रमजान का महीना खत्म होने वाला है लेकिन इस मुबारक महीना खत्म होने से पहले हमें ये 2 काम जरूर करना चाहिए। जो हम आपको इस आर्टिकल में बताएंगे जिसे आपको रमजान खत्म होने से पहले करना है। इन दोनों कामों को करने से आपकी रमजान की इबादत ए मुकम्मल हो जाएगी और शैतान आपको किसी भी तरह से बहका नहीं पाएगा। तो आर्टिकल को आख़िर तक पढ़ें
रमजान खत्म होने से पहले हमें अल्लाह का शुक्र अदा करना है और ईस्तग्फार करना है।
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लेकिन ऐसा क्यों करना है यह भी हम आगे बताने वाले हैं और यह जानने से पहले आप जल्दी से आर्टिकल को लाइक कर दीजिए। हजरत अबू बकर सिद्दीक रजि अल्लाह अनहा ताला फरमाते है कि जब भी कोई मुसलमान कोई इबादत का काम करता है तो शैतान उस मुसलमान की इबादत को दो तरह से खराब करने की कोशिश करता है।
नंबर 1 ,वह मुसलमान के दिल में तकब्बुर पैदा करने की कोशिश करता है कि तुम तो बहुत इबादत गुजार हो, तुमने तो रमजान के 30 रोजे रख लिए और तरावीह भी पड़ी है, कुरान शरीफ भी मुकम्मल किया है, तुमने तो बहुत ही ज्यादा इबादतें कर ली, दूसरे मुसलमानों के मुकाबले तुमने अल्लाह पाक को ज्यादा खुश किया तुम्हारे दोस्तों या फिर रिश्तेदारों में से किसी ने तो रोजे भी नहीं रखे लेकिन तुमने इतने सारे रोजे रख लिए है। इसी तरह से दिल में तकब्बुर लाने की कोशिश करता है।
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और जैसे ही किसी ईमान वाले के दिल में तकब्बुर आता है तो सारी इबादतें खराब हो जाती है।
नंबर दो, शैतान मायूसी पैदा करता है मायूसी इस तरह से पैदा करता है कि तुमने तो रोजा रखा हैं लेकिन रोजा रख के तो तुमने गाने भी सुने, टीवी देखी सीरियल देखें, तुमने तो जो नमाजे पढ़ी है वह भी कितनी जल्दी जल्दी पढ़ी है, तुम तो बाजारों में खो जाते थे तुम्हारा तो ध्यान कहीं और रहता था, कैसी तुम्हारी इबादत है कुरान शरीफ की तिलावत इतनी जल्दी जल्दी करते हो जैसे पढ़ना ठीक से आता ही नहीं है। तो इस तरह मुसलमान के दिल में मायूसी पैदा हो जाती है।
जब मायूसी आ जाती है तो मुसलमान बोलता है कि अरे यार क्या फायदा मेरी तो इबादत ही उस लायक ही नहीं है। और अब तो मैं इबादत करूंगा ही नहीं तो। यह दो तरीके हैं जिन दो तरीकों से शैतान मुसलमानों की इबादत खराब करने की कोशिश करता है।
मगर अबू बकर सिद्दीक रजि अल्लाह अनहा ताला फरमाते हैं कि जब किसी भी इबादत के बाद मुसलमान अल्लाह का शुक्र अदा करता है तो शैतान का जो पहला तरीका होता है इबादत को खराब करने का वह नाकाम हो जाता है।
और जब मुसलमान किसी इबादत के बाद इस्तग्फार करता है तो शैतान का दूसरा तरीका जो होता है इबादतों को खराब करने का वह भी नाकाम हो जाता है।
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अब हम आपको बताने वाले हैं कि आपको अल्लाह का शुक्र कैसे अदा करना है:
आपको कहना है कि अल्लाह जितनी भी तारीफ हैं सब तेरे लिए है तू ही तारीफ के लायक है, तूने मुझ जैसे फकीर को रमजान का मौका इनायत करवाया, रोजे रखने की तौफीक अता फरमाई, तराबीह पढ़ने की तौफीक अता फरमाई, मुझ जैसे फकीर नाकारा को तूने कुरान ए मजीद पढ़ने की तौफीक अता फरमाई।
तूने मेरी पिसानी को तेरे आगे सजदा करने की तौफीक अता फरमाई, यह सब तेरा ही करम है वरना कितने लोग ऐसे हैं जिनकी जिंदगी में रमजान आता है और उन्हें पता ही नहीं चलता है। तो इस तरह से शैतान की पहली चाल नाकाम हो जाती है।
आर्टिकल को आगे बढ़ाने से पहले आप इस आर्टिकल को शेयर कर दीजिए ताकि आपकी वजह से लोग रमजान में यह दो चीजें कर पाए।
दूसरा है कि आपको इस्तग्फार करना है और आपको अल्लाह से यह कहना है कि अल्लाह पाक भले ही मेरी इबादत में कमियां हुई जिस तरह से नमाज पढ़ने चाहिए थी मैंने उस तरह से नहीं पड़ी जिस तरह से रोजे रखने चाहिए थे मैंने उस तरह से रोजे नहीं रखें इसलिए अगर मुझसे कोई भूल चूक हो गई हो तो मुझे माफ करें।
तो इस तरह से शैतान का दूसरा इरादा भी नाकाम हो जाता है।
रमजान में चांद रात की भी कई सारी फजीलतें है जो बहुत सारे लोग नही जानते। तो दोस्तों चांद रात की। फजीलतें जानने के लिए इस आर्टिकल को पढ़ें और शेयर करे।