“अस्सलाम अलैकुम दोस्तों” हमारा इस्लाम बहुत ही प्यारा मजहब है हमारे इस्लाम में मुस्कुराने पे भी सवाब मिलता है। हम हुज़ूर सल्लल्लाहों अलैहि वसल्लम के उम्मति है और हमारे उम्मत में छोटी छोटी चीज़ों पे सुन्नत मुकर्रर किया है।
लेकिन हमारे इस्लाम में छोटी-छोटी चीजों पर गुनाह भी मुकर्रर किया गया है। जैसे कि किसी paak Daman Oraton par Tohmat Lagane Ka Gunaah और खास करके इज्जतदार औरतों पर तोहमत लगाना।
अल्लाह पाक को ऐसे लोग बिल्कुल पसंद नहीं है जो किसी बेगुनाह पे तोहमत लगाए।
इस्लाम में सबसे ज्यादा ऐसे लोगों को गुनहगार माना जाता है जो पाक दामन औरतों पर तोहमत लगाते हैं क्योंकि इस दुनिया में औरत हो या मर्द पाक दामन रहना बहुत ही मुश्किल है।
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अल्लाह की राह पर चलने वाले हमेशा अल्लाह के बताए हुए राह पर ही चलते हैं जिसमे सबसे ज्यादा पाक दामन होना जरूरी होता है।
पाक दामन औरतों पे तोहमत लगाने की सजा
अल्लाह पाक ने फ़रमाया की हमारे इस्लाम में जो औरतें पाक दामन होती है उन पर अगर कोई किसी भी गंदी चीज की तोहमत लगाता है तो उसे कोड़े और पत्थर मारने की सजा दी जाती है।
सूरेह अहजाब (58) में बताया गया है कि जो लोग किसी पर झूठी तोहमत लगाते हैं तो उसे बड़ी सजा दी जाती है लेकिन बेशक अल्लाह बख्शने वाला है। अगर कोई गुनाह करके दिल से अल्लाह से माफी मांगता है तो अल्लाह उसे माफ कर देते है।
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हमारा इस्लाम मुकम्मल तौर पर मिलजुल कर रहने वाला मजहब है। हमारे इस्लाम में अगर कोई भी इंसान 3 दिन तक किसी से नाराज रहे तो उसे हराम माना जाता है जरा सोचिए की तोहमत जैसी बड़ी गलती इंसान में कितनी नाराजगी पैदा कर सकती है।
जब कोई किसी पे तोहमत लगा कर उसको रुसवा शर्मिंदा करता है और अपनी गलती का एहसास होने पर जब वह अल्लाह से माफी मांगता है तब अल्लाह पाक फरमाते हैं की –
बेशक मैं माफी मांगने वालों को माफ करने वाला हूं लेकिन जिसपे बीती है और जो भरी महफिल में रुसवा और शर्मिंदा हुआ है अगर वह तुम्हें माफ कर दे तो मैं भी तुम्हें माफ कर दूंगा।
किसी बेगुनाह को सजा देना रुलाना कैसा है
हमारे इस्लाम में अगर किसी बेगुनाह को जबरदस्ती जानबूझकर सजा दी जाती है और किसी को रुलाया जाता है तो ऐसे में अल्लाह पाक बहुत नाराज हो जाते हैं और ऐसे लोगों को कभी माफ नहीं करते जो उनके बनाए हुए बंदों का दिल दुखाता है।
गुनाह में शामिल होने पे मिलने वाली सजा
जब कोई इंसान गुनाह करता है और उस गुनाह में अगर कोई इंसान शामिल है और उस गुनाह के बारे में सभी चीजें जानता है उसके बावजूद भी वह उसे नहीं रोक रहा है तो ऐसे में हमारे रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि मरने से पहले उसे भी अजाब दिया जाएगा।
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गुनहगारों पे तोहमत लगाना
अगर कोई औरत बेपर्दा है जिना करती है तो ऐसी औरत पे भी तोहमत नहीं लगानी है। क्योंकि अल्लाह पाक सबको अपने हिस्से के आजाब देता है।जो जैसी गलती करता है अल्लाह पाक उसे वैसे ही सजा देते हैं।
और अल्लाह पाक ने दूसरों की गलती को ढकने का हुक्म दिया है ना कि उन्हें सरेआम करने का।
बिना सबूत के तोहमत लगाना
हुजूर अकरम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि जब आप किसी पर तोहमत लगाते हैं और आपके पास चार गवाह ना हो तब तक आप सही साबित नहीं हो सकते।
और अगर आप झूठे गवाह लेकर आते हैं तो आपके साथ साथ उन लोगों को भी कोड़े लगाए जाएंगे जो लोग आपके झूठ में शामिल हो।
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जिना का इल्जाम
हमारे नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम का फरमान है कि अगर किसी पाक दामन औरत पर जिना का इल्जाम लगाया जाता है तो ऐसे लोगों को 80 कोड़े मारे जाए और उनकी कोई भी सुनवाई नहीं हो।
हमारा इस्लाम मज़हब इस बात के लिए बिल्कुल इज़ाजत नही देता की कोई बिना सबूत और गवाह के किसी पर बेबुनियाद इल्जाम लगा दे।
हमारे इस्लाम मजहब में किसी भी इंसान पर तोहमत लगाना गुनाह है चाहे वो किसी भी धर्म का क्यों ना हो। हमारे नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने सबके साथ मोहब्बत से पेश आने का हुक्म दिया है।
उन्होंने कहा है कि कोई कैसा भी सुलूक क्यों ना करें आप हमेशा उसके साथ नरमी से पेश आए।
जो लोग पाक दामन औरतों पर इल्जाम लगाते हैं उन पर दुनिया के आखिरत में लानत भेजी जाएगी।
आजकल तो किसी भी औरत पर तोहमत लगाना बिल्कुल आम हो चुका है अगर कोई लड़की हंस ले या किसी से बात कर ले तो उन पर तोहमत लगा दिए जाते हैं कि इसका फलाना के साथ कुछ चक्कर है।
तोहमत लगाना बहुत ही आसान काम है लेकिन लोग यह भूलते जा रहे हैं कि हमारे इस्लाम में इस पर भी सजा रखी गई है कि किसी भी घर की औरतों बेटियों पर इल्जाम लगाना अपने घर के बेटियों पर इल्जाम लगाने के बराबर है।
हम जब तक किसी के बारे में अच्छे से नहीं जानते हैं तब तक हम उस पर किसी भी तरह की तोहमत नहीं लगा सकते हैं।
गुनाह साबित करने के लिए कितने लोग गवाह में होने चाहिए
इस्लाम में अगर कोई किसी का गुनाह साबित करता है तो ऐसे में वहां 2 गवाह काफी होते है चाहे वो कत्ल का इल्जाम ही क्यों ना हो।
लेकिन अगर इस्लाम में कोई जिना का इल्जाम किसी औरत पर लगाता है तो ऐसे में दो गवाह काफी नहीं है उसे चार गवाह लाने पड़ेंगे।
अगर शादीशुदा औरतें किसी गैर मेहरम के साथ जिना करे तो उन्हें पत्थर मार मार कर जान से मार दिया जाने का हुक्म है। और अगर जवान लड़का लड़की जिना कर रहे हैं तो ऐसे में उन्हें सौ सौ कोड़े मारे जाने का हुक्म है।
हम जिस कौम में रहते हैं वहां पर जिना करने पर कोई गुनाह नहीं दिया जाता है और अगर कोई खुद से उन्हें सजा दे तो कानून उन्हें सजा देती है।
लोगों को लगता है की जिना करने पर तो कोई सजा नहीं है लेकिन हमारे इस्लाम में इसे बहुत ही बद्दतरीन गुनाह मुकर्रर किया गया है। और भले ही इस दुनिया में जिना करने की कोई सजा नहीं है लेकिन आखिरत में जिना करने वालों को बड़ी सजा दी जाती है।
इस्लाम में औरतों को अपने इज्जत की हिफाजत करने का हुक्म दिया गया है और उन्हें कहा गया है कि किसी भी गैर मेहरम के सामने अपने जिस्म की नुमाइश ना करें और जिस्म की नुमाइश करने वाली औरतों पर भी अजाब नाजिल किए गए हैं।
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जिना करने से क्या सिर्फ औरतों को सजा मिलती है
कुछ लोगों को लगता है की जिना करने पर सिर्फ औरतों को ही सजा दी जाती है और लोग ने सरेआम बदनाम कर देते हैं।
लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है क्योंकि इस गुनाह में मर्द और औरत दोनों बराबर के हिस्सेदार होते हैं इसलिए दोनों को बराबर की सजा दी जाती है और अल्लाह पाक की नजर में दोनों बराबर के गुनहगार होते हैं।
एक मर्द को अपने बीवी के अलावा और किसी से भी जिना की इजाजत नहीं दी गई है। और एक औरत को अपने शौहर के अलावा और किसी से भी जिना की इजाजत नहीं दी गई है।
हमारे इस्लाम मज़हब में वो औरतें बहुत खूबसूरत होती है जो पर्दे में रहती है और अल्लाह पाक ऐसी औरतों को बहुत पसंद करते हैं जो अपने ईमान के साथ अपनी मंजिल पर जाती है।
लेकिन कुछ औरतें बेहयाई के रास्ते पर बढ़ती जा रही है ऐसी औरतों को उनकी मंजिल तो मिल जाएगी लेकिन सिर्फ और सिर्फ दुनिया के लिए।
जो औरतें बेहया होती है उन्हें जन्नत में जगह नहीं दी जाती है उनके लिए जहन्नुम की आग मुकर्रर की गई है।
बेगुनाह औरतों पर इल्जाम लगाना
दुनिया में किसी भी औरत पर बेबुनियाद इल्जाम लगाना बहुत आसान है और लोग झूठ पर यकीन भी कर लेते हैं लेकिन अल्लाह सब देख रहे है वो कभी भी बेगुनाह को दर्द सहते हुए नहीं देख सकते।
अल्लाह पाक या तो दुनिया में ऐसे लोगों को सजा देते हैं या तो मरने के बाद लेकिन ऐसे लोगों की कोई माफी नहीं है जो दूसरों पर तोहमत लगाते हैं और उन्हें लोगों के सामने जलील करते हैं।
हमारा इस्लाम जितना खूबसूरत मज़हब है उतना ही दरियादिली भी है हमारे इस्लाम में लोगों को भाईचारे से रहने का हुकुम है और सभी को एक दूसरे के ऐप ढकने और गलत करने से रोकने का भी हुक्म दिया गया है।
हमारे हुज़ूर का फरमान है कि जो लोग गुनाह करते हैं और इसके बाद उन्हें एहसास हो जाए कि वह गुनहगार हैं और वह अल्लाह के सामने माफी मांग लेते हैं और उस इंसान से माफी मांग लेते हैं जिस इंसान का उन्होंने दिल दुखाया हो तो उस वक्त अल्लाह उनके गुनाह माफ कर देते हैं।
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हुजूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि जो लोग पाक दामन औरतो पर तोहमत लगाते हैं वह अगर 100 साल की इबादत लेकर आएंगे तो भी उन्हें माफ नहीं किया जाएगा।
उनके इबादत के बदले उन्हें जन्नत नहीं दी जाएगी और इसके साथ ही साथ उन्हें मरदूद भी करार कर दिया जाएगा।
तो दोस्तों यह थी पाक दामन औरतों पर तोहमत लगाने की सजा। हम नेकी करने में तो बहुत पीछे रह जाते हैं लेकिन जहां गुनाह की बात आती है हम वहा सबसे आगे होते हैं इसलिए गुनाह से बचे।
सिर्फ अपने काम की नहीं बल्कि दुनिया की सभी औरतों की इज्जत करें उन पर इल्जाम ना लगाए।
इल्जाम लगाना कोई बड़ी बात नहीं होती है लोग किसी पर भी इल्जाम लगा देते हैं।
इल्जाम लगाने पर गुनाह तो मिलता ही है साथ ही साथ अगर कोई शख्स तकलीफ से रो दे तो उसके आंसुओं की कीमत भी उन्हें चुकानी पड़ती है जिनकी वजह से वो रो रहे हैं।