
जान ले सुरेह इखलास की ये खास फजीलत
अपनी परेशानी के वक्त सूरह इखलास की तिलावत करने से सारी परेशानियां दूर हो जाती है और सुरह इखलास नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम रोजाना पढ़ा करते थे।

अपनी परेशानी के वक्त सूरह इखलास की तिलावत करने से सारी परेशानियां दूर हो जाती है और सुरह इखलास नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम रोजाना पढ़ा करते थे।

अगर किसी शख्स पर जादू टोने का असर हुआ है तो वह सूरह रहमान की तिलावत करें इससे बुरी नजर और जादू टोने से अल्लाह पाक उसकी हिफाजत फरमाते हैं। और जो शख्स इसे रोजाना पढ़ता है वह हर तरह के जादू और दुश्मनों की नजर से बचा रहता है।

जिन घरों में रिज्क की कमी होती है बरकत और दौलत नहीं होती उस घर में अगर रोज सूरह वाकिया की तिलावत की जाए तो वह घर रिज्क और बरकतों से भर जाता है। इस आर्टिकल में मैं सूरह वाकिया के हैरतअंगेज फायदे बताऊंगी जिसे जानकर आप हैरान हो जाएंगे।

वैसे तो अल्लाह पाक के 3000 नाम है जिनमें से एक हजार अल्लाह के सिवा और कोई भी नहीं जानता और 1000 वह है जो फरिश्तों के अलावा कोई और नहीं जानता और 1000 वह है जो पैगंबरों से हम तक पहुंचे हैं जिनमें से 300 तोरेत में 300 जबूर में और 300 इंजील में और एक सौ कुरान में दिए गए हैं।

सारे मुसलमानों को तो रमजान और ईद दोनों के राज नहीं पता कि यह दोनों किस लिए मनाए जाते हैं हम आपको ईद मनाने का तरीका बताने वाले हैं और ईद मनाने का सुन्नत तरीका है। सुन्नत तरीका जो हमारे हुजूर अकरम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम को बहुत पसंद आता है।

हम लोग दिन, तारीख, साल, महीना सभी चीजें उसी हिसाब से मानते हैं जिस हिसाब से पूरी दुनिया मानती है लेकिन हमारे इस्लाम में इस्लामिक कैलेंडर है जो हमें हिजरी से मिला है और इनमें जो दिन तारीख है उसी हिसाब से हमें चलना चाहिए।हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने जब मक्का से निकलकर मदीना में दाखिला हुए तो इसे हिजरत नाम दिया गया जिस दिन वह मदीना गए उस दिन को हिजरी कैलेंडर के रूप में शुरू किया गया। इस्लामिक कैलेंडर में हर साल हर महीने करीब 10 दिन पीछे खिसकते रहते हैं।