नबी सo की सुन्नत पर अमल करे
आज हम लोग अपने को नबी सल्लाहु अलैहि वसल्लम से मुहब्बत करने का दावा तो करते है लेकिन सही मायने में Nabi Ki Sunnat क्या है? या तो हमें मालूम नहीं या फिर मालूम है भी तो अमल नहीं करते।
आज हम लोग अपने को नबी सल्लाहु अलैहि वसल्लम से मुहब्बत करने का दावा तो करते है लेकिन सही मायने में Nabi Ki Sunnat क्या है? या तो हमें मालूम नहीं या फिर मालूम है भी तो अमल नहीं करते।
Eid-ul-Adha यानी कि बकराईद के मैके पर हम लोग अल्लाह तबारको ताला के हुक्म पर क़ुरबानी तो करवाते है लेकिन साल में एक बार क़ुरबानी करने से हम Qurbani Ka Tarika और दुआ भूल जाते है। इस वजह से हम परेशानी में पड़ जाते है।
क़ुरान व हदीस की रौशनी Ilm Ki Ahmiyat रसूल-अल्लाह सलअल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया कि उस मुसलमान के लिए जन्नत का रास्ता आसान होगा जो इल्म ताल्लुक से यू तो अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने क़ुरआन में कई आयतें नाज़िल की है. कुछ का तज़किरा हम इस पोस्ट में करते हैं
क़ुरआन क़ुरआन-ए-करीम अल्लाह सुब्हानहु व ताअला का वो अज़ीमुश्शान कलाम है जो इन्सानों की हिदायत के लिए ख़ालिक़ कायनात ने अपने आख़िरी रसूल सल्लाहु अलैहि वसल्लम पर नाज़िल फ़रमाया और Quran Kareem Ki Hifazat का ज़िम्मा खुद लिया।
फ़हाशी जिसको हम अपनी आम बोलचाल में बेशर्मी भी कहते है। Fahasi Aur Behayai का मअनी व मफ़हूम जिन्हें खुले अल्फ़ाज़ों में बयान करना बुरा समझा जाता हो उन्हें ऐलानीया तौर पर ज़िक्र करना मसलन जिमा की बातें करना, मर्द और औरत के आज़ा मख़सूसा का ज़िक्र करना, पेशाब पाख़ाना वग़ैरा की बातें करना।
नजासत यानी की गन्दगी से पाकी हासिल किए बिना हम वज़ू या ग़ुस्ल मुकम्मल नहीं कर सकते और इसके लिए हमें Istinja ke Masail जानने की जरुरत पड़ती है। बाहर से जिस्म या कपड़े पर लगने वाली निजासत को पाक व साफ़ करने का इस्लामी तरीक़ा इस्तन्जा कहलाता है।
हदीस में Wazu ki Fazilat के मुतालिक कसरत से लिखा गया है। किसी भी इबादत की फ़ज़ीलत जब तक हमें पता नहीं होगी तो उसकी अहमियत हमारे दिलो में नहीं होगी। इसी तरह वज़ू भी इससे अलग नहीं है।
एक मुस्लमान के लिए Wazu ka Tarika सुन्नत के मुताबिक जानना और उस पर अमल करना बहोत ही जरुरी है। जब तक आप का वज़ू दुरुस्त नहीं होगा तो कोई भी इबादत सही नहीं हो सकती। लिहाज़ा मुसलमान होने के नाते वुज़ू के बारे में पूरी जानकारी होना हम पर फ़र्ज़ है।
Eid ul Fitr और ईद उल अज़्हा (Eid Ul Adha) की नमाज़ साल में एक बार पढ़ी जाती है तो इस वजह से हम ये भूल जाते है की कब क्या करना है। कई बार तो हम बगल वाले को देखने लगते है कि अब क्या करे। इस लिए हमने आप के लिए Eid Ki Namaz Ka Tarika तफ्सील से पेश किया है।
कामयाबी के लिए इसके लिए हमें Rasool Allah Ki Nasihat अपनी जिंदगी की रहनुमाई के लिए बहुत ही जरुरी है। ये ऐसी नसीहत है जो दुनिया और आख़िरत दोनों की कामयाबी का बाइस है।