ग़ुस्ल करने का सुन्नत तरीका
इस्लाम में सफाई सुथराई से रहना जरुरी है। बिना पाक साफ़ हुए कोई भी इबादत क़ुबूल नहीं होती। हम लोग की जिंदगी में कुछ ऐसा हो जाता है जब ग़ुस्ल फ़र्ज़ हो जाता है।
और अगर हमने सही तरीके से ग़ुस्ल नहीं किया तो कोई भी इबादत कुबूल नहीं होगी इसलिए हमें Gusal Ka Tarika जानना बहोत ही जरुरी है।
गुसल जिसे हम अपनी आम जबान में नहाना कहते है।
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गुस्ल कब फ़र्ज़ होता
ग़ुस्ल फर्ज होना यानि की अब बिना गुसल किये कोई भी इबादत कुबूल नहीं होगी। ये सभी वजह निचे लिखी गई है।
- एह्तेलाम ( Nightfall ) होने के बाद।
- हमबिस्तरी करने ( Intercourse ) के बाद।
- किसी और वजह जिससे मनी ख़ारिज हो जाये उसके बाद।
- औरत के हैज़ ( माहवारी ) बंद होने के बाद।
- निफास का खून ( बच्चे की पैदाइश के बाद आने वाला खून ) बंद होंने के बाद।
इसके आलावा और कोई वजह नहीं है जब गुसल फर्ज होता है। सिर्फ सुन्नत और मुस्तहब होता है यानि की गुसल कर ले तो अच्छा है। नहीं करे तो कोई गुनाह भी नहीं होगा।
गुस्ल का तरीका
यहाँ पर हमने ग़ुस्ल का Step by Step सुन्नत तरीका बताया है
- पहले दोनों हाथ गट्टो तक तीन बार धोएं।
- फिर बदन पर किसी जगह कोई नजासत या गंदगी लगी हुई हो तो उसको 3 मर्तबा पानी से अच्छी तरह धोएं।
- फिर छोटा और बड़ा दोनों इस्तिंजा करें चाहे इसकी जरूरत ना भी हो।
- उसके बाद मसनून तरीका पर वजू करें।
- अगर नहाने का पानी कदमों में जमा होता हो तो पैरों को ना धोए यहां से नहाने के बाद धोए और अगर किसी चौकि या पत्थर या ऐसी जगह गुसल कर रहे हैं जहां पानी जमा नहीं हो रहा तो उस वक्त भी कदमों को धो डालना जायज है।
- अब पानी पहले सर पर डालें फिर दाएं कंधे पर फिर बाएं कंधे पर और इतना पानी डालें कि सर से पांव तक पहुंच जाए और बदन को हाथ से मले यह एक मर्तबा हुआ।
- फिर दोबारा इसी तरीके से पानी डालें कि पहले सर पर फिर दाएं कंधे पर फिर बाएं कंधे पर और जहां बदन के सूखा रह जाने का अंदेशा हो वहां हाथ से मलकर पानी पहुंचाने की कोशिश करें।
- फिर इसी तरह तीसरी मर्तबा पानी सर से पैर तक बहाए।
गुसल के बाद बदन को कपड़ों से पूछना भी साबित है और ना पूछना भी साबित है लिहाजा दोनों में से जो भी सूरत अख्तियार की जाए सुन्नत होने की नियत कर ली जाए।
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ग़ुस्ल का मसला
अगर तमाम मदन में बाल बराबर भी कोई जगह सुखी रह जाएगी तो गुसल नहीं होगा। सर और दाढ़ी के बाल कितने ही घने हो मगर सब बाल भिगोना और सब की जड़ों में पानी पहुंचाना फर्ज है।
लेकिन अगर गुसल के बाद याद आया कि फलानी जगह सुखी रह गई तो फिर से नहाना वाजिब नहीं बल्कि जहां सूखा रह गया था उसी को धो डालना जरूरी है सिर्फ हाथ फेर लेना काफी नहीं होगा।
ग़ुस्ल के फराइज
ग़ुस्ल के फराइज यानि की जिसके बिना ग़ुस्ल नहीं होगा। ग़ुस्ल में तीन चीजें फर्ज है।
- इस तरह कुली करना कि सारे मुंह में पानी पहुंच जाए
- नाक के अंदर पानी पहुंचाना जहां तक नाक नरम है।
- पूरे बदन पर एक बार पानी पहुंचाना की बाल बराबर जगह सूखी न रह जाए।
अगर पान खाया या और कोई ऐसी चीज खाई जोकि दातों में फंस गई तो गुसूल जनाबत में खीलाल करके उनको निकालना जरूरी है वरना ग़ुस्ल नहीं होगा और अगर खिलाल करना भूल गया तो ग़ुस्ल के बाद खिलाल करके कुल्ली कर ले।
ग़ुस्ल की सुन्नतें
- नियत करना यानी दिल में यह इरादा करना कि मैं नजासत से पाक होने के लिए अल्लाह ताला की खुशी और सवाब के लिए नहाता या नहाती हूं। सिर्फ बदन को साफ करने की नियत ना हो।
- इसी तरतीब से गुसल करना जिस तरकीब से आगे लिखा गया है यानी पहले गट्टो तक दोनों हाथों का धोना फिर नजासत जहां लगी हो उसका धोना फिर छोटा और बड़ा इस्तिंजा करना फिर सुन्नत के मुताबिक पूरा वज़ू करना फिर अगर ऐसी जगह हो जहां पानी जमा होता हो तो पैरों का गुसल के बाद उस जगह से हट कर धोना फिर तमाम बदन पर पानी पहुंचाना की बाल बराबर भी सूखा ना रह जाए।
- बिस्मिल्लाह कहना
- मिस्वाक करना (मिस्वाक न हो तो हाथो से दांत साफ़ करना)
- हाथ पैरों का और दाढ़ी का 3 मर्तबा खलाल करना।
- बदन को मलना
- बदन को पै दर पै इस तरह धोना कि एक हिस्सा खुशक ना होने पाए (सूखने न पाए) कि दूसरे हिस्से को धो डाले जबकि जिसम और हवा मोतदिल हालात पर हो यानी कि नॉर्मल हालात पर हो।
- तमाम बदन पर 3 मर्तबा पानी बहाना।
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ग़ुस्ल के मुस्ताहेबात
- ऐसी जगह नहाना जहां किसी नामहरम की नजर ना पहुंच पाए। या पहुंचे तो तहबंद वगैरह बांधकर नहाए।
- दाहिने जानिब को बाये जानिब से पहले धोना।
- सर और दाढ़ी के दाहिने हिस्से का पहले खलाल करना फिर बाएं हिस्से का करना।
- तमाम जिस्म पर पानी इस तरतीब से बहाना कि पहले सर पर दाहिने तरफ फिर बाय तरफ डालें।
- किबला रुख होने और दुआ पढ़ने के अलावा जो चीजें वज़ू में मुस्ताहब है वह ग़ुस्ल में भी मुस्ताहब है। गुसूल से बचे हुए पानी का खड़े होकर पीना मुस्ताहब नहीं है।
नोट : कान और नाक में भी ख्याल करके पानी अच्छी तरीके से पहुंचाएं इन में अगर पानी ना पहुंचा तो गुसल नहीं होगा।
ग़ुस्ल के मकरुहात
- बिला जरूरत ऐसी जगह ग़ुस्ल करना जहां किसी गैर महरम की नजर पहुंच सकती हो। मजबूरी में जाएज़ होगा।
- पूरी तरह से बिना कपड़ों के नहाए तो किबला रुख ना होना (किबला रुख नहीं होना चाहिए)
- ग़ुस्ल करते वक्त बिस्मिल्लाह के अलावा और दुआओं का पढ़ना। (नहीं पढ़ना चाहिए)
- बगैर जरूरत बातें करना (नहीं करनी चाहिए)
- जितनी चीजें वज़ू में मकरूह है वह ग़ुस्ल में भी मकरुह है।
अगर बदन का कुछ हिस्सा खुशक रह गया या कुल्ली करना या नाक में पानी डालना भूल गया और इसी हालत में नमाज पढ़ ली फिर बाद में याद आया तो
जो बात फराइज में से रह गई हो उसको पूरा कर ले और इसी तरह नमाज को भी दोबारा पढ़ना चाहिए।
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ग़ुस्ल की ख़ास बाते
ग़ुस्ल करते वक्त इन बातों का खास ध्यान रखें।
- ऐसी जगह गुसल करें कि उसको कोई बिना कपड़ों के कोई ना देख सके जैसे गुसलखाना वगैरह में ग़ुस्ल करें।
- चाहे खड़े होकर नहाए या बैठकर यह आपकी मर्जी है लेकिन बैठकर नहाना बेहतर है। क्योंकि उसमें पर्दा ज्यादा है।
- बिना कपड़ों के यानी नंगे होकर गुसल करते वक्त किबला की तरफ मुंह ना किया जाए।
- ग़ुस्ल करते वक्त ना पानी बहुत ज्यादा बहाए और ना ही बहुत कम पानी इस्तेमाल करें।
- ग़ुस्ल करते वक्त बिला जरूरत बातें ना करें।
- ग़ुस्ल से फारिग होकर बदन नंगा हो तो बदन ढकने में बहुत जल्दी करें।
Ref : Sunnah.com
aap ye artical bahut pashand aaya hai
lekin aap se ek sawal hai
mai jab bhi nahane jata hon pahele mustjani karta hon fir gusl krta hun kiya gusl hoga 24 ghnte ke baad hoga
ग़ुस्ल हो जायेगा लेकिन आप ये काम बंद कर दीजिए
Ye article bahut fayedemand tha lekin is website par Jo ads hai galat hai to aapse gujarish hai ki is ad ko hataye chahe dusre ads dikha de