रमज़ानुल मुबारक अल्लाह का अता किया हुआ एक बहुत बा बरकत महीना अब हम से रुखसत हो रहा है। अभी भी हमारे पास पास Ramzan ki Rukhsat होने से पहले अज़ीम नेमते बचीं है।
जैसा की हमारे मुल्क में और पूरी दुनिया में वबा फैली हुई है उसके लिए भी आप सभी अल्लाह से दुआ करे।
रमजान की हदीस
हजरत उमर बिन अब्दुल्लाह (रजि0) से रिवायत है कि नबी करीम (सल0) ने इरशाद फरमाया
कयामत के दिन रोजो और कुरआन बंदे की शफाअत करेंगे, रोजे अर्ज करेंगे कि ऐ अल्लाह मैंने इसको दिन में खाने और शहवत से रोका। इसलिए तू इसके लिए मेरी शफाअत कुबूल फरमा
और कुरआन कहेगा कि मैंने इसे रात में सोने से रोका। लिहाजा इसके हक में मेरी शफाअत कुबूल फरमा ले और दोनों की शफाअत कुबूल होगी। (मिश्कात शरीफ)
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यह वह महीना है जिस का अव्वल हिस्सा रहमत बीच का हिस्सा मगफिरत और आखिरी हिस्सा निजात यानी जहन्नुम से आजादी का है। (मिश्कात शरीफ)
हजरत अबू हुरैरा (रजि0) फरमाते है कि नबी करीम (सल0) ने फरमाया-
अल्लाह तआला फरमाता है मेरे नजदीक महबूब बंदा वह है जो इफ्तार में जल्दी करे (जल्दी का मतलब मगरिब का वक्त शुरू हो जाने पर इफ्तार कर लेना उसमें 3 मिनट से ज्यादा का एहतियात ना करना)।
हजरत सहल बिन साद फरमाते हैं कि नबी करीम (सल0) ने फरमाया- जब तक लोग जल्दी इफ्तार करते रहेंगे भलाई में रहेंगे। (तिरमिजी)
अल्लाह का शुक्र अदा करे
अल्लाह तआला ने हम लोगों को रोज़े रखने की तौफ़ीक़ दी, और इस पूरे महीने इबादतों में मशगूल रहने की तौफ़ीक़ दी, इसका शुक्रिया ज़रूर अदा करें
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क्यूंकि बहुत सारे लोग ऐसे हैं जो रोज़ा नहीं रख रहे थे या रखना चाहते थे लेकिन किसी बीमारी या मजबूरी की वजह से नहीं रख पाए तो अगर अल्लाह तआला ने आपको रमज़ान का हक अदा करने की तौफ़ीक़ दी है तो हमें और आप को अल्लाह का शुक्र अदा करना चाहिए।
गुनाहो से इस्तिग्फार
इस्तिग्फार का मतलब होता है अल्लाह से अपने गुनाहों की माफ़ी चाहना
रमज़ान के पाक महीने में अगर सवाब कई गुना जयादा मिलता है तो गुनाह भी कई गुना ज्यादा हो सकता है। फिर इंसान तो खताओं और गलतियों का पुतला है।
उससे गलतियाँ हो जाती हैं कभी जान बूझकर और कभी अनजाने में इसलिए हमें चाहिए कि रमज़ान ख़त्म होने पहले अल्लाह से अपने गुनाहों की बख्शिश करा ले क्यूंकि अभी रहमत की बारिश थमी नहीं है इसका भरपूर फायदा उठायें।
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चाँद रात की इबादत
ईद की चाँद रात एक इबादत की रात होती है जिसका नाम लय्लातुल जायेज़ह है जिसका मतलब है इनआम की रात और इस रात में अल्लाह तआला पूरे महीने में की गयी इबादतों का इनआम अता फरमाते हैं।
और ये कहते हैं कि “है कोई मुझ से मांगने वाला जिसको मैं अता करूं और है कोई बखशिश मांगने वाला जिसको मैं बख्श दूं”
तो ऐसा बेहतरीन मौक़ा पूरे साल नहीं आएगा इसलिए इसको गनीमत जाने और इसको शोपिंग और दुसरे गैर ज़रूरी कामों में न बर्बाद करे रात का थोड़ा सा हिस्सा अल्लाह की इबादत और दुआ में लगा दें।
हो सकता कि यही रात आप की ज़िन्दगी के लिए बहुत अहम् साबित हो जाये।
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चाँद रात की गफलत
बहोत लोग ऐसा समझते है की ईद का चाँद नज़र आने के बाद रमज़ान की बरकते ख़तम हो जाती है और वो इबादत छोड़ कर टीवी पिक्चर देखना सुरु कर देते है जबकि उस रात को अपनी मेहनत का ईनाम लेने की रात होती है।
चाँद रात को तरावीह की नमाज़ नहीं होती तो ईशा की नमाज़ पुरी पढ़ कर कुछ नफल इबादत करे और अल्लाह से खूब दुआ करे। और उसके बाद सो जाये बिला वजह लोगो की देखि देखा न जागे।
रात को नमाज़ पढ़ कर सो जाना भी एक इबादत है जल्दी सोने से सुबह फ़जर में आखा ठीक से खुल जाएगी और फिर नमाज़ के बाद ईद की तयारी में लग जाये।
रमजान की बरकत ईद की नमाज़ तक रहती है तब तक आप अल्लाह से खूब दुआ करे।
लैलतुल क़द्र क्या है?
शबे क़द्र या लैलतुल क़द्र एक रात है जो हज़ार महीनों से अफज़ल है। पूरी तफ्सील यहाँ पढ़े Surah Al Qadr