अस्सलाम वालेकुम दोस्तों रमजान का मुबारक महीना आ चुका है अब सारे गुनाह माफ होंगे लोग इबादत में मशरूफ हो जाएंगे। ये एक ऐसा महीना होता है जिसमें सारे शैतानों को बंद कर दिया जाता है और बस अल्लाह होते हैं और उनके बंदे होते हैं।
अल्लाह अपने बंदों के मांगे हुए सभी दुआओं को कुबूल फरमाता है रमजान हम मुसलमानों के लिए दिया हुआ सबसे खूबसूरत तोहफा है। लेकिन रमजान में एक रात ऐसी आती है जिसकी नेकी हमें किसी रात के बराबर नहीं मिल सकती और उस रात का नाम है शबे कद्र की रात।
इस रात में अल्लाह ताला ने इतनी ज्यादा शिफा रखी है कि इस रात में मांगी हुई दुआ ,मांगी हुई माफी, मांगी हुई कोई भी चीज कभी रद्द नहीं होती और अल्लाह पाक पूरी जिंदगी का सवाब इस एक रात में दे देता है।
शबे कद्र का मतलब बहुत सारे लोगों को नहीं पता है तो हम आपको बता दें शबे का मतलब होता है रात और कद्र का मतलब होता है अहमियत करना यानी कि इस रात की बहुत ज्यादा अहमियत है इस रात में जिब्राइल अलैहि सलाम और बहुत सारे फरिश्ते उतरते हैं और इन फरिश्तों की गिनती नहीं की जा सकती क्योंकि जिस तरह हम छोटे-छोटे कंकरो की गिनती नहीं कर सकते उसी तरह इन फरिश्तों को भी गिना नहीं जा सकता।
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शबे कद्र की फजीलत
एक बार रमजान करीब आने से पहले हमारे नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने सहाबाओ को जमा किया सहाबा जमा हो गए तो हुजूर सल्लल्ल्लाहो अलैहि वसल्लम कहने लगे कि तुम पर एक महीना रमजान आने वाला है और उस महीने की एक रात अपने कद्र और अजमत से इतनी अहम है कि वह रात हजार महीनों से ज्यादा अफजल है।
जिसने इस रात में बिना सोए अल्लाह की इबादत में लगा दिया उसने तमाम खैर को पा लिया और जो इस रात को सोता रह गया और इस रात को जानबूझकर छोड़ दिया तो वह हमारे उम्मत का सबसे बदकिस्मत इंसान होगा और बदकिस्मत हमेशा वही होता है जो अच्छी चीजों से महफूज रहता है।
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यह तो सिर्फ बताया गया है कि शबे कद्र की एक रात का सवाब 1000 महीने के बराबर है लेकिन कहा जाता है कि यह अभी तक किसी को भी नहीं पता कि इसका सवाब सिर्फ इतना ही है क्योंकि लोगों का कहना है कि इसका सवाब इससे और कई ज्यादा बड़ा है।
अल्लाह पाक इस रात में अपने बंदों पर कितना रहम फरमाता है और बेहिसाब नियामत बक्शता है और हम बदनसीब इस रात से महरुम रहते हैं यह हमारे लिए हम हुजूर के उम्मत्तीयों के लिए सबसे ज्यादा तकलीफ की बात है क्योंकि हम एक रात में 80 साल के बराबर की नेकियां पा सकते हैं लेकिन हम उस रात को भी खो बैठते हैं।
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हुजूर अकरम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम का बयान
हमारे आका सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम यह बयान करते हुए फरमाते हैं कि अल्लाह ताला ने मेरी उम्मत पर यह रात बक्शी है जो पहली उम्मत को नहीं मिली।
इस मसले से मुख्तलिफ रिवायत है हमारे नबी सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने पहली उम्मत की उम्र को देखा क्योंकि उनकी उम्र बहुत लंबी होती थी और नबी की उम्मत की उम्र बहुत कम है जिसकी वजह से नबी को इस बात पर बहुत रंज हुआ।
इस कमी को पूरा करने के लिए शबे कद्र की रात नाजिल हुई ताकि मेरी उम्मत थोड़ी उम्र में ही ज्यादा सवाब कमा सकें। हम हुजूर सल्लल्लाहों अलैहि वसल्लम के उम्मती के लिए इससे ज्यादा खुशी की बात क्या हो सकती है कि हमें इतनी बड़ी नेमत दी गई है हम एक रात में 1000 महीने के बराबर का सवाब कमा सकते हैं और अल्लाह पाक हमारे सारे ऐब गुनाह को बक्श देता है।
सुरह अल कद्र नाजिल
शबे- कद्र की रात इतनी अफजल रात है कि अल्लाह पाक ने इसके बारे में कुरान में एक सूरत नाजिल कर दी ( सुरह अल कद्र ) जिसमें इस रात की फजीलत इसकी अजमत और इसके मर्तबा का जिक्र किया गया है।
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नाजरीन इस सूरत से मालूम होता है कि अल्लाह ने कुरान ए पाक का के मरतबे का जिक्र शबे कद्र की रात में किया है लेकिन कौन सी रात है यह अभी तक बताया नहीं गया है लेकिन हमें शबे कद्र की फजीलतो के बारे में जरूर बताया गया है।
अल्लाह पाक हम बंदों पर इतना ज्यादा मेहरबान है कि उसने एक रात में इतने सारे सवाब बक्श दिया। अल्लाह ने इस रात में किसी भी वक्त इबादत करने का हुकुम दिया है उन्होंने कोई वक्त मुकर्रर नहीं किया कि इस रात में इस वक्त इबादत करनी है बल्कि आप पूरी रात फज्र की अजान से पहले किसी भी वक्त इबादत कर सकते हैं।
शबे कद्र की 5 रात
21 रोजा
23 रोजा
25 रोजा
27 रोजा
29 रोजा
इन पांचों रातों में कोई भी रात शबे कद्र की रात हो सकती है इसलिए इन पांचों रातों में जाग कर इबादत करें।
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शबे कद्र की दुआ
हजरत आयशा रजि अल्लाह ताला ने हुजूर रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम से पूछा कि ए नबी अगर मुझे shab-e-qadr का पता चल जाए तो मैं क्या दुआ करूं तब उन्होंने बताया कि जैसे ही तुम्हें शबे कद्र के बारे में पता चले तो तुम फौरन यह दुआ पढ़ लेना-
“अल्लाहुम्मा इन्नका अफूव वून तुहिब्बूल अफवा फआफु अन्नी”
तर्जुमा- या अल्लाह तू बेशक माफ करने वाला है और पसंद करता है माफ करना बस मुझे भी माफ कर दे।
शबे कद्र की इबादत
शबे कद्र की रात आप जितना दिल चाहे नफील नमाज़ पढ़े जैसे सलातो तस्वी नमाज, सलातुल हाजत ,सलातुल तौबा कोई भी नफील नमाज़ पढ़ सकते हैं।
इस रात आप से आधे से ज्यादा अपनी उम्मत के लिए अपने घर वालों अपने वालीदैन और अपने रिश्तेदारों तमाम मुसलमानों की मगफिरत के लिए दुआ करें।