निजासत और उसकी क़िस्में

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इस्लाम एक पाकीज़ा मज़हब है और पाक साफ़ रहने का हुक्म देता है। कोई भी इबादत हम बिना पाक साफ़ हुए नहीं कर सकते। पाक साफ़ रहने के लिए हमे ये भी पता होना चाहिए की गन्दगी यानि Nijasat Aur Uski Kisme क्या है।

Nijasat Aur Uski Kisme

इस आर्टिकल में हम आप को निजासत और उसकी क़िस्में की कुछ जरुरी बात बतायेगे जो हमें जानना निहायत ही जरुरी है। जब तक हम जानेगे नहीं तब तक हम पुख्ता तौर पर अपनी इबादत सही से अदा नहीं कर पाएंगे।

निजासत और उसकी क़िस्में के बारे में कुछ जरुरी जानकारी इस तरह है।

  • निजासत (गंदगी) दो तरह की होती हैं एक ग़लीज़ा और दूसरी ख़फ़ीफ़ा
  • हमारे लिए यह ज़रूरी है कि दोनों तरह की निजासत (गंदगी) से अपने जिस्म और कपड़ों को बचाकर रखें।
  • अगर हमारे कपड़े या बदन पर कुछ गंदगी लग जाए तो उसे तीन बार धोकर पाक कर लें।
  • नापाक जिस्म या कपड़े से नमाज़ नही पढ़ सकते।

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हमें यह जानना ज़रूरी है कि इन दोनों निजासतों से अपने जिस्म और कपड़ों को पाक कैसे करे इसका सही तरीका क्या होगा ? और कौन सी चीज़ें निजासते ग़लीज़ा हैं और कौन सी ख़फ़ीफ़ा हैं।

निजासते ख़फ़ीफ़ा

निजासते ख़फ़ीफ़ा वह निजासत या गंदगी है जिसका पाक करना आसान है और ये थोड़ा हल्का है।

निजासते ख़फ़ीफ़ा कैसे साफ़ करे

निजासते ख़फ़ीफ़ा साफ़ करने के लिए कपड़े या बदन के जिस हिस्से पर निजासत लगी है। अगर उसकी मिक़्दार चौथाई से कम है जैसे दामन में लगी है तो दामन के चार हिस्सा करने पर एक हिस्सा से कम

आस्तीन में लगी है तो आस्तीन की चौथाई से कम और ऐसे ही हाथ में लगी हो तो हाथ की चौथाई से कम है तो माफ़ है, उससे नमाज़ हो जायेगी और अगर पूरी चौथाई में हो तो बिना धोये नमाज़ नहीं होगी।

निजासते ख़फ़ीफ़ा में शामिल चीज़ें

  • हलाल जानवर जैसे गाय, बैल, भैंस, बकरी और ऊँट वग़ैरा का पेशाब, पित्ता निजासते ख़फ़ीफ़ा है।
  • घोड़े का भी पेशाब और पित्ता निजासते ख़फ़ीफ़ा है
  • जिस परिन्दे का गोश्त हराम है चाहे शिकारी हो या नहीं जैसे कौआ, चील, शिकरा, बाज़ और बहरी उसकी बीट निजासते ख़फ़ीफ़ा है

निजासते ग़लीज़ा और ख़फ़ीफ़ा के जो अलग-अलग हुक्म बताये गये हैं वह सिर्फ़ बदन या कपड़े पर लगने वाली निजासत के बारे में हैं।

अगर निजासत किसी पतली चीज़ जैसे पानी, दूध, सालन या सिरके में गिरे तो चाहे ग़लीज़ा हो या ख़फ़ीफ़ा पूरा नापाक हो जायेगा चाहे एक क़तरा ही गिरे।

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अगर पतली चीज़ दह-दर-दह हो तो पाक है। दह-दर-दह का मतलब यह है कि इसकी लम्बाई कम से कम दस हाथ और चौड़ाई भी कम से कम दस हाथ हो और गहराई इतनी हो कि जब चुल्लु से पानी लें तो ज़मीन न दिखे । यहाँ पर हाथ से मुराद शरई हाथ है यानि कोहनी से हाथ की ऊँगलियों तक की लम्बाई।

कुछ जरुरी हिदायत

अब हम कुछ उन हालतों को बतायेगे कि जब हमारे बदन या कपड़ों पर नापाकी लग जाती है और आम तौर पर उस पर ध्यान नहीे दिया जाता।

  • अगर नापाक कपड़े में पाक कपड़ा लपेटा और उस नापाक कपड़े से यह पाक कपड़ा थोड़ा नम हो गया और निजासत का रंग या बू उस पाक कपड़े में आ गये तो नापाक हो जायेगा। अगर भीग जाये तो हर सूरत में नापाक हो जायेगा, चाहे उसका रंग/बू पाक कपड़े में आये या नहीं।
  • नापाक कपड़ा पहनकर या नापाक बिस्तर पर सोया और पसीना आया अगर पसीने से कपड़ा या बिस्तर भीग गया तो बदन नापाक हो गया वरना नहीं।
  • भीगे हुये पाँव नापाक ज़मीन या बिस्तर पर इतनी देर रखे कि पाँव की तरी नापाक ज़मीन या बिस्तर पर लगकर पाँव को लगी तो पाँव नापाक हो जायेंगे जिससे नमाज़ नहीं होगी।
  • अक़्सर यह देखने में आता है कि कुछ लोग वुज़ू करने के बाद फ़र्श या किसी कारपेट वग़ैरा (जिसके पाक होने का कोई एतबार नहीं) पर गीले पाँवों से जानमाज़ तक जाते हैं जिसकी वजह से जानमाज़ भी नापाक होने का अंदेशा है। इसमें एहतियात की ज़रूरत है ताकि नमाज़ें ख़राब न हों।

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निजासते ग़लीज़ा

बहुत ज़्यादा गन्दी चीज़ों को निजासते ग़लीज़ा कहते हैं। इसका हुक्म ज़्यादा सख़्त है। ऐसी निजासत के बारे में तफ्सील जानने के लिए पहले यह जानना ज़रूरी है कि यह निजासत किस हालत में है यानि गाढ़ी हैं या पतली हैं और कितनी है।

मिक़दार और हालत के हिसाब से निजासते ग़लीज़ा की कुछ तफ्सील इस तरह हैं।

गीली या पतली निजासत

  • यह अगर कपड़े या बदन में एक दिरहम (जैसे हमारे यहाँ भारत मे चलने वाले एक रुपये के छोटे सिक्के के बराबर) से ज़्यादा लग जाये तो उसको पाक करना फ़र्ज़ है अगर बिना पाक किये नमाज़ पढ़ ली तो होगी ही नहीं। अगर जान बूझकर पढ़ी तो गुनाह भी है। अगर इस हुक्म को हल्का जाना तो कुफ़्र है।
  • अगर दिरहम के बराबर है तो पाक करना वाजिब है। बिना पाक किये नमाज़ पढ़ी तो मकरूहे तहरीमी हुई यानि नमाज़ का लौटाना लाज़िम है, जान बूझ कर पढ़ी तो गुनाहगार भी हुआ।
  • अगर दिरहम से कम है तो पाक करना सुन्नत है। बिना पाक किये नमाज़ तो हो जायेगी मगर सुन्नत के ख़िलाफ़ है इसलिए लौटाना बेहतर है।

सुखी या ठोस निजासत

  • अगर निजासत गाढ़ी है जैसे पाख़ाना, लीद या गोबर तो दिरहम के बराबर या कम या ज़्यादा का मतलब यह है कि वज़न में उसके बराबर या कम या ज़्यादा हो और दिरहम का वज़न लगभग तीन ग्राम होता है।
  • निजासत अगर पतली है जैसे पेशाब या शराब तो दिरहम से मुराद उसका घेराव है और शरीयत के हिसाब से हथेली की गहराई के बराबर है यानि हथेली ख़ूब फैला कर बराबर रखें और उस पर आहिस्ता से इतना पानी डालें कि उससे ज़्यादा पानी न रुक सके अब पानी का जितना फैलाव है उतना बड़ा दिरहम समझा जायेगा, जो लगभग यहाँ के एक रुपये के छोटे सिक्के के बराबर है।
  • किसी कपड़े या बदन पर कुछ जगहों पर निजासते ग़लीज़ा लगी लेकिन किसी जगह दिरहम के बराबर नहीं मगर सबको मिलाकर दिरहम के बराबर है तो निजासत दिरहम के बराबर समझी जायेगी और ज़्यादा है तो ज़्यादा यानि इकट्ठा करके जाँचने पर ही हुक्म दिया जायेगा।
  • नजिस तेल कपड़े पर गिरा और फैल कर दिरहम के बराबर हो गया तो पाक करना वाजिब है।

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जब यह पता चल गया कि निजासते ग़लीज़ा का इतना सख़्त हुक्म है कि थोड़ी सी बे एहतियाती से कुफ़्र तक की नौबत आ जाती है तो यह जानना भी बहुत ज़रूरी हो गया कि कौन कौन सी चीज़ें इसमें शामिल हैं।

निजासते में ग़लीज़ा शामिल चीजें

  • इन्सान के जिस्म से निकलने वाली निजासतें जैसे पाख़ाना, पेशाब, बहता ख़ून, पीप, मुँह भर उल्टी, हैज़़ निफ़ास और इस्तिहाज़ा का ख़ून, मनी, मज़ी और वदी निजासते ग़लीज़ा हैं।
  • दुखती आँख से और नाफ़ या पिस्तान (Breast) से दर्द के साथ निकलने वाला पानी निजासते ग़लीज़ा है।
  • दूध पीते बच्चों का पेशाब निजासते ग़लीज़ा है। यह जो मशहूर है कि दूध पीते बच्चों का पेशाब पाक है बिल्कुल ग़लत है। दूध पीता बच्चा अगर मुँह भर उलटी कर दे वो भी निजासते ग़लीज़ा है।
  • आदमी की खाल अगर नाख़ून बराबर भी थोड़े पानी यानि दह-दर-दह से कम में पड़ जाये तो वह पानी नापाक हो जायेगा और नाख़ून गिर जाये तो नापाक नहीं होगा।
  • हराम जानवरों में सुअर नजिसुल ऐ़न (कुल नापाक) है, किसी तरह पाक नहीं हो सकता, उसकी हर चीज़ जैसे ख़ून, गोश्त, चर्बी, दूध, हड्डी, पाख़ाना, पेशाब, बाल, खाल, राल वग़ैरा सब निजासते ग़लीज़ा हैं।
  • वह जानवर जिनका खाना हराम है, जैसे कुत्ता, शेर, लोमड़ी, बिल्ली, चूहा, गधा, ख़च्चर, हाथी और भेड़िया वग़ैरा इनका पाख़ाना, पेशाब, ख़ून, जुगाली, गोश्त, चर्बी, पित्ता, दूध, मुँह की राल, हाथी की सूंड की रतूबत, घोड़े की लीद सब निजासते ग़लीज़ा है।
  • मुर्दार का गोश्त और चर्बी निजासते ग़लीज़ा है।
  • हलाल जानवर जैसे बकरी वग़ैरा को किसी ग़ैर मुस्लिम ने ज़िबह किया तो उसका गोश्त, खाल सब हराम और निजासते ग़लीज़ा हो गया।

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  • बक़राईद पर कुछ लोग कम इल्मी की वजह से किसी ग़ैर मुस्लिम क़साई को बुला लेते हैं यह ग़लत है क़ुरबानी चाहे दूसरे या तीसरे दिन करा लें लेकिन मुसलमान ही से कराएं।
  • हलाल जानवर का ख़ून, जुगाली, गोबर, मेंगनी निजासते ग़लीज़ा हैं।
  • जो परिन्दा ऊँचा न उड़े जैसे मुर्ग़ी और बत्तख़ (छोटी हो या बड़ी) की बीट निजासते ग़लीज़ा है।
  • शराब और दूसरी नशा लाने वाली चीज़ें जैसे स्प्रिट, अफ़ीम वग़ैरा निजासते ग़लीज़ा हैं।
  • साँप का पाख़ाना, पेशाब और उस जंगली साँप और मेंढक का गोश्त जिनमें बहता ख़ून होता है चाहे ज़िबह किये गये हों और उनकी खाल चाहे पका ली गई हो निजासते ग़लीज़ा हैं।
  • छिपकली या गिरगिट का ख़ून निजासते ग़लीज़ा हैं।
  • अगर नमाज़ पढ़ी और जेब वग़ैरा में शीशी है जिसमें पेशाब/ख़ून/शराब है तो नमाज़ नहीं होगी। जेब में अंडा है ओैर उसकी ज़र्दी ख़ून हो चुकी है तो नमाज़ हो जायेगी।
  • अगर निजासते ग़लीज़ा ख़फ़ीफ़ा में मिल जाये तो सब ग़लीज़ा है।

पाक साफ़ रहने से जहा हम सवाब हासिल करेंगे वही तमाम तरह की बीमारियों से भी बच सकते है। बीमारी की शुरुआत के पीछे कोई न कोई गंदगी ही होती है जब हम तहारत हासिल करेंगे और दीन की बतायीं बातो पर अमल करेंगे तो दीन और दुनिया दोनों का फायदा हासिल करेंगे।

Source : Sunnah.com

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