बकरा ईद का महत्व और इससे जुड़ें रोचक तथ्य

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ईद-उल-अज़हा यानी बकरा ईद मुस्लिम धर्म के समाज का दूसरा सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है। बकरीईद आपसी भाईचारे और बलिदान का त्योहार माना जाता है।

Disclaimer : ये एक गेस्ट पोस्ट है और हमारे लेखक ने इस गेस्ट पोस्ट को नहीं लिखा है और इस गेस्ट पोस्ट में जो कुछ लिखा हुआ है इसको हम लोग तसदीक नहीं करते।

इस दिन सुबह सवेरे नमाज पढ़ कर त्योहार की शुरुआत की जाती है। बकरा ईद रमजान के 70 दिन पड़ती है। इस साल बकरी ईद 20 और 21 जुलाई को पड़ेगी। इस दिन कुर्बानी का कुछ हिस्सा असहाय और गरीबों में भी बाटा जाता है। यह एक नेक काम माना जाता है।

इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार मुस्लिम गुरु पैगंबर हजरत इब्राहिम ने अल्लाह को अपने इकलौते बेटे की कुर्बानी देने का फैसला किया मगर उनके विश्वास और बलिदान की भावना देख उनके बेटे को बक्श दिया गया। तो चलिए जानते हैं बकरा ईद का महत्व और रोचक तथ्य के बारे में।

बकरा ईद के मौके पर आप अपने जानने वालों दोस्तों और परिजनों को बकरा ईद कोट्स और बकरा ईद की शुभकामनाएं सेंड करें। आप अपने साथ-साथ दूसरों के लिए भी बकरीद विशेस (Eid ul Adha Wishes in Hindi) भेज कर इस दिन का मज़ा दोगुना कर दें।

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बकरा ईद का महत्व

कई लोग मीठी ईद और बकरी ईद में कंफ्यूज हो जाते हैं। तो आपको बता दें की इस्लाम के अनुसार साल में दो बार ईद पड़ती है एक एक ईद-उल-जुहा और दूसरी ईद-उल-फितर। ईद-उल-फितर को मीठी ईद के नाम से जाना जाता है। इसे रमजान को खत्म करते हुए मनाया जाता है।

लेकिन बकरीद का महत्व अलग है। हज की समाप्ति पर इसे मनाया जाता है। बकरा ईद रमजान के 70 दिन बाद पड़ती है। बकरा ईद का सभी मुस्लिम धर्म के लोगों के लिए बहुत महत्व रखती है।

इस दिन कायदे से नमाज पढ़ कर एक दूसरे के गले मिला जाता है। यह त्योहार आपसी भाईचारा अल्लाह के पार्टी विशवास और बलिदान का अर्थ समझाने के लिए मनाया जाता है। यह त्योहार बड़े हर्षोल्लास और उत्साह से मनाते हैं, नए कपड़े पहनते है।

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बकरा ईद से जुड़ें रोचक फैक्ट्स

कई लोग बकरा ईद को जानवरों की बलि से जोड़ते हैं मगर इस त्योहार का अर्थ और सीख कुछ और ही बताता है। तो चलिए आपको ईद उल जुहा से सम्बंधित कुछ ऐसे तथ्यों के बारे में बताते हैं जिन्हें आज से पहले आपने कभी नहीं सुना होगा। 

ये रोचक तथ्य आपके मन में ईद उल जुहा  से जुड़ें हर सवाल का जवाब देने में मदद करेंगे। यह एक ऐसा त्योहार हैं जिसे भारत समेत कई दशों में बड़ी धूमधाम और ख़ुशी से मनाया जाता हैं।

कुछ देशों में इस दिन आधिकारिक छुट्टी भी होती है। तो चलिए जाने बकरा ईद (Bakra Eid in Hindi) से जुड़ें फैक्ट्स हिंदी में।

  • बकरा ईद को ईद अल-अज़हा के नाम से भी जाना जाता है। 
  • आपको यह बात जान कर हैरानी होगी की बकरीद” शब्द का अर्थ में बकरों से कोई लेना देना नहीं है बल्कि अरबी में बक़र’ का अर्थ होता है, बड़ा जानवर। 
  • कई बार आपको बकरा ईद वाले दिन  ईद-ए-कुर्बां शब्द सुनने को मिलेगा जिसका अर्थ होता हैं – बलिदान की भावना। 
  • कुछ किवदंतियों के अनुसार ऐसा बताया जाता हैं की इस्लाम धर्म के कुरान में कहा गया है की “हमने तुम्हें हौज़-ए-क़ौसा दिया तो तुम अपने अल्लाह के लिए नमाज़ पढ़ो और कुर्बानी करो”। कुर्बानी का अर्थ यहाँ दूसरों की सेवा में खुद को जलाना या फिर अच्छे कर्म करना है। 
  • बताया जाता हैं की हिजरी के आखिरी महीने जुल हिज्ज में पूरी दुनिया के मुस्लिम धर्म के लोग मक्का सऊदी अरब में इकट्ठा होकर हज मनाते है और ईद उल अजहा का त्यौहार भी इसी दिन मनाया जाता है। 
  • असल मायनों में ईद उल अजहा का अर्थ “त्याग वाली ईद” भी होता है। ईद उल अजहा मनाने की असली वजह बलिदान का अर्थ समझाना है। 
  • ईद उल अजहा का त्योहार हमे सिखाता हैं की स्वार्थ के परे रख हमे हर काम करना चाहिए। 
  • बकरा ईद मानाने के पीछे की कहानी यह है कि अल्लाह ने एक बार पैगंबर इब्राहिम को हुक्म दिया था कि वह अपने विश्वास को साबित करने के लिए सबसे प्यारी चीज का त्याग करें और इसलिए पैगंबर इब्राहिम ने अपने इकलौते बेटे की कुर्बानी देने का फैसला किया था। मगर उनकी क़ुरबानी का भावना को देखते हुए अल्लाह ने उनके बेटे को जीवन दान दिया। 
  • बकरा ईद पर कुर्बानी को तीन हिस्सों में बाटा जाता है, एक अपने लिए, दूसरा पड़ोसियों के लिए और तीसरा ग़रीबों के लिए। 
  • यह त्योहार अल्लाह के प्रति प्यार दर्शाने वाला भी है। इस दिन सभी अल्लाह के अनुयायी पूरे श्रद्धा भाव से अल्लाह की इबादत करते हैं। 
  • आपको बता दें की बकरा ईद में भी मीठी ईद की तरह सुबह सवेरे नमाज अदा की जाती है। सभी के लिए दॉयें होती है और एक दूसरे से गले मिल कर बकरा ईद की बधाई देते हैं। इसके बाद घर के बड़ों से मिला जाता है।

Disclaimer : ये एक गेस्ट पोस्ट है और हमारे लेखक ने इस गेस्ट पोस्ट को नहीं लिखा है और इस गेस्ट पोस्ट में जो कुछ लिखा हुआ है इसको हम लोग तसदीक नहीं करते।

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