हदीस में Wazu ki Fazilat के मुतालिक कसरत से लिखा गया है। किसी भी इबादत की फ़ज़ीलत जब तक हमें पता नहीं होगी तो उसकी अहमियत हमारे दिलो में नहीं होगी। इसी तरह वज़ू भी इससे अलग नहीं है।
वज़ू सुन्नत के मुताबिक कैसे करे इसके लिए हमने पहले ही पूरी तफ्सील से लिखा है जिसको आप नीचे दिए गए लिंक से पढ़ सकते है।
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वुज़ू की फ़जीलत़
रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम इरशाद फ़रमाते हैं कि क़यामत के दिन मेरी उम्मत इस हालत में बुलाई जायेगी कि मुँह, हाथ और पैर, वुज़ू की वजह से चमकते होंगे तो जिससे हो सके चमक ज़्यादा करे यानि की कसरत से वज़ू करे (सही बुख़ारी)
हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने सहाबा से इरशाद फ़रमाया कि क्या मैं तुम्हें ऐसी चीज़ न बता दूँ कि जिसके वजह से अल्लाह तअ़ाला ख़तायें माफ़ कर दे और दर्जे बलंद करे।
सहाबा ने अर्ज़ किया जीहा जरूर बताये या रसूलल्लाह! हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया जिस वक़्त वुज़ू नागवार होता है उस वक़्त अच्छी तरह पूरा वुज़ू करना और मस्जिदों की तरफ़ ज़्यादा जाना।
और एक नमाज़ के बाद दूसरी नमाज़ का इन्तज़ार करना इसका सवाब ऐसा है जैसा काफ़िरों की सरहद पर इस्लामी शहरों की हिमायत के लिये घोड़ा बाँधने का सवाब है।(सही मुस्लिम)
जो वुज़ू पर वुज़ू करता है उसके नामा-ए-आमाल में अल्लाह तआला दस नेकियाँ लिख देता है। (जामा-ए-तिरमिज़ी)
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वज़ू से गुनाह माफ़ होना
जब मुसलमान वुज़ू करते हुए कुल्ली करता है तो उसके मुँह से गुनाह निकल जाते हैं और जब वह नाक साफ़ करता है तो उसके नाक से गुनाह निकल जाते हैं। जब वह मुँह धोता है तो उसके चेहरे के गुनाह धुल जाते हैं यहाँ तक कि उसकी आँखों की पुतलियों के नीचे से भी गुनाह निकल जाते हैं।
जब वह बाज़ू धोता है तो उसके नाख़ूनों के नीचे तक के तमाम गुनाह निकल जाते हैं। जब वह सिर का मसह करता है तो उसके सिर के गुनाह निकल जाते हैं, यहाँ तक कि कानों के नीचे तक के गुनाह गिर जाते हैं।
जब वह पाँव धोता है तो उसके पाँव के नाख़ूनों के नीचे तक के तमाम गुनाह निकल जाते हैं। फिर उसका मस्जिद की तरफ़ चलना और नमाज़ पढ़ना उसकी इबादत में दाखि़ल हो जाता है और मरवी है कि बा वुज़ू आदमी रोज़ादार की तरह है।(सुनन अननिसाइ)
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वज़ू के बाद की दुआ
जिस शख़्स ने पूरी तरह सुन्नत की रियायत के साथ वुज़ू किया और उसके बाद आसमान की तरफ़ नज़र उठा कर दूसरा कलमा पढ़े तो उसके लिये जन्नत के आठों दरवाज़े खोल दिये जाते हैं कि जिस दरवाज़े से चाहे दाखि़ल हो जाये।
कलमा पढ़ने के लिए लिंक दूसरा कलमा
क़ुरआन पाक और अहादीस में बयान किए गए वुज़ू के फ़ज़ाइल पढ़ने के बाद वुज़ू की अहमियत और इस से हासिल होने वाले अज्र और सवाब का बख़ूबी अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
और जो शख़्स हमेशा बावुज़ू रहता है तो अल्लाह तआला उसे सात ख़सलतों की इज़्ज़त बख़्शता है। जो इस तरह है।
बावुज़ू के दीनी फायदे
- फ़रिश्ते उनके साथ रहना पसंद करते हैं।
- आमाल लिखने वाले फ़रिश्ते उसका सारा वक़्त इबादत में लिखते रहते हैं।
- बदन के तमाम हिस्से तस्बीह करते हैं।
- जमाअत में उसकी पहली तकबीर कभी नहीं छूटती।
- फ़रिश्ते उसकी हिफ़ाज़त करते हैं।
- अल्लाह तआला जान निकलने के वक़्त की मुश्किल को आसान फ़रमाता है।
- जब तक वुज़ू रहे अल्लाह तआला की अमान में रहता है।
वुज़ू की दुनियावी फ़ायदे
वुज़ू के बारे में जो यह कुछ फ़ज़ाइल बताये गये हैं, उनसे वह फ़ायदे पता चलते हैं जो हमें आख़िरत में हासिल होंगे और एक मुसलमान होने के नाते यही हमारी ज़िंदगी का मक़सद भी है।
लेकिन इसके अलावा दुनियावी फ़ायदे भी बेशुमार हैं यहाँ आप की जानकारी के लिये कुछ का तसकरा कर रहे हैं लेकिन एक बात ध्यान में रखनी ज़रूरी है कि वुज़ू हमेशा इसी नीयत से करें कि अल्लाह का हुक्म है इस लिए वुज़ू कर रहें हैं।
सिर्फ दुनियावी फ़ायदे के लिये नहीं क्योंकि उसका हुक्म मानने से जो नेअमतें और बरकतें हासिल होती हैं वह और किसी से नही मिलती।
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वुज़ू में जिस्म के उन हिस्सों को धोने और साफ़ करने का हुक्म है जो अक़्सर खुले रहते हैं और बाहर की धूल, मिट्टी और जरासीम (कीटाणु) उन पर लगते रहते हैं।
जिसकी वजह से तरह-तरह की बीमारियाँ पैदा होती हैं। दिन में पाँच बार वुज़ू करके इन ख़तरनाक बीमारियों से बचा जा सकता है।
यहाँ पर अब हम वुज़ू के अलग-अलग अरकान (Steps) के दुनियावी फ़ायदों को बतायेगे।
हाथ धोना
दिनभर हाथों मे तरह-तरह की गंदगी और जरासीम (Germs) के लगने से बहुत सी बीमारियाँ जैसे नज़ला, आई फ्लू, दमा, इनफ्लूएंज़ा, हैज़ा और हैपेटाइटिस (ए) वग़ैरा होने का ख़तरा बना रहता है।
वुज़ू में हाथों को तीन-तीन बार अच्छी तरह धोने का हुक्म है यहाँ तक कि उंगलियों के बीच घाईयों को भी अच्छी तरह धोने को कहा गया है।
और जब दिन में पाँच बार यह अमल किया जाये तो हाथों में गंदगी या जरासीम के रहने का कोई मतलब ही नहीं रहता।
कुल्ली करना
वुज़ू में तीन बार कुल्ली करने से मुँह और दाँतों में फँसे हुए खाने के ज़र्रे(particles) बाहर आ जाते हैं और मुँह साफ़ हो जाता है अगर यह ज़र्रे साफ़ न हों तो सड़ने लगते हैं जिससे बहुत सी बीमारियाँ होने लगती है।
आज डाक्टर दिन में दो बार दाँतों में ब्रुश करने को कहते हैं लेकिन दीने इस्लाम तो चौदह सौ साल पहले से दिन में पाँच बार दाँतों में ब्रुश यानि मिस्वाक करने का हुक्म देता है।
और ब्रुश से तो सिर्फ़ सफ़ाई ही होती है लेकिन मिस्वाक के तो और भी बहुत से फ़ायदे हैं जिनको हम अलग से तफ्सील के साथ बतायेगे।
कुल्ली करने में ग़रारे (Gargles) करने का भी हुक्म है जिससे टानसिल्स और गले का कैंसर जैसी बीमारियों से बचा जा सकता है।
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नाक में पानी चढ़ाना
अच्छी सेहत के लिये हमारे फेफड़ों को साफ़ सुथरी हवा चाहिये जो हमें नाक से साँस लेने से मिलती है, नाक में पानी चढ़ाने से एक तो बाहर से आये धूल के ज़र्रे और जरासीम (जो नाक के बालों में फँस जाते हैं) धुल जाते हैं और साफ़ सुथरी हवा अंदर जाती है।
और दूसरा इसका सबसे ख़ास फ़ायदा यह होता है कि नाक मे एक माइक्रोस्कोपिक ब्रुश होता है जिसमे दिखाई न देने वाले रेशे (Bristles) होते हैं जो बाहर से हमला करने वाले माइक्रोस्कोपिक जरासीम (Germs) को ख़त्म कर देते है।
इसके अलावा दिमाग़ के निज़ाम को चलाने के लिये जि़म्मेदार Lysozium System भी इन रेशों के ज़रिये ही काम करता है और नाक में पानी डालने से पानी में मौजूद Electric Rays इन रेशों (Bristles) को ताक़त पहुँचाती हैं।
इसलिये वुज़ू में नाक में पानी डालने से बहुत सी पेचीदा (Critical) बीमारियों से बचाव होता है। नाक में पानी डालना दिमाग़ी वायरस का भी बेहतरीन इलाज बताया गया है।
चेहरा धोना
आमतौर पर चेहरा खुले रहने की वजह से आसपास की धूल, गंदगी और तरह-तरह के केमिकल्स हमारे चेहरे और आँखों पर लग जाते हैं जिसकी वजह से बहुत सी ख़तरनाक बीमारियाँ हो सकती हैं।
वुज़ू में पूरा चेहरा, आँखें और दाढ़ी को अच्छी तरह तीन बार धोया जाता है जिसकी वजह से वुज़ू करने वाला इन ख़तरनाक बीमारियों से बचा रहता है।
मिसाल के लिये आँखों की एक बीमारी है जिसमे आँखों का पानी सूखने लगता है और फिर इंसान अंधा हो जाता है।
डाक्टर इस बीमारी से बचने के लिये भँवों को बार-बार भिगोने की सलाह देते हैं लेकिन वुज़ू करने में भँवें भीगती ही हैं लिहाज़ा वुज़ू से इस ख़तरनाक बीमारी से भी बचाव होता है।
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हाथ कोहनियों तक धोना
आमतौर पर हमारे बाज़ू ढके रहते हैं। अगर बाज़ुओं को हवा और पानी न लगे तो तरह-तरह की दिमाग़ी और नफ़्सियाती बीमारियाँ हो सकती हैं।
वुज़ू में हाथ कोहनियों तक धोये जाते हैं जिससे दिल, जिगर (liver) और दिमाग़ को ताक़त मिलती है और इनसे मुताल्लिक़ बहुत सी जानलेवा बीमारियों से बचे रहते हैं।
मसह करना
वुज़ू में सिर, कान और गर्दन का मसह किया जाता है। इससे दिमाग़, रीढ़ की हड्डी और कानों की बहुत सी ख़तरनाक बीमारियाँ जैसे सरवाइकल, गर्दन का बुख़ार और पागलपन वग़ैरा से बचा जा सकता है।
मसह करने से आसाबी निज़ाम (Nervous System) को भी ताक़त मिलती है।
पाँव धोना
जब हम चलते हैं तो पाँवों पर ही सबसे ज़्यादा गंदगी लगती है जिसकी वजह से तरह-तरह की बीमारियाँ आने लगती है।
वुज़ू में पाँवों को टख़नो समेत अच्छी तरह धोने का हुक्म है यहाँ तक कि उंगलियों के बीच की घाईयाँ भी जो ज़रा सी सूखी रह जायें तो वुज़ू नहीं होता।
आज रिसर्च से यह साबित हो चुका है कि पाँव धोने और उंगलियों का ख़िलाल करने से डिप्रेशन, नींद की कमी, दिमाग़ की ख़ुश्की और थकान वग़ैरा से छुटकारा हासिल किया जा सकता है।
तो इस तरह वज़ू करने से हमें दीन और दुनिया दोनों में फायदे हासिल होते है।
Source From Sunnah.com
Correct it please “सल्लल्लाहु” अलैहि वसल्लम
Now Corrected