दुनिया में इस्लाम मज़हब को लेकर लोगो का एक अलग ही नजरिया है। इस्लाम को बहुत ही बेरहम मज़हब दिखाया जाता है यहाँ पर हम आपको Islam ki achi baatein in hindi बता रहे है।
इस्लाम के बारे में इसी बात पर गौर करना चाहिए। कि जो नमाज़ के समय के लिए हुक्म देता है कि वजू करते हुए 2 बूँद पानी भी ज़मीन पर नहीं गिरना चाहिए या जाया नहीं होना चाहिए। यानि जो इस्लाम हमे पानी बहाने की इजाजत नहीं देता वो खून बहाने की इजाजत कैसे देगा सकता है।
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दरअसल बात कुछ ऐसी है कि इस्लाम हमे जो तालीमात या तालीम देता है उन्हें लोगों ने समझा ही नहीं । इस्लाम के असल मकसद को लोगो ने समझा ही नहीं । इस्लाम हमे नफरत नहीं मोहब्बत सिखाता है ।इसी तरह और भी बहुत बातें है Islam Ki Achi Baatein In Hindi में आपको बताने जा रहे है।
हमे कुरआन में इसका साफ़ साफ़ ज़िक्र मिलता है कि इस्लाम अन्य मजहबों की इज़्ज़त करना और भाईचारा सिखाता है। अब गलत बात को या गलत सीखकर कोई बुरा हो जाये तो इस्लाम को तो बदनाम नहीं किया जा सकता है न ।
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इस्लाम हमे कौनसी अच्छे बाते बताता है –
बात करने से पहले सलाम का अदब
सलाम करने के आदाब,के बारे में हुज़ूर-ए-अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हमें क्या तालीम फरमाई है आइए उसको तफ्सील से जानते है।
अल्लाह के रसूल सल्लल्लहू अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया है की अल्लाह ताला के सबसे ज्यादा करीब वही आदमी है जो दूसरे के सलाम इंतजार किए बगैर ही खुद सलाम में पहल करें।
इस्लाम में सबसे बेहतरीन इस काम को माना गया है कि खाना खिलाओ और हर मुसलमान को सलाम करो चाहे उस शख्स से जान पहचान हो या ना हो। यही इस्लाम की खूबी है।
बात करने से पहले सलाम किया जाये इस्लाम हमे यही तालीम देता है।
(तिर्मीजी शरीफ)
सवार पैदल चलने वाले को, और पैदल चलने वाला बैठे हुए आदमियों को, और ज्यादा आदमी कम आदमी को, और छोटा आदमी बड़े आदमी को सलाम करें
कुरआन की तिलावत बेहतरीन इबादत है।
अल्लाह तआला इरशाद फ़रमाता है- जब क़ुरान पढ़ा जाए तो उसे कान लगाकर सुनो और ख़ामोश रहो कि तुम पर रहम हो
(कनज़ुलइमान तरजुमा क़ुरान पारा- 9, रुकु- 14, सफ़ा- 284)।
हुज़ूर-ए-अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया है की जो भी क़ुरान पढ़ेगा और उसके मुताबिक अमल करेगा तो अल्लाह ताला उस शक्श के माँ बाप को क़यामत के दिन एक ताज पहनाएंगे। जिसकी रौशनी सूरज की भी रौशनी से तेज होगी। इसी से आप अंदाज़ा लगा लीजिये की जब माँ बाप को इतनी इज़्ज़त बक्शी जाएगी तो पढ़ने वालो को कितनी इज़्ज़त दी जाएगी।
इल्म का हासिल करना हर मुसलमान मर्द और औरत पर फर्ज़ है।
ओलमा के नज़दीक इस हदीस-ए-पाक के मुताबिक़ जो इल्म सीखना फ़र्ज़ हैं वो कुछ इस तरह हैं।
- इल्म हासिल करने की हदीस में जो सबसे पहले और सबसे ज़रूरी फ़र्ज़ है वो है कि उन बुनियादी अक़ाइद का इल्म हासिल किया जाये । जिनसे आदमी सही अक़ीदा रखने वाला मुसलमान बन सके है और जिनका इन्कार या मुख़ालफ़त करके काफ़िर या गुमराह हो जाता है।
- इस के बाद जो आता है वो है की वो तहारत यानी पाकी और सफ़ाई का इल्म हासिल करे।
- इसके बाद वो नमाज़ के मसाइल यानी उस के फ़र्ज़, शर्तें और नमाज़ तोड़ने वाली चीज़ें सीखे जिससे वो नमाज़ सही तरह अदा कर सके।
- इसी के साथ ही साथ वो रमज़ानुल मुबारक के रोज़ों के मुताल्लिक़ मसाइल के बारे में जाने।
- उसको ज़कात के मसाइल में भी इल्म हासिल करना चाहिए ताकि मालिक-ए-निसाब होने पर ज़कात सही तरह अदा कर सके।
- साहिब-ए-इस्तिताअत हो तो हज के मसाइल के बारे में इल्म हासिल करे।
- निकाह करना चाहे तो उस के ज़रूरी मसाइल जाने और समझे।
- व्यापारी (Businessman) हो तो व्यापार के लिये ख़रीदने और बेचने के मसाइल के बारे में जाने।
- किसान (और ज़मींदार) है तो खेती बाड़ी के मुताल्लिक़ मसाइल के बारे में इल्म हासिल करे।
- मुलाज़िम बनने और मुलाज़िम रखने वाले पर मुलाज़मत से मुताल्लिक़ मसाइल के बारे में इल्म हासिल करना जरुरी है।
- हर समझदार और बालिग़ मुसलमान मर्द औरत पर उस की मौजूदा हालत के मुताबिक मसले सीखना और जानना फ़र्ज़े ऐन है।
- इसी के साथ ही उसके लिए हलाल और हराम के मसाइल भी सीखना फ़र्ज़ है।
طَلَبُ العِلْمِ فَرِیْضَۃٌ عَلٰی کُلِّ مُسْلِمٍ
तर्जुमा -इल्म का हासिल करना हर मुसलमान मर्द (और- औरत) पर फ़र्ज़ है।
इस्लाम में माँ बाप का रुतबा
कुरआने मजीद में इरशाद है की और तुम्हारे रब का कतई फैसला है कि तुम अल्लाह के सिवा किसी की इबादत न करो और अपने वालदेन के साथ अच्छा और नेक सुलूक करते रहो।
अगर तुम्हारे सामने उनमे से एक या दोनों बुढ़ापे पर पहुँच जाये तो उन्हें उफ़ भी न कहो और न उन्हें झिड़को और हमेशा उनसे अच्छा सलूक करो औरउनसे अदब से बात करो और उनके सामने हमेशा शफ़क़त से आजज़ी के साथ झुके रहो और कहो की ए मेरे रब जैसे मेरे माँ बाप ने मुझे बचपन में पाला है इसी तरह तू भी उनपर रहम फरमा।
(कुरान मज़ीद)
अल्लाह तआला ने अपनी इबादत का हुक्म देने के बाद सबसेपहले वालिदैन के साथ भलाई करने का हुक्म दिया है। इससे यही मालूम होता है कि माँ बाप की ख़िदमत करना बहुत ही ज़रुरी है।
वालिदैन के साथ भलाई करने का यह मतलब होता है कि अगर वो कोई बात कहते है तो उसको मानना चाहिए उनको कुछ भी नहीं कहना चाहिए और न ही ऐसा कोई काम करना चाहिए जिससे उन्हें तकलीफ़ पहुंचे औरइसी के साथ ही अपने आप से और अपने माल से उनकी ख़िदमत में कोई कसर नहीं रखना चाहिए।
अल्लाह तआला अपनी मंशा से तमाम गुनाहों की मग़फ़िरत फ़र्मा देता है, मगर वालदैन की नाफ़रमानी और ईज़ा रसानी करने वाले को इसी दुनिया में मरने से पहले सज़ा भुगतनी पड़ती है…।”
(मिश्क़ात शरीफ़)
इस आर्टिकल में हमने Islam Ki Achi Baatein In Hindi बताने की कोशिश की। अगर आप ये सब बातें अच्छी लगी हो तो आप हमे कमेंट में बता सकते है इस्लाम एक बहुत ही खूबसूरत मज़हब है। जो की हमेशा हमे मोहब्बत करना सिखाता है न की नफरत करना।
Bahut achcha laga is article ko padhkar
very nice post
Veri nice
I liket😃😃😃😍😍😍
Mashallah bhut khubsurat