Roze ka Maksad
जब तक किसी इबादत के बारे में सही से नहीं जानेगे तो तब तक इबादत का जौक और शौक पैदा नहीं हो पायेगा। इसलिए हमें Roze ka Maksad क्या है। इसे अच्छी तरह से समझ लेना बेहतर होगा।
जब तक किसी इबादत के बारे में सही से नहीं जानेगे तो तब तक इबादत का जौक और शौक पैदा नहीं हो पायेगा। इसलिए हमें Roze ka Maksad क्या है। इसे अच्छी तरह से समझ लेना बेहतर होगा।
अगर हमने सही तरीके से ग़ुस्ल नहीं किया तो कोई भी इबादत कुबूल नहीं होगी इसलिए हमें Gusal Ka Tarika जानना बहोत ही जरुरी है।
नमाज पढ़ना फर्ज़ है। और हम सभी को सही तरीके से नमाज पढ़नी चाहिए इसके लिए हमने नमाज का तरीका पहले ही लिख दिया है, उसके बाद नमाज़ की वाजिबात और अब Namaz ki Sunnat के बारे में बताएंगे।
रमज़ानुल मुबारक अल्लाह का अता किया हुआ एक बहुत बा बरकत महीना अब हम से रुखसत हो रहा है। अभी भी हमारे पास पास Ramzan ki Rukhsat होने से पहले अज़ीम नेमते बचीं है।
इस्लाम में नए महीने की शुरुआत चांद देखकर की जाती है। उस वक्त हमें Chand Dekhne Ki Dua जरूर पढ़नी चाहिए। वैसे तो हमें सभी महीनों का चांद देखना चाहिए लेकिन हम खासतौर से ईद के चांद का बहुत ही एहतमाम के साथ देखते हैं और यह एक अजीम सुन्नत भी है।
Dua e Masura नमाज पुरी होने से ठीक पहले पढ़ी जाती है यानी कि जब हम अत्तहियात के बाद दरूद शरीफ पढ़ लेते हैं उसके बाद दुआ ए मासुरा पढ़ते हैं। फिर उसके बाद सलाम फेरते है।
Namaz Ki Wajibat यानि की नमाज़ के अनदर जो वाजिब होता है। मतलब की फर्ज से एक दर्जा कम लेकिन जरुरी ये भी है। वाजिब अगर छूट जाये तो सजदा साहू करने से नमाज़ हो जाएगी।
Kalma इस्लाम का वो दरवाजा है जो की हमारे दीन और ईमान की जड़ व बुनियाद है।इन्ही कलमों को पढ़कर लोग उम्र भर के काफिर से मुस्लिम मोमिन और मुसलमान बन जाते हैं।
अल्लाह सुब्हानहु व ताअला ने हर बलिग औरत और मर्द पर नमाज़ फर्ज की है। किसी भी हालत में नमाज़ माफ़ नहीं है। इंशाल्लाह इस आर्टिकल को पढ़ कर आप Namaz Ka Tarika अच्छी तरह सीख जायेगे।
हर मुसलमान को यह मसनून दुआएं याद करना चाहिए इन दुआओं के बारे में अच्छी बात यह है कि आप केवल एक मिनट में ही इनको पढ़ सकते हैं।