नबी सल्लाहु अलैहि वसल्लम ने क़यामत की जो निशानियाँ बताईं, उसकी शुरुआत हो गयी हैं। मूलक-ऐ शाम के हालात. इमाम महदी का ज़हूर। इस आर्टिकल में हम Qayamat ki Nishanian के तालुक से कुछ अहम ताज़किरा करेंगे क़ुरानों सुन्नत की रोशनी में।
वैसे तो कयामत की बहुत सारी निशानियां है लेकिन हम यहां पर कुछ बड़ी निशानीयों के बारे में तस्करा करेंगे
हर घर मे फितना दाखिल हो जाएगा
हदीस : हज़रत औफ़ बिन मलिक (र.आ) फरमाते है के मैं गाज़्वा ताबूक के मौक़े पर नबी करीम (सल्लाहु अलैहि वसल्लम) की खिदमत में हाज़िर हुवा जब के आप (सल्लाहु अलैहि वसल्लम) इस वक़्त चामरे के एक खेमे में तशरीफ़ फ़ार्मा थे. आप (सल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया: के क़ायम ए क़यामत की 6 निशानियाँ शुमार कर लो. फिर एक ऐसा आम और तबाहकुन फितना होगा के अरब का कोई घर भी इस की लपट में आने से मेहफ़ूज़ नहीं रह सकेगा। साहीः बुखारी 317
जिस्मानी फितने में क़ातल ओ घरात , लूट खूसूत, दंगा फ़साद, कसाद बाज़ारी, ज़िनकारी , फ़हशी ओ उर्यानी, सूद खोरी, हराम खोरी जैसे अनसीर शामिल है जो अरसा दराज़ से बतदरीज शुरू हो कर बिलाख़िर अरब के हर घर को अच्छी तरह अपनी लपट में ले चुके है हत्ता के हुदूद ए हराम और हराम ए मदीना भी इस लपट से मेहफ़ूज़ नही।
नोट: अरब मे फितना का फैल जाना क़यामत की एक निशानी है. फितना जिस्मानी या रूहानी हर तरह का हो सकता है। रूहानी फितने में बे दीनी, बदअमली, शरीयत से दूरी, जैसे अवमील शामिल हैं।
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ज़िना आम हो जाएगा
हदीस : हज़रत अनास बिन मलिक (र.आ) फरमाते है के मैं तुम्हे ऐसी हदीस ना सुनाऊ जो मैं ने अल्लाह के रसूल (सल्लाहु अलैहि वसल्लम) से सुनी थी और मेरे इलावा कोई और वो हदीस तुम्हे नही सुनाएगा. मैने हज़ूर (सल्लाहु अलैहि वसल्लम) का इरशाद ए गरमी सुना के क़यामत की निशानिओं मे से है। के इल्म उठा लिया जाएगा, जहलत बढ़ जाएगी, ज़िना आम होगा, शराब बा क़सरत पी जाएगी, आदमी थोड़े और औरतेँ ज्यादा हो जाएँगी। साहीः बुखारी किताब उल निकाह 5231
हदीस: हज़रत अबू हुरैरा (र.आ) से मरवी है के नबी करीम (सल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने इरशाद फरमाया: इस ज़ात की क़सम जिस के हाथ मे मेरी जान है यह उम्मत इस वक़्त तक ख़तम ना होगी जब तक के (यह हालत ना हो जाए के) आदमी औरत के साथ भरे बाज़ार ज़िना करेगी और इस वक़्त बेहतरीन आदमी वो होगा जो यह बात कहेगा: काश तुम इसे दीवार के पीछे ले जाते।
हदीस: हज़रत अबू आमिर (र.आ) से मरवी है के अल्लाह के रसूल (सल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने इरशाद फरमाया: मेरी उम्मत मे कुछ ऐसे लोग पैदा होंगे जो ज़िनाकारी को हलाल कर लेंगे। साहीः बुखारी 5590
नोट: यानी क़यामत के करीब ज़िना इतना आम हो जाएगा के लोग खुलेआम करने लग जाएँगे. और उस दौर मे वो शख्स अक्चा माना जाएगा जो ऐसे ज़िना करनेवालो को ये नसीहत करेगा के काश तुम लोग खुलेआम करने के बजाए दीवार के पीछे जा कर करते।
नोट : ज़िनाकारी का आम होना क़यामत की एक निशानी है. मौजूदा दौर मे यह ज़िनाकारी जंगल मे आग की तरह तमाम आल्म-ए-इस्लाम मे फैल कर मुसलमानो के ईमान को जला कर राख बना रही है।
ज़िना एक कबीरा गुनाह भी है जिस की शरीयत मे हद बताई गयी है के अगर ज़िना शादीशुदा ना हो तो ऐसे में 100 कोडे लगाए जाएँ और एक साल के लिए जिला वाटन कर दिया जाए और अगर ज़िना शादीशुदा हो तो इसे राजम कर दिया जाए।
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शराब हलाल समझी जाएगी
हदीस: हज़रत अबू मलिक अश्अरी (र.आ) फरमाते है के रसूल अल्लाह (सल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने इरशाद फरमाया: मेरी उम्मत मे कुछ ऐसे बुरे लोग पैदा हो जाएँगे जो ज़िनाकारी, रेशमी लिबास, शराब और गाने बजाने को हलाल बना लेंगे। साहीः बुखारी 5590
हदीस: हज़रत इबादा बिन समत (र.आ) से मरवी है के रसूल अल्लाह (सल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने इरशाद फरमाया: मेरी उम्मत मे से कुछ लोग शराब को हलाल बना लेंगे और इस का नाम बदल लेंगे और जब तक यह अमलमत ज़ाहिर ना हो जाए क़यामत क़ायम नही होगी। इब्ने मजा 33/14
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नौकरानी अपने मलिक को जन्म देगी
हदीस: हज़रत अबू हुरैरा (र.आ) से मरवी है के अल्लाह के रसूल (सल्लाहु अलैहि वसल्लम) एक दिन लोगों के सामने तशरीफ़ फ़ार्मा थे के एक आदमी आया और अर्ज़ करने लगा: या रसूल अल्लाह सल्लाहु अलैहि वसल्लम! क़यामत कब आएगी? आप (सल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया: “जिस से सवाल किया गया है वो भी सवाल करने वाले से ज्यादा नही जनता अलबाता मैं तुम्हे उक़ू ए क़यामत की कुछ निशानियाँ बताता हूँ. जब लोंड़ी अपनी मालिका को जन्मेंगी। (तो क़यामत क़रीब होगे) साहीः बुखारी किताब उल ईमान 50
हदीस: हज़रत अबू हुरैरा (र.आ) से मरवी है के रसूल अल्लाह (सल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया: “जब लोंड़ी अपने मलिक को जन्म देगी तो यह क़यामत की निशानिओं में से है। साहीः मुस्लिम किताब उल ईमान 97
नोट: लोंड़ी का अपने मलिक को जन्म देना क़यामत की एक निशानी है. बाज़ रिवायत में मलिक और बाज़ मे मालिका को जन्म देने का ज़िकार है अलबाता लेकिन मफहूम दोनो का एक है।
इस्लाम फैल जाएगा और मुशरिक़ीन पर ग़लबा पा लिया जाएगा तो इन की औरतों को लोंड़ी ग़ुलाम बना लिया जाएगा जिन से पैदा होने वाले बाच्चे लोंड़ी के मलिक होंगे क्यों के वो बाच्चे लोंड़ी के मलिक के नुतफे से हैं।
इस जुमले को हक़ीक़त पर महमूल किया जाए के फिलवकए लोंड़ी अपने मलिक को जन्म देगी और आज के साइन्स दौर मे यह सब कुछ साबित हो चुका है। लोग किराये पर औरतेँ हासिल कर के अपने नुतफे इस के रहें मे रखवा देते है फिर वो इस औरत के रहम में परवरिश पा कर जन्म लेता है हालंके औरत की हसियत मुलाज़मा की से होती है जब के जन्म पाने वाला इस के मलिक का बच्चा होने की वजा से औरत का भी मलिक होता है।
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मौसिक़ी – गाना बजाना आम हो जाएगा
हदीस: हज़रत अबू आमिर (र.आ) से मरवी है के अल्लाह के रसूल (सल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने इरशाद फरमाया: “मेरी उम्मत मे कुछ ऐसे बुरे लोग पैदा होंगे जो ज़िनाकारी, रेशमी लिबास, शराब और गाने बजाने को हलाल कर लेंगे और (इन मे से) कुछ लोग पहाड़ की छोटी पर (अपने बंगलों मे रिहायश के लिए) चले जाएँगे. इन के चरवाहे सुबह ओ शाम जानवर लाएगे और ले जाएँगे।
इन के पास कोई फ़क़ीर अपनी हाजत की ग़रज़ से आएगा तो वो टलने के लिए इसे कह देंगे के कल आना लेकिन अल्लाह ता’आला रात ही इन्हे (सरकाशी की वजा से) हलाक़ कर देगा, इन पर पहाड़ गिरा देगा और इन मे से बाकी बचने वालों को क़यामत तक के लिए बंदर और खनज़ीर की सूरतों मे मस्ख कर देगा। साहीः बुखारी किताब उल अशराबा 5590
हदीस: हज़रत सहाल बिन साद (र.आ.) से मरवी है के रसूल अल्लाह (सल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने इरशाद फरमाया: मेरी उम्मत का एक गिरोह शराब ओ कबाब और लाहव ओ लाअब (म्यूज़िकल शोस) मे रात गुज़रेगा फिर सुबह को वो बंदर और खनज़ीर बन चुके होंगे और इन मे से जो बच जाएँगे इन पर अल्लाह ताआला एक हवा भेजेगा जो इन्हे इस तरह तबाह बर्बाद कर देगा जिस तरह पहले (नफ़ारमान) क़ौमो को बर्बाद किया गया। यह सज़ा इन्हे इस लिए मिलेगी के उन्हो ने शराब पीने, गाने बजाने और गाने वालियायन फाहिशा रखने को हलाल कर लिया होगा। इब्ने मजा 19/8
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झूठी गवाही दी जाएगी
हदीस: हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसूद (र.आ) फरमाते है के नबी करीम (सल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने इरशाद फरमाया: क़यामत से पहले झूठी गवाही दी जाएगी और सच्ची गवाही चुपाई जाएगी।
नोट: झूठी गवाही देना क़यामत की निशानी है. मौजूदा दौर मे यह निशानी बिल्कुल वाज़ेह है. नबी (सल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने झूठी गवाही को कबीरा गुनहों में से क़रार दिया है।
आज हमारे अदालतों का अक्सर निज़म झूठी गवाही पर मुँहासीर है. किराए के गवाह बकसरत और बा’आसानी मिल जाते है जिन के ज़रिए हर तरह के नाजायज़ मुक़दमात के जायज़ फ़ैसले केरवा लिए जाते हैं।
झूट क़सरत से बोला जाएगा
हदीस: हज़रत अबू हुरैरा (र.आ) से मरवी है के अल्लाह के रसूल (सल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने इरशाद फरमाया: क़यामत क़याम होने से पहले फितने ज़ाहिर होंगे, झूठ बकसरत होगा, बाज़ार क़रीब हो जाएँगे। साहीः बुखारी किताब उल फितन 7061
हदीस: हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसूद (र.आ) से मरवी है के: शैतान इंसानी सूरत मे किसी क़ौम के पास आ कर झूठी हदीस सुनाएगा और लोगों मे इंतशहार वक़ीया हो जाएगा, इन मे से एक आदमी कहेगा के मैं ने एक शख्स से यह हदीस सुनी है जिस का चेहरा तो मैं पहचानता हूँ मगर इस का नाम नही जनता। साहीः मुस्लिम मुक़दमा 17
हदीस: हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमरो (र.आ) फरमाते है के: समंदर मे शैतान क़ैद है जिन को सुलेमान (आ.स) ने क़ैद किया था. अंक़ारीब वो निकलेंगे और लोगों को क़ुरान सुनाएँगे (यानी धोका देने के लिए झूठा क़ुरान बना लाएँगे) साहीः मुस्लिम मुक़दमा 18
नोट: झूठ का फैल जाना क़यामत की एक निशानी है. यह निशानी अरसा दराज़ से ज़ाहिर हो चुकी है और दिन-बा-दिन बढ़ती जा रही है.
क़यामत के क़रीब कुछ लोग ऐसे जाहिर होंगे के अल्लाह के रसूल (सल्लाहु अलैहि वसल्लम) पर झूठ बंधेंगे और झूठी हदीसें गरह के लोगों को सुना कर गुमराह करेंगे।
आम गुफ़्तुगू मे झूट बोलना भी गुनाह है लेकिन इल्म-ए-हदीस मे झूट बोलने के बारे मे नबी (सल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया के:
हदीस: “जिस ने जान बूझ के मुझ पर झूठ बँधा वो अपना ठिकाना जहन्नुम (आग) मे बना ले। साहीः मुस्लिम मुक़दमा 4
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ग़रीब अमीर हो जाएँगे
हदीस: हज़रत अबू हुरैरा (र.आ) नबी करीम (सल्लाहु अलैहि वसल्लम) के हवाले से हदीस बयान फरमाते है के “क़यामत की निशानिओं में से है के छोटे और कमीने घरों वाले सालेह लोगों पेर ग़ालिब आ जाएँगे। मजमा अल ज़वैइद 327/7
हदीस: अब्दुल्लाह बिन अब्बास (र.आ) से मरवी है के नबी करीम (सल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने इरशाद फरमाया: जब तुम देखो के लोंड़ी मलिक को जन्म दे रही है, चरवाहे फलक बोस इमारतें बनाने में एक दूसरे पर बाज़ी ले जा रहे है और नंगे, भूके और फ़क़ीर लोगों के सरदार बन चुके है तो क़यामत के आसार ओ निशानात हैं। मसनद अहमद 396/1
नोट: ग़रीब, फ़क़ीर और उजाड़ किस्म के लोगों का मालदार और साहिब ए हसियत हो जाना क़ुर्ब क़यामत की एक निशानी है. किसी वक़्त में अरब का इलाक़ा सहराओं और रेगिस्तान पर मुश्तमिल था और यहाँ के अक्सर मकीनो का गुज़र बसर मुवाशी पालने पर मुँहासीर था। मगर जब से अल्लाह ता’आला ने अरब के सहराओं में टेल के चश्मे जारी फरमाये है तब से अरब के सहरा मरगजाओं में और रेगिस्तान चमनास्तानो में बदल गये है और हर तरफ खुशहाली और माल ओ दौलात की फ़रवानी अयान है।
कई लोग जो ज़हरी भिखारी होते है मगर हक़ीक़त मुन्कशाफ होने पर पता चलता है के यह भिखारी लाखों में खैलने वाला है।
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मुसलमान आपस मे क़ातल-ओ-घरात करेंगे
हदीस: हज़रत अबू सोबान (र.आ) फरमाते हैं के ऱसूलाल्लह (सल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया:
“बेशाक़ मैं ने अपने रब से सवाल किया : या रब! मेरी उम्मत को (मजमोई तौर पर) क़हत्साली से हलाक़ ना करना, इन पर कोई ऐसा ग़ैर मुस्लिम दुश्मन मुसल्लत ना हो जो इन की मरकाज़ियत को बिल्कुल नेस्त-ओ-नाबाद कर दे।
अल्लाह ता’आला ने फरमाया: आए मुहम्मद (सल्लाहु अलैहि वसल्लम) मेरे फ़ैसलों में कोई राद्दो-बदल नही हो सकता, मैने आप की अपनी उम्मत के हक़ मे यह दुआ क़बूल कर ली है के इन्हे क़हत्साली से हलाक़ नही करूँगा और ना इन पर कोई ग़ैर मुस्लिम दुश्मन मुसल्लत करूँगा जो इन की ज़ारिएन उखार फानके, खुवह वो चूँकि इन (मुसलमानो) पर हमला अवर हो जाए अलबाता यह आपस मे क़ातल-ओ-घरात करेंगे और एक दूसरे को क़ैदी (तक) बना लेंगे। साहीः मुस्लिम; किताब उल फितन 2889
माल और ख़ज़ाने बा’क़सरत हासिल होंगे
हदीस: जाबिर बिन समरा (र.आ) फरमाते हैं के अल्लाह के रसूल (सल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने इरशाद फरमाया: यह दीन क़ायम रहेगा हत्ता के क़ुरैश से 12 खुलफा होंगे, फिर क़यामत से पहले झूठे ज़ाहिर होंगे. मुसलमानो की एक बड़ी जमात कीसरा के सफ़ेद ख़ज़ाने हासिल कर लेगी। साहीः मुस्लिम किताब उल इमारा 1822
हदीस: हज़रत सोबान (र.आ) से मरवी है के ऱसूलाल्लह (सल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने इरशाद फरमाया: अल्लाह ता’आला ने मेरे लिए ज़मीन को सुकेद दिया तो मैं ने ज़मीन के मसरिक़ ओ मग़रिब (तक) को देखा है. बिलाशुबा मेरी उम्मत की हकूमत वहाँ तक पुहंचेगी जहाँ तक मुझे मुशाहदा कराया गया है और मुझे सुर्ख ओ सफ़ेद (सोना, चाँदी) दो ख़ज़ाने भी आता किए गये हैं। साहीः मुस्लिम किताब उल फितन 2889
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ईमानदारी कम और खयानत भरपूर होगी
हदीस: हज़रत अबू हुरैरा (र.आ) से मरवी है के रसूल करीम (सल्लाहु अलैहि वसल्लम) अपनी मजलिस मे लोगों से गुफ़्तुगू फ़ार्मा रहे थे के एक देहाती आया और कहने लगा: आए अल्लाह के रसूल सल्लाहु अलैहि वसल्लम क़यामत कब आएगी? आप (सल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया जब ईमानत (ईमानदारी) ज़ाया की जाए तो क़यामत का इंतज़ार करना। इस ने कहा: ईमानत का ज़या कैसे होगा? फरमाया: जब काम ना अहल लोगों के सुपुर्द कर दिए जाएँ तो क़यामत के मुंतज़ीर रहो। साहीः बुखारी किताब उल रिक़ाक़ 6496
हदीस: हज़रत हुज़ैफा (र.आ) फरमाते है के अल्लाह के रसूल (सल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने हमें 2 हदीसें बयान फरमाएँ जिन में एक का ज़हूर तो में देख चुका हुँ और दूसरी का मुंतज़ीर हूँ, रसूल अल्लाह (सल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने हम से फरमाया: के ईमानत लोगों के दिलों की गहराइयों मे उतरती है फिर क़ुरान मजीद और हदीस शरीफ से इस की मज़बूती हो जाती है।
और आप (सल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने (दूसरी हदीस मे) ईमानत के उठ जाने के मुतालिक़ फरमाया के आदमी एक मर्तबा सोए गा और (इसी मे) ईमानत इस के दिल से ख़तम हो जाएगी और इसमे बेईमानी का हल्का सा दाग पर जाएगा. फिर एक मर्तबा सोए गा तो वो दाग छाले की तरह हो जाएगा जिस तरह तुम पावं पर अंगारा फांको तो इस से एक फूला हुआ छला सा निकल आता है जो अंदर से खाली होता है फिर ये हाल होगा के लोग खरीद ओ फ़रोख़्त कारिएँगे और कोई शख्स ईमनतदार नही होगा।
कहा जाएगा के फलाँ लोगों मे एक ईमानत दर शख्स है. इस के मुतालिक़ यह भी कहा जाएगा के वो कितना अक़ल्मंद, बुलंद हौसला और बुहदर है हालंके इस के दिल मे रई बराबर भी ईमान (ईमानत) नही होगा. (हज़रत हुज़ैफा (र.आ) फरमाते हैं के) मैं ने एक ऐसा वक़्त भी देखा के मैं खरीद ओ फ़रोख़्त बिला ख़ौफ़ ओ खतर किया करता था अगर वो (तजीर) मुसलमान होता तो इस का इस्लाम इसे (बेईमानी से) रोकता और अगर वो ऐसा होता तो इस का मददगार इसे रोकता था लेकिन अब (बेईमानी के बढ़ जाने की वजह से) मैं फलाँ और फलाँ के सिवा किसी से खरीद ओ फ़रोख़्त ही नही करता। साहीः बुखारी किताब उल रिक़ाक़ 6497
हदीस: हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमेर (र.आ) फरमाते है के लोगों की मिसाल उंटों की से है के 100 में से एक भी (ताइज़) सवारी के क़ाबिल नही मिलता। साहीः बुखारी किताब उल रिक़ाक़ 6498
हदीस: हज़रत मर्दास असलामी (र.आ) फरमाते है के रसूल अल्लाह (सल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया: नेक लोग एक के बाद दीगरे रुखसत होते जाएँगे और फज़ूल लोग बाक़ी रह जाएँगे जिस तरह जौ का भूसा या रद्दी खजूर बाकी रह जाती है. अल्लाह ता’आला इन (फज़ूल लोगों) की कुछ परवाह नही करेँगे। साहीः बुखारी 6434
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फ़हशी आम हो जाएगी
हदीस: अब्दुल्लाह बिन उमेर (र.आ) से मरवी है के अल्लाह के रसूल (सल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने इरशाद फरमाया: यक़ीनन अल्लाह ता’आला बेयहयाई फैलने और फैलने को ना पसंद करता है या बेयहयाई फैलने वाले से बुग़ज़ रखता है. और आप (सल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने यह भी फरमाया: क़यामत क़ायम नही होगी हत्ता के बेयहयाई फैल जाएगी। मुसनद अहमद 217/2
नोट: फ़हशी और बेहयाई का फैल जाना क़यामत की एक निशानी है. औरतों की बेपर्दगी , मर्दों से इख़्तिलात, महलूट तालीम, गाली ग्लोच, मूवीज, ड्रामे, सॉंग्स वग़ैरा सब इस मे शामिल हैं।
नबी (सल्लाहु अलैहि वसल्लम) की पेशंगोई के मुताबिक़ इस का फैलना ला महाला कतय है मगर हमें इस पेशंगोई का मीसदाक़ बनने से हत्तल मक़दूर ग़राइज़ केरना चाहिए।
Source : Qayamat ki Nishaniyan
इन’शा’अल्लाह-उल-अज़ीज़ अल्लाह ता’आला हमे कहने सुनने से ज़्यादा अमल की तौफ़ीक़ दे।
व अखिरू दावाना अलाह्म्दुलिल्लाही रब्बिल आलमीन
Qayamat ki Nishanian