अल्लाह सुब्हानहु व ताअला ने हर बालिग औरत और मर्द पर नमाज़ फर्ज की है। किसी भी हालत में नमाज़ माफ़ नहीं है। नमाज़ पढ़ने का एक तरीका होता है। और उसी तरीके के मुताबिक नमाज़ पढ़ने पर ही नमाज़ अदा होगी वार्ना नहीं होगी।
इंशाल्लाह इस आर्टिकल को पढ़ कर आप Namaz Ka Tarika in Hindi अच्छी तरह सीख जायेगे।
हुजूर अकरम सल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया की नमाज़ मेरी आँखों की ठंडक है। हर इंसान को नमाज़ का पाबंद होना चाहिए।
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अगर कही कोई गलती हो जाये या कुछ कमी नज़र आये तो आप हमे कमेंट करके बता सकते है। आज मुसलमान इतना परेशान क्यों रहता है वो इसलिए की वो घंटो मोबाइल में तो लगा रह सकता मगर वो नमाज़ के लिए वक़्त नहीं निकल सकता है।
नमाज़ पढ़ने के फायदे
नमाज़ अल्लाह सुब्हानहु व ताअला ने फ़र्ज़ की है। नमाज़ न पढ़ने पर गुनाह मिलता है। और पढ़ने पर सवाब मिलता है।
मरने के बाद सबसे पहले हिसाब नमाज़ का देना होगा, इसलिए नमाज़ पढ़ेंगे तो हिसाब देने में आसानी होगी।
नमाज़ पढ़ने का ये भी फायदा है की नमाज़ पढ़ने वाले यानी नमाज़ी की दुनिया और आख़िरत दोनों खूबसूरत हो जाती है।
इसके आलावा नमाज़ पढ़ने के दुनयावी भी बहोत सारे फायदे है।
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नमाज़ पढ़ने की कुछ शर्ते होती है पहले उन्हें जान लेते है।
नमाज़ की शर्ते क्या है ?
सही तरह से नमाज़ पढ़ने की कुछ शर्ते हैं। जिनको पूरा किये बिना सही से नमाज़ नहीं हो सकती या सही नहीं मानी जा सकती। वो कौन कौन सी शर्ते है आगे उनको तफ्सील से देख लेते है।
तहारत
तहारत यानी नमाज़ी के बदन और कपड़ो का पाक होना
नमाज़ की अदाएगी के लिए पूरी तरह जिस्म का पाक होना ज़रूरी है अगर जिस्म पर कही कोई भी नापाकी लगी होगी तो नमाज़ नहीं होगी। बदन पर अगर कोई गंदगी या नापाकी लगी हो तो उसे दूर कर ले अगर गुस्ल की जरुरत हो तो ग़ुस्ल कर के नमाज़ पढनी चाहिए।
इसी के साथ नमाज़ के लिए वुजू जरूरी है। इसी तरह नमाज़ की अदाएगी के लिए जिस्म पर पहने हुए कपड़ो का भी पूरी तरह से पाक-साफ़ होना बहुत ही ज़रूरी है। ख्याल रखना चाहिए की कपडो पर कही कोई नापाकी नहीं लगी होनी चाहिए।
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अगर कपड़ो के ऊपर कोई गन्दगी या नापाकी लगी हो तो या तो धो कर साफ़ करना चाहिए या फिर कपड़ो को बदल कर नमाज़ पढ़नी चाहिए।
जगह का पाक होना
जहाँ नमाज़ पढे उस जगह का पाक होना भी जरुरी है
नमाज़ पढने के लिए हमेसा ये ख्याल रकना चाहिए की जिस जगह पर नमाज पढ़ी जा रही हो वो जगह पूरी तरह से पाक है या नहीं है।
क्युकी अगर उस जगह पर कोई गंदगी लगी होगी या नापाकी लगी होगी तो उस जगह पर नामाज़ नहीं होगी।
इसके लिए चाहे तो उस जगह को धो ले या फिर कही दूसरी साफ़ जगह पर नमाज़ पढ़ लेना चाहिए।
सतर का छुपाना
बदन के सतर का छुपा हुआ होना भी जरुरी है
बदन के सतर (शर्मगाह) का छुपा होना यानी जिस्म या बदन के उस हिस्से का छिपाना फ़र्ज़ है जिनका हमे हुक्म दिया गया है।
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जैसे मर्द के लिए घुटने से नाफ तक का हिस्सा छिपाना जरुरी है और औरत के हाथ पांव और चेहरे के अलावा पूरा बदन ढका हुआ होना जरुरी है।
नाफ़ के निचे से लेकर घुटनों तक के हिस्से को मर्द का सतर कहा जाता है। नमाज़ (Namaz) में मर्द का यह हिस्सा अगर दिख जाये तो नमाज़ (Namaz) सही नहीं होगी
क़िबला रूख
इस्तिक़बाले क़िब्ला यानी मुह और सीना किबले की तरफ होना जरुरी है।
नमाज़ का वक्त
नमाज़ का सही वक़्त होना जरुरी है
किसी भी नमाज़ को पढने के लिए नमाज़ का वक़्त सही होना ज़रूरी है. वक्त से पहले कोई भी नमाज़ नहीं पढ़ी जा सकती और न ही वक़्त के बाद और वक़्त के पहले पढ़ी गयी नमाज़ को कज़ा माना जाता है।
नियत करना
नियत करना यानि नमाज़ (Namaz) का इरादा करना
दिल से पक्का इरादा करना ही नियत कहलाता है। ज़ुबान से कह लेना मुस्तहब यानी अच्छी बात है
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फराइज़े नमाज
फराइज़े नमाज यानि की नमाज़ के लिए जरुरी अगर इसमें से कुछ छूट (चाहे जान बुघ कर या भूल से ) जाये तो नमाज़ नहीं होगी और दुबारा पढ़ना जरुरी होगा।
नमाज़ में 6 फ़र्ज़ है इन्हे अरकाने नमाज़ भी कहते है। इन सभी के बारे में हमने आगे बताया है।
तकबिरे तहरीमा
तकबिरे तहरीमा यानी हाथ उठाते हुए अल्लाहु अकबर कहना
क़याम करना
क़याम यानी सीधे खड़े होकर नमाज पढ़ना फर्ज है। नमाज़ फ़र्ज़, वित्र, सुन्नत की नमाज में कयाम फर्ज है। बिना कसी सरई उज्र के बगैर अगर यह नमाजे बैठकर पढ़ी जाएगी तो नहीं होगी।
नफिल नमाज में क़याम फर्ज नहीं होता है आप बैठ कर या खड़े होकर दोनों तरिके से पढ़ सकते है।
किरात करना
किरत करना यानि कुरान की कम से कम एक आयात पढ़ना जरुरी है। फर्ज नमाज़ की दो रकातो में और वित्र सुन्नत व नवाफिल की हर रकात में फर्ज है। मुक्तदी यानि की जब जमात से इमाम के पीछे नमाज़ पढ़ते है तब किरात किसी भी रकत में फर्ज नहीं है।
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रुकू करना
यानि की हाथ को घुटनो पर रख कर झुकना।
सजदा करना
यानि की की सर जमीन पर रखना
अत्तहियात में बैठना
नमाज पूरी करके आखरी अत्तहियात में बैठना
इन फर्ज़ो में से एक भी रह जाए तो नमाज नहीं होती ( सजदे सहु करने से भी नहीं )
वाजिबातें नमाज़
नमाज़ के अनदर जो वाजिब होता है यानि की फर्ज से एक दर्जा कम लेकिन जरुरी ये भी है। वाजिब अगर छूट जाये तो सजदा साहू करने से नमाज़ हो जाएगी।
फ़र्ज़ की दो पहली रकात नमाज़ो में और बाकी नमाज़ो की हर रकात में एक बार पूरी अल्हम्दुलिल्लाह ( सूरह फातिहा ) पढ़ना।
नमाज़ की वाजिबात और भी है जिनकी पूरी तफ्सील यहाँ पढ़े Namaz Ki Wajibat
नमाज़ की सुन्नत
नमाज़ में फ़र्ज़ और वाज़िब के बाद हमें सुन्नत का भी एहतमाम करना चाहिए। नमाज़ में कितनी सुन्नत है और कैसे अदा करे इसके लिए हमने पूरी तफ्सील से लिखा है। पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे Namaz ki Sunnat
पांच वक्त की नमाज़
इस्लाम में पांच वक्त की नमाज़ फ़र्ज़ है, आलावा और भी नमाज़ होती है जिसका तरीका हम अलग से बतायेगे यहाँ पर पांच वक्त की नमाज़ का तरीका बतायेगे।
नमाज़ का तरीका बहुत ही आसान होता है। नमाज़ की 2 , 3 या 4 रकअत होती है जिसमे एक रकअत में एक क़याम, एक रुकू और दो सजदे होते है। नमाज़ का तरीका कुछ इस तरह होता है –
फज़र की नमाज़ पढ़ने का तरीका
फज़र की नमाज़ में 2 सुन्नत और 2 फर्ज मिलाकर 4 रक्आत होती है। सबसे पहले नमाज़ के लिए क़िबला रुख खड़े होना होता है।
हमे खड़े इस तरह होना है की दोनों पैरो के दरमियान 4 इंच की गेप हो मगर मज़बूरी के तहत, अगर नमाज़ी थोड़ा मोटा हो तो अपने हिसाब से काम जयादा कर सकते है।
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उसके बाद हमें नमाज़ के लिए निय्यत करनी होती है। मान लिया की फ़ज्र की सुन्नत नमाज़ पढ़नी है।
दो रकात सुन्नत नमाज़ पढ़ने का तरीका
सबसे पहले नियत की जाती है की नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ (जो भी नमाज़ पढ़ना हो जैसे फजर की २ रकत सुन्नत नमाज़) की, वास्ते अल्लाह तआला के, वक्त फ़ज्र का, मुह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़, अल्लाहु-अकबर । ”
नोट : आप ये बात याद रखे दिल का इरादा ही नियत है जबान से कहना जरुरी नहीं है। फिर भी कहना चाहे तो कह सकते है।
अल्लाहु-अकबर कहकर हमें हाथ बाँध लेना है। फिर सबसे पहले हम सना पढ़ेंगे
सना के अल्फाज़ जो की इस तरह है
सुबहाना कल्ला हुम्मा व बिहम्दिका व तबारा कस्मुका व त’आला जद्दुका वला इलाहा गैरुका
इसके बाद “अउजू बिल्लाहि मिनश शैतान निर्रजिम. बिस्मिल्लाही र्रहमानिर रहीम.” पढ़े
इतना पढ़ने के बाद सुरह फातिहा पढ़े. सुरह फातिहा पढ़ने के लिए आप लिंक पर क्लिक कर सकते है अब सूरह फातिहा के बाद आप कोई भी क़ुरान शरीफ की छोटी सूरत जो आपको याद हो वो पढ़े।
आप की आसानी के लिए होने कुछ छोटी छोटी सूरह का लिंक निचे दे दिया है।
जब आपकी सुरह पूरी हो जाए तब अल्लाहु-अकबर (तकबीर) कहते हुए रुकू में जाए।
रुकू में जाने पर घुटनो को हाथ की उंगलियों से पकड़ ले घुटनो पर उंगलियाँ को फैला कर रखना चाहिए
और इतना झुकना चाहिए कि सर और कमर बराबर हो जाये
रुकू में ये तस्बीह 3 या 5 या 7 बार इत्मीनान के साथ पढ़ना चाहिए – “सुबहान रब्बी अल अज़ीम” रुकू में निगाह पैरो के अंगूंठो पर होनी चाहिए।
इसके बाद “समीअल्लाहु लिमन हमीदह ” कहते हुवे रुकू से खड़े हो जाये.. इसके बाद “रब्बना व लकल हम्द कहे फिर “इसके बाद “अल्लाहु-अकबर “कहते हुवे सजदे में जाइए। सजदे में जाते वक़्त सबसे पहले हाथ घुटनो पर रखे फिर घुटने जमीन पर टिकाये फिर हाथ जमींन पर रखने चाहिए।
उसके बाद नाक जमीन पर टिकाये फिर पेशानी जमीन पर जमाइए और चेहरा दोनों हाथो के दरमियान में रखिये। मर्द को अपने हाथो की हथेलियाँ ही जमानी चाहिए और कोहनी वगैरह ऊँची उठी हुई होनी चाहिए।
पेट को अपनी रानो यानी पैर के ऊपरी हिस्से से दूर रखे यानी जांघ से पेट ना छुए पाए। और दोनों पांव की उँगलियो के पेट क़िब्ला रुख ज़मीन पर जमे हुए होने चाहिए।
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सजदे में जाते हुए फिर ये तस्बीह 3 या 5 या 7 बार इत्मीनान के साथ पढ़े “सुबहान रब्बी अल आला”
फिर अल्लाहु-अकबर कहते सजदे से उठकर सीधे बैठ जाइए। जब बैठे सीधे पेर की उंगलिया हिलनी नहीं चाहिए मतलब क़िबला रुख ही मुड़ी हुई हो और उलटे पैर को सीधे पैर की जानिब मोड़ के बैठना चाहिए।
फिर दोबारा अल्लाहु अकबर कहते हुवे सजदे में जाना चाहिए यहाँ फिर से उलटे पैर की ऊँगलीया क़िब्ला रुख करनी है।
सजदे में फिर से अल्लाह की वही तस्बीह 3 या 5 या 7 बार पढ़े “सुबहान रब्बी अल आला“
इस तरह आपकी एक रकअत नमाज़ की पूरी हो गयी
फिर अल्लाहु अकबर कहते हुवे आप खड़े हो जाइए। और अपने हाथ बांध लीजिये। फिर से अल्हम्दु लिल्लाह और दरूद शरीफ पढ़ेंगे उसके बाद कोई भी सूरत जो आपको याद हो वो पढ़नी है और फिर से वही अल्लाहु अकबर कहते हुवे रुकू में जाइए।
फिर “समीअल्लाहु लिमन हमीदह ” कहते हुवे रुकू से खड़े हो जाइए इसके बाद फिर वही “रब्बना व लकल हम्द” कहे फिर अल्लाहु-अकबर कहते हुवे सजदे में जाइए।
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सजदे में फिर से वही अल्लाह की ये तस्बीह 3 या 5 या 7 बार पढ़े “सुबहान रब्बी अल आला”
फिर अल्लाहु-अकबर कहते सजदे से उठकर बैठ जायेंगे।
फिर दोबारा अल्लाहु अकबर कहते हुवे सज्दे में जायेंगे।
सजदे में फिर से अल्लाह की तस्बीह 3 या 5 या 7 बार पढ़े “सुबहान रब्बी अल आला”
फिर अल्लाहुअक्बर कहते हुवे बैठ जाइए (बैठने का तरीका पहली रकअत जैसा ही हो) अब बैठे हुवे ही आपको अत्तहिय्यात पढ़ना है
अत्तहिय्यात
अत्तहिय्यात तर्जुमा के साथ पढ़ने के लिए आप लिंक पर क्लिक करे।
याद रहे – अशहदु अल्ला पर सीधे हाथ की शहादत की ऊँगली इस तरह उठानी है की अंगूठा और बिच की सबसे बड़ी वाली उंगली के पेट दोनों मिलनी है और शहादत की ऊँगली ऊपर करनी है।
इसके बाद दरूद शरीफ (दरूदे इब्राहीम) पढ़नी है दरूदे इब्राहीम पढ़ने के लिंक पर क्लिक करे। दरूद शरीफ पढ़ने के बाद दुआ ए मासूरा पढ़े
Dua e Masura को पढ़ने के बाद आप सलाम फेर सकते हैं. “अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह” कहकर आप सीधे और फिर अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहकर उलटे जानिब की ओर सलाम फेरें।
दाहिनी तरफ के सलाम फेरने में दाहिनी तरफ के फ़रिश्तो की नियत करे और बायीं तरफ के सलाम फेरने में बायीं तरफ के फ़रिश्तो की नियत करे।
Fazr Ki Namaz Ka Tarika
नमाजे फ़ज्र के दो फर्ज की नियत कैसे करे ?
नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ फर्ज की, वास्ते अल्लाह तआला के वक्त फ़ज्र का ( पीछे इस इमाम के ) मुंह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़ अल्लाहुअकबर ।
नोट : आप ये बात याद रखे दिल का इरादा ही नियत है जबान से कहना जरुरी नहीं है। फिर भी कहना चाहे तो कह सकते है।
नोट : अगर अकेले नमाज़ पढ़े या घर पर नमाज़ पढ़े तो इमाम के पीछे ना कहे और फ़र्ज़ की नियत करके जैसे सुन्नत नमाज़ पढ़ी थी उसी तरीके से फ़र्ज़ नमाज़ पढ़े
यहाँ हमने फ़र्ज़ की नमाज़ जमआत के साथ इमाम के पीछे पढ़ने का तरिका बताया है।
इमाम साहब जब अल्लाहुअकबर कहने के बाद हाथ बांध ले तब हमें भी नियत करके हाथ बाँध लेना है।
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हाथ बांध लेने के बाद आपको अपने मन में सना पढ़नी है फिर “अउजू बिल्लाहि मिनश शैतान निर्रजिम. बिस्मिल्लाही र्रहमानिर रहीम.” पढ़कर चुप होकर इमाम साहब जो भी पढ़े उसे दिल लगाकर सुनना चाहिए।
इमाम साहब अब सूरह फातिहा पढ़ेंगे सुरह फातिहा के बाद फिर वो कोई भी क़ुरान शरीफ की सूरत पढ़ेंगे फिर जैसे ही इमाम साहब अल्लाहुअकबर कहके रुकू में जाए हम भी इमाम साहब के साथ रुकू में चले जाएंगे
और रुकू की तस्बीह पढ़ेंगे जो हमने सुन्नत नमाज़ के तरिके में बताई थी।
फिर इमाम साहब जब “समीअल्लाहु लिमन हमीदह ” कहते हुवे रुकू से खड़े हो जाएंगे तो हमें भी उनके साथ “रब्बना व लकल हम्द “(आहिस्ता से कहना है ) कहते हुवे खड़े हो जाना है।
फिर इमाम साहब अल्लाहुअकबर कहते हुए सजदे में जाएंगे तो उनके पीछे पीछे हमें भी उनके साथ सजदे में जाना है।
और सजदे की तस्बीह पढ़ेंगे जो हमने सुन्नत नमाज़ के तरिके में बताई थी।
फिर अल्लाहु अकबर कहके इमाम साहब बैठेंगे तो हमें भी बेठ जाना है एक बार फिर इमाम साहब अल्लाहुअकबर कहते हुए सजदे में जाएंगे तो उनके पीछे पीछे हमें भी उनके साथ सजदे में जाना है।
और सजदे की तस्बीह पढ़ना है। फिर इमाम साहब अल्लाहुअकबर कहते हुए खड़े हो जाएंगे तो हमें भी उनके साथ खड़े हो जाना है इस तरह आपकी नमाज़ की एक रकआत पूरी होगी। और इसी तरह से हमें दूसरी रकअत भी पूरी करना है।
इमाम साहब फिर से सुरह फातिहा पढ़ेंगे सुरह फातिहा के बाद कोई भी क़ुरान शरीफ की सूरत पढ़ेंगे जिसे हमें गौर से सुन्ना है फिर से जैसे ही इमाम साहब अल्लाहुअकबर कहके रुकू में जाए हम भी रुकू में चले जाना है।
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फिर इमाम साहब “समीअल्लाहु लिमन हमीदह ” कहते हुवे रुकू से खड़े हो जाएंगे तो हमें भी “रब्बना व लकल हम्द ” कहते हुवे खड़े हो जाना है। फिर इमाम साहब जब अल्लाहुअकबर कहते हुए सजदे में जाएंगे तो उनके पीछे पीछे हमें भी उनके साथ सजदे में जाना है
सजदे की तस्बीह पढ़े फिर अल्लाहुअकबर कहके इमाम साहब बैठेंगे तो हमें भी बेठ जाना है एक बार फिर इमाम साहब अल्लाहुअकबर कहते हुए सजदे में जाएंगे तो उनके पीछे पीछे हमें भी उनके साथ सजदे में जाना है
और सजदे की तस्बीह पढ़ना है उसके बाद इमाम साहब अल्लाहुअकबर कहते हुए बैठ जाएंगे तो हमें भी उनके साथ बैठ जाना है फिर अत्तहिय्यात पढ़ना है दरूदे इब्राहीम पढ़ना है दुआ ए मसुरा पढ़ना है
उसके बाद जब इमाम साहब सलाम फेरे तो हमें भी उनके साथ सलाम फेर लेना है
इस तरह फ़ज़्र की दो रकअत फ़र्ज़ नमाज़ पूरी मुकम्मल होगी।
नोट : इमाम साहब के पीछे नमाज़ पढ़े तो कोई भी नमाज़ का अरकान इमाम साहब से पहले अदा ना करे क्युकी इमाम के पीछे का मतलब ही यही होता है की इमाम साहब अदा करले उसके बाद ही हमें अदा करना है।
ज़ुहर की नमाज़ पढ़ने का तरीका
ज़ुहर की नमाज़ में 12 रकअत होती है 4 सुन्नत 4 फ़र्ज़ 2 सुन्नत और 2 नफ़्ल। यहाँ सिर्फ नियत बदल जायेगी मगर नमाज़ पढ़ने का तरीका वही रहेगा
नमाजे ज़ुहर की चार सुन्नत की निय्यत कैसे करे ?
“नियत की मैंने चार रकअत नमाज़ सुन्नत की, वास्ते अल्लाह तआला के, वक्त ज़ुहर का, मुँह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़, अल्लाहु-अकबर । ”
अल्लाहु–अकबर कहकर हमें हाथ बाँध लेना है। फिर सबसे पहले हमे सना पढ़ना है। और जिस तरह फ़ज़्र की दो सुन्नत पढ़ी थी वैसे ही दो रकअत पूरी करेंगे दूसरी रकअत में दूसरे सजदे के बाद जब बैठेंगे तो सिर्फ अत्ताहियात पढ़कर फिर खड़े हो जाना है।
बाकि की दो रक’अत को भी उसी तरह पूरा करेंगे जैसे पहली दो रकत पढ़ी थी।
फिर तशहुद में बैठना है , तशहुद में उसी तरह पढ़ना है जैसे उपर सिखाया गया है और अत्ताहियात, दरूद शरीफ और दुआ ए मसुरा पढने के बाद सलाम फेर देना है इस तरह आपकी ज़ुहर की चार रकाअत मुकम्मल पूरी हो जायेगी।
नमाजे ज़ुहर की चार फ़र्ज़ की निय्यत कैसे करे ?
नियत की मैंने चार रकअत नमाज़ फ़र्ज़ की, वास्ते अल्लाह तआला के, वक्त ज़ुहर का, पीछे इस इमाम के , मुह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़, अल्लाहु-अकबर ”
नोट : अगर अकेले पढ़े या नमाज़ घर पर पढ़े तो इमाम के पीछे ना कहे और ज़ुहर की नियत करके जैसी सुन्नत नमाज़ पढ़ी थी वैसी ही जुहर की नमाज़ पढ़े बस आखिरी दो रकत में सूरह नहीं मिलनी है }
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यहाँ हम फ़र्ज़ नमाज़ जमआत के साथ इमाम के पीछे पढ़ने का तरिका बता रहे है
इमाम साहब जब अल्लाहुअकबर कहके हाथ बांध ले तब हमें भी नियत करके हाथ बाँध लेना है।
हाथ बांध लेने के बाद आपको आहिस्ता से सना पढ़नी है फिर बिस्मिल्लाह शरीफ पढ़कर चुप होकर खड़े रहना है निगाह सजदे की जगह हो
अब इमाम साहब आहिस्ता से सुरह फातिहा पढ़ेंगे सुरह फातिहा के बाद कोई भी क़ुरान शरीफ की सूरत पढ़ेंगे। जिसकी आवाज़ हमें नहीं आएगी।
हमें सिर्फ चुपचाप खड़े रहना फिर जैसे ही इमाम साहब अल्लाहुअकबर कहके रुकू में जाए हम भी रुकू में चले जाएंगे फिर इमाम साहब समीअल्लाहु लिमन हमीदह ” कहते हुवे रुकू से खड़े हो जाएंगे तो हमें भी “रब्बना व लकल हम्द ( कहना है ) कहते हुवे खड़े हो जाना है।
फिर इमाम साहब अल्लाहुअकबर कहते हुए सजदे में जाएंगे तो हमे उनके पीछे पीछे हमें भी सजदे में जाना है सजदे की तस्बीह पढ़ेंगे। फिर अल्लाहुअकबर कहके इमाम साहब बैठेंगे तो हमें भी उनके साथ बैठ जाना है
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एक बार फिर इमाम साहब अल्लाहुअकबर कहते हुए सजदे में जाएंगे तो उनके पीछे पीछे हमें भी सजदे में जाना है और सजदे की तस्बीह पढ़ना है
फिर इमाम साहब अल्लाहुअकबर कहते हुए खड़े हो जाएंगे तो हमें भी खड़े हो जाना है इस तरह एक रक् आत पूरी होगी ! और इसी तरह हमें दूसरी रकअत भी पूरी करना है..
दो रक’आत नमाज़ पढने के बाद तशहुद (यानि की बैठ कर ) में सिर्फ अत्तहियात पढ़ ले। और फिर इमाम साहब अल्लाहुअकबर कहते हुए तीसरे रक’अत पढने के लिए उठ कर खड़े हो जाएंगे।
तो हमें भी खड़े हो जाना है। और जैसे जैसे इमाम साहब पढ़ेंगे। वैसे ही उनके पीछे हमें नमाज़ पढ़नी है
रुकू के बाद दो सज्दे कर के चौथी रक’आत के लिए खड़े हो जायेगे। चौथी रक’अत भी वैसे ही पढ़े। जैसे तीसरी रक’आत पढ़ी गई है। चौथी रक’अत पढने के बाद तशहुद में बैठें।
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तशहुद उसी तरह पढ़े जैसे उपर सिखाया गया है और अत्ताहियात, दरूद और दुआ ए मसुरा पढने के बाद इमाम साहब सलाम फेरेंगे तो हमें भी उनके बाद सलाम फेरना है।
इस तरह ज़ुहर की चार फ़र्ज़ नमाज़ मुकम्मल हो गई।
नमाजे ज़ुहर की दो सुन्नत की निय्यत कैसे करे ?
नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ सुन्नत की। वास्ते अल्लाह तआला के, वक्त ज़ुहर का। मुह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़। अल्लाहु-अकबर ।
अल्लाहु-अकबर कहकर हमें हाथ बाँध लेना है। फिर सबसे पहले हम सना पढ़ेंगे। और जिस तरह फ़ज़्र की दो सुन्नत पढ़ी थी वैसे ही दो रकअत पूरी करना है।
नमाजे ज़ुहर की दो नफ़्ल की निय्यत कैसे करे ?
नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ निफ़्ल की, वास्ते अल्लाह तआला के, वक्त ज़ुहर का, मुह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़, अल्लाहु-अकबर । ”
अल्लाहु-अकबर कहकर हमें हाथ बाँध लेना है। फिर सबसे पहले हम सना पढ़ेंगे। और जिस तरह ज़ुहर की दो सुन्नत पढ़ी थी वैसे ही दो रकअत नफ़्ल पूरी करेंगे।
और इस तरह ज़ुहर की 12 रकआत मुकम्मल हो जाएगी।
असर की नमाज़ पढ़ने का तरीका
नमाजे असर में 8 रकअत होती है 4 सुन्नत और 4 फ़र्ज़ । यहाँ भी सिर्फ नियत बदल जायेगी मगर नमाज़ पढ़ने का तरीका वही रहेगा। आप चाहे तो असर की सिर्फ 4 रकअत फ़र्ज़ भी पढ़ सकते है।
नमाजे असर की चार सुन्नत की निय्यत कैसे करे ?
नियत की मैंने चार रकअत नमाज़ सुन्नत की। वास्ते अल्लाह तआला के। वक्त असर का। मुह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़। अल्लाहु-अकबर ।
अल्लाहु-अकबर कहकर हम हाथ बाँध लेंगे। फिर सबसे पहले हम सना पढ़ेंगे। और जिस तरह ज़्रुहर की चार सुन्नत पढ़ी थी। वैसे ही असर की चार सुन्नत रकअत पूरी करेंगे।
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नमाजे असर की चार फ़र्ज़ की निय्यत कैसे करे ?
नियत की मैंने चार रकअत नमाज़ फ़र्ज़ की। वास्ते अल्लाह तआला के। वक्त असर का। पीछे इस इमाम के। मुह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़। अल्लाहु-अकबर ।
अल्लाहु-अकबर कहकर हम हाथ बाँध लेंगे फिर सबसे पहले हम सना पढ़ेंगे। और जिस तरह ज़्रुहर की चार फ़र्ज़ नमाज़ पढ़ी थी। वैसे ही असर की चार फ़र्ज़ रकअत पूरी करेंगे।
मग़रिब की नमाज़ पढ़ने का तरीका
नमाजे मग़रिब में 7 रकअत होती है। 3 फ़र्ज़ 2 सुन्नत 2 नफ़्ल। यहाँ भी सिर्फ नियत बदल जायेगी मगर नमाज़ पढ़ने का तरीका वही रहेगा ! मग़रिब की नमाज़ का वक़्त गुरुब आफताब का होता है। मतलब जब सूरज डूब जाये। यहाँ आपको सबसे पहले फ़र्ज़ नमाज़ पढ़नी होगी
नमाजे मग़रिब की तीन फ़र्ज़ की निय्यत कैसे करे ?
नियत की मैंने तीन रकअत नमाज़ फ़र्ज़ की। वास्ते अल्लाह तआला के। वक्त मग़रिब का। पीछे इस इमाम के। मुह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़। अल्लाहु-अकबर ।
नियत करने के बाद जब इमाम साहब अल्लाहु-अकबर कहकर हाथ बाँध लें। तो अल्लाहु-अकबर कहकर हम भी हाथ बाँध लेंगे ।
हाथ बांध लेने के बाद आपको मन ही मन में सना पढ़नी है। फिर बिस्मिल्लाह शरीफ पढ़कर चुप होकर इमाम साहब जो भी पढ़े उसे दिल लगाकर सुन्ना चाहिए
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इमाम साहब सुरह फातिहा पढ़ेंगे। सुरह फातिहा के बाद कोई भी क़ुरान शरीफ की सूरत पढ़ेंगे। और फिर रुकू होगा। सजदे होंगे। और इस तरह 2 रकआत पूरी होने के बाद जब बैठते है। तब अत्तहियात पढ़ ले। और फिर तीसरे रक’आत पढ़ने के लिए उठ कर खड़े हो जाये।
रुकू के बाद दो सज्दे कर के तशहुद में बैठें। तशहुद उसी तरह पढ़े। जैसे उपर सिखाया गया है। और अत्ताहियात, दरूद शरीफ और दुआ ए मसुरा पढने के बाद सलाम फेर दें। इस तरह आपकी मग़रिब की तीन रक’आत मुकम्मल हो जायेगी।
नमाजे मग़रिब की दो सुन्नत की निय्यत कैसे करे ?
नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ सुन्नत की, वास्ते अल्लाह तआला के, वक्त मग़रिब का, मुह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़, अल्लाहु-अकबर ।
अल्लाहु-अकबर कहकर हमें हाथ बाँध लेना है। फिर सबसे पहले हम सना पढ़ेंगे। और जिस तरह फ़ज़्र ज़ुहरे में दो सुन्नत पढ़ी थी वैसे ही दो रकअत पूरी करेंगे
नमाजे मग़रिब की दो नफ़्ल की निय्यत कैसे करे
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नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ निफ़्ल की, वास्ते अल्लाह तआला के, वक्त मग़रिब का, मुह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़, अल्लाहु-अकबर ।
अल्लाहु-अकबर कहकर हमें हाथ बाँध लेना है। फिर सबसे पहले हम सना पढ़ेंगे। और जिस तरह ज़ुहर की दो नफ़्ल पढ़ी थी वैसे ही दो रकअत नफ़्ल पूरी करेंगे।
और इस तरह मग़रिब की 7 रकआत मुकम्मल हो जाएगी।
इशा की नमाज़ पढ़ने का तरीका
नमाजे इशा में 17 रकअत होती है 4 सुन्नत। 4 फ़र्ज़ । 2 सुन्नत। 2 नफ़्ल। 3 वित्र। 2 नफ़्ल। यहाँ भी सिर्फ नियत बदल जायेगी मगर नमाज़ पढ़ने का तरीका वही रहेगा। इशा की नमाज़ का वक़्त रात का होता है
नमाजे इशा की चार सुन्नत की निय्यत कैसे करे ?
नियत की मैंने चार रकअत नमाज़ सुन्नत की, वास्ते अल्लाह तआला के, वक्त इशा का, मुह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़, अल्लाहु-अकबर ।
अल्लाहु-अकबर कहकर हम हाथ बाँध लेंगे । फिर सबसे पहले हम सना पढ़ेंगे। और जिस तरह ज़्रुहर और असर की चार सुन्नत नमाज़ पढ़ी थी वैसे ही इशा की चार सुन्नत रकअत पूरी करेंगे।
नमाजे इशा की चार फ़र्ज़ की निय्यत कैसे करे ?
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नियत की मैंने चार रकअत नमाज़ फ़र्ज़ की। वास्ते अल्लाह तआला के। वक्त इशा का। पीछे इस इमाम के। मुह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़। अल्लाहु-अकबर ।
फिर आपको इमाम साहब के पीछे वैसे पढ़नी है जैसे आपने ज़ुहर और असर में पढ़ी थी। फर्क सिर्फ इतना रहेगा की इशा की चार फ़र्ज़ में शुरू की दो रकआत में इमाम साहब ऊँची आवाज़ में सुरह फातिहा और क़ुरान शरीफ की सूरत पढ़ेंगे।
फिर तीसरी और चौथी रकआत वैसे ही पढ़नी है। जैसे ज़ुहर और असर की फ़र्ज़ पढ़ी थी।
फिर तशहुद उसी तरह पढ़े जैसे उपर की नमाज़ में सिखाया गया है पढ़ना है। और अत्ताहियात, दरूद शरीफ और दुआ ए मसुरा पढने के बाद इमाम साहब जब सलाम फेरे तब आप भी सलाम फेर दें। इस तरह आपकी ईशा की चार रक’आत फ़र्ज़ मुकम्मल हो जायेगी।
याद रहे-: इमाम साहब के पीछे नमाज़ पढ़े ! तो कोई भी नमाज़ का अरकान इमाम साहब से पहले अदा ना करे
नमाजे इशा की दो सुन्नत की निय्यत किए करे ?
नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ सुन्नत की ! वास्ते अल्लाह तआला के वक्त इशा का मुह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़ अल्लाहु-अकबर।
अल्लाहु-अकबर कहकर हमें हाथ बाँध लेंगे। फिर सबसे पहले हम सना पढ़ेंगे। और जिस तरह फ़ज़्र या ज़ुहर में दो सुन्नत पढ़ी थी वैसे ही दो रकअत पूरी करेंगे
नमाजे इशा की दो नफ़्ल की निय्यत कैसे करे ?
नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ निफ़्ल की। वास्ते अल्लाह तआला के, वक्त इशा का। मुह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़। अल्लाहु-अकबर ।
अल्लाहु-अकबर कहकर हमें हाथ बाँध लेना है। फिर सबसे पहले हम सना पढ़ेंगे। और जिस तरह ज़ुहर की दो नफ़्ल पढ़ी थी वैसे ही दो रकअत नफ़्ल पूरी करेंगे।
नमाजे इशा की तीन वित्र की निय्यत कैसे करे ?
नियत की मैंने तीन रकअत नमाज़ वित्र वाजिब की। वास्ते अल्लाह तआला के। वक्त इशा का। मुह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़। अल्लाहु-अकबर ।
अल्लाहु-अकबर कहकर हमें हाथ बाँध लेना है ! फिर सबसे पहले हम सना पढ़ेंगे ! और जिस तरह ज़ुहर की दो नफ़्ल पढ़ी थी ! वैसे ही दो रकअत पूरी करेंगे।
और तशह्हुद में अत्ताहियात पढ़ने के बाद अल्लाहु-अकबर कहते हुए खड़े हो जाना है। खड़े होने के बाद सूरह फातिहा पढ़ेंगे। और फिर क़ुरआन की कोई भी सूरह पढ़ेंगे।
उसके बाद अल्लाहु-अकबर कहते हुए दोनों हाथो को कान तक सीधे ले जाएंगे। हाथ के अंगूठे कानो की निचली जगह को छूना चाहिए।
और फिर हाथ बांध लेंगे , हाथ बाँध लेने के बाद दुआ ए क़ुनूत पढ़ेंगे। दुआ य क़ुनूत पढ़ने के लिए आप लिंक पर क्लिक कर सकते है।
अल्लाहु-अकबर कहकर रुकू करेंगे फिर सजदा और तशह्हुद दुसरी नमाज़ो की तरह ही करेंगे। अत्ताहियात,दरूद शरीफ और दुआ ए मसूरा और फिर सलाम फेर लेंगे।
इस तरह वित्र की नमाज़ पढ़ी जायेगी।
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नमाजे इशा की दो नफ़्ल की निय्यत कैसे करे ?
नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ निफ़्ल की। वास्ते अल्लाह तआला के। वक्त इशा का। मुह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़। अल्लाहु-अकबर।
अल्लाहु-अकबर कहकर हमें हाथ बाँध लेना है। फिर सबसे पहले हम सना पढ़ेंगे। और जिस तरह पहले की दो नफ़्ल पढ़ी थी। वैसे ही दो रकअत नफ़्ल पूरी करेंगे।
और इस तरह इशा की 17 रकआत नमाज़ मुकम्मल हो जाएगी।
हर नमाज़ के बाद आप को ये तस्बीह भी पढ़ना चाहिए।
33 मर्तबा सुबहान अल्लाह
33 मर्तबा अलहम्दु लिल्लाह
34 मर्तबा अल्लाहु अकबर पढ़ें
नमाज़ के आदाब कौन कौन से है
- पैजामे या पेन्ट टखनों से ऊपर होना चाहिए।
- हाथो में शर्ट की आस्तीनें मुड़ी हुई नहीं होनी चाहिए।
- शर्ट के बटन इतने भी खुले हुए ना हो की छाती नज़र आ जये।
- कोशिश करे नमाज़ के कपडे अलग ही रखे जो साफ़ सुथरे होने चाहिए।
- दौराने नमाज़ बिलकुल हिलना डुलना नहीं चाहिए।
- इधर उधर नहीं देखना चाहिए।
- मोबाइल बंद कर देना चाहिए या फिर आवाज़ कम कर देना चाहिए।
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इस आर्टिकल में हमने namaz ka tarika step by step हिंदी में बताया है जो की आप आसानी से पढ़ कर समझ सकते है।
हमने namaz ka sahi tarika sunni मसलक के हिसाब से बताया है।
और ये कोशिश की है आप लोग उसे आसानी से समझ सके। आप सभी से गुजारिश है की जितना हो सके इसे अपने दोस्तों, रिस्तेदारो, और जिन भाइयो को नमाज़ का सही तरीका नहीं मालूम हो उनके साथ शेयर करे।
(Content Source : sunnah.com)
अच्छी बातें बताना और फैलाना सदका -ए -जरिया है।
सवाल और जवाब
नमाजे फज़र की दो सुन्नत की निय्यत कैसे करे ?
आप नियत ऐसे करे : नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ सुन्नत की, वास्ते अल्लाह तआला के, वक्त फ़ज्र का, मुह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़, अल्लाहु-अकबर ।
आप ये बात याद रखे दिल का इरादा ही नियत है जबान से कहना जरुरी नहीं है। फिर भी कहना चाहे तो कह सकते है।
नमाजे फ़ज्र के दो फर्ज की नियत कैसे करे ?
नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ फर्ज की, वास्ते अल्लाह तआला के वक्त फ़ज्र का ( पीछे इस इमाम के ) मुंह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़ अल्लाहुअकबर
नमाजे ज़ुहर की चार सुन्नत की निय्यत कैसे करे ?
नियत की मैंने चार रकअत नमाज़ सुन्नत की, वास्ते अल्लाह तआला के, वक्त ज़ुहर का, मुँह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़, अल्लाहु-अकबर।
नमाजे ज़ुहर की चार फ़र्ज़ की निय्यत कैसे करे ?
नियत की मैंने चार रकअत नमाज़ फ़र्ज़ की, वास्ते अल्लाह तआला के, वक्त ज़ुहर का, पीछे इस इमाम के , मुह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़, अल्लाहु-अकबर
नमाजे मग़रिब की तीन फ़र्ज़ की निय्यत कैसे करे ?
नियत की मैंने तीन रकअत नमाज़ फ़र्ज़ की। वास्ते अल्लाह तआला के। वक्त मग़रिब का। पीछे इस इमाम के। मुह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़। अल्लाहु-अकबर ।
नमाजे इशा की तीन वित्र की निय्यत कैसे करे ?
नियत की मैंने तीन रकअत नमाज़ वित्र वाजिब की। वास्ते अल्लाह तआला के। वक्त इशा का। मुह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़। अल्लाहु-अकबर ।
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