शद्दाद बादशाह जिसने दुनिया में जन्नत बना दी – वो जगह कहा है, उस जन्नत का क्या हुआ

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दुनिया में एक ऐसा इंसान जिस ने अपनी जन्नत बनाई लेकिन वह अपनी बनाई हुई जन्नत में दाखिल हो पाया या नहीं। आइए जानते हैं आखिर क्या हुआ था उसके साथ। वो जगह कहा है, और बाद में उसकी जन्नत का क्या हुआ। और आज उसकी जन्नत कैसी दिखती हैं। इस आर्टिकल में मै इसी के बारे में तफ्सील से बताउगा इसलिए पूरा आर्टिकल आख़िर तक जरूर पढ़ें। क्युकी ये एक सच्चा और इबरतनाक वाक्या है।

चलिए सुरु करते है –

दुनिया में बहुत सी ताकतवर और जोरावर कौमें आई जो की अपनी शर्कसी और घमंड की वजह से इस दुनिया से मिटा दी गई। कौमे आद उन्ही में से एक थी।

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इस कौम की तरफ अल्लाह पाक ने अपने प्यारे नबी हजरत हुद अलैहि सलाम को भेजा था। कौमें आद इरम नाम की बस्ती में रहती थी जो यमन के इलाके में थी । इन लोगों पर कई बादशाहों ने हुकूमत की मगर दो बादशाह ऐसे आए जिनकी हुकूमत बहुत बड़ी थी। इनमे से एक का नाम सदीद और दूसरे का नाम शाद्दाद था।

जब सदीद की मौत हो गई तो पुरी हुकूमत शाद्दद को मिल गई। हुकूमत का उसको इतना घमंड था की उसने खुदाई तक का दावा कर डाला।

उसने अल्लाह के नबी हजरत हुद अलैहिसालम से जन्नत के बारे में सुन रखा था की जन्नत कैसी होगी। इसलिए उसने जमीन पर जन्नत बनाने का इरादा किया वो कहता था मुझे उस जन्नत की जरूरत नहीं है जो खुदा ने बनाई है।

उसने पुरी दुनिया के हुनरमंदो को बुलाया। और उसने तमाम हुक्मरानों और सरदारों को हुक्म दिया की सोने चांदी की ईट बना कर भेजे। और एक शहर 10 कोस चौड़ा और 10 कोस लंबा बनाने का हुकुम दिया।

इसकी बुनियाद इतनी गहरी खुदवाई गई की जमीन से पानी निकाल आया। जब बुनियादे भरकर जमीन के बराबर हो गई। तो उन पर सोने चांदी की ईंटों की दीवार बनाई गई।

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जब सूरज निकलता तो उसकी चमक से दीवारों पर निगाह नहीं ठहरती थी। शहर के अंदर हजार महल तामीर किये गए उसके बाद शहर के दरमियां में एक नहर बनवाई गई और हर महल में उस नहर से छोटी छोटी नहरे लाई गई और हर महल में हौज और फव्वारे बनाए गए। सारे शहर में रेशम की कालीन बिछा दी गई।

दोस्तों रिवायतो में आता है इस जन्नत को बनाने में 300 साल लगे और शाद्दाद की उम्र 900 साल के करीब थी।

इस शहर के मुकम्मल होने के बाद वो अपने लाऊ लश्कर के साथ बहुत ही तकबुर वाले अंदाज में शहर की तरफ रवाना हुआ ।

जब वो शहर के करीब पहुंचा तो तमाम शहर वाले उसके इस्तकबाल के लिए शहर के दरवाजे के बाहर आ गए। अभी उसने घोड़े की रकाब से पैर निकाल कर दरवाजे की चौखट पर रखा ही था कि उसने एक अजनबी शख्स को अपने करीब खड़ा देखा उसने पूछा तू कौन है।

उस सक्स ने कहा मैं मालिकुल मौत हूं। शाद्दाद ने पूछा तुम क्यों यहां आए हो इस पर मालीकुल मौत ने कहा तेरी जान निकालने। इस पर शाद्दाद ने कहा मुझे इतनी मुहलत दे दो की मैं अपनी बनाई हुई जन्नत को देख लूं। जवाब मिला नही।

इस पर शाद्दाद कहने लगा चलो इस कदर ही फुर्सत दे दो की घोड़े पर से उतर जाऊ। इस पर मालिकुल मौत ने कहा की इसकी भी इजाजत नहीं। लिहाजा जब शाद्दाद का एक पाओ रकाब में और दूसरा चौखट पर ही था उसकी रूह कब्ज कर ली गईं।

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फिर हजरत जिब्रील अलैहिस्सलाम ने बड़े जोर से एक खतरनाक चीख मारी और इस वक्त तमाम शहर अपनी आलीशान सजावटों और महलों के साथ जमीन में समा गया और इसका इस दुनिया में नामोनिशान बाकी ना रहा ।

जो इस दुनिया आया है उसे एक दिन इस दुनिया से जरूर जाना है इसलिए अपनी जिंदगी अल्लाह पाक के हुक्म के मुताबिक गुजारनी चाहिए।

आप को लगता है की ये वाक्या इबरतनाक है तो इस आर्टिकल को जरूर शेयर करें।

हमारा सबसे बड़ा हथियार है अल्लाह से दुआ। इसलिए दुआ में क्या मागे क्या नहीं। जानने के लिए ये आर्टिकल अभी पढ़ें और शेयर करे। क्योंकि दुआ मांगना भी एक इबादत है।

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