आज हम बताएँगे surah maun in hindi जोकि मक्के में नाजिल हुई मगर कुछ मुफ़स्सिर कहते हैं कि ये सूरह मदीने में नाजिल हुई क्योंकि इस सूरह में मुनाफिकीन कि उन किस्मो यानि उन लोगो के बारे में बताया गया है
जो की नमाज में गफलत यानी बेचैनी बरतते हैं यानि वो अगर नमाज पढ़ भी लेते हैं तो दिखावे की नमाज पढ़ते हैं वैसे मुनाफिक ज्यादा तर मदीने में ही पाए जाते थे क्योंकि मक्के में तो अहले इमान छुप-छुप कर नमाज पढ़ते थे
क्युकी अगर वह एलानिया नमाज अदा करें तो उन पर जुल्मों सितम का पहाड़ खड़ा कर दिया जाता था इसलिए इस बात की दलील है और मुमकिन है कि यह सूरत मदीने में नाजिल हुई इस सूरत में 7 आयत है और 1 रुकू है
आइए तफ़्सीर से जानते है Surah Maun in hindi.
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Surah Maun in Hindi
अराएतल लजी यु कज्जीबू बिद्दिन ,
फ़ज़ालिकल्लज़ी यदु अल्-यतीम,
वला या हुद्दु अला ता-अमिल मिसकीन ,
फा वाई लुल-लिल मु सल्लीन ,
अल लजीना हुम अन सलातीहीम सहून ,
अल लजीना हुम युरा-उन ,
वा यमना वनल मा-उन ,
Surah Maun Hindi Translation
शुरू करता हूं अल्लाह के नाम से जो मेहरबान और निहायत रहम वाला है
1– क्या आप ने उस शख्स से देखा, जो जजा और सज़ा के दिन को झुटलाता है
2- ये वही तो है जो यतीम को धक्के देता है
3- और मुहताज को खाना खिलाने पर नहीं उभारता
4- तो ऐसे नमाज़ पढने वालों के लिए बर्बादी है
5– जो अपनी नमाज़ से गाफिल रहते हैं
6- जो दिखावा करते हैं
7- और जो मामूली चीज़ें देने में भी रुकावट डालते हैं
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Surah Maun in English
Bismilla hirrahmanirraheem
1- Ara ‘aytal lazee yukazzibu biddeen
2- Fazaalikal lazee yadu’ul-yateem
3- Wa la yahuddu ‘alaa ta’aamil miskeen
4- Fa wailul-lil musalleen
5- Allazeena hum ‘an salaatihim saahoon
6- Allazeena hum yuraaa’oon
7- Wa yamna’oonal maa’oon
Surah Maun in Arabic
Surah Maun with Urdu Translation
काफिर किसे कहा जाता हैं?
इस्लाम में जिन -जिन बातों पर ईमान लाना ज़रूरी है उन में से किसी एक बात को भी न मानने या उसका इनकार करने वाले को काफिर कहते हैं
मुनाफ़िक़ किसे कहा जाता हैं ?
मुनाफ़िक़ उस को कहा जाता है जो ऊपर से अपने आप को मुसलमान बताता है लेकिन अन्दर से वो मुसलमान नहीं है और मुसलमानों से नफरत करता है।
सूरह की पहली तीन आयतों में क्या फ़रमाया गया है
सूरह कीपहली तीन आयतों में तीन बातें बताई गयी है जो काफिरों से मुताल्लिक हैं
क़यामत का इनकार :
जैसा की मक्का के काफिर आम तौर से क़यामत का इनकार करते थे इसलिए तमाम काफिरो को इस आयत में मुखातिब किया गया है
यतीमों को धक्का देना :
अबू सुफियान के बारे में ज़िक्र किया गया है कि वह हर हफ्ते एक ऊंट ज़बह किया करते थे लेकिन जब उनसे एक यतीम ने उनसे माँगा तो लाठी से उसकी खबर ली और यतीमों के साथ किया जाने वाला एक और बड़ा ज़ुल्म ये था कि विरासत में उन को कुछ नहीं दिया जाता था |
खाना खिलने का रास्ता न बताना :
मतलब की गरीबों को खिलाने पर दूसरों को न उभारना। ज़ाहिर सी बात है कि जिस शख्स के अन्दर नरमी नहीं होगी वो न तो खिलाने पर दूसरों को न ही रास्ता बताएगा और न ही खुद खाना खिलाएगा और फिर ये सब न करने का वो लोग ये बहाना बनाते थे कि “हम उन को कैसे खिलाएं अगर अल्लाह चाहता तो खुद उनको खिला देता” सूरह यासीन में इस का ज़िक्र आया है |
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अगली चार आयतों में तीन बातों का ज़िक किया गया है जो कि मुनाफिकीन से मुताल्लिक हैं यानी जिनमे मुनाफिकीन के बारे में बताया गया है
नमाज़ से ग़फलत :
पहली बात ये है की वो डर और शर्म में नमाज़ तो पढ़ लेते हैं लेकिन गफलत के साथ यानी कभी पढ़ ली कभी नहीं पढ़ी कभी इतनी देर कर दी कि वक़्त निकल गया और पढ़ी भी तो इस तरह कि नमाज़ के अरकान को सही तरह से अदा नहीं किया।
दिखावा :
इसका मतलब ये है की नमाज़ पढ़ी या ज़कात दी या फिर कोई भी अच्छा अमल किया तो इससे उनका मकसद अमल करना नहीं बल्कि सिर्फ उस अमल की नुमाइश करना या दिखावा करना होता था
माऊन को रोक लेना :
माऊन के बारे में हज़रत अब्दुल्ला बिन मसूद र.अ. और हज़रत अब्दुल्ला बिन अब्बास र.अ.का रिवायत है कि इस का मतलब उन घरेलु ज़रुरत की आम चीज़ो से हैं जो एक दुसरे को इस्तेमाल के लिए दी जाती हैं जैसे की पानी, बर्तन, गिलास लेकिन हज़रत अली और मुफस्सिरीन ने इसका मतलब ज़कात बताया है यानी इस आयत में ज़कात न देने पर अल्लाह ने नाराज़गी फरमाई है
इस सूरह का आखिरी लफ्ज़ मौन है जिसको की इस सूरह का नाम दिया गया है
Assalawalekum ,Hindi wale Tarjume me “फजालीकल लजी यदु उल-यतीम ” ye Ayat Miss he
batane ke liye sukriya hum theek kar denge .
bhaijan jab sahi nahi likh sakte to galat ku likh te ho ye galat hai aapka surah maun
by mistake galti ho gyi hai inshallah hum theek kar denge ,aur batane ke liye aap ka bahut bahut sukriya.