
इस्लाम में हज | Hajj In Islam
दुनिया में हर हैसियत मंद मुसलमानों को कम से कम एक बार हज करना जरूरी है ऐसा हमारे रसूल अल्लाह का फरमान है। इस्लाम में हज लोगों के दिलो में एहतराम पैदा करता है।

दुनिया में हर हैसियत मंद मुसलमानों को कम से कम एक बार हज करना जरूरी है ऐसा हमारे रसूल अल्लाह का फरमान है। इस्लाम में हज लोगों के दिलो में एहतराम पैदा करता है।

रसूलअल्लाह ने फरमाया की मुसलमानों का नमाज़ को छोड़ना उन्हें गुनाह और शिर्क तक पहुंचा देता है। कुफ्र और ईमान के बीच जो दीवार है वह सिर्फ और सिर्फ नमाज़ है।

अल्लाह पाक ऐसे लोगों को बहुत पसंद करते हैं जो सभी के लिए अपने दिल में मोहब्बत रखते हैं ना कि नफरत क्योंकि नफरत इंसान से ऐसे काम करवाती है जो गुनाह होते हैं और सभी गुनाहों की माफी नहीं होती है।

“अस्सलाम अलैकुम दोस्तों” हमारा इस्लाम बहुत ही प्यारा मजहब है हमारे इस्लाम में मुस्कुराने पे भी सवाब मिलता है। हम हुज़ूर सल्लल्लाहों अलैहि वसल्लम के उम्मति है और हमारे उम्मत में छोटी छोटी चीज़ों पे सुन्नत मुकर्रर किया है।

अल्लाह और अल्लाह के रसूल के फ़रमान के मुताबिक जिन्दगी गुजारना एक इबादत ही है तो आज आप यहां पर इसी इबादत यानी इस्लाम में परदे की अहमियत से जुड़ी सभी बात जानेंगे तो इस पैग़ाम को अव्वल से अंत तक ध्यान से पूरी बात को पढ़ें और इल्म में इज़ाफा करें।

हमारे नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम का फरमान है कि सुन्नत को अपनाने बहोत सवाब के हक़दार होंगे और खजूर खाना सुन्नत है और बहोत फायदेमंद भी