Miswak Ke Fayde Aur Masael
इस्लाम में अल्लाह ताला ने हमें अपनी इबादत करने का हुक्म दिया है। अल्लाह के हुक्म पर हम इबादत करते हुए सवाब के हक़दार तो होते ही है साथ में हमें दुनयावी फायदा मज़ीद हासिल होता है।
इसी में एक है मिस्वाक। जैसा की हम जानते है मिस्वाक या दातुन दाँतों और मुँह की सफ़ाई के लिए बहुत ज़रूरी है। इससे सफ़ाई के अलावा बहुत सी बीमारियाँ भी दूर होती हैं। इस आर्टिकल में हम आपको दीनी और दुनयावी एतबार से Miswak Ke Fayde के बारे में कुछ अहम बाते बतायेगे।
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इस्लाम में इसकी इतनी अहमियत बताई गई है कि उसको हम पूरा बयान भी नहीं कर सकते। मिस्वाक हर नबी की सुन्नत है और हमारे नबी सल्लाहु अलैहि वसल्लम की मुस्तक़िल सुन्नत रही है।
मिस्वाक करना सुन्नत-ए-मुअक्कदा है यानि ऐसी सुन्नत जिसको जान बुझ कर छोड़ने वाला हुज़ूर की शफ़ाअत से महरूम हो सकता है।
मिस्वाक की फ़ज़ीलत
- तुम्हारे मुँह क़ुरआन के रास्ते हैं पस इनको मिस्वाक से साफ़ करो। (अबू नईम,बज़्ज़ार)
- मिस्वाक का इंतज़ाम रखो कि वह सबब है मुँह की सफ़ाई और रब की रज़ा का।(मुसनद इमाम अहमद बिन हम्बल)
- मिस्वाक के साथ नमाज़ बिना मिस्वाक किए पढ़ी गई नमाज़ से सत्तर गुना बेहतर है।(शेअबुल ईमान)
- अगर मैं अपनी उम्मत के लिए मुश्किल न समझता तो हर नमाज़ के वक़्त मिस्वाक का हुक्म देता।(मुस्लिम,तिबरानी)
उलमा किराम फ़रमाते हैं कि जो मोमिन मिस्वाक की आदत रखता हो तो मरते वक़्त उसे कलिमा पढ़ना नसीब होगा और जो अफ़ीम खाता हो मरते वक़्त उसे कलिमा नसीब नही होगा।
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मिस्वाक के मसाइल
मिस्वाक की अहमियत जान लेने के बाद इससे मुताल्लिक़ कुछ ख़ास बातें और मसाइल भी जानना ज़रूरी है।
- मिस्वाक न तो बहुत सख़्त हो न बहुत नर्म।
- मिस्वाक पीलू या नीम वग़ैरा की लकड़ी की हो, फल या ख़ुशबूदार फूल के पेड़ की न हो।
- चुंगली के बराबर मोटी और ज़्यादा से ज़्यादा एक बालिश्त लम्बी हो और इतनी छोटी भी न हो कि मिस्वाक करने में परेशानी हो।
- मिस्वाक जब करने के क़ाबिल न रहे तो उसे दफ़न कर देना चाहिये या किसी ऐसी जगह रख दे कि किसी नापाक जगह में न गिरे क्योंकि वह सुन्नत के अदा करने का ज़रिया है इसलिये उसकी ताज़ीम करनी चाहिये।
- मिस्वाक दाहिने हाथ से करना चाहिये और इस तरह हाथ में ली जाये कि चुंगली मिस्वाक के नीचे और बीच की तीन उंगलियाँ ऊपर और अँगूठा सिरे पर नीचे हो और मुट्ठी न बंधे।
- दाँतों की चौड़ाई में मिस्वाक करें लम्बाई में नहीं। चित लेट कर मिस्वाक न करें।
- पहले दाहिने तरफ़ के ऊपर के दाँत माँझें फिर बाईं तरफ़ के ऊपर के दाँत फिर दाहिनी तरफ़ के नीचे के दाँत और फिर बाईं तरफ़ के नीचे के दाँत।
- जब मिस्वाक करना हो तो उसे धो लें और मिस्वाक करने के बाद भी उसे धो लें, ज़मीन पर पड़ी न छोड़े बल्कि खड़ी रखे और उसे इस तरह खड़ी रखे कि उसके रेशे वाला हिस्सा ऊपर रहे।
- अगर मिस्वाक न हो तो उंगली या सख़्त कपड़े से दाँत माँझ ले और अगर दाँत न हों तो उंगली या सख़्त कपड़ा मसूढ़ों पर फेर ले।
- मिस्वाक नमाज़ के लिये सुन्नत नहीं बल्कि वुज़ू के लिये है तो जो आदमी एक वुज़ू से चन्द नमाज़ें पढ़े उसे हर नमाज़ के लिये उस वक़्त तक मिस्वाक करना ज़रूरी नहीं जब तक मुँह में बू न आने लगे, मुँह की बू दूर करने के लिये यह मुस्तक़िल सुन्नत है अगर वुज़ू में मिस्वाक नहीं कर सकें तो नमाज़ के वक़्त कर लेना चाहिए।
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मिस्वाक कब करना चाहिये
- वुज़ू करते वक़्त।
- क़ुरआन मजीद की तिलावत के लिए
- दाँतों पर पीलापन या मैल चढ़ जाने पर।
- सोने से पहले।
- काफ़ी देर तक कुछ न खाने की वजह से या कोई बदबूदार चीज़ खाने से मुँह का मज़ा ख़राब हो जाने पर।
मिस्वाक के दुनियावी फ़ायदे
तहकीक में यह बात साबित हो चुकी है की सभी बीमारियां पेट से शुरू होती है और पेट की खराबी मुंह की खराबी से शुरू होती है तो जब हम मिस्वाक करते हैं तो हमारा दांत साफ हो जाता है।
और उसमें जो कुछ भी जरासिम होते हैं वह उससे मर जाते हैं और साथ ही अगर वह पेट में भी हमारे चली गई मिस्वाक तो उसका कोई नुकसान नहीं होता।
जबकि आजकल जो बाजार में मंजन मिलते हैं उनमें बहुत ही ज्यादा केमिकल का इस्तेमाल होता है जिससे वह दांत साफ करने के साथ ही अगर हमारे मुंह के जरिए पेट के अंदर दाखिल हो गए हैं तो वह पेट के लिए काफी नुकसानदेह साबित हो सकते हैं।
तो यहां हमने दुनियावी तौर पर भी यह देखा कि मिस्वाक किस तरीके से फायदेमंद है।
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एक बात और काबिले गौर है कि आमतौर पर जो ब्रश हम दांत साफ करने के लिए इस्तेमाल करते हैं तो वह एक ही ब्रश काफी दिनों तक करते रहते हैं जिससे उस ब्रश में अगर कोई जरासिम हो तो वह हमारे मुँह के जरिए से पेट में जा सकता है।
जबकि अगर हम मिस्वाक करते हैं तो उसका ब्रश ज्यादा से ज्यादा एक-दो दिन में अपने आप ही खत्म हो जाता है और फिर से उसको कूच कर नया ब्रश बनाना पड़ता है तो इसमें जो जरासीम ब्रश चिपक सकते हैं।
मिस्वाक के मामले में उसकी बिल्कुल भी उमीद नहीं रहती तो यह एक साथ मंजन और ब्रश दोनों का काम कर सकता है।
इसके आलावा अहादीस में मिस्वाक की बहोत जयादा फ़ज़ीलत बयान हुई है वही इसके दुनियावी फ़ायदे भी बे-शुमार हैं जिनमें से कुछ नीचे दे रहे है।
- बहुत सी बीमारियों में शिफ़ा
- जल्दी बुढ़ापा नहीं आता।
- नज़र तेज़ करता है।
- मुँह साफ़ करता है और उसकी बदबू दूर करता है।
- दाँतों का पीलापन दूर करके उन्हें सफ़ेद और चमकदार बनाता है।
- मसूढ़ों को मज़बूत करता है और दाँतों की ज़्यादातर बीमारियाँ दूर करता है।
- मेदे को ताक़त देता है और खाना हज़्म करता है।
- बलग़म को ख़त्म करता है।
- आधा सीसी यानि आधे सिर का दर्द दूर करता है।
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Source : Sunnah.com