जैसा हम सभी जानते है इस्लाम में हर एक चीज़ के कुछ मसले मसाइल होते है जिन्हे हर मुस्लमान मर्द औरत के लिए जानना जरुरी होता है। इस्लाम में पाकि नापाकी भी एक बहुत बड़ा मसला है यहाँ पर हम आपको Paak Karne Ka Tareeqa बता रहे है।
इसके अलावा हमने एक दूसरे आर्टिकल में नापाक चीज़ो के बारे में बताया है जिसे आप तफ्सील से पढ़ सकते है। जिसमे हमने पाकि और नापाकी के बारे में बताया है। ।क्योकि मसले मसाइल न जानने से अक्सर इंसानो से गुनाह हो जाता है।
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Napaaki Kya Hoti Hai ?
वह चीज़ें जो ख़ुद ही नापाक मानी जाती है या वो नजिस हैं जैसे शराब या दूसरी ग़लीज़ चीजें जब तक अपनी अस्ल को यानी अपने असली होने को छोड़कर कुछ और न हो वो चीज़ पाक नहीं हो सकतीं है जैसे की शराब जब तक शराब होती है वो नजिस ही रहती है।
लेकिन अगर वो सिरका हो जाये तो अब वो पाक मानी जाती है। इसी तरह से गोबर का उपला नापाक होताहै लेकिन अगर वो जल गया और राख बन गया तो पाक माना जाता है।
कुछ चीज़ें जो ख़ुद नजिस नहींं होती है बल्कि किसी निजासत के लगने से नापाक हो जाती है उनके पाक करने के तरीक़े अलग होते हैं। आमतौर पर इन्हें पानी से धो कर पाक कर सकता हैं या फिर सिरके और गुलाब से भी निजासत को दूर किया जा सकता हैं।
लेकिन बग़ैर ज़रुरत इन चीज़ो से पाक करना नाजाइज़ है क्योंकि यह फ़ुज़ूलख़र्ची है इसी तरह दूध, शोरबा और तेल से धोने से पाक नहीं होगा यानी की नजासत दूर नहीं होती है। आज हम इसी मौज़ू पर तफ़सील से बात करेंगे की Paak Karne Ka Tareeqa कौन -कौन से है।
अलग-अलग क़िस्म की नजासत को पाक करने के तरीक़ा
अलग-अलग क़िस्म की नजासत को पाक करने के तरीक़े भी अलग-अलग होते हैं जो इस तरह हैं-
अगर निजासत दाल दार हो जैसे पाख़ाना, गोबर और ख़ून वगैरह तो उनको धोते वक़्त गिनती की कोई शर्त नहीं होती बल्कि उसको तब तक धोना है जब तक की नजासत ख़त्म नहीं होती है है तब ही पाक होगा।
चाहे एक बार धोने से ही नजासत क्यों न साफ़ हो जाए या चार पाँच बार धोने से लेकिन अगर तीन बार से कम में धोने से ही निजासत दूर हो जाये तो तीन बार धोना मुस्तहब है।
अगर निजासत दूर होने के बाद उसका कुछ असर रंग या बदबू बाक़ी है तो उसे भी दूर करना ज़रूरी होता है। लेकिन अगर उसका असर या रंग बहुत मुश्किल से जाये तो उसको ज़्यादा रगड़ने की ज़रूरत नहीं बस तीन बार धो लीजिये तो वो पाक हो जायगा।
kapdo ko paak karne ka tareeqa
कपड़े या हाथ में नापाक रंग लग जाये तो सिर्फ उसे इतना धोयें कि साफ़ पानी गिरने लगे, तो पाक हो जायेगा चाहे कपड़े या हाथ पर रंग बाक़ी क्यों न हो।
जाफ़रान या कोई भी रंग, अगर कपड़ा रंगने के लिये घोला था, और उसमें कोई निजासत या गन्दगी पड़ गई और उस रंग से कपड़ा रंग लिया तो तीन बार धोने से वो पाक हो जायेगा।
कपड़े या बदन में अगर नापाक तेल लग जाये या लगा हो तो तीन बार धो लेने से वो पाक हो जायेगा, चाहे तेल की चिकनाई मौजूद क्यों न हो। लेकिन अगर मुर्दार या मरे हुई की चर्बी हो, तो जब तक चिकनाई न जाएगी तब तक पाक नहीं होगा है।
अगर निजासत पतली हो तो तीन बार धोने से और तीन बार ज़ोर से निचोड़ने से पाक हो जाएगी। ज़ोर से निचोड़ने का मतलब यह है कि अगर कोई शख़्स अपनी ताक़त से इस तरह निचोड़े कि अगर वो इसके बाद फिर निचोड़े तो उससे कोई क़तरा न टपके अगर कपड़े का खराब होने के ख़्याल करके अच्छी तरह नहीं निचोड़ा तो पाक नहीं होगा।
उसको पहली और दूसरी बार निचोड़ने के बाद हाथ पाक कर लेना बहुत ज़रूरी है और इसके बाद तीसरी बार निचोड़ने से कपड़ा भी पाक हो गया और हाथ भी पाक हो गया। और जो कपड़े में इतनी भी तरी या फिर भीगा रह गया हो कि निचोड़ने से एक आध बूँद टपक जाये तो कपड़ा और हाथ दोनों नापाक रहेगा।
अगर धोने वाले ने अच्छी तरह से निचोड़ लिया मगर अभी ऐसा है किउसे अगर कोई दूसरा शख़्स जो ताक़त में उससे ज़्यादा है निचोड़े तो एक दो बूँद टपक जाए तो धोने वाले के हक़ में पाक होता है और इस दूसरे के हक़ में नापाक होगा।
Kaleen ya chamde ya juta
कुछ चीज़े जो निचोड़ने के क़ाबिल नहीं होती है जैसे चटाई, बर्तन, पकाया हुआ चमड़ा और जूता या बहुत नाज़ुक कपड़ा वग़ैरा, उनको धोकर छोड़ देना चाहिए जिससे कि पानी टपकना रुक जाये इसी तरह से तीन बार धोयें। तीसरी बार में जब पानी टपकना बन्द हो जाये तो वह चीज़ पाक हो जाती है।
दरी, क़ालीन या कोई ऐसा कपड़ा जिसको धोना और निचोड़ना मुश्किल हो रहा हो तो बहते पानी में रात भर पड़ा रहने देने सेे पाक हो जाता है। लेकिन अस्ल बात यह होती है कि जब तक यह पक्का यक़ीन न हो जाये कि निजासत बह गई तो पाक हो गया बहते पानी से पाक करने में निचोड़ना जरुरी नहीं होता है।
तीन बार धोने के लिए ये ज़रूरी नहीं कि उसे तुरंत ही तीनों बार धोया जाये बल्कि अलग-अलग वक़्तों में या अलग-अलग दिनों में इस गिनती को पूरी की जा सकती है तब भी पाक हो जायेगा।
लोहे की कुछ चीजें जैसे चाक़ू/तलवार और छुरी वग़ैरा जिनमें न ज़ंग न लगा हो और न बेल बूटे वगैरह न बने हों तो वो अच्छी तरह पोंछ लेने से पाक हो जायेंगी।
Bartan ko paak karne ka tareeqa
ऐसी चीज़ जिसमें निजासत जज़्ब नहीं होती जैसे चीनी के बर्तन या मिट्टी का पुराना इस्तेमाली चिकना बर्तन या लोहे, तांबे, पीतल वग़ैरा को सिर्फ़ तीन बार धो लेना ही काफ़ी होता है।
शीशे, चीनी या मिट्टी के रौग़नी (चिकने) बर्तन, पालिश की हुई लकड़ी या वह चीज़ें जिनमें सुराख़ न हों कपड़े या पत्ते से इतना पोंछ ले कि निजासत का असर ख़त्म हो जाये तो पाक हो जाता हैं।
नापाक हुए बर्तन को मिट्टी, राख या साबुन से माँझ लेना ही बेहतर होता है।
मनी अगर कपड़े या बदन में लग कर सूख जाये तो सिर्फ़ मलकर या खुरच कर साफ़ करने से पाक हो जायेगा चाहे मलने के बाद उसका कुछ असर कपड़े में बाक़ी भी रह जाये।
चमड़े वाले मोज़े या जूते में दलदार निजासत लगी जैसे पाख़ाना गोबर वग़ैरा तो खुरचकर या रगड़ कर साफ़ करने से पाक हो जायेगा।
पेशाब की तरह कोई पतली निजासत चमड़े वाले जूते या चमड़े वाले मोज़े में लगी तो उस पर मिट्टी या राख या रेत वग़ैरा डाल कर रगड़ने से पाक हो जायेगें लेकिन अगर वह निजासत सूख गई तो अब बे-धोये पाक नहीं होगी।
Jameen ya dewaar ko paak karne ka tareeqa
अगर नापाक ज़मीन सूख जाये और निजासत का असर यानि रंग और बू जाती रहे तो पाक हो जायेगी चाहे वह हवा से सूखी हो या धूप से या आग से मगर उससे तयम्मुम करना जाइज़ नहीं अलबत्ता नमाज़ पढ़ सकते हैं।
पेड़, पौधे, घास, दीवार और ऐसी ईंट या पत्थर जो ज़मीन में गड़े हों सूखने के बाद पाक हो जाते हैं, अगर गड़े न हो तो सूखने से पाक नहीं होंगे बल्कि धोना ज़रूरी है। इसी तरह नापाक पेड़ या नापाक घास सूखने से पहले काट लें तो पाक करने के लिए धोना ज़रूरी है।
कंकरी जो ज़मीन के ऊपर है सूखने से पाक नहीं होगी और जो ज़मीन में चिपकी हुई हो वह ज़मीन के हुक्म में है।
नापाक मिट्टी से बनाये बर्तन जब तक कच्चे हैं नापाक हैं लेकिन पकाने के बाद पाक हो जायेंगे।
तन्दूर या तवे पर नापाक पानी का छींटा डाला और आँच से वह सूख गया तो जो रोटी पकाई गई पाक है।
सुअर के सिवा हर मुर्दार जानवर की खाल सुखाने से पाक हो जाती है चाहे उसको खारी नमक या किसी दवा वग़ैरा से पकाया हो या सिर्फ़ धूप या हवा में सुखा लिया हो, अगर उसकी तमाम रतूबत ख़त्म होकर बदबू जाती रही तो पाक हो गयी और उस पर नमाज़ जाइज़ होगी।
ज़मीन में लगी चीज़ नजिस हो गई फिर सूखने के बाद अलग की गई तो पाक ही रहेगी।
कपड़े में एक तरफ़ निजासत लगी और दूसरी तरफ़ उसने असर नहीं किया तो उसको पलट कर दूसरी तरफ़ जिधर निजासत नहीं लगी है नमाज़ नहीं पढ़ सकते चाहे कितना ही मोटा क्यों न हो।
अक़्सर जानमाज़ के नीचे कपड़ा वग़ैरा लगा लेते हैं और वह नजिस हो जाए तो अगर जानमाज़ के साथ सिला हो तो उस पर नमाज़ जाइज़ नहीं और सिला हुआ नहीं हो तो जाइज़ है।
लकड़ी का तख़्ता एक रुख़ से नजिस हो गया तो अगर इतना मोटा है कि मोटाई में चिर सके तो पलट कर उस पर नमाज़ पढ़ सकते हैं वरना नही।
ज़मीन गोबर से लेसी गई अगर सूख भी गई हो जब भी उस पर नमाज़ जाइज़ नहीं। हाँ अगर वह सूख गई और उस पर कोई मोटा कपड़ा बिछा लिया तो उस कपड़े पर नमाज़ पढ़ सकते हैं।
किसी दूसरे मुसलमान के कपड़े में निजासत लगी देखी और ग़ालिब गुमान है कि उसको ख़बर करेगा तो पाक कर लेगा तो ख़बर करना वाजिब है।
Paak Karne Ka Tareeqa बहुत आसान होता है बस उसके बारे में सही जानकारी होनी चाहिए। क्युकी किसी चीज़ का आधा इल्म नुकसानदायक होता है।
और इस्लाम में बारीकियों का बहुत ख्याल रखा जाता है इस्लाम में सभी बातों का ख्याल रखना बहुत जरुरी है। Paak Karne Ka Tareeqa के बारे में सभी को इल्म होना चाहिए क्योकि सफाई आधा ईमान होती है।
जज़्ज़ाकल्लाहु खैर