अस्सलाम वालेकुम दोस्तों हम लोग दिन, तारीख, साल, महीना सभी चीजें उसी हिसाब से मानते हैं जिस हिसाब से पूरी दुनिया मानती है लेकिन हमारे इस्लाम में इस्लामिक कैलेंडर है जो हमें हिजरी से मिला है और इनमें जो दिन तारीख है उसी हिसाब से हमें चलना चाहिए।
हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने जब मक्का से निकलकर मदीना में दाखिला हुए तो इसे हिजरत नाम दिया गया जिस दिन वह मदीना गए उस दिन को हिजरी कैलेंडर के रूप में शुरू किया गया। इस्लामिक कैलेंडर में हर साल हर महीने करीब 10 दिन पीछे खिसकते रहते हैं।
पूरी दुनिया के लोगों के लिए नया साल फर्स्ट जनवरी से शुरू होता है लेकिन इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से मुसलमानों का नया साल हिजरी के हिसाब से शुरू होता है।
इस्लामीक कैलेंडर में भी 12 महीने में 1 साल होते हैं पहले महीने में मोहर्रम और नौवें महीने में रमजान खास होता है।
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तो चलिए हम आपको इस्लाम के हिज़री के हिसाब से पुरे 12 महीने के बारे में बताते हैं-
1. इस्लाम कैलेंडर का पहला महीना मुहर्रम का होता है जिसमें से 10 दिन मुहर्रम मनाया जाता है।
2.दूसरा महीना सफरुल मुजफ्फर (सफ़र) का होता है।
3.तीसरा महीना रबी उल अव्वल का होता है और यह हुजूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की पैदाइश हिजरत और वफात का महीना है।
4.इस्लाम का चौथा महीना रबिउस सानी का होता है जिसे रबीउल आख़िर भी कहते हैं।
5.पांचवा महीना इस्लाम में जुमादल उला का होता है।
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6.इस्लाम का छठा महीना जुमादस् सानी का होता है इसे जुमादल आखिर भी कहा जाता है।
7.इस्लाम का सातवां महीना रजबुल मुरज्जब का होता है जिसे रजब भी कहते हैं।
8.इस्लाम का आठवां महीना शाबानुल मुअज्जब का होता है जिसे शाबान भी कहा जाता है।
9.इस्लाम में नवा महीना रमजान का होता है इसे रमजान उल मुबारक भी कहा जाता है इसमें लोग पूरे 1 महीने रोजे रखते हैं।
10.इस्लाम में दसवां महीना शव्वालूल मुकर्रम का होता है जिसे शव्वाल भी कहा जाता है और इसी महीने की 1 तारीख को ईद मनाई जाती है।
11.इस्लाम का 11वा महीना जुल कउदा का होता है।
12.इस्लाम का सबसे आखरी महीना जब लोग हज करते हैं। ईद उल अदहा इस माह की 10 तारीख को मनाई जाती है और इसे जुल हिज्जा भी कहा जाता है।
इस्लाम के अनुसार हिजरी कैलेंडर की शुरुआत लगभग 14 सौ 40 साल पहले हो चुकी है इस्लाम के दूसरे खलीफा हजरत उमर फारूक रजि अल्लाह के राए से हुई।
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हजरत उमर रजि अल्लाह के राय देने पर मोहर्रम महीने को हिजरी सन का पहला महीना तय किया उसके बाद से ही दुनियाभर के मुसलमान नया साल मोहर्रम को ही मानते हैं।
ज्यादातर लोग सिर्फ रमजान और मोहर्रम के बारे में ही जानते हैं यहां तक कि गैर मुस्लिम भी इन दोनों महीनों के बारे में जानकारी रखते हैं। लेकिन और जो इस्लामिक कैलेंडर में तारीख होती है उनके बारे में गैर मुस्लिम तो क्या कई सारे मुसलमानों को भी नहीं पता।
सूरज डूबने के बाद शुरू होता है नया दिन –
दुनिया में सभी लोगों के नए दिन की शुरुआत अगले दिन की सुबह से होती है लेकिन इस्लाम में दूसरे दिन की शुरुआत सूरज डूबने के बाद ही हो जाती है यानी कि मगरिब के बाद इस्लाम में दूसरा दिन शुरू हो जाता है।
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मोहर्रम में नया साल मनाया जाता है –
मोहर्रम सभी मुसलमानों के लिए बहुत खास वक्त होता है और इसी वक्त नया साल भी मनाया जाता है क्योंकि इस वक्त आदम अलैहिस्सलाम इस दुनिया मे आए थे। हजरत नूह अलैहिस्सलाम की कश्ती को दरिया के तूफान में किनारा मिला।
हजरत मूसा अलैहिस्सलाम को और उनकी कौम को फिरौन के लश्कर से छुटकारा मिला और फिरौन दरिया ए नील में समा गया।
बहुत सारे लोग ऐसे हैं जो इन दिनों के बारे में जानते तक नहीं है लेकिन एक मुसलमान होने का फर्ज ये हैं कि वह अपने इस्लाम की सारी बातों को जाने खासकर के दिन तारीख तो उन्हें जानने ही चाहिए क्योंकि इन दिन तारीख के हिसाब से ही हम हर चीज तय कर सकते हैं और इस्लामिक सभी चीजों की जानकारी पा सकते हैं।
इन दीन तारीख से अपनी जिंदगी जीने पर हम हमारे हुजूर आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के सुन्नत पर चलते है।