़ दिया अब फिर शैतान तीसरे जमरे, के पास पंहुचा हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम ने फरिश्ते के कहने पर एक बार फिर सात कंकरियां मारी तो शैतान ने रास्ता छोड़ दिया था। शैतान को तीन मक़ामात पर कंकरिया मरने की याद बाकि रखने के आज भी हाजी उन तीनो जगहों पर कंकरियां मारते है |
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क़ुरबानी के लिए बेटा तैयार :- हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम जब हज़रते इस्माइल अलैहिस्सलाम को लेकर जब कुहे “सबीर” पर पहुंचे तो उन्हें अल्लाह ताला के हुक्म की खबर दी, जिस का ज़िक्र क़ुरआने करीम में इन अल्फ़ाज़ में किया गया है
याबुनैय्या इन्नी आरा फिल मनामि अन्नी अज़बहूका फनज़ुर माज़ा तरा
तर्जुमा कंज़ुलईमान: ए मेरे बेटे मेने ख्वाब देखा मैं तुझे ज़िबह करता हूँ अब तू देख तेरी क्या राय है?
फर्माबरदार बेटे ने ये सुन कर जवाब दिया:
तर्जुमाए कंज़ुल ईमान: ए मेरे बाप कीजिये आप को जिस बात का हुक्मं दिया गया है, खुदा ने चाहा तो करीब है के आप मुझे साबिर (यानि सब्र करने वाला) पाएंगे |
हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम ने अपने वालिद से अर्ज़ किया की अब्बू जान ज़ब्ह करने से पहले मुझे रस्सियों से मज़बूती से बांध दीजिये जिससे मैं हिल न सकू क्यूंकि मुझे डर है के कहीं मेरे सवाब में कमी न आ जाए और अपने कपड़ो को बचा कर रखिये ताके आपके कपड़ो को देख कर मेरी अम्मी जान ग़मगीन न हो जाये।आगे इस्माइल अलैहिस्सलाम ने कहा आप छुरी खूब तेज़ कर लीजिये ताके मेरे गले पर अच्छी तरह चल जाये (यानी गला फ़ौरन से कट जाये) क्यूँकि मौत बहुत सख्त होती है।
जब आप मुझे ज़ब्ह करने के लिए लिटाये तो पेशानी के बल लिटाएं (यानि मेरा चेहरा ज़मीन की तरफ हो) ताकि आपकी नज़र मेरे चेहरे पर न पड़ सके। और जब आप मेरी अम्मी जान के पास जाइएगा तो उन्हें मेरा सलाम पंहुचा दीजियेगा। और अगर आप मुनासिब समझियेगा तो मेरी कमीज़ उन्हें दे दीजियेगा, इससे उनको तसल्ली हो जाएगी और सब्र भी आ जायेगा।
तब हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम ने इरशाद फ़रमाया:- ए मेरे प्यारे बेटे तुम अल्लाह ताआला के हुक्म पर अमल करने में तुम मेरा बहुत अच्छा साथ दे रहे हो। फिर जिस तरह हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम ने अपने अब्बू जान से कहा था हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम ने उन को उसी तरह रस्सी से बांध दिया, अपनी छुरी को तेज़ किया , फिर हज़रत इस्माईल अलैहिसलाम को पेशानी के बल लिटा दिया, और फिर उन के चेहरे से नज़र हटाली और उनके गले पर छूरी को चला दिया लेकिन छुरी ने अपना काम नहीं किया यानि गला नहीं कटा इसी वक्त हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम पर वही नाज़िल हुई ।
तर्जुमा कंज़ुल ईमान :- और हम ने इसे निदा फ़रमाई ए इब्राहीम बेशक तूने ख्वाब सच कर दिखाया हम ऐसा ही सिला देते है नेको को, बेशक ये रोशन जांच थी और हम ने एक बड़ा ज़िबहिया उसके फ़िदये में देकर बचा लिया ।
हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने जब इस्माईल अलैहिस्सलाम को ज़बह करने के लिए ज़मीन पर लिटाया तो अल्लाह पाक के हुक्म से हज़रत जिब्राईल अलैहिस्सलाम बतौरे फ़िदया जन्नत से एक मेंढा (यानि दुंबा) लेकर तशरीफ़ लाए और दूर से ही ऊंची और तेज़ आवाज़ में फ़रमाया: अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर, जब हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने हज़रत जिब्राईल अलैहिस्सलाम की आवाज़ सुनी तो अपना सर आसमान की तरफ उठा लिया और हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम जान गए की अल्लाह ताला की तरफ से आने वाली आज़माइश का वक़्त गुज़र चुका है।
और उनके बेटे की जगह फ़िदये में मेंढा यानी दुंबा भेजा गया है लिहाज़ा हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने खुश होकर फ़रमाया: ला इलाहा इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर, जब हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम ने ये सुना तो फ़रमाया: अल्लाहु अकबर वलिल्लाहिल हम्द, इस वाक़िये के बाद से इन तीनो पाक हज़रात के इन मुबारक अलफ़ाज़ की अदाएगी की ये सुन्नत क़यामत तक के लिए जारी व सारी कर दी गयी है।
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Qurbani Ki Dua in Hindi Mein
इन्नी वज्जह्तु वज्हि-य लिल्लज़ी फ़-त-रस्समावाति वल अर-ज़ अला मिल्लति इब्राही- म हनीफ़ंव व मा अना मिनल मुश्रिकीन इन-न सलाती व नुसुकी व महया-य व ममाती लिल्लाहि रब्बिल आ ल मी न ला शरी-क लहू व बि ज़ालि-क उमिर्तु व अना मिनल मुस्लिमीन अल्लाहुम-म मिन-क व ल-क अन ० बिस्मिल्लाह वल्लाहू अकबर।
Qurbani Ki Dua in English Mein
Inni waz jahtu wajahi ya lillazi fa ta rassamawati wal arz hanifauv wa ma ana minal mushriqi na in na salaati wa nusuki wa mahya ya wa mamaati lillahi rabbil aalmin। La shariq lahu wa bizali ka uriratu wa ana minal muslimin। Allahumma ma la ka wa min ka bismillahi Allahu Akbar।
Qurbani Dua Turjuma In Hindi
मैंने उस ज़ात की तरफ़ अपना रुख मोड़ा जिसने आसमानों को और जमीनों को पैदा किया, इस हाल में में इब्राहीम में हनीफ़ के दीन पर हूं और मुश्रिको में से नहीं हूँ।
बेशक मेरी नमाज़ और मेरी इबादत और मेरा मरना और जीना सब अल्लाह के लिए है जो रब्बुल आलमीन है, जिसका कोई शरीक नहीं और मुझे इसी का हुक्म दिया गया है और मैं फरमाबरदारों में से हूं। ऐ अल्लाह, यह कुर्बानी तेरी तौफ़ीक़ से है और तेरे लिए है।
कुर्बानी देने के बाद,
क़ुरबानी की दुआ इन हिंदी
कुर्बानी के जानवर को ज़िब्ह करने के बाद यह दुआ पढ़ें लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि अगर आपने, अपने नाम से कुर्बानी दिया है तो अल्लाहुम्म तक़ब्बल के बाद मिन्नी पढ़ें। अगर आप दूसरों के लिए कुर्बानी का जानवर ज़बह किया है तो मिन्नी के जगह ‘मिन फलां’ पढ़ें। फलां यानी कुर्बानी देने वाले का नाम के वालिद का नाम भी शामिल करें।
हुजूर ए अकरम सल्लल्लाहु त’आला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया चार क्रिस्म के जानवर की क़ुर्बानी दुरुस्त नहीं।
1. काना :- जिस का काना पन ज़ाहिर हो 2. बीमार :- जिस की बीमारी ज़ाहिर हो 3. लंगड़ा :- जिस का लंगड़ा पन ज़ाहिर हो और 4. ऐसा लागर :- जिस की हड्डियों में मग़ज़ ना के बराबर हो।
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कुर्बानी करने का तरीक़ा
बेहतर यही होता है की अपने हाथ से कुर्बानी की जाये। लेकिन अगर खुद से नहीं कर सकते है तो दुसरो से करा सकते है। ज़िबह करने से पहले ये दुआ पढ़नी चाहिए। जानवर को पकड़ने वालो को तकबीर पढ़ना चाहिए।
कुर्बानी देने के बाद,
जिबह करने के बाद ये दुआ पढ़ना चाहिए।
अल्लाहुम्म तक़ब्बल मिन्नी (‘मिन फलां’) कमा तक़ब्बल्त मिन् ख़लीलिक इब्राहीम अ़लैहिस्सलाम व हबीबिक मुहम्मदिन सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम
कुर्बानी के जानवर को ज़िब्ह करने के बाद यह दुआ पढ़ें लेकिन इस बात का ख्याल रखें कि अगर आपने, अपने नाम से कुर्बानी दी है तो अल्लाहुम्म तक़ब्बल के बाद मिन्नी पढ़ें। अगर आप किसी दूसरे के लिए कुर्बानी का जानवर ज़बह कर रहे है तो मिन्नी के जगह ‘मिन फलां’ पढ़ें। फलां यानी कुर्बानी देने वाले का नाम के वालिद का नाम भी शामिल करना चाहिए।
बकरीद के जानवर का ख्याल रखना
क़ुरबानी के जानवर की भूखा प्यासा रख के क़ुरबानी नहीं करनी चाहिए। उसे खूब अच्छे से खिलाना पिलाना चाहिए। जिबह करने के बाद क़ुरबानी के जानवर की खाल तब तक नहीं उतरनी चहिये। जब तक की वो ठंडा न हो जाए। क़ुरबानी के लिए अगर कोई दुआ पढ़ने वाला न मिले तो बिस्मिल्लाहे अल्लाहु अकबर पढ़कर क़ुरबानी कर दे। अगर जिबह करने वाला कोई और हो और दुआ कोई और पढ़ रहा हो तो ऐसे में जिबह करने वाले को बिस्मिल्लाहे अल्लाहु अकबर पढ़ना वाजिब होता है। वरना क़ुरबानी नहीं होगी।