अस्सलाम अलेकुम दोस्तों अल्लाह पाक ने हम मुसलमानों पे कई चीजें फर्ज की है जिसमे से सबसे अहम नमाज़ है। नमाज़ इस्लाम में सभी मुसलमानों पर फर्ज किया गया है यानि कि अगर कोई भी मुसलमान एक वक्त की भी नमाज़ कजा करता है तो अल्लाह उसे गुनाह देते हैं और हजारों साल तक जहन्नुमी बना देते हैं।
इस्लाम में 7 साल की उम्र तक नमाज़ सुन्नत होती है लेकिन जैसे ही 7 साल हो जाते हैं उसके बाद इस्लाम में नमाज़ फर्ज कर दी जाती है और नमाज़ को पूरे एहतराम के साथ पड़ने का हुक्म दिया गया है।
औरत हो या मर्द सभी पर नमाज़ मुकर्रर की गई है और किसी भी हाल में नमाज़ अदा करने का हुक्म दिया गया है।
हमारे इस्लाम में namaz chorne ke Gunaah भी बताए गए हैं और यह सभी मुसलमानों को पता है कि नमाज़ अगर ना पड़ी जाए तो इससे अल्लाह पाक नाराज होते हैं और सजा दे देते हैं।
नमाज़ छोड़ने के गुनाह
रसूलअल्लाह ने फरमाया की मुसलमानों का नमाज़ को छोड़ना उन्हें गुनाह और शिर्क तक पहुंचा देता है। कुफ्र और ईमान के बीच जो दीवार है वह सिर्फ और सिर्फ नमाज़ है।
जो लोग नमाज़ अदा करते हैं वह ईमान वाले हैं और जो नमाज़ अदा नहीं करते है वो कुफ्र कहलाते हैं।
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रसूलअल्लाह ने फरमाया जो मुसलमान नमाज़ अदा नहीं करेगा उसके घर से सारी खैरो बरकत सारे ऐशो आराम छीन लिए जाएंगे और उन्हें दुनिया और आखिरत दोनों में खुशी नसीब नहीं होगी और ना ही उन्हें कभी माफ किया जाएगा।
नमाज़ पढ़ने के फायदे
लोग अपने सारी जरूरी काम को फौरन करते हैं लेकिन जब नमाज़ पढ़ने का वक्त आता है तब उसी वक्त उन्हें कोई काम याद आ जाता है और वह नमाज़ छोड़ देते हैं।
लेकिन वह भूल जाते हैं कि दुनिया की कोई भी चीज हमारे काम नहीं आएगी अगर कोई चीज हमारे काम आएगी तो वह है नमाज़।
नमाज़ हमें हमारे गुनाहों से माफी दिलवा सकता है। नमाज़ अल्लाह से बात करने का जरिया है। अगर कोई मोमिन अल्लाह के सामने रो कर गिड़गिड़ा कर नमाज़ के वक्त दुआ मांगता है तो अल्लाह उसकी दुआ कभी रद्द नहीं करते।
नमाज़ कजा करने के गुनाह
रसूलअल्लाह ने फरमाया कि कयामत के दिन सबसे पहले नमाज़ का हिसाब होगा जो लोग नमाज़ को कजा करते हैं या फिर I अपनी मर्जी के हिसाब से नमाज़ पढ़ते हैं और कजा करते हैं तो ऐसे में उन्हें जहन्नुम में ढकेल दिया जायेगा।
अगर नमाज़ के वक्त कोई काम आ गया या फिर नमाज भूल गए या फिर नींद आ गई तो ऐसे में आपको जिस समय याद आए कि आपने इस वक्त की नमाज़ अदा नहीं की है आपको उसी वक्त उस नमाज़ को अदा करने का हुक्म दिया गया है।
अगर नमाज़ सही वक्त पर और सही तरीके से पढ़ी गई है तो कयामत के दिन उनके सारे अमाल भी सही माने जाएंगे। लेकिन अगर नमाज़ ही गलत तरीके से पढ़ा गया है या फिर नहीं पढ़ा गया है तो उनके कोई भी अमाल की कोई गिनती नहीं होगी उन्हें गुनहगार ही माना जाएगा।
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नमाज़ जल्दबाजी में पड़ने के गुनाह
कई सारे मोमीन नमाज तो पढ़ लेते हैं लेकिन वह नमाज़ के तरीके से नमाज़ को नहीं पढ़ते ना ही वह एक मुकम्मल तौर पर वजू बनाते हैं और ना ही मुकम्मल तरीके से नमाज़ पढ़ते हैं।
अल्लाह पाक का हुकुम है कि जब कोई नमाज़ पढ़ता है तो उसका सारा ध्यान नमाज़ पर ही होना चाहिए ना कि अपने कामों पर या फिर किसी भी चीज पर।
जब नमाज़ पढ़ी जाती है तो उस वक्त सिर्फ और सिर्फ अपने जहन में अल्लाह का नाम लेना है और उन्हें याद रखना है अपने सारे गुनाहों की माफी मांगनी है।
नमाज़ को अपनी ड्यूटी नहीं समझना है बल्कि नमाज़ को अल्लाह की इबादत समझनी है और इबादत में कभी जल्दबाजी नहीं की जाती है इबादत दिल से होती है और दिल से अल्लाह को याद किया जाता है।
सही तरीके से नमाज़ पढ़ने के लिए सबसे पहले मुकम्मल तौर पर वजू बनाना जरूरी है क्योंकि अगर वजू ही सही तरीके से ना हो तो नमाज़ सही तरीके से हो ही नहीं सकती।
नमाज़ छोड़ने वाले लोग तो गुनाह के हकदार है ही साथ ही साथ जो लोग नमाज़ को तरीके से नहीं पढ़ते और जल्दबाजी में पढ़ते हैं या फिर अपने ध्यान में मोबाइल फोन यह किसी काम को रखकर जल्दी-जल्दी नमाज़ अदा कर देते हैं ऐसे लोगों को भी अल्लाह पाक सजा देते हैं।
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जकात देना
रसूलअल्लाह फरमाते हैं कि जो लोग पांच वक्त की नमाज़ मुकम्मल तरीके से पढ़ते हैं और वह सोचते हैं कि अल्लाह पाक उनसे राजी हो जाएंगे तो ऐसा बिल्कुल नहीं है।
अल्लाहपाक ने नमाज़ पढ़ने के साथ-साथ जकात करने का हुक्म दिया है। उन्होंने कहा है कि जब तक जकात नहीं किया जाए तब तक उनकी नमाज़ कुबूल नहीं की जाएगी।
आपके पास जितनी रकम हो सके आप उतना ही जकात कर सकते हैं जरूरी नहीं है कि आपको बहुत पैसे या चीजें जकात करनी है आप अपनी हैसियत के हिसाब से जकात कर सकते हैं लेकिन जकात करना बहुत जरूरी है।
हमारे इस्लाम में जिन चीजों को फर्ज नाम दे दिया गया है वह चीजें अगर छोड़ दी जाए तो अल्लाह पाक कभी राजी नहीं होते हैं अल्लाह पाक ने नमाज़ ,जकात फर्ज नाम से मुकर्रर किया है।
इसलिए हम अगर नमाज़ छोड़ते हैं तो ऐसे में अल्लाह पाक हमसे कभी राजी नहीं होते हैं और ना ही हमारी दुआओं को कुबूल करते हैं।
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रसूलअल्लाह का सबसे पसंदीदा अमल
एक बार किसी शख्स ने रसूलल्लाह से पूछा कि आपका सबसे पसंदीदा अमल क्या है तो हमारे रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने जवाब दिया कि वक्त पर नमाज़ अदा करना मेरा सबसे पसंदीदा अमल है।
हम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के उम्मती है और उनके बताए हुए राह पर ही चलते हैं लेकिन उनकी सबसे पसंदीदा अमल को हम छोड़ते जा रहे हैं ऐसे में हमें कभी माफी नहीं मिलेगी और ना ही हमें जन्नत का मंजर देखने का मौका मिलेगा।
और हुजूर अकरम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने यह भी फरमाया कि जो शख्स जानबूझकर नमाज़ छोड़ देता है वह मेरा उम्मती कभी नहीं हो सकता और उसे कभी माफी भी नहीं दी जाएगी।
इस्लाम में नमाज़ की एहमियत
रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि नमाज़ मुसलमानों के लिए उतना ही जरूरी होता है जितना एक जिस्म में सिर। दीन बगैर इस्लाम के नहीं और नमाज़ बगैर दीन नही।
बहुत सारे लोग अच्छे खासे होने के बावजूद भी नमाज़ को बैठकर पढ़ते हैं लेकिन जो खड़े होकर नमाज़ पढ़ सकते हैं उनमें खड़े होने की ताकत है फिर भी वह अगर बैठ कर नमाज़ पढ़ते हैं तो ऐसे लोगों की नमाज़ क़ुबूल नही की जाएगी।
नमाज़ पढ़ने वालों के लिए खड़े होकर नमाज़ पढ़ना फर्ज और वाजिब है। जो मजबूर है खड़े नहीं हो सकते ऐसे लोगों को बैठ कर नमाज पढ़ने का हुक्म दिया गया है।
घर वालो को नमाज़ पढ़ने की तालीम देना
अपने घर में बच्चों से लेकर बड़ों तक को सभी को नमाज़ पढ़ने की तालीम दे और छोटे बच्चों को अपने साथ लेकर नमाज़ पढ़े। भले ही उन्हें अच्छी तरह नमाज़ पढ़ना ना आए लेकिन उन्हें यह जरूर समझ में आ जाएगा कि हम मुसलमान हैं और हमारे लिए नमाज़ पढ़ना जरूरी है।
कहा जाता है कि बच्चे हमेशा बड़ों को देखकर ही सीखते हैं चाहे वह अच्छी बातें हो या बुरी बातें हो उसी तरह अगर घर में बड़े नमाज़ पढ़ेंगे तो बच्चे भी नमाज़ पढ़ेंगे।
अगर उन्हें कहा जाए कि अल्लाह पाक नमाज़ पढ़ने वालों से खुश होते हैं राजी होते हैं उन्हें अच्छी-अच्छी बातें बताई जाए तो बच्चे वही सीखेंगे जो आप उन्हें बताएंगे।
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फज्र और असर की नमाज़ के फजीलत –
रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि जो सुरज निकलने से पहले फज्र और सुरज डूबने से पहले असर की नमाज को पाबंदी से पढ़ें उन्हें कभी जहन्नुम में दाखिला नहीं दिया जाएगा।
नमाज़ का तरीका
पांच वक्त की नमाज में सुन्नत फर्ज और नफील नमाज़ होते हैं इसमें से बहुत सारे लोग सुन्नत और नफील नमाज़ छोड़कर सिर्फ फर्ज नमाज़ अदा करते हैं।
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हम आपको बता दें ऐसी नमाज़ मुकम्मल नहीं होती है क्योंकि अल्लाह ने अगर सुन्नत और नफिल बनाई है तो हमें उसे भी अदा करना है।
अगर आपको कोई काम है और आपको वहां जाना बहुत ज्यादा जरूरी है तो आप ऐसे में फर्ज नमाज़ पढ़कर अपने काम को कर सकते हैं।
लेकिन अगर आप रोज ऐसा करते हैं सिर्फ फर्ज नमाज़ अदा करते हैं और सुन्नत नफील छोड़ देते हैं तो ऐसे में आप की नमाज़ कबूल नहीं होती है।
नमाज़ जान बूझ के छोड़ने वालो के गुनाह
रसूल अल्लाह ने फरमाया कि क्यामत के दिन उन लोगों की कोई सुनवाई नहीं होगी जो नमाज़ को छोड़ते हैं और उन्होंने बताया कि नमाज छोड़ने वालों के सिरो को कुचला जाएगा और उनके सिर को कुचलने के बाद दोबारा से सिर फिर अपनी जगह पर चले जाएंगे और फिर से सीरो को कुचला जाएगा ऐसा बार-बार होगा।
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इस अज़ाब में अल्लाह पाक बिल्कुल रहम नहीं करते ऐसा मंजर देखकर लोगों की रूह कांप जाएगी। तो जरा सोचिए हम मुसलमान नमाज़ कजा करते हैं छोड़ देते हैं तो कयामत के दिन हमारा भी यही हश्र होगा।
हम हुजूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के उम्मती है नमाज़ पढ़ना हमें दूसरों से सीखना नहीं बल्कि दूसरों को सिखाना चाहिए। कभी ऐसे हालात नहीं आने चाहिए कि लोग हमसे कहे कि आप मुसलमान हो और आप नमाज अदा नहीं करते।
SubhanAllah..