नमाज पढ़ना फर्ज़ है। और हम सभी को सही तरीके से नमाज पढ़नी चाहिए इसके लिए हमने नमाज का तरीका पहले ही लिख दिया है, उसके बाद नमाज़ की वाजिबात और अब Namaz ki Sunnat के बारे में बताएंगे।
नमाज में लगभग 51 सुन्नते हैं जिनमें अक्सर सुन्नत, सुन्नते मोकदा है। और कुछ सुन्नत गैर मौकेदा है समझने में आसानी के लिए उन्हें 6 हिस्सों में तक्सीम किया गया है।
कयाम की सुन्नते
कयाम यानी की नमाज का वो हिस्सा जब हम खड़े होकर नमाज का अरकान अदा करते हैं।
कयाम में 16 सुन्नते हैं।
- तकबीरे तहरीमा बगैर सर झुकाए सीधे खड़े होकर कहना।
- कयाम में मर्द को दोनों पांव के दरमियान चार अंगुल का फासला रखना।
- मर्द को तकबीरे तहरीमा के लिए दोनों हाथ का दोनों कानों तक उठाना और औरतों को कंधों तक उठाना।
- तकबीरे तहारीमा में उंगलियां को कुसादा रखना और हथेलियों और उंगलियों को किबला रुख रखना।
- मुक्तादि (इमाम के पीछे नमाज़ पढ़ने वाला) की तकबीरे तहरीमा का इमाम की तकदीरे तहरीमा से पूरी तरह मिली होना लेकिन ये ध्यान रहे की कि इमाम से पहले ना हो।
- तकबीरे तहरीमा के बाद मर्द को दाहिना हाथ बाएं हाथ पर नॉफ के नीचे बांधना और इसी तरह की दाहिने हाथ की हथेली में बाएं हाथ की पुस्त हो और अंगूठा और छोटी उंगली का हिस्सा बना लिया जाए और दरमियान की तीनों उंगली मिलाकर कलाई के सीधे में बिछा ली जाए।
- औरतों को दोनों हाथ सीने पर बगैर हल्का बनाए इस तरह रखना कि दाहिना हाथ बाएं हाथ के ऊपर हो।
- पहली रकत में सना पढ़ना।
- पहली रकात में आउजबिल्लाह पढ़ना।
- हर रकात के शुरू में बिस्मिल्लाह पढ़ना।
- इमाम मुक्तदी और मुनफरीद तीनों को अल्हम्दु शरीफ के खत्म पर आमीन कहना।
- ताउज तस्मिया और आमीन को आहिस्ता कहना।
- मुकीम को फज़र और जोहर में कोई बड़ी सूरत पढ़ना और असर और एशा दरमियानी सूरत पढ़ना और मगरिब में छोटी सूरत में से कोई सूरत पढ़ना। मुसाफिर को अख्तियार है छोटी बड़ी कोई भी सूरह पढ़ सकता है।
- फजर की नमाज में पहली रकात को दूसरी रकात के मुकाबले में बड़ी पढ़ना।
- इमाम को तकबीरे तहरीमा और दूसरी तकबीरो को बुलंद आवाज से कहना।
- फर्ज नमाज़ की पहली दो रकातो के बाद वाली दो रकातो में सिर्फ सूरह फातिहा पढ़ना। (जब नमाज 2 रकात से ज्यादा हो)
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रुकू की सुन्नते
रुकू में सात सुन्नते हैं
- रुकू के लिए तकदीर कहना।
- दोनों हाथों से घुटनों को पकड़ना।
- घुटने को पकड़ते वक्त मर्द को हाथ की उंगलियां को कुशादा रखना औरतो को उंगलियां मिलाकर रखना।
- पिंडलियों को सीधा खड़ा रखना।
- पीठ को फैलाना।
- सर और शिरीन बराबर रखना।
- कम से कम 3 बार रुकू की तस्वीह सुबहान रब्बी अल अज़ीम कहना।
कौमा की सुन्नते
कौमा में पांच सुन्नते हैं।
- रुकू से उठना।
- रुकू से उठते वक्त समीअल्लाहु लिमन हमीदह कहना।
- रुकू के बाद इत्मीनान से खड़ा होना।
- मुक्तादी और अकेले नमाज पढ़ने वाले को रब्बना व लकल हम्द कहना।
- इमाम को समीअल्लाहु लिमन हमीदह बुलंद आवाज से कहना और मुक्तदी और मुनफरीद को रबबना लकल हम्द आहिस्ता आवाज से कहना।
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सजदे की सुन्नते
सजदे में 10 सुन्नते हैं।
- सजदे में जाते वक्त अल्लाह हू अकबर कहना।
- पहले दोनों घुटने फिर दोनों हाथ फिर नाक और फिर पेशानी जमीन पर रखना।
- सजदे का दोनों हथेलियों के दरमियान होना इस तरीके से की दोनों हाथ की उंगलियां मिली हुई हो।
- मर्द का अपने पेट को रानों से केहुनियों को पहलू से और कलाइयों को जमीन से जुदा रखना।
- औरतों का अपने पेट को रानों से केहुनियों को पहलू से मिला कर रखना और पांव को जमीन पर बिछा हुआ रखना।
- सजदे की हालत में दोनों पैरों की उंगलियां का रुख कीबला की तरफ रखना।
- 3 मर्तबा सजदा की तस्वीह पढ़ना सुबहान रब्बी अल आला।
- सजदें से उठने के लिए तकबीर कहना।
- सजदे से उठते वक्त पहले पेशानी फिर नाक फिर हाथ और फिर घुटनों को उठाना।
- दोनों सजदों के दरमियान जलसा करना यानी थोड़ी देर बैठना इस तरीके से की दोनों हाथ दोनों रानो पर हो जिस तरह अत्तहियात में रखते हैं।
कदह की सुन्नते
कदह में पांच सुन्नते हैं
- मर्द का दाएं पैर को खड़ा करना और उंगलियों को कीबला रुक रखना और बाएं पैर को बिछा लेना।
- औरतों को तर्क करना यानी अपने बाये शिरीन पर बैठना और दाएं रान को बाएं पर रखना और बाया पैर दाहिनी तरफ निकाल देना और दोनों हाथ बा दस्तूर रानो पर रखना।
- शहादत की उंगली से इशारा करना।
- कायदा आखीर में दरूद शरीफ पढ़ना।
- कादाह आखिर में दरूद शरीफ के बाद दुआ मासुरा पढ़ना।
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सलाम की सुन्नते
सलाम में 8 सुन्नते हैं
- सलाम फेरते वक्त दाएं और बाएं तरफ मुंह फेरना और मुंह फेरते वक्त पहले दाएं तरफ फिर बाईं तरफ मुँह फेरना।
- दूसरा सलाम पहले सलाम के मुकाबले में कुछ हल्की आवाज से फेरना।
- मुक्तादी का सलाम इमाम के सलाम के साथ मिला हुआ होना।
- इमाम का दोनों सलामों में नमाजियों फरिश्तों और नेक जिन्नात की नियत करना।
- मुक्तादी का नमाजियों फरिश्तों और नेक जिन्नात के साथ जिस तरफ इमाम हो उस तरफ इमाम की नियत भी करना और अगर इमाम बिल्कुल सामने हो तो दोनों सलाम में इमाम की नियत करना।
- मूनफरीद को दोनों सलाम में सिर्फ फरिश्तों की नियत करना।
- हर अमल दाएं तरफ से शुरू करना।
- मस्बूक को इमाम के फारिग होने का इंतजार करना।
सुन्नतों का हुकुम
इनका हुकुम यह है कि अगर नमाजी इनमें से किसी सुन्नत को जानकर छोड़ दे तो नमाज फांसीद नहीं होती और सजदा साहू भी वाजिब नहीं होता लेकिन नमाज मकरूह हो जाती है। और अगर भूल कर कोई सुन्नत छोड़ दे तो नमाज मकरुह भी नहीं होती।
(Source : sunnah.com)
Qayam ki photograph galat laga rakhi hai.left hand right hand ke upar hai jabki right hand upar hina chahye..
अरे भाई जान कायदे में बैठने की फोटो भी गलत है l इसमें बताई गई पहली सुन्नत को ही नजरअंदाज कर दिया गया है l जिसमें लिखा है कि बाएं पैर को बिछाकर बैठ जाएं और दाया पैर खड़ा रखें जबकि फोटो में बाया पैर ही खड़ा है 😌