वुज़ू ग़ुस्ल और पाकी के लिये पानी का बयान
आज के इस आर्टिकल में हम वज़ू और ग़ुस्ल के लिए पानी की पाकि को बताएँगे यानी की vazu aur gusl ke lie pani का बयान किया है इसमें हमने ये भी बताया है की कौन सा पानी पाक होता है और कौन सा पानी नापाक होता है।
साथ ही ये भी बताया है की कौन सा पानी वज़ू और ग़ुस्ल के लिए पाक होता है।
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अल्लाह ताला ने पानी को पाक करने के लिए बनाया है। इसलिए पानी को किसी भी तरह की निजासत को साफ़ करने और वुज़ू/ग़ुस्ल के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
इन सभी कामों को करने के लिए पाक व साफ़ पानी की ज़रूरत होती है जो की अपनी असली हालत में हो यानि पानी में कोई चीज़ इतनी तादाद में न मिली हो कि उस चीज़ से वो पानी गाढ़ा हो जाए या उस चीज़ का रंग, मज़ा या महक यानी Smell पानी में ज़ाहिर हो रही हो, इस तरह से वो पानी वुज़ू या ग़ुस्ल के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
इस तरह से इस बात को अच्छी तरह याद रखना चाहिए कि जिस पानी से वुज़ू जाइज़ होता है उससे ग़ुस्ल भी जाइज़ है और जिससे वुज़ू नाजाइज़ होता है उससे ग़ुस्ल भी नाजाइज़ है। आगे इस आर्टिकल में हम जानेगे की वुज़ू के लिए कैसा पानी इस्तेमाल करना जाइज़ होता है।
अल्लाह तआला ने पानी में पाक करने की ऐसी ख़ासियत रखी हुई है जो की किसी और चीज़ से नही मिल सकती है । हां ये बात भी सही है की हवा, आग और मिट्टी से भी कुछ चीज़ें पाक हो जाती हैं लेकिन मुकम्मल यानी पूरी तरह से पाकी पानी से ही हासिल की जा सकती है।
अल्लाह तआला फरमाते है:-
وَیُنَزِّلُ عَلَیۡکُمۡ مِّنَ السَّمَآءِ مَآءً لِّیُطَہِّرَکُمۡ بِہٖ وَیُذْہِبَ عَنۡکُمْ رِجْزَ الشَّیۡطٰنِ
(और आसमान से तुम पर पानी उतारा कि तुम्हें उस से पाक करेऔर शैतान की नापाकी तुम से दूर करे)
وَ اَنۡزَلْنَا مِنَ السَّمَآءِ مَآءً طَہُوۡرًا
(और आसमान से हमने पाक करने वाला पानी उतारा)
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कौन सा पानी पाक होता है कौन सा नापाक
यहाँ पर हम तफ्सील से जानेंगे की कौन सा पानी पाक होता है और कौन सा नापाक यानी वज़ू और ग़ुस्ल के लिए पानी का बयान करेंगे Vazu Aur Gusl Ke Lie Pani आइये जानते है तफ़्सीर से –
- बारिश, नदी, नहर, चश्मे, समुन्दर, कुएँ, बर्फ़ और ओले का पानी पाक है इससे वुज़ू जाइज़ होता है।जब वज़ू जायज़ है तो ग़ुस्ल भी जायज़ होता है
- पानी में कोई अगर कोई पाक चीज़ मिल गई जिससे वो गाढ़ा हो गया या फिर उसका मज़ा और रंग वग़ैरा बदल गया हो तो उससे वुज़ू और ग़ुस्ल नहीं किया जा सकता है जैसे की शर्बत, गुलाब का पानी, डीटोल का पानी, शोरबा या चाय वग़ैरा।
- पानी में अगर कोई पाक चीज़ मिल गयी जिससे की उसका रंग, मज़ा वग़ैरा बदल गया लेकिन पतलापन वही रहा जैसे रेत, चूना या थोड़ा सा ज़ाफ़रान वग़ैरा तो उससे वुज़ू जाइज़ होता है। लेकिन अगर उसमे मिले ज़ाफ़रान का रंग इतना हो जाये कि उससे कपड़ा रंगा जा सके तो उस पानी से वुज़ू/ग़ुस्ल जाइज़ नहींहोता है।
- बहता पानी पाक होता है और पाक करने वाला होता है। बहता पानी उसे कहा जाता हैं जिसमें अगर तिनका डाल दिया जाये और वो उसे बहा ले जाये।लेकिन अगर इस पानी में इतनी निजासत पड़ जाए कि उससे पानी का रंग, बू और मज़ा बदल जाये तो यह पानी नापाक हो जाता है। अगर यह निजासत नीचे बैठ जाये या पाक पानी इतना मिल जाये कि निजासत को बहा ले जाये जिससे पानी का रंग, बू और मज़ा ठीक हो जाये तो पानी पाक हो जाता है उस पानी से वुज़ू करना और नहाना जाइज़ हो जाता है।
- छत के ऊपर के परनाले से गिरने वाला बारिश का पानी पाक होता है, चाहे छत पर या परनाले के मुँह पर निजासत क्यों न पड़ी हो। लेकिन अगर निजासत से पानी की असली सूरत में बदलाव आ जाता है तो पानी नापाक हो जाता है। लेकिन अगर बारिश रुक गयी और पानी का बहना ख़त्म हो जाता है तब वह ठहरा हुआ और छत से टपकने वाला पानी नजिस होता है।
- दस हाथ लम्बे, दस हाथ चौड़े हौज़़ या तालाब को दह-दर-दह कहा जाता हैं। ऐसे हौज़़ या तालाब का पानी बहते पानी के हुक्म में होता है और इससे वुज़ू और ग़ुस्ल जाइज़ होता है, और थोड़ी निजासत पड़ने से ये नापाक नहीं होता जब तक निजासत से पानी का रंग, बू या मज़ा न बदले जाए । अगर हौज़़ गोल हो तो उसकी गोलाई यानि परिधि कम से कम साढ़े पैतींस हाथ हो यानि हौज़़ का क्षेत्रफल सौ हाथ होना चाहिए । यहाँ पर हाथ से मुराद शरई हाथ से है और एक हाथ लगभग आधा मीटर के बराबर होता है।
- बड़े हौज़़ में ऐसी निजासत पड़ी हुई हो जो दिखाई न दे जैसे शराब या पेशाब तो उस हौज़़ के हर तरफ़ से वुज़ू जाइज़ होता है और अगर निजासत दिखाई दे रही हो जैसे पाख़ाना या मरा हुआ जानवर, तो जिस तरफ़ वह निजासत हो उस तरफ़ से वुज़ू नहीं करना चाहिये, दूसरी तरफ़ से वुज़ू कर सकते है ।
- दह-दर-दह हौज़़ पर अगर बहुत से लोग जमा होकर वुज़ू करें तो भी कुछ हर्ज नहीं चाहे वुज़ू का पानी उसमें गिरता क्यों न हो। लेकिन ये याद रहे की उसमें कुल्ली का पानी और नाक/थूक वग़ैरा नहीं डालना चाहिये।
- पानी अगर बड़े बर्तन में हो और कोई छोटा बर्तन निकालने के लिए न हो तो उसमें से पानी निकालने के लिए बायें हाथ की उंगलियाँ मिलाकर सिर्फ़ उंगलियाँ इस तरह पानी में डालें कि हथेली का कोई हिस्सा पानी में न पड़े और पानी निकाल कर दाहिना हाथ तीन बार धोयें फिर दाहिने हाथ को जहाँ तक धोया है उतना हिस्सा पानी में डालकर उससे पानी निकाल कर बायाँ हाथ धोयें। यह उस सूरत में है कि हाथ में कोई निजासत न लगी हो वरना बर्तन में हाथ डालना किसी तरह जाइज़ नहीं अगर नापाक हाथ बर्तन में डाला गया तो पानी नापाक हो जायेगा।
- अगर पानी किसी छोटे बर्तन में है और उसमें से उंडेल कर पानी लिया जा सकता है, या पानी बड़े बर्तन में है और वहाँ कोई छोटा बर्तन भी मौजूद है जिससे पानी को निकाला जा सकता है अगर अब कोई बिना धोये उंगली का पोरवा या नाख़ून भी पानी में डाल देता है तो वह सारा का सारा पानी वुज़ू के क़ाबिल नहीं रहेगा क्योंकि वह पानी मुस्तामल (इस्तेमाल किया हुआ) हो गया है।
- जिस शख़्स पर ग़ुस्ल फ़र्ज़ हो और अगर वह पानी में उंगली का पोरवा या नाख़ून डालदे तो भी पानी वुजू़ के क़ाबिल नही रहताहै।
- वुज़ू या ग़ुस्ल करने में बदन से गिरा पानी पाक होता है मगर उससे वुज़ू और ग़ुस्ल जाइज़ नहींहोता है।
- अगर बे वुज़ू शख़्स का हाथ/उंगली/पोरा/नाख़ून या बदन का वह हिस्सा जो वुज़ू में धोया जाता हो जाने या अनजाने में दह-दर-दह से कम पानी में बिना धोये पड़ जाये तो वह पानी वुज़ू/ग़ुस्ल के क़ाबिल नहीं रहता है।
- अगर हाथ धुला हुआ भी है मगर फिर धोने की नीयत से डाला और यह धोना ज़रूरत की वजह से नहीं बल्कि सवाब के लिये हो जैसे खाने के लिये या वुज़ू के लिये तो भी यह पानी मुस्तामल यानि वुज़ू के काम का नहीं रहा और उस पानी का पीना भी मकरूह होता है।
- अगर ज़रूरत से हाथ पानी में डाला जैसे बड़े बर्तन से पानी निकालने के लिये जबकि कोई छोटा बर्तन नहीं है तो जितनी ज़रूरत हो उतना हाथ पानी में डाल कर उससे पानी निकला जा सकता है।
- इस्तेमाल किया हुआ पानी अगर बिना इस्तेमाल किये हुये पानी में मिल जाता है जैसे वुज़ू या ग़ुस्ल करते वक़्त पानी की बूँदे लोटे या बाल्टी में टपक जाये तो उसमें यह देखना होता है कि अगर अच्छा पानी ज़्यादा है तो उससे वुज़ू और ग़ुस्ल किया जा सकता हैं वरना नही किया जा सकता है।
- अगर छोटे-छोटे गड्ढों में पानी है और उसमे निजासत का पड़ना मालूम नहीं हो रहा तो उससे भी वुज़ू जाइज़ होता है।
- पानी के बारे में काफ़िर की ख़बर पर ऐतबार नहीं करना है चाहे वह पानी को पाक कहे या नापाक कहे दोनों सूरतों में पानी को पाक माना जायेगा क्योंकि यह पानी की असली हालत होती है।
- नाबालिग़ बच्चे का भरा हुआ पानी उसके माँ-बाप के लिए या फिर जिसका वह नौकर है उसके सिवा किसी के लिए जाइज़ नहीं होता है चाहे वह इजाज़त भी क्यों न दे दे, किसी दूसरे शख़्स के लिये ऐसे पानी को पीना, उससे नहाना, वुज़ू करना या और किसी काम में लाना जाइज़ नहीं होता है अगर वुज़ू कर लिया तो वुज़ू तो हो जायेगा लेकिन वो गुनाहगार होगा। आमतौर पर लोग नाबालिग़ बच्चों से पानी भरवाकर अपने काम में लाते हैं यह ठीक बात नहीं होती है। बालिग़ का भरा हुआ पानी भी बिना इजाज़त ख़र्च करना ह़राम होता है।
- अगर निजासत से पानी का रंग, बू और मज़ा बदल गया तो उसको पालतू जानवरों को पिलाना भी जाइज़ नहीं होता है। लेकिन ये पानी गारे वग़ैरा के काम में लाया जा सकता हैं मगर उस गारे मिट्टी को मस्जिद की दीवार वग़ैरा में ख़र्च करना जाइज़ नहींहोता है।
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